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दिल्ली में सीएम आवास को लेकर बवाल, मुख्यमंत्री आवास देखने पहुंचे सौरभ-संजय को पुलिस ने रोका

#ruckus_regarding_cm_residence_before_delhi_assembly_elections

दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक है। इस बीच आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले शीशमहल बनाम राजमहल की राजनीति तेज हो गई है। इस बीच आप नेता संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज सीएम आवास देखने पहुंचे। पुलिस ने 6 फ्लैग स्टाफ रोड के पास बेरिकेड्स लगा रखे हैं। पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक लिया। साथ ही आप नेताओं की पुलिस से बहस हुई। इसी के बाद दोनों नेता सीएम आवास के बाहर ही धरने पर बैठ गए थे, लेकिन फिर दोनों वापस चले गए।

बुधवार को आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, मंत्री सौरभ भारद्वाज और अन्य नेता मीडिया के साथ सीएम हाउस पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। आवास के बाहर बैरिकेडिंग की गई थी, जिसे पार करने की कोशिश पर पुलिस और आप नेताओं के बीच नोकझोंक हुई। आप नेताओं का आरोप है कि बीजेपी सीएम हाउस में लग्जरी सुविधाओं का दावा कर रही है, जिसे दिखाने की मांग पर उन्हें रोका जा रहा है। पुलिस ने ऊपर से आदेश का हवाला देते हुए किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।

आप नेता संजय सिंह ने कहा, कल मैंने चुनौती दी थी बीजेपी जिस आवास के बारे में झूठा प्रचार कर रही है कि सोने की टॉयलेट, मिनी बार और स्विमिंग पूल बना हुआ है। हम खोजेंगे कहां ये सारी चीजें। पूरे देश को पता चलना चाहिए। दूसरा, देश के पीएम जिन्होंने बड़े बड़े फैशन डिजाइनर को फेल कर दिया है उनका राजमहल भी देखने चलेंगे। उनके 6700 जोड़ी जूते देखने चलेंगे, 200 करोड़ का झूमर देखने चलेंगे, सोने के धागे से जो 300 करोड़ की कालीन बनाई गई है उसे भी देखने जाएंगे। 10-10 लाख का पेन भी देखने चलेंगे। राजा राजमहल में रहने वाले मोदी जी 8400 करोड़ के जहाज से चलते है, 2700 करोड़ के घर में रहते हैं। मुझे लगता है कि आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। पूरे देश के सामने सच्चाई आयेगी।

दरअसल, बीजेपी लगातार आम आदमी पार्टी पर दिल्ली के सीएम हाउस को लेकर कई आरोप लगाती रही है। इसी को लेकर उन आरोपों का खुलासा करने और सीएम हाउस में सोने का टॉयलेट, बार और स्विमिंग पूल ढूंढने के लिए आज आप पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज और संजय सिंह सीएम हाउस पहुंचे थे।

बता दें कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास को लेकर बीजेपी लगातार आरोप लगाती रही है। हाल ही में बीजेपी ने सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले पर हुए खर्च को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेस में सीएजी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि पीडब्ल्यूडी की ओर से 17 मार्च 2020 को एक प्रपोजल दिया था कि सीएम हाउस को रीमॉडलिंग करना होगा।

इसका मतलब केवल रिनोवेशन नहीं है, इसका मतलब था कि बिल्डिंग को गिराकर उस पर एक नया फ्लोर तैयार करना है। एक दिन के अदंर ही इस प्रपोजल को मान लिया गया. प्रपोजल में सीएम हाउस की एस्टीमेट कॉस्ट 7 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी। इसके बाद जो टेंडर निकाला गया तो वो 8 करोड़ 62 लाख रुपए का निकाला गया था। साथ ही संबित पात्रा ने कहा कि सीएम हाउस के लिए फाइनल पेमेंट 33 करोड़ 66 लाख रुपए दिया गया। कहां 7 करोड़ का एस्टीमेट और कहां 33 करोड़ रुपए दिए गए।

