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मनमोहन स‍िंह ने वित्त मंत्री बनकर ऐसे पलट दी बाजी, देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में निभाई अहम भूमिका

#manmohan_singh_mortgage_gold_when_the_treasury_was_empty_after_becoming_finance_minister 

देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे और उन्होंने गुरुवार रात एम्स में अंतिम सांस ली। देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐसा बजट पेश किया था जिसने हमेशा के लिए देश की दिशा और दशा को बदल दिया था।

साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन स‍िंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब मनमोहन स‍िंह ने व‍ित्‍त मंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाला तो देश गहरे आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा था। देश के खजाने में महज 89 करोड़ डॉलर की व‍िदेशी मुद्रा रह गई थी। इससे केवल दो हफ्ते का आयात का खर्च चल सकता था। ऐसे समय में व‍ित्‍त मंत्रालय की बागडोर संभालने वाले मनमोहन स‍िंह ने अपने फैसलों से आर्थ‍िक मोर्चे पर देश को मजबूत क‍िया।

तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश के कठ‍िन आर्थ‍िक पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में होने के दौरान काफी उम्‍मीद के साथ मनमोहन सिंह को व‍ित्‍त मंत्रालय की जि‍म्‍मेदारी सौंपी थी। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर के कहने पर नरसिम्हा राव ने मनमोहन स‍िंह को व‍ित्‍त मंत्री बनाया था। ज‍िस समय देश के पास 89 करोड़ डॉलर का व‍िदेशी मुद्रा भंडार बचा तो उन्‍हें कई कठोर फैसले लेने पड़े। उस दौर में देश को अपने आयात का खर्च पूरा करने के ल‍िए अपना सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। उस दौर में डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान 1991 में आर्थिक उदारीकरण को शुरू क‍िया और मुश्‍क‍िल में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर न‍िकालने में कामयाब हुए।

साल 1991 में प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले नरसिंह राव को कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने एक नोट दिया था जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। 20 जून, 1991 की शाम नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा मिले और उन्हें 8 पेज का एक टॉप सीक्रेट नोट दिया। इस नोट किन कामों को प्रधानमंत्री को तुरंत तवज्जो देनी चाहिए, उनका जिक्र था। जब राव ने वो नोट पढ़ा तो हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने चंद्र से पूछा-.'क्या भारत की आर्थिक हालत इतनी खराब है ?' चंद्रा का जवाब था, 'नहीं सर, वास्तव में इससे भी ज्यादा खराब है।' उस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि वो अगस्त, 1990 तक यह 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गया था।जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी जिससे महज दो सप्ताह के आयात का खर्चा ही जुटाया जा सकता था। 1990 के खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तिगुनी वृद्धि हुई थी। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत को अपने हज़ारों मज़दूरों को वापस भारत लाना पड़ा थ। नतीजा ये हुआ था कि उनकी ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई थी। ऊपर से भारत की राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उभरा जन आक्रोश अर्थव्यवस्था को कमजोर किए जा रहा था। देश को इस कठिन हालात से बाहर लाने के लिए उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था।

डॉ. सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐतिहासिक बजट को पेश करते हुए फ्रांसीसी विद्वान विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो। उससे पहले भारत की क्लोज इकॉनमी में सरकार ही सब कुछ तय करती थी। किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी, सब सरकार तय करती है। इस सिस्टम को लाइसेंस परमिट राज कहा जाता था।

1991 के बजट ने लाइसेंस परमिट राज से देश को मुक्ति दिला दी। देश में खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ हुआ। इसमें प्राइवेट कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन दिए गए। सरकारी निवेश कम करने और खुले बाजार को बढ़ावा देने का फैसला किया गया। इस बजट ने देश की तस्वीर बदलकर रख दी। कंपनियां फलने-फूलने लगीं और करोड़ों नई नौकरियां मार्केट में आईं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बनकर उभरा है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश जहां मंदी की आशंका में जी रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है।

