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भारत में एच‌एमपीवी कमजोर पर पांच दूसरे वायरस सक्रिय

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

चीन में खलबली मचा रहा ह्यूमन मेटान्यूमो (एचएमपी) वायरस भारत में काफी कमजोर स्थिति में है। उससे कहीं ज्यादा प्रसार पांच तरह के वायरस का देखने को मिल रहा है जो पिछले तीन माह से अलग अलग राज्यों में फैले हैं। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सर्विलांस निगरानी रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल की तरह इस बार भी भारत में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू, एच3एन2, विक्टोरिया, कोरोना और आरएस वायरस के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इन सभी संक्रमण के लक्षण एक जैसे हैं, जिसके चलते अस्पतालों में पहुंचने वाले सर्दी-खांसी के मरीजों में इनकी पहचान हो रही है। इन पांचों वायरस की तुलना में एचएमपी काफी सीमित स्थिति में है। एक अधिकारी ने बताया कि भारत में अलग-अलग तरह के वायरस और उनके प्रसार की निगरानी के लिए आईसीएमआर ने आईएलआई-एसएआरआई सर्विलांस नेटवर्क की स्थापना की है। इस नेटवर्क में देश के लगभग सभी बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों के साथ-साथ प्रयोगशालाएं शामिल हैं। यहां पहुंचने वाले मरीजों के नमूनों और उनकी रिपोर्ट के आधार पर हर महीने समीक्षा रिपोर्ट तैयार होती है।

26 फीसदी नमूनों में विक्टोरिया वायरस

अधिकारी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि साल 2024 के आखिरी सप्ताह में 26 फीसदी नमूनों में विक्टोरिया वायरस पाया गया, जबकि 14 फीसदी नमूने आरएसवी से संक्रमित मिले। छह फीसदी नमूनों में एच3एन2 और 12 फीसदी में एच1एन1 वायरस की पुष्टि हुई है। विक्टोरिया वायरस, इन्फ्लूएंजा बी वायरस का एक वंश है, जबकि आरएसवी को एचएमपी वायरस का वायरल चचेरा भाई कहा जाता है। ये दोनों वायरस एक ही परिवार से हैं और दोनों में मौसम संबंधी ओवरलैपिंग भी होती है। आरएसवी के मामले अक्सर शुरुआती सर्दियों के महीनों में बढ़ते हैं और एचएमपीवी के मामले सर्दियों के मध्य से शुरुआती वसंत तक बढ़ते हैं।

2024 में इन्फ्लूएंजा से 324 लोगों की मौत

बैठक के दौरान नई दिल्ली स्थित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने जानकारी दी कि एचएमपी वायरस को लेकर जितनी चर्चा हो रही है उससे कहीं अधिक ग्राउंड जीरो पर इन्फ्लूएंजा ए यानी एच1एन1 जैसे वायरस का प्रसार दिखाई दे रहा है। एक जनवरी से 30 नवंबर 2024 के बीच भारत में इस संक्रमण से 324 लोगों की मौत हुई है, जबकि 19,872 लोग संक्रमित पाए गए। यह आंकड़ा साल 2019 के बाद सबसे अधिक है। कोरोना से पहले 2019 में 28,798 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आए, जिनमें से 1,218 मरीजों ने दम तोड़ दिया।

हालिया आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर 2024 से पांच जनवरी 2025 के बीच देश में सर्दी, खांसी और बुखार से जुड़े 20 फीसदी से ज्यादा रोगियों के नमूनों में एच1एन1 जैसा संक्रमण पाया गया है जो एचएमपी की तुलना में करीब चार गुना अधिक है, क्योंकि साल 2001 से 2024 के बीच भारत में सालाना अधिकतम पांच फीसदी नमूने एचएमपी संक्रमित मिले हैं।

क्या कनाडा को लेकर ही रहेंगे ट्रंप? अब नक्शा शेयर कर बताया अमेरिकी राज्य

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार कनाडा को अमेरिका में शामिल करने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। लगता है ट्रंप कनाडा को अमेरिका में मिलाकर ही दम लेगें। दरअसल, कनाडा को संयुक्त राज्य अमेरिका में मिलाने के लिए 'आर्थिक ताकत' के इस्तेमाल की धमकी देने के कुछ घंटों बाद, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी ध्वज से चित्रित दोनों देशों को एक दिखाने वाला मैप भी शेयर कर दिया है। ट्रंप ने इस नए नक्शे में कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य के रूप में दिखाया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पहले एक मैप शेयर किया। इसमें उन्होंने कनाडा को अमेरिका का हिस्सा दिखाया है। उन्होंने अमेरिका के इस मैप को पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ओह कनाडा!’। इसके बाद उन्होंने एक और मैप शेयर किया। इस पर लिखा है- यूनाइटेड स्टेट। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को बार-बार ’51वां राज्य’ कह चुके हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि वह कनाडा को हासिल करने के लिए ‘सैन्य ताकत’ का नहीं, बल्कि ‘आर्थिक ताकत’ का इस्तेमाल करेंगे।