भारत ने फिर बढ़ाया शेख हसीना का वीजा, पासपोर्ट रद्द करने के बाद अब क्या करेंगे मोहम्मद यूनुस?
#bangladesh_government_cancels_sheikh_hasina_passport_and_india_extend_her_visa
* बांग्लादेश और भारत के बीच पूर्व पीएम शेख हसीना को लेकर तनाव बरकार है। यूनुस सरकार किसी भी कीमत पर शेख हसीना की वतन वापसी चाहता है। बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार भारत से शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण की मांग कर रही है और हसीना को जेल में डालने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. शेख हसीना पर चल रहे आपराधिक मामलों को लेकर युनूस सरकार ने पहले उनका अरेस्‍ट वारंट निकाला। इस बीच खबर आई कि बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और 96 अन्य लोगों का पासपोर्ट रद्द कर दिया है। हालांकि, भारत शेख हसीना के साथ अपनी दोस्ती पूरी शिद्दत के साथ निभा रहा है। भारत ने दिल्‍ली में रह रहीं निर्वासित पीएम हसीना का वीजा बढ़ा दिया है। बांग्लादेश ने हाल ही में 97 लोगों के पासपोर्ट रद्द कर दिए, जिनमें शेख हसीना का नाम भी शामिल है। इन व्यक्तियों पर आरोप है कि वे जुलाई में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान गायब होने और हत्याओं में शामिल थे। बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार का पासपोर्ट रद्द करने का ये फैसला इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) द्वारा शेख हसीना और अन्य 11 लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करने के 1 दिन बाद आया है। आईसीटी ने 6 जनवरी को हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिसके बाद हसीना और 11 बाकी लोगों को गिरफ्तार कर फरवरी में न्यायाधिकरण के समक्ष पेश करने का आदेश दिया गया। बांग्लादेश की सबसे लंबे समय प्रधानमंत्री रहने वाली 77 वर्षीय शेख हसीना देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थीं। 5 अगस्त, 2024 को वह दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस पर उतरी थीं। इसके बाद उनको सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया है। बताया जाता है कि वह दिल्ली में एक सुरक्षित घर में हैं। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद वहां नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। अंतरिम सरकार बनने के बाद हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या समेत कई केस दर्ज हुए हैं। यूनुस सरकार का कहना है कि शेख हसीना को बांग्लादेश भेजा जाए ताकि उन पर मुकदमा चल सके। बांग्लादेश ने 23 दिसंबर को एक नोट भेजकर भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है। एक तरफ बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। दूसरी तरफ भारत ने हसीना का वीजा बढ़ाकर यूनुस सरकार को संकेत दिया है कि प्रत्यर्पण अनुरोध फिलहाल ठंडे बस्ते में ही रहेगा। भारत ने शेख हसीना के वीजा को हाल ही में बढ़ाया है ताकि उनके भारत में रहन-सहन को सुगम बनाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक हसीना का वीजा विदेश मंत्रालय की ओर से बढ़ाया गया है साथ ही इसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय की सहमति भी शामिल थी। हालांकि अधिकारियों ने ये स्पष्ट किया कि भारत ने हसीना को शरण नहीं दी है, क्योंकि भारत में शरणार्थियों से संबंधित कोई विशेष कानून नहीं है। शेख हसीना को लेकर बांग्‍लादेश और भारत के हालिया कदम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अब शेख हसीना का भविष्य क्‍या होगा? इसे लेकर बात करें तो भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही कह दिया है कि शेख हसीना को अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में खुद निर्णय लेना है। वहीं बांगलादेश के राष्ट्रीय स्वतंत्र जांच आयोग के प्रमुख ने कहा है कि आयोग के सदस्य भारत जाने की योजना बना रहे हैं ताकि शेख हसीना से 2009 में बांगलादेश राइफल्स द्वारा 74 लोगों की हत्या के मामले में पूछताछ की जा सके। ऐसे में देखने वाली बात है कि बांग्‍लादेश हसीना का प्रत्‍यर्पण करा पाने के दावे में कितना सफल हो पाता है।
ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले ही दिखाए “खतरनाक” प्लांन, ग्रीनलैंड से लेकर मेक्सिको गल्फ तक इरादे किए साफ