मनमोहन स‍िंह ने वित्त मंत्री बनकर ऐसे पलट दी बाजी, देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में निभाई अहम भूमिका*
#manmohan_singh_mortgage_gold_when_the_treasury_was_empty_after_becoming_finance_minister
देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे और उन्होंने गुरुवार रात एम्स में अंतिम सांस ली। देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐसा बजट पेश किया था जिसने हमेशा के लिए देश की दिशा और दशा को बदल दिया था। साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन स‍िंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब मनमोहन स‍िंह ने व‍ित्‍त मंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाला तो देश गहरे आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा था। देश के खजाने में महज 89 करोड़ डॉलर की व‍िदेशी मुद्रा रह गई थी। इससे केवल दो हफ्ते का आयात का खर्च चल सकता था। ऐसे समय में व‍ित्‍त मंत्रालय की बागडोर संभालने वाले मनमोहन स‍िंह ने अपने फैसलों से आर्थ‍िक मोर्चे पर देश को मजबूत क‍िया। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश के कठ‍िन आर्थ‍िक पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में होने के दौरान काफी उम्‍मीद के साथ मनमोहन सिंह को व‍ित्‍त मंत्रालय की जि‍म्‍मेदारी सौंपी थी। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर के कहने पर नरसिम्हा राव ने मनमोहन स‍िंह को व‍ित्‍त मंत्री बनाया था। ज‍िस समय देश के पास 89 करोड़ डॉलर का व‍िदेशी मुद्रा भंडार बचा तो उन्‍हें कई कठोर फैसले लेने पड़े। उस दौर में देश को अपने आयात का खर्च पूरा करने के ल‍िए अपना सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। उस दौर में डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान 1991 में आर्थिक उदारीकरण को शुरू क‍िया और मुश्‍क‍िल में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर न‍िकालने में कामयाब हुए। साल 1991 में प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले नरसिंह राव को कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने एक नोट दिया था जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। 20 जून, 1991 की शाम नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा मिले और उन्हें 8 पेज का एक टॉप सीक्रेट नोट दिया। इस नोट किन कामों को प्रधानमंत्री को तुरंत तवज्जो देनी चाहिए, उनका जिक्र था। जब राव ने वो नोट पढ़ा तो हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने चंद्र से पूछा-.'क्या भारत की आर्थिक हालत इतनी खराब है ?' चंद्रा का जवाब था, 'नहीं सर, वास्तव में इससे भी ज्यादा खराब है।' उस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि वो अगस्त, 1990 तक यह 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गया था।जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी जिससे महज दो सप्ताह के आयात का खर्चा ही जुटाया जा सकता था। 1990 के खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तिगुनी वृद्धि हुई थी। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत को अपने हज़ारों मज़दूरों को वापस भारत लाना पड़ा थ। नतीजा ये हुआ था कि उनकी ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई थी। ऊपर से भारत की राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उभरा जन आक्रोश अर्थव्यवस्था को कमजोर किए जा रहा था। देश को इस कठिन हालात से बाहर लाने के लिए उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था। डॉ. सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐतिहासिक बजट को पेश करते हुए फ्रांसीसी विद्वान विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो। उससे पहले भारत की क्लोज इकॉनमी में सरकार ही सब कुछ तय करती थी। किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी, सब सरकार तय करती है। इस सिस्टम को लाइसेंस परमिट राज कहा जाता था। 1991 के बजट ने लाइसेंस परमिट राज से देश को मुक्ति दिला दी। देश में खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ हुआ। इसमें प्राइवेट कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन दिए गए। सरकारी निवेश कम करने और खुले बाजार को बढ़ावा देने का फैसला किया गया। इस बजट ने देश की तस्वीर बदलकर रख दी। कंपनियां फलने-फूलने लगीं और करोड़ों नई नौकरियां मार्केट में आईं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बनकर उभरा है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश जहां मंदी की आशंका में जी रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है।
बांग्लादेश सचिवालय में लगी आग, तमाम दस्तावेज हुए खाक, साजिश की आशंका