ट्रंप के मैप जारी करने बाद ट्रूडो भी आक्रमक हो गए हैं और उन्होंने भी इसका जवाब कड़े शब्दों में दिया है। ट्रूडो ने कहा कि इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं। ट्रूडो ने एक्स पर लिखा, बर्फ में भी आग लगने की संभावना अधिक है बजाय इसके कि कनाडा कभी अमेरिका का हिस्सा बनेगा। हमारे दोनों देशों के कर्मचारियों और समुदायों को एक-दूसरे के सबसे बड़े व्यापारिक और सुरक्षा भागीदार होने का लाभ मिलता है। इस तरह उन्होंने साफ कर दिया कि दोनों देशों के विलय की कोई संभावना नहीं है।

बता दें कि नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद से ट्रंप ने बार-बार अमेरिका-कनाडा के विलय का विचार पेश किया है। पूर्व में डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को यह ऑफर दिया था कि वह कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य के रूप में विलय कर दें। इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था कई गुना तेज रफ्तार से बढ़ेगी। ट्रंप ने इसके साथ ही ट्रूडो को कनाडा राज्य का गवर्नर बनाने का भी ऑफर दिया था। मगर ट्रूडो ने इस पर हामी नहीं भरी थी। ऐसा नहीं करने पर ट्रंप कई बार कनाडा पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की धमकी भी दे चुके हैं। तब से अमेरिका और कनाडा के बीच तनाव चल रहा है। इन विवादों के बीच डोनाल्ड ट्रम्प ने नया अमेरिकी मानचित्र साझा करके फिर से बवाल मचा दिया है।

ट्रंप होटल के बाहर एआई के जरिए हुआ हमला, चैटजीपीटी की मदद से साइबरट्रक में किया गया था धमाका

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अमेरिका के लास वेगास में ट्रंप होटल के बाहर साइबरट्रक में हुए धमाके को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। टेस्ला साइबरट्रक में विस्फोट करने वालों ने चैट जीपीटी और एआई टूल्स का इस्तेमाल किया था। इस खुलासे के तहत पता चला है कि अमेरिकी सेना के जवान ने चैटजीपीटी समेत जनरेटिव एआई का इस्तेमाल किया था। लास वेगास पुलिस ने यह दावा किया है।

उसकी मौत के लगभग एक हफ्ते बाद भी उसके लैपटॉप, मोबाइल फोन और घड़ी की जांच की गई। चैट जीपीटी के सर्च हिस्ट्री से पता चला है कि वह विस्फोटक टार्गेट, गोला-बारूद के कुछ राउंड की स्पीड और एरिज़ोना में आतिशबाजी सही या नहीं, इन सभी के बारे में जानकारी जुटाई है। जांच में खुलासा हुआ है कि लिवेल्सबर्गर ने चैटजीपीटी से इस बात की जानकारी ली कि कैसे वह साइबरट्रक में विस्फोटक रखे और कितनी तेजी से गोली चलाने की जरूरत है कि कार में आग लग जाए और धमाका हो जाए। अमेरिकी सैनिक ने चैटजीपीटी से यह भी जानकारी ली थी कि उसे विस्फोटक लेने के लिए किन नियम-कानूनों की जरूरत पड़ेगी।

लास वेगास मेट्रोपॉलिटन पुलिस के शेरिफ केविन मैकमैहिल ने एआई जनरेटिव के इस्तेमाल को हैरान करने वाला बताया है। मैकमैहिल ने कहा कि 'जहां तक मैं जानता हूं, यह अमेरिका की पहली घटना है, जहां चैटजीपीटी का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति ने विशेष उपकरण बनाया और उसकी मदद से धमाका किया। यह एक चिंताजनक बात है।'

वहीं चैटजीपीटी एआई बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने कहा कि वह अपने उपकरणों के जिम्मेदारी से इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध है और उन्हें हानिकारक निर्देशों का पालन न करने के लिए डिजाइन किया गया है। ओपनएआई ने कहा कि हम जांच में सहयोग कर रहे हैं।

मस्क ने क्या कहा?