#trumpswantsgreenlandandpanamainus_control

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले ही हड़कंप मचा रखा है। ट्रंप की नजर ग्रीनलैंड से लेकर पनामा सिटी और मेक्सिको गल्फ पर गड़ गई है। वह कनाडा को भी अमेरिका का 51वां राज्य बनाने के लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को खुला ऑफर दे चुके हैं। अब उन्होंने मंगलवार को कहा कि वह ‘गल्फ ऑफ मेक्सिको’ का नाम बदलकर ‘गल्फ ऑफ अमेरिका’ करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के नए राष्‍ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे। शपथ लेकर बतौर राष्‍ट्रपति अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने से पहले प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके बाकायदा कई घोषणाएं कर दी हैं। ट्रंप ने अमेरिका और दुनिया से जुड़े कई अहम मामलों पर अपना एजेंडा साफ कर दिया है। इस एजेंडे में ट्रंप ने बताया है कि वह अमेरिकी सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले किन चीजों पर फोकस करने वाले हैं। अमेरिका के फ्लोरिडा राज्‍य में ट्रंप ने अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट में पत्रकारों से बातचीत की है।

मेक्सिको-कनाडा पर टैरिफ

ट्रंप ने अपनी हालिया प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में साफ कर दिया है कि वो कनाडा के साथ-साथ मेक्सिको पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। वह अप्रवासियों को ना रोकने के कारण इन देशों से खासे नाराज हैं और इन देशों को तगड़ी आर्थिक चोट देंगे।उन्‍होंने कहा कि मेक्सिको को लाखों लोगों को हमारे देश में आने की अनुमति देना बंद करना होगा। वे उन्हें रोक सकते हैं और हम मेक्सिको और कनाडा पर बहुत गंभीर टैरिफ लगाने जा रहे हैं क्योंकि वे कनाडा के माध्यम से भी अमेरिका में आते हैं। इन देशों से जो ड्रग्स आ रहे हैं वे रिकॉर्ड संख्या में हैं।

मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलेंगे

ट्रंप ने पहले अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी डेनाली का नाम बदलकर मैकिनले करने का ऐलान कर दिया था। अब उन्होंने घोषणा की है कि वह मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करेंगे। ट्रंप ने मंगलवार को कहा, हम मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने जा रहे हैं। अमेरिका की खाड़ी कितना सुंदर नाम है और यह उचित है। मेक्सिको वास्तव में संकट में है। बहुत अधिक संकट, यह बहुत खतरनाक जगह है।

पनामा और ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप ने क्या कहा?

पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, मैं ये सुनिश्चित करना चाहता हूं पनामा और ग्रीनलैंड पर हमारा अधिकार हो। दोनों ही अमेरिका के लिए अहम हैं और जरूरत पड़ी तो सैन्य कार्यवाही से इनकार नहीं किया जा सकता। पनामा नहर हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है, पनामा नहर अमेरिका की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। चीन पनामा नहर पर अपनी मौजूदगी को लगातार बढ़ा रहा है, जो अमेरिका के लिए खतरे की घंटी है।

भारत में एच‌एमपीवी कमजोर पर पांच दूसरे वायरस सक्रिय

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

चीन में खलबली मचा रहा ह्यूमन मेटान्यूमो (एचएमपी) वायरस भारत में काफी कमजोर स्थिति में है। उससे कहीं ज्यादा प्रसार पांच तरह के वायरस का देखने को मिल रहा है जो पिछले तीन माह से अलग अलग राज्यों में फैले हैं। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सर्विलांस निगरानी रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल की तरह इस बार भी भारत में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू, एच3एन2, विक्टोरिया, कोरोना और आरएस वायरस के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इन सभी संक्रमण के लक्षण एक जैसे हैं, जिसके चलते अस्पतालों में पहुंचने वाले सर्दी-खांसी के मरीजों में इनकी पहचान हो रही है। इन पांचों वायरस की तुलना में एचएमपी काफी सीमित स्थिति में है। एक अधिकारी ने बताया कि भारत में अलग-अलग तरह के वायरस और उनके प्रसार की निगरानी के लिए आईसीएमआर ने आईएलआई-एसएआरआई सर्विलांस नेटवर्क की स्थापना की है। इस नेटवर्क में देश के लगभग सभी बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों के साथ-साथ प्रयोगशालाएं शामिल हैं। यहां पहुंचने वाले मरीजों के नमूनों और उनकी रिपोर्ट के आधार पर हर महीने समीक्षा रिपोर्ट तैयार होती है।