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ढाका में बांग्लादेश सचिवालय की एक प्रमुख इमारत में बुधवार को भीषण आग लग गई। बताया जा रहा है कि आग से सरकारी दस्तावेज जलकर राख हो गए। ऐसी आशंका है कि सरकारी दस्तावेजों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से ही घटना को अंजाम दिया गया है। लिहाजा इस संबंध में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की गई है।

बांग्लादेश के सचिवालय की इमारत संख्या सात में आग गुरुवार की सुबह लगी थी। अग्निशमन सेवा के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल जाहिद कमाल ने बताया कि बिल्डिंग में तीन स्थानों पर एक साथ आग लगी। इससे अन्य मंत्रालयों को भी काम रोकना पड़ा। आग के कारण सुरक्षा एजेंसियों ने परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी। बिल्डिंग-सात की छठवीं, सातवीं और आठवीं मंजिल के अधिकांश कमरे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। फर्नीचर और कई दस्तावेज भी जल गए। करीब 6 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया।

अधिकारियों के अनुसार, 9 मंजिला इमारत में 7 मंत्रालय मौजूद हैं।बिल्डिंग 7 की छठी, सातवीं और आठवीं मंजिल के अधिकांश कमरे गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। फर्नीचर के साथ-साथ कई दस्तावेज भी जल गए। इसके अलावा आग बुझाने के लिए इस्तेमाल किए गए पानी से भी कई दस्तावेज नष्ट हो गए।

संदेह है कि इमारत में जानबूझ कर आग लगाई गई है। इसलिए मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।स्थानीय सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद सजीब भुइयां ने कहा, "साजिशकर्ताओं ने अपनी गतिविधि बंद नहीं की है।" उन्होंने बताया कि जो दस्तावेज क्षतिग्रस्त हुए हैं उनमें अवामी लीग शासन के दौरान लाखों डॉलर के भ्रष्टाचार के कागजात और अन्य सबूत शामिल थे। आसिफ महमूद सजीब भुइयां ने आगे कहा, "इस अपराध में शामिल लोगों को नहीं छोड़ा जाएगा।" इस घटना की जांच के लिए अधिकारियों ने सात सदस्यीय समिति का गठन किया। इस समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव (जिला एवं क्षेत्र प्रशासन) मोहम्मद खालिद रहीम करेंगे। जांच समिति को आग लगने के कारणों का पता लगाना होगा।

*क्या अज़रबैजान प्लेन क्रैश के पीछे रूस का हाथ? जानें क्यों उठ रही उंगलियां

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कजाकिस्तान में अकताऊ शहर के निकट अजरबैजान एयरलाइन्स का एक विमान बुधवार को क्रैश हो गया। इस हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे से जुड़े वीडियो सामने आए हैं। कई तरह की अटकलें भी लग रही हैं। कई रिपोर्टों में यह दावा किया जा रहा है कि अजरबैजान एयरलाइंस का विमान, जो क्रिसमस के दिन कजाकिस्तान के अक्ताउ के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। वह बाकू से रूस के ग्रोज़्नी जाते समय रूसी मिसाइल या विमान भेदी हमले का शिकार हुआ है। कई रिपोर्ट्स में मिलिट्री एक्सपर्ट्स ने शंका जाहिर की है कि हो सकता है इस विमान को रूस ने 'गलती' से मिसाइल से उड़ा दिया हो।

हादसे के बाद बताया गया कि पक्षी के टकराने से विमान का ऑक्सीजन टैंक फट गया। मगर, अब सामने आए वीडियो में विमान के पिछले हिस्से पर छर्रे के निशान मिलने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एम्ब्रेयर 190 फ्लाइट के पिछले हिस्से पर जो निशानों दिखाए दे रहे हैं, उन्हें सोशल मीडिया पर शक की नजर से देखा जा रहा है। पहली नजर में ये निशान पक्षियों की टक्कर के नहीं लग रहे और किसी प्रकार के हमले के लग रहे हैं। बीएनओ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जब रूसी वायु रक्षा यूक्रेनी ड्रोन हमले का जवाब दे रही थी उसी समय विमान के पायलटों ने एमरजेंसी कॉल भेजा था।