वहीं, साइबरट्रक में हुए इस हमले के बाद टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि वाहन में पहले से ही विस्फोटक पदार्थ और गैस के कनस्तर मौजूद थे, जिनकी वजह से धमाका हुआ। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि साइबरट्रक में कोई खराबी नहीं थी। एलन मस्क इस हादसे की जांच में पुलिस का पूरा सहयोग कर रहे हैं। मस्क ने टेस्ला चार्जिंग स्टेशन से सभी जरूरी जानकारी और वीडियो फुटेज भी पुलिस को दी है।

'राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए पैसा है, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

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देश में रेवड़ी कल्चर फल-फूल रहा है। चुनाव जीतने के नाम पर राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक लोकलुभावन वादे करते हैं। इस बीच फ्रीबीज मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्यों के पास ऐसे लोगों को मुफ्त सुविधाएं देने के लिए पर्याप्त धन है, जो कोई काम नहीं करते हैं। मगर, जब जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को वेतन और पेंशन देने की बात आती है तो वे वित्तीय संकट का हवाला देते हैं। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फ्रीबीज मामले पर सुनवाई हुई। इसी दौरान जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने यह कड़ी टिप्पणी की।

जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी उस समय की, जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने दलील दी कि सरकार को न्यायिक अधिकारियों के वेतन और सेवानिवृत्ति लाभों पर निर्णय लेते समय वित्तीय बाधाओं पर विचार करना होगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की लाडली-बहना योजना और राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों का हवाला दिया।

पीठ ने टिप्पणी की, राज्यों के पास उन लोगों के लिए सारा पैसा है, जो कोई काम नहीं करते हैं। चुनाव आते हैं, आप लाड़ली बहना और अन्य नई योजनाओं की घोषणा करते हैं, जिसमें आप निश्चित राशि का भुगतान करते हैं। दिल्ली में हमारे पास अब किसी न किसी पार्टी की ओर से घोषणाएं हैं कि वे सत्ता में आने पर 2500 रुपये का भुगतान करेंगे।

शीर्ष अदालत सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पेंशन के संबंध में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा 2015 में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि यह दयनीय है कि कुछ सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच पेंशन मिल रही है।

बर्फीली हवाओं से कांपा यूपी, पूर्वांचल में तीन की मौत

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

कड़ाके की सर्दी से यूपी को राहत नहीं मिल पा रही। बीते 24 घंटों में में प्रदेश के क‌ई जिलों में लोग ठिठुरते रहे। दिनभर 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पछुआ हवा चली। ठंड से वाराणसी, आजमगढ़ और बलिया में एक - एक लोगों की मौत हुई। लखनऊ सबसे ठंड यहां जहां दिन का तापमान भी 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार, फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। कोहरे की प्ररत प्रदेश के अधिसंख्य जिलों में छाई हुई है। पहाड़ों पर बर्फबारी हुई है और पछुआ उसी ओर से रही है। ऐसे में मैदानी इलाकों में गलन बढ़ती जा रही है। दिन का तापमान नीचे आने से मुसीबतें और बढ़ रही है। शुक्रवार और शनिवार को हल्की बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने 72 घंटे में कड़ाके की सर्दी का अलर्ट जारी किया है। 11-12 जनवरी को वेस्ट यूपी में बारिश के आसार हैं।

सबसे ठंडा बलिया में न्यूनतम पारा 8 डिग्री

पूर्वांचल में सबसे ठंडा बलिया रहा। यहां न्यूनतम तापमान आठ डिग्री रिकॉर्ड किया गया। म‌ऊ, चंदौली, गाजीपुर और भदोही में नौ, सोनभद्र में 9.6 जौनपुर और आजमगढ़ में 10 और वाराणसी में 13 डिग्री न्यूनतम पारा रहा।

देश का हाल : घने कोहरे ठंड से बेहाल उत्तर भारत

कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, में बहुत घना कोहरा छाया रहा। हिमाचल, उत्तराखंड, चंडीगढ़, बिहार, बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों और झारखंड के इलाकों में घना कोहरा रहा। कश्मीर में अधिकांश जगह रात में पारा बढ़ा, जबकि तमिलनाडु के ऊटी में शून्य डिग्री पारा रहा।