26 फीसदी नमूनों में विक्टोरिया वायरस

अधिकारी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि साल 2024 के आखिरी सप्ताह में 26 फीसदी नमूनों में विक्टोरिया वायरस पाया गया, जबकि 14 फीसदी नमूने आरएसवी से संक्रमित मिले। छह फीसदी नमूनों में एच3एन2 और 12 फीसदी में एच1एन1 वायरस की पुष्टि हुई है। विक्टोरिया वायरस, इन्फ्लूएंजा बी वायरस का एक वंश है, जबकि आरएसवी को एचएमपी वायरस का वायरल चचेरा भाई कहा जाता है। ये दोनों वायरस एक ही परिवार से हैं और दोनों में मौसम संबंधी ओवरलैपिंग भी होती है। आरएसवी के मामले अक्सर शुरुआती सर्दियों के महीनों में बढ़ते हैं और एचएमपीवी के मामले सर्दियों के मध्य से शुरुआती वसंत तक बढ़ते हैं।

2024 में इन्फ्लूएंजा से 324 लोगों की मौत

बैठक के दौरान नई दिल्ली स्थित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने जानकारी दी कि एचएमपी वायरस को लेकर जितनी चर्चा हो रही है उससे कहीं अधिक ग्राउंड जीरो पर इन्फ्लूएंजा ए यानी एच1एन1 जैसे वायरस का प्रसार दिखाई दे रहा है। एक जनवरी से 30 नवंबर 2024 के बीच भारत में इस संक्रमण से 324 लोगों की मौत हुई है, जबकि 19,872 लोग संक्रमित पाए गए। यह आंकड़ा साल 2019 के बाद सबसे अधिक है। कोरोना से पहले 2019 में 28,798 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आए, जिनमें से 1,218 मरीजों ने दम तोड़ दिया।

हालिया आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर 2024 से पांच जनवरी 2025 के बीच देश में सर्दी, खांसी और बुखार से जुड़े 20 फीसदी से ज्यादा रोगियों के नमूनों में एच1एन1 जैसा संक्रमण पाया गया है जो एचएमपी की तुलना में करीब चार गुना अधिक है, क्योंकि साल 2001 से 2024 के बीच भारत में सालाना अधिकतम पांच फीसदी नमूने एचएमपी संक्रमित मिले हैं।

क्या कनाडा को लेकर ही रहेंगे ट्रंप? अब नक्शा शेयर कर बताया अमेरिकी राज्य

#trump_shared_a_new_map_including_canada_in_america

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार कनाडा को अमेरिका में शामिल करने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। लगता है ट्रंप कनाडा को अमेरिका में मिलाकर ही दम लेगें। दरअसल, कनाडा को संयुक्त राज्य अमेरिका में मिलाने के लिए 'आर्थिक ताकत' के इस्तेमाल की धमकी देने के कुछ घंटों बाद, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी ध्वज से चित्रित दोनों देशों को एक दिखाने वाला मैप भी शेयर कर दिया है। ट्रंप ने इस नए नक्शे में कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य के रूप में दिखाया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पहले एक मैप शेयर किया। इसमें उन्होंने कनाडा को अमेरिका का हिस्सा दिखाया है। उन्होंने अमेरिका के इस मैप को पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ओह कनाडा!’। इसके बाद उन्होंने एक और मैप शेयर किया। इस पर लिखा है- यूनाइटेड स्टेट। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को बार-बार ’51वां राज्य’ कह चुके हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि वह कनाडा को हासिल करने के लिए ‘सैन्य ताकत’ का नहीं, बल्कि ‘आर्थिक ताकत’ का इस्तेमाल करेंगे।