बता दें कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन बाकू से रूस जा रहा अजरबैजान एयरलाइंस का विमान कजाखस्तान के अक्ताउ के पास क्रैश हो गया था। विमान की अकताऊ से तीन किलोमीटर दूर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी, तभी यह लैंडिंग के वक्त जमीन से टकरा गया और उसमें आग लग गई। घटना के कई वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं, जिसमें विमान बेहद तेजी से नीचे आते देखा जा सकता है, जो समुद्री किनारे से टकराते ही आग का गोला बन जाता है और इसके बाद आसमान में काले धुएं का गुबार दिखाई देने लगता है। घायल और खून से लथपथ यात्रियों को दुर्घटना में सही बचे विमान के पिछले हिस्से से निकलते देखा जा सकता है। इस भयानक हादसे में विमान में सवार 67 लोगों में से 38 यात्रियों की जान चली गई।

महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपनों का झटका, ईवीएम के मुद्दे पर शरद पवार ने छोड़ा “हाथ”

#sharad_pawar_ncp_differs_on_evm_with_congress

विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” बिखरता दिख रहा है। सबकी डफली अलग-अलग राग निकाल रही है। लोकसभा और महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवालों की छड़ी लगा दी। विपक्षी दल लगभग हर दिन ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीजेपी को घेरते रहे। हालांकि, इन सबके बीच शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने ईवीएम के मुद्दे पर अपने सहयोगियों से अलग रुख अपनाया है। एनसीपी (एसपी) का विरोधाभास इंडिया गठबंधन में खटास पैदा करने का संकेत देता है।

वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी व बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि बिना किसी पुख्ता सबूत के हार के लिए ईवीएम को दोष देना सही नहीं है। एनसीपी (एसपी) नेता सुले ने बुधवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए कहा, जब तक ईवीएम में छेड़छाड़ के ठोस सबूत नहीं मिलते, तब तक ईवीएम को दोष देना गलत है। ईवीएम के खिलाफ कोई भी आरोप तभी उचित हो सकते हैं जब उसके बारे में ठोस और विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध हों। मैं खुद ईवीएम से चार बार चुनाव जीत चुकी हूं।

ईवीएम पर सवाल उठाने वालों से असहमती जताते हुए सुप्रिया सुले कहा कि ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजेडी) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों को साबित करने के लिए डेटा होने का दावा किया है। सुले ने दावा किया कि बीजेडी के नेता अमर पटनायक ने मंगलवार को उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ कुछ डेटा साझा किया गया था। हालांकि इस डेटा के बारे में पत्र में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई थी।

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर बीजद के अमर पटनायक तक ने एनसीपी शरद गुट से समर्थन मांगा है। हालांकि, सुप्रिया सुले ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इन मुद्दों पर ध्यान दे रही है लेकिन बिना सबूत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेगी। फिलहाल यह राहुल के लिए एक झटका तो जरूर ही माना जा रहा है।

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट ने ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाया। इसी बीच, सोलापुर जिले के मालसिराज विधानसभा क्षेत्र में एनसीपी शरद गुट के नेता उत्तमराव जांकर ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया।

इस बीच एनसीपी शरद गुट की अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा दिया है कि उनके हिसाब से ईवीएम को ब्लैम करना गलत है। बारामती से सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया के इस बयान से महाराष्ट्र में विपक्ष की आवाज कमजोर पड़ गई है।

शांति ड्रैगन की फितरत नहीं! अब ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने का ऐलान, भारत के लिए हो सकता है खतरनाक

