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सोशल मीडिया-OTT पर अश्लील कंटेंट रोकने के लिए बनेगा कानून? लोकसभा में मंत्री ने दी बड़ी जानकारी


डेस्क: लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते हैं।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।

बता दें कि पिछले साल अगस्त में सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को यह भी बताया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और बिचौलियों को नियंत्रित करने वाली उसकी नीति में आवश्यक नियम और विनियम शामिल होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा और अपवित्रता से मुक्त हो।

अदालत ने कहा था कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर सामग्री को विनियमित करने के लिए उचित कानून, दिशानिर्देश और नियम बनाने के लिए कई अन्य देशों की तरह भारत के सामने आने वाली चुनौती पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
"सरकार बृजभूषण को बचाने में जुटी है", 4 साल के लिए सस्पेंड होने पर भड़के बजरंग पूनिया, जानें क्या कहा

डेस्क: देश के स्टार पहलवान और राष्ट्रीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग पूनिया को नाडा (राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी) ने चार साल के लिए निलंबित कर दिया है। नाडा के मुताबिक, बजरंग पूनिया ने 10 मार्च को आयोजित ट्रायल में डोपिंग टेस्ट देने से इंकार कर दिया था। इससे पहले 23 मार्च को उन्हें निलंबित किया गया था और अब एडीडीपी ने एथलीट अनुच्छेद 10.3.1 का हवाला देते हुए उन्हें चार साल के लिए निलंबित कर दिया है। अपने निलंबन के बाद बजरंग पूनिया ने नाडा और सरकार पर तीखा हमला किया है।

बजरंग पूनिया ने आरोप लगाया कि उन्हें किसानों और महिला पहलवानों की आवाज उठाने के कारण साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है। बजरंग ने कहा, "सरकार और नाडा कितने भी प्रतिबंध लगा लें, हम पहले भी नहीं झुके थे और अब भी नहीं झुकेंगे।" उन्होंने यह कहा कि बीजेपी में शामिल होने का दबाव भी बनाया गया था। अगर आज बीजेपी में शामिल हो जाएं, तो सभी प्रतिबंध वापस हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एक साल पहले नाडा के अधिकारी उनके पास एक एक्सपायर डेट वाली किट लेकर आए थे, जिसका उन्होंने विरोध किया था।

बजरंग ने पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाए, जिनके खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं। बजरंग ने दावा किया कि बृजभूषण शरण ने महिला पहलवानों को डोपिंग में फंसाया और उनकी मदद के लिए डोप एजेंसियों का इस्तेमाल किया।

बजरंग ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह हमेशा किसानों, महिला पहलवानों और अन्य उत्पीड़ित वर्गों के साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने बृजभूषण शरण को बचाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया और कहा कि सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उन्हें बचाने में जुटी है। बता दें कि इस निलंबन के बाद बजरंग पूनिया आगामी चार साल तक किसी भी कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे और इन अत्याचारों का सामना करते रहेंगे।

'पूजा स्थलों की सुरक्षा' कानून से संबंधित याचिका पर इस तारीख को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट


डेस्क: देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिर और मस्जिदों का विवाद बढ़ता चला जा रहा है। हाल ही में कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया जिसके बाद भयंकर हिंसा फैल गई। इन सब के बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थलों की सुरक्षा एवं 1991 में बने कानून से संबंधित याचिका पर सुनवाई का संकेत दिया है। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला और कब होगी इसपर सुनवाई।

सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थलों की सुरक्षा एवं 1991 में बने कानून से संबंधित याचिका पर 4 दिसम्बर को सुनवाई का संकेत दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करेगी।
पाकिस्तान में भारी बवाल और हिंसा के बाद पीटीआई ने किया प्रदर्शन खत्म करने का ऐलान, जानें आगे क्या करेंगे इमरान?

डेस्क: पाकिस्तान में सरकार की सख्ती के बाद इमरान खान की पार्टी ने अपने विरोध प्रदर्शन को खत्म करने का ऐलान कर दिया है। बता दें कि पीटीआई के प्रदर्शन के चलते राजधानी इस्लामाबाद में स्थित डी चौक और उसके आसपास के इलाकों में भारी बवाल और हिंसा के बाद आधी रात को सुरक्षाकर्मियों ने सख्त कार्रवाई की है। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन समाप्त करने का ऐलान कर दिया। हालांकि इसके बाद इमरान खान की आगे की रणनीति क्या होगी, इस बारे में अभी कोई खुलासा नहीं किया गया है।

बता दें कि इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई को “फासीवादी सैन्य शासन” में किया गया “नरसंहार” का प्रयास करार दिया। पुलिस सूत्रों ने कहा कि लगभग 450 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने कहा कि सुरक्षा बलों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने के इरादे से प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई। इससे पहले मंगलवार शाम को, पीटीआई समर्थकों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों से झड़प हुई, जिसके बाद वे रविवार को शुरू हुए इस्लामाबाद मार्च के तहत डी-चौक पर धरना देने में सफल रहे। पुलिस के साथ समर्थकों की झड़प में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गये।

खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के साथ पेशावर से इस्लामाबाद तक मार्च का नेतृत्व करने वालीं खान की पत्नी बुशरा बीबी ने कहा कि प्रदर्शनकारी तब तक नहीं हटेंगे जब तक खान को जेल से रिहा नहीं किया जाता। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें क्षेत्र से हटाने के अपने प्रयास जारी रखे। डी-चौक के आसपास राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और उच्चतम न्यायालय स्थित हैं। आधी रात के आसपास, पुलिस और रेंजर्स ने ब्लू एरिया व्यापार क्षेत्र को खाली करने के लिए एक अभियान चलाया। इसके बाद पीटाआई को अपना प्रदर्शन खत्म करने का ऐलान करना पड़ गया।

पीटीआई ने कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार पर हिंसा का इस्तेमाल करने और उसके सैकड़ों कार्यकर्ताओं की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया। पीटीआई ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “शहबाज-जरदारी-आसिम गठबंधन के नेतृत्व वाले क्रूर, फासीवादी सैन्य शासन के तहत सुरक्षा बलों के हाथों पाकिस्तान में नरसंहार का प्रयास किया गया। देश में खून-खराबा हो रहा है।” पिछले वर्ष अगस्त से जेल में बंद 72 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए ‘‘अंतिम आह्वान’’ किया था।

यह आह्वान उन्होंने 13 नवंबर को किया था। खान ने कथित तौर पर जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा की थी। संविधान के 26वें संशोधन पर उन्होंने कहा था कि इसने ‘‘तानाशाही शासन’’ को मजबूत करने का काम किया है। खान पिछले साल से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं और उनकी पार्टी के अनुसार, उन पर 200 से अधिक मामले दर्ज हैं।
उद्धव की हार पर कंगना रनौत का तंज, कहा- जो महिलाओं का अपमान करे वे दैत्य, उनकी हार हुई

डेस्क: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति (भाजपा, शिवेसेना, एनसीपी) की प्रचंड जीत हुई है। वही, महाविकास अघाड़ी (शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार) की बुरी हार हुई है। इस चुनाव में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी बड़ा झटका लगा है। शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न गंवाने के बाद उन्होंने नई पार्टी का गठन किया था और चुनाव में उतरे थे। हालांकि, उनकी पार्टी शिवसेना यूबीटी चुनाव में बुरी तरह से हार गई। अब उद्धव की इस हार पर भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत का भी बयान सामने आया है। उन्होंने उद्धव ठाकरे की तुलना दैत्य से कर दी है।

जब कंगना से पूछा गया है कि क्या आपको उम्मीद थी कि उद्धव ठाकरे की इतनी बुरी तरह से हार होगी? इस पर कंगना ने कहा- "मुझे इसकी उम्मीद थी। इतिहास गवाह है कि हम दैत्यों और देवता को कैसे पहचानते हैं। जो महिलाओं की इज्जत उतारते हैं वो उसी श्रेणी के होते हैं, दैत्य होते हैं। और जो महिलाओं को सम्मान देते हैं जैसे महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया हो, शोचालय दिया हो, अनाज दिया हो, गैस सिलेंडर दिया हो। उससे पता चलता है कि कौन देवता है। दैत्यों का वही हुआ जो हमेशा होता है। उनकी हार हुई। जो महिलाओं को अपमान करते हैं, सरेआम मेरा घर तोड़ा गया, मुझे गंदी गालियां दी गईं, तो मुझे लगता है कि उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। ये दिख ही रहा था।"

कंगना ने कहा कि भाजपा के लिए ये एक ऐतिहासिक जीत है। हमारे सारे कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं और पूरे महाराष्ट्र की जनता के आभारी हैं। मुख्यमंत्री के सवाल पर कंगना ने कहा कि भाजपा की जो विचारधारा है उसमें एक से बढ़कर एक नेतृत्व के लिए लोग हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के नेतृत्व पर भरोसा कर रहा है। चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, हर जगह बीजेपी कार्यकर्ताओं और हमारे नेतृत्व ने पूरी ताकत झोंक दी है। कंगना ने कहा कि पूरा भारत चाहता है कि पीएम नरेंद्र मोदी हर जगह उनका नेतृत्व करें, चाहे कोई सीएम चेहरा हो या नहीं, लोग पीएम मोदी को वोट देते हैं।
पाकिस्तान में जमकर हो रहा बवाल, 6 सुरक्षाकर्मियों की मौत, घायल हुए 100 से अधिक जवान



डेस्क: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों द्वारा किए गए प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के कारण अर्धसैनिक बल के चार जवान और पुलिस के दो कर्मी मारे गए। हिंसा में 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल भी हुए हैं। सरकारी मीडिया ने इस बारे में जानकरी दी है। इस हिंसा के सरकार ने राजधानी में सेना तैनात करने के साथ ही आदेश दिए गए हैं कि उपद्रवियों को देखते ही गोली मार दी जाए।