अभी शीतलहर से राहत की संभावना नहीं - मौसम वैज्ञानिक

मौसम वैज्ञानिक डॉ सुनील पांडेय ने बताया - अगर मौसम कुछ साफ और बर्फीली तेज हवाएं चली तो सर्दी और कहर बरपाएगी। धुंध और कोहरा बना रहेगा। फिलहाल शीतलहर से राहत की संभावना नहीं है।

अतुल सुभाष की मां को नहीं मिली पोते की कस्टडी, सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी

#atul_subhash_mother_not_get_custody_of_her_grandson_court_rejected_petition

पत्नी पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर आत्महत्या करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की मां को उनके नाबालिग बेटे की कस्टडी देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। कोर्ट ने सुनवी के दौरान अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि वह बच्चे के लिए अजनबी हैं। मंगलवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चे की मां जीवित हैं, वहीं सुभाष की मां यानी बच्चे की दादी ‘उसके लिए अजनबी’ है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने बच्चे की दादी की हैबियस कार्पस पिटीशन को इसलिए सुनवाई के लिए मंजूर किया था क्योंकि उस अर्जी में आशंका जाहिर की गई थी कि बच्चा कहां है, इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। अब पता चल गया है कि बच्चा अपनी मां के पास है। दरअसल सुनवाई के दौरान अतुल की पत्नी निहिता सिंघानिया की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बच्चा अभी उसके पास है।

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में शामिल एक जज ने अतुल सुभाष की मां से कहा, अगर आप बच्चे की कस्टडी चाहती हैं, तो एक अलग प्रक्रिया है। कोर्ट ने उनसे कहा, हम यह नहीं कहना चाहते, लेकिन आप बच्चे के लिए अजनबी हैं। अगर आप चाहें तो बच्चे से मिल लें। अदालत ने अतुल सुभाष की मां से यह भी आग्रह किया कि जब तक अदालत में उसका अपराध साबित नहीं हो जाता, तब तक वह अपनी बहू को दोषी न कहें।

सुनवाई के दौरान बच्चे की मां निकिता सिंघानिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि बच्चा अब मां के पास है। इस केस में मां को ज़मानत मिलने के बाद उन्होंने आज सुबह बच्चे की कस्टड़ी हासिल कर ली है। जब वो जेल में थी, उस वक्त बच्चा फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में था। अब चूंकि ज़मानत की शर्तों के मुताबिक उन्हें बैंगलुरू में जांच अधिकारी के सामने पेश होना पड़ता है। इसलिए वो बच्चे को अपने साथ बैंगलुरू ले जाएगी।

अतुल सुभाष की मां अंजू देवी की ओर से पेश वकील ने बच्चे की कस्टडी, उसकी दादी को सौंपने की मांग की। वकील ने कहा कि बच्चे की उम्र 4 साल है। मां उसकी सही तरीके से देखभाल नहीं कर पाएगी। नियमों के मुताबिक 6 साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में दाखिल नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद बच्चा करीब डेढ़ साल से बोर्डिंग स्कूल में है।

इससे पहले बेंगलुरु की एक अदालत ने शनिवार को इंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया और उनकी मां को जमानत दे दी। निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है।

34 वर्षीय अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु में अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी। सुभाष ने आरोप लगाया था कि उसके ससुराल वालों ने तलाक के लिए उस पर तीन करोड़ रुपये देने का दबाव बनाया था। उसके 40 पन्नों के सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे के वीडियो के आधार पर पुलिस ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया, उन्हें गिरफ्तार किया और उत्तर प्रदेश से बेंगलुरु ले आई थी।

ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कौन होगा अगला पीएम? दौड़ में भारतवंशी अनीता आनंद

#who_is_anita_anand_in_race_of_next_canada_pm 

जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक अंदरूनी कलह और अनिश्चित आर्थिक संभावनाओं के बीच नाराज मतदाताओं के सामने झुक गए। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वो करीब एक दशक से इस पद पर बने हुए थे। इस फैसले के बाद पूरी दुनिया के सियासी हलकों में इसकी खूब चर्चा हो रही है। अब उनके बाद कनाडा का अगला पीएम कौन होगा, इसे लेकर जमकर अटकलबाजियां हो रही है। पीएम पद की रेस में कनाडा मूल के नेताओं के साथ ही भारतीय मूल की कनाडाई राजनेता अनीता आनंद का नाम भी शामिल है।