#chinaannouncedmegadamprojectonbrahmaputra_river

चीन दुनिया का सबसे विशालकाय बांध बनाने जा रहा है। चीन की सरकार ने ऐलान किया है कि वह तिब्‍बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्‍सांगपो पर महाशक्तिशाली बांध बनाने जा रही है। तिब्बत से निकलते ही यारलुंग जांग्बो नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है, जो दक्षिण में भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्य से होती हुई बांग्लादेश की ओर बहती है। चीन पहले ही इस नदी के ऊपरी तल में हाइड्रोपावर जेनरेशन की शुरुआत कर चुका है, जो कि तिब्बत के पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।

चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट चीन के प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चीन के कार्बन पीकिंग और कार्बन न्यूट्रैलिटी लक्ष्यों को पूरा करने के साथ साथ इंजीनियरिंग जैसी इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहित करने और तिब्बत में नौकरियों के अवसर पैदा करने में यह प्रोजेक्ट मदद करेगा। यारलुंग जांग्बो का एक भाग 50 किमी (31 मील) की छोटी सी दूरी में 2,000 मीटर (6,561 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो विशाल हाइड्रोपावर क्षमता के साथ-साथ इंजीनियरिंग के लिए कठिन चुनौतियां भी पेश करता है।

भारत के लिए कैसे खतरनाक

चीन तिब्बत की जिस लंबी नदी को यारलुंग त्सांगपो नदी कहता है, उसे भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस विशालकाय बांध को हथियार की तरह इस्तेमाल करके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कभी भी बाढ़ ला सकता है। लगभग 2900 किमी लंबी ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आने से पहले तिब्बत के पठार से होकर गुजरती है। जो कि तिब्बत में धरती की सबसे गहरी खाई बनाती है। जिसे तिब्बती बौद्ध भिक्षु बहुत पवित्र मानते हैं।

धरती की स्‍पीड को प्रभावित कर रहा चीन का बांध

वहीं अभी बिजली पैदा करने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बांध कहे जाने वाला चीन थ्री जॉर्ज हर साल 88.2 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करता है। चीन के हुबई प्रांत में स्थित थ्री जॉर्ज बांध यांगजी नदी पर बनाया गया है।थ्री जॉर्ज बांध में 40 अरब क्‍यूबिक मीटर पानी है और यह धरती की घूमने की रफ्तार को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से धरती की घूमने की गति में हर दिन 0.06 माइक्रोसेकंड बढ़ रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक काफी चिंत‍ित हैं। इस बांध को सबसे पहले साल 1919 में चीन के पहले राष्‍ट्रपति सुन यात सेन ने बनाने का प्रस्‍ताव दिया था। उन्‍होंने कहा था कि इससे जहां बाढ़ में कमी आएगी, वहीं दुनिया के सामने यह चीन के ताकत का प्रतीक बनेगा। चीन अब तिब्‍बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर नया विशालकाय बांध बनाने जा रहा है।

आतंकी मसूद अजहर को आया हार्ट अटैक, यहां छिपकर बैठा था भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी, लाया गया कराची

#terrorist_masood_azhar_suffered_a_heart_attack

भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को हार्ट अटैक आया है। मसूद अजहर को अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में दिल का दौरा पड़ा। न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल मसूद अजहर का कराची के आर्मी अस्पताल में भर्ती है और वहां उसका कड़ी सुरक्षा के बीच इलाज चल रहा है। मसूद को कराची से रावलपिंडी या इस्लामाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाने की भी चर्चा है।

मसूद अजहर अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था। यहीं उसे दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसे इलाज के लिए पाकिस्तान लाया गया है। एक विशेष एंबुलेंस से आतंकी मौलाना मसूद अजहर को खोस्त प्रांत के गोरबाज इलाके के रास्ते पाकिस्तान लाया गया है।

जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र में नामित आतंकवादी है और भारत में हुए कई आतंकी हमलों का मास्टर माइंड समझा जाता है। दिसंबर 1999 में काठमांडू से कंधार तक की फ्लाइट को हाईजैक किये जाने की घटना में यात्रियों के बदले मुक्त किये गए आतंकी मसूद अजहर ने खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी। मसूद अजहर भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इनमें 2001 में संसद हमले और 2008 के मुंबई हमले जैसे हमले शामिल हैं।

सितंबर 2019 में भारत ने अजहर और एक अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत ‘आतंकवादी’ घोषित किया था। भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाकर आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा देता है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान, विशेष रूप से मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करता है।

पाकिस्तान की सरकार और आर्मी पर पर्दे के पीछे से मसूद को शह देने का आरोप लगता रहा है। भारत ने मसूद को पाकिस्तान में सुरक्षित पनाह मिलने के मुद्दे को कई बार अलग-अलग अतंरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया है। अजहर कुछ दिन पहले ही चर्चा में आया था, जब उसे पाकिस्तान के बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा में भाषण देते हुए देखा गया था। इस दौरान भी मसूद अजहर ने भारत के लिए जमकर जहर उगला था।

आप' ने की 24 घंटे में मकान पर कार्रवाई करने की, केजरीवाल को एंटी नेशनल कहने पर आक्रोश

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दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म है। इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली कांग्रेस ईकाई के नेताओं पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया है। पार्टी ने कांग्रेस के दिल्ली यूनिट के नेताओं पर कार्रवाई की मांग की है और यह अल्टीमेटम दिया है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वे इंडिया अलायंस के नेताओं से बात करेंगे।

आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली की सीएम आतिशी ने कहा, हम कांग्रेस पार्टी से मांग करते हैं कि वे माकन के खिलाफ 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करें। वरना हम I.N.D.I.A ब्लॉक से कांग्रेस पार्टी को अलग करने के लिए अन्य विपक्षी दलों से बात करेंगे। आतिशी ने कहा कि कांग्रेस के बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने भाजपा के साथ समझौता कर लिया है। कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल देशद्रोही हैं। मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहती हूं कि क्या उन्होंने कभी किसी भाजपा नेता पर यही आरोप लगाए हैं? नहीं। लेकिन आज कांग्रेस अरविंद केजरीवाल पर देशद्रोही होने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस ने कल मेरे और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। क्यों? क्या कांग्रेस ने कभी किसी भाजपा नेता के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज कराई है?

कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग करने की मांग

वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग करें। वो बीजेपी को लाभ पहुंचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है। अजय माकन बीजेपी के कहने पर आप पार्टी पर हमला करते हैं। कल उन्होंने हद पार कर दी। उन्होंने केजरीवाल को एंटी नेशनल कह दिया।

संजय सिंह ने कहा कि अजय माकन ने आजतक किसी बीजेपी नेता को एंटी नेशनल नहीं कहा। कल केजरीवाल के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। वो केजरीवाल जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। संसद में कुछ होता है तो आप कांग्रेस के साथ खड़ी होती है। हरियाणा में हम अलग लड़े लेकिन एक भी अपशब्द नहीं कहा।

अजय माकन के किस बात पर भड़की आप

कांग्रेस नेता अजय माकन ने 25 दिसंबर को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को देश का फ्रॉड किंग यानी सबसे बड़ा धोखेबाज बताया। माकन ने कहा कि अगर केजरीवाल को एक शब्द में परिभाषित करना हो, तो वो शब्द ‘फर्जीवाल’ होगा। माकन ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए आप के साथ गठबंधन में आना कांग्रेस की भूल थी, जिसे अब सुधारा जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि यह उनकी निजी राय है।

विवादों में बेलगावी कांग्रेस अधिवेशन, बीजेपी बोली-पोस्टर में लगा भारत का गलत नक्शा, पीओके-अक्साई चीन गायब

