भारत में एचएमपीवी कमजोर पर पांच दूसरे वायरस सक्रिय
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
चीन में खलबली मचा रहा ह्यूमन मेटान्यूमो (एचएमपी) वायरस भारत में काफी कमजोर स्थिति में है। उससे कहीं ज्यादा प्रसार पांच तरह के वायरस का देखने को मिल रहा है जो पिछले तीन माह से अलग अलग राज्यों में फैले हैं। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सर्विलांस निगरानी रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल की तरह इस बार भी भारत में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू, एच3एन2, विक्टोरिया, कोरोना और आरएस वायरस के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इन सभी संक्रमण के लक्षण एक जैसे हैं, जिसके चलते अस्पतालों में पहुंचने वाले सर्दी-खांसी के मरीजों में इनकी पहचान हो रही है। इन पांचों वायरस की तुलना में एचएमपी काफी सीमित स्थिति में है। एक अधिकारी ने बताया कि भारत में अलग-अलग तरह के वायरस और उनके प्रसार की निगरानी के लिए आईसीएमआर ने आईएलआई-एसएआरआई सर्विलांस नेटवर्क की स्थापना की है। इस नेटवर्क में देश के लगभग सभी बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों के साथ-साथ प्रयोगशालाएं शामिल हैं। यहां पहुंचने वाले मरीजों के नमूनों और उनकी रिपोर्ट के आधार पर हर महीने समीक्षा रिपोर्ट तैयार होती है।
26 फीसदी नमूनों में विक्टोरिया वायरस
अधिकारी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि साल 2024 के आखिरी सप्ताह में 26 फीसदी नमूनों में विक्टोरिया वायरस पाया गया, जबकि 14 फीसदी नमूने आरएसवी से संक्रमित मिले। छह फीसदी नमूनों में एच3एन2 और 12 फीसदी में एच1एन1 वायरस की पुष्टि हुई है। विक्टोरिया वायरस, इन्फ्लूएंजा बी वायरस का एक वंश है, जबकि आरएसवी को एचएमपी वायरस का वायरल चचेरा भाई कहा जाता है। ये दोनों वायरस एक ही परिवार से हैं और दोनों में मौसम संबंधी ओवरलैपिंग भी होती है। आरएसवी के मामले अक्सर शुरुआती सर्दियों के महीनों में बढ़ते हैं और एचएमपीवी के मामले सर्दियों के मध्य से शुरुआती वसंत तक बढ़ते हैं।
2024 में इन्फ्लूएंजा से 324 लोगों की मौत
बैठक के दौरान नई दिल्ली स्थित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने जानकारी दी कि एचएमपी वायरस को लेकर जितनी चर्चा हो रही है उससे कहीं अधिक ग्राउंड जीरो पर इन्फ्लूएंजा ए यानी एच1एन1 जैसे वायरस का प्रसार दिखाई दे रहा है। एक जनवरी से 30 नवंबर 2024 के बीच भारत में इस संक्रमण से 324 लोगों की मौत हुई है, जबकि 19,872 लोग संक्रमित पाए गए। यह आंकड़ा साल 2019 के बाद सबसे अधिक है। कोरोना से पहले 2019 में 28,798 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आए, जिनमें से 1,218 मरीजों ने दम तोड़ दिया।
हालिया आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर 2024 से पांच जनवरी 2025 के बीच देश में सर्दी, खांसी और बुखार से जुड़े 20 फीसदी से ज्यादा रोगियों के नमूनों में एच1एन1 जैसा संक्रमण पाया गया है जो एचएमपी की तुलना में करीब चार गुना अधिक है, क्योंकि साल 2001 से 2024 के बीच भारत में सालाना अधिकतम पांच फीसदी नमूने एचएमपी संक्रमित मिले हैं।
Jan 08 2025, 12:32