कनाडा में पीएम पद की रेस में भारतवंशी सांसद अनीता आनंद का भी चर्चा में है। अनीता आनंद ट्रूडो मंत्रिमंडल में शामिल हैं। वह कनाडा की रक्षा मंत्री रह चुकी हैं। साथ ही मौजूदा समय में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री हैं। अनीता के अलावा इस रेस में पियरे पोलीवरे, क्रिस्टिया फ्रीलैंड, और मार्क कार्नी जैसे बड़े नेता भी शामिल हैं।

अनीता इंदिरा आनंद का जन्म केंटविले, नोवा स्कोटिया में हुआ था। उनके माता-पिता (दोनों का देहांत हो चुका है) इंडियन फिजिशियन थे। उनके पिता तमिलनाडु से और उनकी मां पंजाब से थीं। आनंद की दो बहनें हैं – गीता आनंद, टोरंटो में एक वकील हैं, और सोनिया आनंद, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में एक फिजिशियन और रिसर्चर हैं। आनंद 1985 में ओंटारियो चली गईं। उन्होंने और उनके पति जॉन ने अपने चार बच्चों का पालन-पोषण ओकविले में किया। आनंद ने अपने करियर के दौरान अब तक कई पदों पर काम किया है। 

अनीता आनंद पहली बार 2019 में ओकविले के लिए संसद सदस्य के रूप में चुनी गई थीं। उन्होंने 2019 से 2021 तक सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में कार्य किया और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष और राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया।

राजनीति के अलावा अनीता आनंद की पहचान एक विद्वान, वकील और रिसर्चर की रही है। वह टोरंटो यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर रही हैं जहां उन्होंने इनवेस्ट प्रोटक्शन और कॉर्पोरेट गर्वनेंस में जेआर किंबर चेयर का पद संभाला था। आनंद ने एसोसिएट डीन के रूप में कार्य किया है और मैसी कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड की सदस्य भी रही हैं। वह कैपिटल मार्केट्स इंस्टीट्यूट, रोटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में नीति और अनुसंधान की निदेशक रही हैं। उन्होंने येल लॉ स्कूल, क्वीन्स यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में भी कानून पढ़ाया है। अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से राजनीतिक अध्ययन में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), डलहौजी यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ लॉ और टोरंटो यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की है।

क्या तब भारत-कनाडा के संबंध सुधरेंगे?

अनीता आनंद अपने शानदार लीडरशिप, विकास के कार्य और जनसेवा के लिए खूब चर्चित रही हैं। माना जा रहा है कि यदि अनीता आनंद कनाडाई पीएम के पद पर आसीन होती हैं तो भारत और कनाडा के रिश्तों में मधुरता आएगी। जस्टिन रूडो के दौर में भारत और कनाडा के बीच के रिश्तों में खटास देखा गया था। इस दौर में दोनों देशों के बीच का संबंध अपने निचले स्तर पर जा पहुंचा था। निज्जर मामले के बाद ट्रूडो सरकार की तरफ से जमकर भारत विरोधी बयानबाज़ियां हुई थीं। भारत की सरकार की तरफ़ से ट्रूडो प्रशासन पर खलिस्तानी आतंकियों और समर्थकों को शरण देने के आरोप लगाए गए थे।

पीएम मोदी से मिलीं प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा,जान‍िए क्‍यों बोलीं-थैंक्‍यू

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्‍होंने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के साथ तस्वीर शेयर करते हुए पीएम मोदी की जमकर तारीफ की। साथ ही ये जानकारी भी शेयर की कि केन्द्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी का स्मारक बनाने का फैसला किया है।

पीएम से मुलाकात के बाद शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक्‍स पर लिखा, मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उनकी और उनकी सरकार का तहे द‍िल से शुक्रिया क‍ि उन्‍होंने मेरे बाबा (प्रणब मुखर्जी) के ल‍िए स्‍मारक बनाने का फैसला ल‍िया है। यह इसल‍िए भी खास है क्‍योंक‍ि न तो हमारी तरफ से और न ही क‍िसी और ने बाबा का मेमोर‍ियल बनाने के ल‍िए सरकार से कोई मांग की थी। प्रधानमंत्री के इस दयालु भाव से मैं बहुत प्रभाव‍ित हूं।