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कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है। हालांकि यह बैठक अपने आयोजन से पहले ही विवाद में फंस गई है। मीटिंग से पहले कार्यकर्ताओं ने बेलगावी में पोस्टर लगाए। जिसमें भारत का गलत नक्शा दिखाया जा रहा है। नक्शे में कश्मीर का हिस्सा गायब है। बेलगावी में इस तरह के पोस्टर देख बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का दावा है कि इस नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अधिवेशन के लिए लगे पोस्टर बैनर की तस्वीर साझा करते हुए कर्नाटक भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है। जिसमें पार्टी ने लिखा कि 'कर्नाटक कांग्रेस ने भारत की संप्रभुता का अपमान किया है और बेलगावी के कार्यक्रम में भारत का गलत नक्शा दर्शाया है। नक्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है। ये सब सिर्फ वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।'

कांग्रेस भारत को तोड़ने वालों के साथ

वहीं, भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, आज एक तस्वीर सामने आई है जो दिल को दुखाती है। भाजपा कर्नाटक ने एक ट्वीट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि बेलगावी में कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने जो भारत का मैप लगाया है, उसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चिन नहीं है। वे पहले भी ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि जो ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं, उनके साथ कांग्रेस का संबंध अब स्पष्ट हो गया है।

सुधांशु त्रिवेदी के तीखे सवाल

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि पूर्व में डीएमके ने भारत का गलत नक्शा दिखाया। जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन को गायब दिखाया गया। कोरोना के समय राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट किया था, उसमें भी अक्साई चिन और पीओके गायब था। शशि थरूर ने 21 दिसंबर 2019 को भारत का नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें भी गड़बड़ी थी। भाजपा ने सवाल किया कि पिछले काफी समय से भारत के नक्शे में जो गड़बड़ी दिखाई जा रही है, वह क्या सिर्फ संयोग है या फिर किसी व्यवस्थित भारत विरोध का हिस्सा है?' भाजपा ने पूछा कि 'ये किसके इशारे पर हो रहा है? क्या सोरोस से कोई गुप्त संदेश तो नहीं आ रहा?

दो दिनों तक चलेगा अधिवेशन

बता दें कि कर्नाटक का सीमावर्ती शहर बेलगावी अगले दो दिनों तक महात्मा गांधी की अध्यक्षता में यहां हुए एकमात्र कांग्रेस अधिवेशन की यादों को ताजा करेगा। कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर, 1924 को किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाता है। उस अधिवेशन में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का आह्वान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। देशपांडे ने बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन की मेजबानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी अध्यक्षता गांधी ने की थी।

मोहन भागवत के बयान से अलग है आरएसएस के मुखपत्र की राय, विवादित स्थलों के सर्वे पर जताई सहमति

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राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है। ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है। देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है। हालांकि, मोहवन भागवत की राय आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइजर' के लेख से बिल्कुल अलग है। 'ऑर्गेनाइजर' में लिखे लेख की माने तो विवादित स्थलों का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है।

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की है। जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है। पत्रिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है।

कई सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र

जिसमें दावा किया गया है कि कैसे संभल में शाही जामा मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद था। इसमें संभल के सांप्रदायिक इतिहास का भी वर्णन किया गया है। इसके अलावा पत्रिका में पिछले सालों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। इस लेख में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर संघ प्रमुख की सलाह या चेतावनी को पूरी तरीके से नजरअंदाज कर दिया गया है।

अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा

पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर के लिखे संपादकीय में कहा गया है, धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बाबासाहेब आंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे समाप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय प्रदान किए। तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें और इससे इनकार करने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।

लड़ाई राष्ट्रीय पहचान को साबित करने की

संपादकीय में कहा गया कि सोमनाथ से लेकर संभल और उसके आगे के सच को जानने की यह लड़ाई धार्मिक श्रेष्ठता के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को साबित करने और सभ्यतागत न्याय के बारे में है। लेख में ऐतिहासिक घावों को भरने की भी बात कही गई है।