ट्रंप के मैप जारी करने बाद ट्रूडो भी आक्रमक हो गए हैं और उन्होंने भी इसका जवाब कड़े शब्दों में दिया है। ट्रूडो ने कहा कि इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं। ट्रूडो ने एक्स पर लिखा, बर्फ में भी आग लगने की संभावना अधिक है बजाय इसके कि कनाडा कभी अमेरिका का हिस्सा बनेगा। हमारे दोनों देशों के कर्मचारियों और समुदायों को एक-दूसरे के सबसे बड़े व्यापारिक और सुरक्षा भागीदार होने का लाभ मिलता है। इस तरह उन्होंने साफ कर दिया कि दोनों देशों के विलय की कोई संभावना नहीं है।

बता दें कि नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद से ट्रंप ने बार-बार अमेरिका-कनाडा के विलय का विचार पेश किया है। पूर्व में डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को यह ऑफर दिया था कि वह कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य के रूप में विलय कर दें। इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था कई गुना तेज रफ्तार से बढ़ेगी। ट्रंप ने इसके साथ ही ट्रूडो को कनाडा राज्य का गवर्नर बनाने का भी ऑफर दिया था। मगर ट्रूडो ने इस पर हामी नहीं भरी थी। ऐसा नहीं करने पर ट्रंप कई बार कनाडा पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की धमकी भी दे चुके हैं। तब से अमेरिका और कनाडा के बीच तनाव चल रहा है। इन विवादों के बीच डोनाल्ड ट्रम्प ने नया अमेरिकी मानचित्र साझा करके फिर से बवाल मचा दिया है।

ट्रंप होटल के बाहर एआई के जरिए हुआ हमला, चैटजीपीटी की मदद से साइबरट्रक में किया गया था धमाका

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अमेरिका के लास वेगास में ट्रंप होटल के बाहर साइबरट्रक में हुए धमाके को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। टेस्ला साइबरट्रक में विस्फोट करने वालों ने चैट जीपीटी और एआई टूल्स का इस्तेमाल किया था। इस खुलासे के तहत पता चला है कि अमेरिकी सेना के जवान ने चैटजीपीटी समेत जनरेटिव एआई का इस्तेमाल किया था। लास वेगास पुलिस ने यह दावा किया है।

उसकी मौत के लगभग एक हफ्ते बाद भी उसके लैपटॉप, मोबाइल फोन और घड़ी की जांच की गई। चैट जीपीटी के सर्च हिस्ट्री से पता चला है कि वह विस्फोटक टार्गेट, गोला-बारूद के कुछ राउंड की स्पीड और एरिज़ोना में आतिशबाजी सही या नहीं, इन सभी के बारे में जानकारी जुटाई है। जांच में खुलासा हुआ है कि लिवेल्सबर्गर ने चैटजीपीटी से इस बात की जानकारी ली कि कैसे वह साइबरट्रक में विस्फोटक रखे और कितनी तेजी से गोली चलाने की जरूरत है कि कार में आग लग जाए और धमाका हो जाए। अमेरिकी सैनिक ने चैटजीपीटी से यह भी जानकारी ली थी कि उसे विस्फोटक लेने के लिए किन नियम-कानूनों की जरूरत पड़ेगी।

लास वेगास मेट्रोपॉलिटन पुलिस के शेरिफ केविन मैकमैहिल ने एआई जनरेटिव के इस्तेमाल को हैरान करने वाला बताया है। मैकमैहिल ने कहा कि 'जहां तक मैं जानता हूं, यह अमेरिका की पहली घटना है, जहां चैटजीपीटी का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति ने विशेष उपकरण बनाया और उसकी मदद से धमाका किया। यह एक चिंताजनक बात है।'

वहीं चैटजीपीटी एआई बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने कहा कि वह अपने उपकरणों के जिम्मेदारी से इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध है और उन्हें हानिकारक निर्देशों का पालन न करने के लिए डिजाइन किया गया है। ओपनएआई ने कहा कि हम जांच में सहयोग कर रहे हैं।

मस्क ने क्या कहा?