शर्मिष्ठा ने आगे लिखा, बाबा कहा करते थे राजकीय सम्मान कभी मांगा नहीं जाना चाहिए, बल्कि दिया जाना चाह‍िए। मैं बहुत आभारी हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा की याद में ऐसा किया। इससे बाबा पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अब कहां हैं, प्रशंसा या आलोचना से परे हैं। लेकिन उनकी बेटी यानी मेरे ल‍िए यह इतना बड़ा काम है, जिसकी खुशी मैं अपने शब्‍दों में बयां नहीं कर सकती।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस की ओर से स्मारक बनाए जाने की मांग पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस को जमकर खरी-खरी सुनाई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए दिल्ली में जमीन आवंटित की जाए। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस की इस मांग को लेकर उसकी आलोचना की। शमिष्ठा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर दावा किया है कि जब 2020 में उनके पिता और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हुआ तो कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस कार्य समिति द्वारा शोक सभा बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई।

अमित शाह ने लॉन्च किया ‘भारतपोल’पोर्टल, जानें कैसे करेगा काम?

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अब विदेश में छिपने वाले भारत के दुश्मनों की खैर नहीं। विदेश में छिपे मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों पर नकेस कसने के लिए भारत सरकार ने इंटरपोल की तर्ज पर अपना एक प्लेटफॉर्म बनाया है। इसके जरिए, भारत सरकार विदेश में बैठे वॉन्टेड अपराधियों की धरपकड़ के लिए दूसरे देशों की पुलिस से मदद मांग सकेगी। इस सिस्टम से इंटरपोल को सूचना देना और मदद मांगना आसान हो जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज मंगलवार को सीबीआई की ओर से तैयार किए गए पोर्टल भारतपोल की शुरुआत कर दी। भारतपोल पोर्टल के लॉन्च पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 'भारतपोल' का लॉन्च देश की अंतरराष्ट्रीय जांच को एक नए युग में ले जाने वाली शुरुआत है। 'भारतपोल' की मदद से देश की हर जांच एजेंसी, हर राज्य की पुलिस खुद को बहुत सरलता से इंटरपोल के साथ जोड़ पाएगी और जांच को गति दे पाएगी। अमित शाह ने भारतपोल पोर्टल की तारीफ करते हुए कहा कि सीबीआई ही इंटरपोल के साथ काम करने वाली एकमात्र एजेंसी थी,लेकिन भारतपोल के लॉन्च के साथ, हर भारतीय एजेंसी और सभी राज्यों की पुलिस आसानी से इंटरपोल से जुड़ पाएगी। हम अंतराल को पाट सकेंगे और अपराध को नियंत्रित करने के लिए कुशलतापूर्वक काम कर सकेंगे।

'भारतपोल' के 5 प्रमुख मॉड्यूल

अमित शाह ने कहा, 'कनेक्ट, नोटिस, रेफरेंस, ब्रॉडकास्ट और रिसोर्स, ये पांच 'भारतपोल' के प्रमुख मॉड्यूल होंगे, जिनके माध्यम से हमारे देश की सभी लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियां एक प्लेटफॉर्म पर आ जाएंगी।

कनेक्ट- देश में इंटरपोल के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में सीबीआई को इंटरपोल संपर्क अधिकारियों तथा यूनिट अधिकारियों को शामिल करके देश के सभी कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों के साथ एक ही मंच पर जोड़ता है।

नोटि- किसी भी मामले में इंटरपोल को नोटिस भेजने के लिए तेजी से अनुरोध किया जा सकेगा, साथ ही यह सुरक्षित और संरचित भी रहेगा। ये दुनियाभर की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए वैश्विक सूचनाओं का मंच है।

रेफरेंस- इंटरपोल चैनलों के जरिए 195 देशों से आपराधिक मामलों और विदेश में जांच के लिए भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को त्वरित अंतरराष्ट्रीय मदद की सुविधा प्रदान करता है।

ब्रॉडकास्ट- मदद के लिए 195 विदेशी देशों से अनुरोध या उनके द्वारा साझा की गई आपराधिक खुफिया जानकारी को कार्रवाई या भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जानकारी के लिए प्रेषित किया जा सकता है।

रिसोर्स- प्रासंगिक दस्तावेजों और क्षमता निर्माण संसाधनों तक पहुंच प्रदान करेगा. जांच एजेंसियों की कामयाबी की कहानियों और नए घटनाक्रम को प्रदर्शित करने के लिए भारतपोल एक अहम विंडो के रूप में काम करेगी।

कैसे काम करेगा भारतपोल?

