*ट्रूडो के इस्तीफे के साथ ही बदल गया कनाडा? निज्जर मर्डर केस के चारों आरोपियों को जमानत
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भारत और कनाडा के रिश्तों के बीच खटास की सबसे बड़ी वजह रही खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला। हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद दोनों देशों के संबंध सबसे खराब स्तर पर पहुंच गए। इस बीच इस मामले में एक नया मोड आया है। निजजर की हत्या मामले में कनाडा में गिरफ्तार किए गए सभी चार भारतीयों को कनाडा की कोर्ट ने जमानत दे दी है। इनके नाम करण बराड़, अमनदीप सिंह, कमलप्रीत सिंह और करणप्रीत सिंह हैं। इनपर प्रथम डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। ये सब तब हुआ है जब ट्रूडो को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है।
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खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपी बनाए गए चार भारतीय नागरिकों को कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है। कनाडाई सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कनाडाई पुलिस को पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाने के चलते फटकार भी लगाई है। अब इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी को निचली अदालत में होगी, जहां नवंबर, 2024 में पुलिस ने इन चारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
पुलिस अदालत में पेश नहीं हुई
दरअसल, इस केस में कनाडा पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है. निचली अदालत में सबूत पेश करने में असफल रहने के कारण पुलिस अदालत में पेश नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की इस निष्क्रियता को देखते हुए चारों आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया।
कौन हैं चारों आरोपी?
कनाडा ने निज्जर मर्डर केस में साल 2024 में मई के महीने में चार भारतीयों को अरेस्ट किया गया था। आईएचआईटी ने 3 मई को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए तीन भारतीय नागरिक, करण बराड़ (22), कमलप्रीत सिंह (22) और करणप्रीत सिंह (28) को गिरफ्तार किया था। तीनों व्यक्ति एडमोंटन में रहने वाले भारतीय नागरिक थे और उन पर फर्स्ट डिग्री की हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।
इसी के बाद आरोपी अमरदीप सिंह (22) को भी इस केस में अरेस्ट किया गया था। अमरदीप सिंह पर फर्स्ट-डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) की इंटीग्रेटेड होमिसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम (आईएचआईटी) ने कहा था कि अमरदीप सिंह को निज्जर की हत्या में उनके रोल के लिए 11 मई को गिरफ्तार किया गया था।
क्या था हरदीप सिंह निज्जर मर्डर केस?
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून साल 2023 में कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह भारत में वांटेड घोषित था। निज्जर साल 1997 में कनाडा भाग गया था और उसके खिलाफ भारत में दर्जन भर से ज्यादा कत्ल और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर केस दर्ज हैं। इसके बावजूद कनाडा की सरकार ने निज्जर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया था। साल 2023 में निज्जर की हुई हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच एक नया विवाद पैदा हुआ।
क्या भारत से संबंध सुधारने की कवायद शुरू?
बता दें कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाकर तहलका मचा दिया था। सिख वोटों को अपने पक्ष में जुटाने के लिए ट्रूडो इस आरोप पर अड़े रहे, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं कर सके। इसके चलते भारत-कनाडा के संबंध लगातार खराब होते चले गए। हालांकि ट्रूडो को इससे कोई लाभ नहीं हुआ है और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उनके इस्तीफा देते ही चारों भारतीय आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का फैसला आ गया है। इससे यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ट्रूडो के बाद कनाडा में भारत से संबंध सुधारने की कवायद शुरू हो गई है।







* भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में नए दौर की शुरूआत हो रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद भारत ने तालिबान की सरकार के साथ सीमित दायरे में ही संपर्क रखा था। हालांकि, अब दोनों देशों के रिश्ते करवट ले रहे हैं। तालीबान के साथ पहली बार भारत सरकार की उच्च स्तरीय बातचीत हुई है। दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की।बैठक में अफगानिस्तान ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को वरीयता देने का आश्वासन दिया और दोनों देशों के बीच क्रिकेट के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी। तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत को धन्यवाद दिया और कहा कि हम एक महत्वपूर्ण और आर्थिक देश के रूप में भारत के साथ संबंध रखना चाहते हैं। इस दौरान भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश ने बीते साढ़े तीन वर्षों में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान की है और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अफगानिस्तान के साथ सहयोग करना चाहता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत अफगानिस्तान में चल रहे मानवीय सहायता कार्यक्रम के अलावा निकट भविष्य में विकास योजनाओं में शामिल होने पर विचार करेगा। बैठक में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी। भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए मानवीय मदद बढ़ाने का आश्वासन दिया। *तालिबान को राजनीतिक संबंधों के बढ़ने की उम्मीद* तालिबान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने राजनीतिक संबंधों को बढ़ाने की उम्मीद के साथ ही छात्रों, व्यापारियों, मरीजों के लिए वीजा से संबंधित सुविधाएं बनाने की उम्मीद जताई। तालिबान की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष व्यापार और वीजा को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए हैं। *अफगानिस्तान को भेजी मदद* भारत ने अब तक अफगहानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सहायता, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11,000 यूनिट स्वच्छता किट, 500 यूनिट सर्दियों के कपड़े और 1.2 टन स्टेशनरी किट आदि के कई शिपमेंट भेजे हैं। इस मुलाकात में भारत ने कहा कि वह अफगानिस्तान को आगे भी मदद करना जारी रखेगा। विशेष तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भारत ज्यादा सामग्री और सहायता देगा। *क्रिकेट पर भी हुई चर्चा* भारत-पाकिस्तान के बीच हुई इस बातचीत में दोनों पक्षों ने खेल (क्रिकेट) सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा की, जिसे अफगानिस्तान की युवा पीढ़ी बहुत अहमियत दे रही है। इसके अलावा अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता के उद्देश्य सहित व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति हुई। *अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं* भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत थोड़ा इंतजार करेगा। अगर तालिबान का रुख वाकई सकारात्मक रहा तब चरणबद्ध तरीके से वहां की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने के अलावा फिर से दूतावास खोलने, नई दिल्ली स्थिति बंद पड़े अफगान दूतावास में तालिबान सरकार के राजनयिक की नियुक्ति पर हामी भरेगा।

Jan 09 2025, 18:44
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