वहीं, साइबरट्रक में हुए इस हमले के बाद टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि वाहन में पहले से ही विस्फोटक पदार्थ और गैस के कनस्तर मौजूद थे, जिनकी वजह से धमाका हुआ। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि साइबरट्रक में कोई खराबी नहीं थी। एलन मस्क इस हादसे की जांच में पुलिस का पूरा सहयोग कर रहे हैं। मस्क ने टेस्ला चार्जिंग स्टेशन से सभी जरूरी जानकारी और वीडियो फुटेज भी पुलिस को दी है।

'राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए पैसा है, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

#supreme_court_on_free_said_states_have_money_to_give_freebies_but_can_not_pay_judges

देश में रेवड़ी कल्चर फल-फूल रहा है। चुनाव जीतने के नाम पर राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक लोकलुभावन वादे करते हैं। इस बीच फ्रीबीज मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्यों के पास ऐसे लोगों को मुफ्त सुविधाएं देने के लिए पर्याप्त धन है, जो कोई काम नहीं करते हैं। मगर, जब जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को वेतन और पेंशन देने की बात आती है तो वे वित्तीय संकट का हवाला देते हैं। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फ्रीबीज मामले पर सुनवाई हुई। इसी दौरान जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने यह कड़ी टिप्पणी की।

जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी उस समय की, जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने दलील दी कि सरकार को न्यायिक अधिकारियों के वेतन और सेवानिवृत्ति लाभों पर निर्णय लेते समय वित्तीय बाधाओं पर विचार करना होगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की लाडली-बहना योजना और राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों का हवाला दिया।

पीठ ने टिप्पणी की, राज्यों के पास उन लोगों के लिए सारा पैसा है, जो कोई काम नहीं करते हैं। चुनाव आते हैं, आप लाड़ली बहना और अन्य नई योजनाओं की घोषणा करते हैं, जिसमें आप निश्चित राशि का भुगतान करते हैं। दिल्ली में हमारे पास अब किसी न किसी पार्टी की ओर से घोषणाएं हैं कि वे सत्ता में आने पर 2500 रुपये का भुगतान करेंगे।

शीर्ष अदालत सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पेंशन के संबंध में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा 2015 में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि यह दयनीय है कि कुछ सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच पेंशन मिल रही है।

बर्फीली हवाओं से कांपा यूपी, पूर्वांचल में तीन की मौत

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

कड़ाके की सर्दी से यूपी को राहत नहीं मिल पा रही। बीते 24 घंटों में में प्रदेश के क‌ई जिलों में लोग ठिठुरते रहे। दिनभर 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पछुआ हवा चली। ठंड से वाराणसी, आजमगढ़ और बलिया में एक - एक लोगों की मौत हुई। लखनऊ सबसे ठंड यहां जहां दिन का तापमान भी 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार, फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। कोहरे की प्ररत प्रदेश के अधिसंख्य जिलों में छाई हुई है। पहाड़ों पर बर्फबारी हुई है और पछुआ उसी ओर से रही है। ऐसे में मैदानी इलाकों में गलन बढ़ती जा रही है। दिन का तापमान नीचे आने से मुसीबतें और बढ़ रही है। शुक्रवार और शनिवार को हल्की बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने 72 घंटे में कड़ाके की सर्दी का अलर्ट जारी किया है। 11-12 जनवरी को वेस्ट यूपी में बारिश के आसार हैं।

सबसे ठंडा बलिया में न्यूनतम पारा 8 डिग्री

पूर्वांचल में सबसे ठंडा बलिया रहा। यहां न्यूनतम तापमान आठ डिग्री रिकॉर्ड किया गया। म‌ऊ, चंदौली, गाजीपुर और भदोही में नौ, सोनभद्र में 9.6 जौनपुर और आजमगढ़ में 10 और वाराणसी में 13 डिग्री न्यूनतम पारा रहा।