अब तक अगर किसी भारतीय राज्य की पुलिस या किसी अन्य जांच एजेंसी को विदेश में छिपे किसी अपराधी को भारत लाना होता था,तो उन्हें सीबीआई से संपर्क करना पड़ता था। यह संपर्क आमतौर पर ईमेल या फिर पारंपरिक पत्राचार के माध्यम से होता था। इस प्रक्रिया में सूचनाओं के लीक होने का खतरा भी बना रहता था, लेकिन अब भारतपोल के आने से इस प्रक्रिया में क्रांति आ गई है। भारतपोल के माध्यम से देश के सभी राज्यों के पुलिस प्रमुख और अन्य जांच एजेंसियां सीधे इस पोर्टल से जुड़ सकेंगी। इसका मतलब है कि अब उन्हें सीबीआई के माध्यम से जाने की जरूरत नहीं होगी। अभी के सूरत-ए-हाल के हिसाब से ये वॉन्टेड भारत में आतंकवाद या अन्य किसी भी तरह का क्राइम करके देश छोड़कर विदेशों में छिप जाते हैं या फिर विदेशी धरती से भारत में आतंकवाद और अन्य किसी तरह के क्राइम में शामिल रहते हैं।

जेल में बंद आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, मेडिकल के आधार पर मिली जमानत

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आसाराम को नाबालिग से बलात्कार के मामले में जमानत दे दी है। कोर्ट ने आसाराम को मेडिकल के आधार जमानत दी है। बता दें कि 2013 में रेप केस में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। तभी से आसाराम जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद आसाराम सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेगा। आसाराम को अपने अनुयायियों से मिलने की इजाजत नहीं है। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने आसाराम को रिहाई के बाद अपने अनुयायियों से नहीं मिलने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि 86 वर्षीय आसाराम हृदय रोग के अलावा उम्र संबंधी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। वह केवल चिकित्सा आधार पर इस मुद्दे की जांच करेगा।

आसाराम को 2013 में अपने जोधपुर आश्रम में 16 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया गया था। 2018 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले उसने कई बार स्वास्थ्य के आधार पर सजा निलंबित करने की याचिका दायर की थी, लेकिन याचिका को पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 2023 में गांधीनगर अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने की आसाराम की याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था। आसाराम वर्तमान में बलात्कार के एक अन्य मामले में राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद है।

अगस्त में सात दिन के लिए आया था जेल से बाहर

इससे पहले अगस्त में आसाराम को दिल संबंधी बीमारी का इलाज कराने के लिए जोधपुर की सेंट्रल जेल से बाहर लाया गया था। हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को आसाराम को पुलिस हिरासत में महाराष्ट्र के एक आयुर्वेदिक अस्पताल में सात दिनों तक इलाज कराने की अनुमति दी थी। साथ ही पैरोल देते समय हाईकोर्ट ने कुछ शर्तें रखी थीं, जिसमें यह भी शामिल था कि उसके साथ चार पुलिसकर्मी यात्रा करेंगे, उन्हें अपने साथ दो परिचारक रखने की भी अनुमति थी। उसे पुणे में एक निजी कॉटेज में रखा जाएगा और इलाज का पूरा खर्च और आने-जाने के साथ-साथ पुलिस व्यवस्था में होने वाला खर्च भी उसे ही वहन करना होगा।

दो मामलों में दोषी करार

सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी आसाराम जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। उन्‍हें एक नहीं बल्कि दो मामलों में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। ऐसे में जबतक दोनों मामलों में कोर्ट जमानत नहीं देती उन्‍हें सलाखों के पीछे ही रहना होगा। आसाराम को 2 मामलों में सजा मिली थी। जोधपुर कोर्ट में दाखिल केस के मुताबिक आसाराम को जोधपुर पुलिस ने इंदौर के आश्रम से साल 2013 में अरेस्‍ट किया गया था। इसके बाद से आसाराम जेल में बंद था। पांच साल चली लंबी सुनवाई के बाद 25 अप्रैल 2018 को कोर्ट ने आसाराम को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

इसके अलावा दूसरा मामला गुजरात के गांधीनगर कोर्ट का है। आसाराम के खिलाफ गुजरात के गांधीनगर में आश्रम की एक महिला ने रेप का मामला दर्ज करवाया था। कोर्ट ने 31 जनवरी 2023 को इस मामले में आसाराम को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।