देश का हाल : घने कोहरे ठंड से बेहाल उत्तर भारत

कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, में बहुत घना कोहरा छाया रहा। हिमाचल, उत्तराखंड, चंडीगढ़, बिहार, बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों और झारखंड के इलाकों में घना कोहरा रहा। कश्मीर में अधिकांश जगह रात में पारा बढ़ा, जबकि तमिलनाडु के ऊटी में शून्य डिग्री पारा रहा।

अभी शीतलहर से राहत की संभावना नहीं - मौसम वैज्ञानिक

मौसम वैज्ञानिक डॉ सुनील पांडेय ने बताया - अगर मौसम कुछ साफ और बर्फीली तेज हवाएं चली तो सर्दी और कहर बरपाएगी। धुंध और कोहरा बना रहेगा। फिलहाल शीतलहर से राहत की संभावना नहीं है।

अतुल सुभाष की मां को नहीं मिली पोते की कस्टडी, सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी

#atul_subhash_mother_not_get_custody_of_her_grandson_court_rejected_petition

पत्नी पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर आत्महत्या करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की मां को उनके नाबालिग बेटे की कस्टडी देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। कोर्ट ने सुनवी के दौरान अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि वह बच्चे के लिए अजनबी हैं। मंगलवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चे की मां जीवित हैं, वहीं सुभाष की मां यानी बच्चे की दादी ‘उसके लिए अजनबी’ है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने बच्चे की दादी की हैबियस कार्पस पिटीशन को इसलिए सुनवाई के लिए मंजूर किया था क्योंकि उस अर्जी में आशंका जाहिर की गई थी कि बच्चा कहां है, इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। अब पता चल गया है कि बच्चा अपनी मां के पास है। दरअसल सुनवाई के दौरान अतुल की पत्नी निहिता सिंघानिया की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बच्चा अभी उसके पास है।

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में शामिल एक जज ने अतुल सुभाष की मां से कहा, अगर आप बच्चे की कस्टडी चाहती हैं, तो एक अलग प्रक्रिया है। कोर्ट ने उनसे कहा, हम यह नहीं कहना चाहते, लेकिन आप बच्चे के लिए अजनबी हैं। अगर आप चाहें तो बच्चे से मिल लें। अदालत ने अतुल सुभाष की मां से यह भी आग्रह किया कि जब तक अदालत में उसका अपराध साबित नहीं हो जाता, तब तक वह अपनी बहू को दोषी न कहें।

सुनवाई के दौरान बच्चे की मां निकिता सिंघानिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि बच्चा अब मां के पास है। इस केस में मां को ज़मानत मिलने के बाद उन्होंने आज सुबह बच्चे की कस्टड़ी हासिल कर ली है। जब वो जेल में थी, उस वक्त बच्चा फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में था। अब चूंकि ज़मानत की शर्तों के मुताबिक उन्हें बैंगलुरू में जांच अधिकारी के सामने पेश होना पड़ता है। इसलिए वो बच्चे को अपने साथ बैंगलुरू ले जाएगी।

अतुल सुभाष की मां अंजू देवी की ओर से पेश वकील ने बच्चे की कस्टडी, उसकी दादी को सौंपने की मांग की। वकील ने कहा कि बच्चे की उम्र 4 साल है। मां उसकी सही तरीके से देखभाल नहीं कर पाएगी। नियमों के मुताबिक 6 साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में दाखिल नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद बच्चा करीब डेढ़ साल से बोर्डिंग स्कूल में है।

इससे पहले बेंगलुरु की एक अदालत ने शनिवार को इंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया और उनकी मां को जमानत दे दी। निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है।

34 वर्षीय अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु में अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी। सुभाष ने आरोप लगाया था कि उसके ससुराल वालों ने तलाक के लिए उस पर तीन करोड़ रुपये देने का दबाव बनाया था। उसके 40 पन्नों के सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे के वीडियो के आधार पर पुलिस ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया, उन्हें गिरफ्तार किया और उत्तर प्रदेश से बेंगलुरु ले आई थी।

ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कौन होगा अगला पीएम? दौड़ में भारतवंशी अनीता आनंद

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जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक अंदरूनी कलह और अनिश्चित आर्थिक संभावनाओं के बीच नाराज मतदाताओं के सामने झुक गए। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वो करीब एक दशक से इस पद पर बने हुए थे। इस फैसले के बाद पूरी दुनिया के सियासी हलकों में इसकी खूब चर्चा हो रही है। अब उनके बाद कनाडा का अगला पीएम कौन होगा, इसे लेकर जमकर अटकलबाजियां हो रही है। पीएम पद की रेस में कनाडा मूल के नेताओं के साथ ही भारतीय मूल की कनाडाई राजनेता अनीता आनंद का नाम भी शामिल है।

कनाडा में पीएम पद की रेस में भारतवंशी सांसद अनीता आनंद का भी चर्चा में है। अनीता आनंद ट्रूडो मंत्रिमंडल में शामिल हैं। वह कनाडा की रक्षा मंत्री रह चुकी हैं। साथ ही मौजूदा समय में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री हैं। अनीता के अलावा इस रेस में पियरे पोलीवरे, क्रिस्टिया फ्रीलैंड, और मार्क कार्नी जैसे बड़े नेता भी शामिल हैं।

अनीता इंदिरा आनंद का जन्म केंटविले, नोवा स्कोटिया में हुआ था। उनके माता-पिता (दोनों का देहांत हो चुका है) इंडियन फिजिशियन थे। उनके पिता तमिलनाडु से और उनकी मां पंजाब से थीं। आनंद की दो बहनें हैं – गीता आनंद, टोरंटो में एक वकील हैं, और सोनिया आनंद, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में एक फिजिशियन और रिसर्चर हैं। आनंद 1985 में ओंटारियो चली गईं। उन्होंने और उनके पति जॉन ने अपने चार बच्चों का पालन-पोषण ओकविले में किया। आनंद ने अपने करियर के दौरान अब तक कई पदों पर काम किया है। 

अनीता आनंद पहली बार 2019 में ओकविले के लिए संसद सदस्य के रूप में चुनी गई थीं। उन्होंने 2019 से 2021 तक सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में कार्य किया और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष और राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया।

राजनीति के अलावा अनीता आनंद की पहचान एक विद्वान, वकील और रिसर्चर की रही है। वह टोरंटो यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर रही हैं जहां उन्होंने इनवेस्ट प्रोटक्शन और कॉर्पोरेट गर्वनेंस में जेआर किंबर चेयर का पद संभाला था। आनंद ने एसोसिएट डीन के रूप में कार्य किया है और मैसी कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड की सदस्य भी रही हैं। वह कैपिटल मार्केट्स इंस्टीट्यूट, रोटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में नीति और अनुसंधान की निदेशक रही हैं। उन्होंने येल लॉ स्कूल, क्वीन्स यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में भी कानून पढ़ाया है। अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से राजनीतिक अध्ययन में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), डलहौजी यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ लॉ और टोरंटो यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की है।

क्या तब भारत-कनाडा के संबंध सुधरेंगे?

अनीता आनंद अपने शानदार लीडरशिप, विकास के कार्य और जनसेवा के लिए खूब चर्चित रही हैं। माना जा रहा है कि यदि अनीता आनंद कनाडाई पीएम के पद पर आसीन होती हैं तो भारत और कनाडा के रिश्तों में मधुरता आएगी। जस्टिन रूडो के दौर में भारत और कनाडा के बीच के रिश्तों में खटास देखा गया था। इस दौर में दोनों देशों के बीच का संबंध अपने निचले स्तर पर जा पहुंचा था। निज्जर मामले के बाद ट्रूडो सरकार की तरफ से जमकर भारत विरोधी बयानबाज़ियां हुई थीं। भारत की सरकार की तरफ़ से ट्रूडो प्रशासन पर खलिस्तानी आतंकियों और समर्थकों को शरण देने के आरोप लगाए गए थे।