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थक इस्लामाबाद के डी-चौक स्थल की ओर जाने वाले रास्ते में लगाए गए अवरोधों को हटा रहे हैं। ‘रेडियो पाकिस्तान’ ने बताया कि सोमवार देर रात इस्लामाबाद में श्रीनगर राजमार्ग पर एक वाहन द्वारा टक्कर मारे जाने से पाकिस्तान ‘रेंजर्स’ के चार अधिकारियों की मौत हो गई और उनके पांच अन्य कर्मियों एवं पुलिस के कई अधिकारियों को भी गंभीर चोटें आईं हैं।

रेडियो पाकिस्तान के अनुसार, हथियारों और गोला-बारूद से पूरी तरह लैस कुछ बदमाशों ने ‘रेंजर्स’ के जवानों पर पथराव किया और रावलपिंडी स्थित चुंगी नंबर 26 में सुरक्षाकर्मियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। इसमें यह भी बताया गया है कि पुलिस के दो कर्मी मारे गए।

पंजाब पुलिस के अनुसार, सोमवार को पीटीआई के प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प के दौरान इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में हकला इंटरचेंज पर पुलिस के एक कर्मी की मौत हो गई। इसके अलावा, आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने देर रात मीडिया से बातचीत में कहा कि सौ से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, उनमें से अधिकतर पुलिस कर्मी थे।

उन्होंने कहा ‘‘प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव किए जाने के कारण पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए और उनके सिर में गहरी चोट आई।’’ प्रदर्शनकारियों द्वारा रेंजर्स और पुलिस कर्मियों पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बयान में घटना में शामिल लोगों चिन्हित कर कर्रवाई का आदेश दिया है।
बांग्लादेश में ISKCON पर जुल्म, प्रमुख हिंदू पुजारी गिरफ्तार, भारत और PM मोदी से मांगी मदद

डेस्क: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से हिंदू समुदाय की स्थिति बदहाल होती जा रही है। हिंदुओं के घरों पर अन्य संस्थानों को लगातार हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है। अब बीते दिन ISKCON के प्रमुख नेताओं में से एक श्री चिन्मय कृष्ण दास को ढाका हिरासत में ले लिया गया है। उन्हें ढ़ाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया है।

पुलिस ने उन आरोपों तक के बारे में जानकारी नहीं दी है जिसके लिए चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले को लेकर इस्कॉन ने X पर ट्वीट कर के भारत सरकार से मदद की मांग की है। इस्कॉन ने ट्वीट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एश जयशंकर को भी टैग किया है।

श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर इस्कॉन ने ट्वीट कर कहा- "हमें परेशान करने वाली खबरें मिली हैं कि इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख नेताओं में से एक श्री चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इस्कॉन का दुनिया में कहीं भी आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है। इस बारे में बेबुनियाद आरोप लगाना अपमानजनक है।"

इस्कॉन ने इस मामले में भारत सरकार से मदद मांगते हुए कहा- "इस्कॉन भारत सरकार से तत्काल कदम उठाने और बांग्लादेश सरकार से बात करने का आग्रह करता है। हम एक शांतिप्रिय भक्ति आंदोलन हैं। हम चाहते हैं कि बांग्लादेश सरकार चिन्मय कृष्ण दास को रिहा तुरंत करे। इन भक्तों की सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण से हमारी प्रार्थना है।"

पीटीआई के मुताबिक बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने चिन्मय कृष्ण दास की हिरासत की निंदा करते हुए कहा कि इससे दुनिया में बांग्लादेश की छवि प्रभावित हो सकती है। हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोग चटगांव के चेरागी पहाड़ चौराहे पर सड़कों पर उतर आए और दास की तत्काल रिहाई की मांग की। इसी तरह, राजधानी में हिंदू समुदाय के लोगों ने गिरफ्तारी के विरोध में देर शाम शाहबाग चौराहे को जाम कर दिया।
बांग्लादेश में चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर बवाल, हिंदुओं पर फिर हुए हमले, कई घायल


डेस्क: बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्णन दास की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समाज के लोग सड़कों पर उतर आए, इस दौरान बीएनपी और जमात के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले में 50 से अधिक हिंदू समुदाय के लोग घायल हुए हैं। ढाका के शाहबाग में शांतिपूर्ण सभा के दौरान हिंदू समुदाय के लोगों और चटगांव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुशाल बरन पर भी हमला हुआ है। इस हमले में वो गंभीर रूप से घायल हो गए है। कई लोगों को अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है।

चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद इस्कॉन ने एक्स पर एक पोस्ट किया। जिसमें में कहा, हमें चिंताजनक खबर मिली है कि इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख नेता चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस्कॉन भारत सरकार से तुरंत कदम उठाने और बांग्लादेश सरकार से बात करने की अपील करता है। हम एक शांतिपूर्ण भक्ति आंदोलन हैं। हम चाहते हैं कि बांग्लादेश सरकार चिन्मय कृष्ण दास को जल्द रिहा करे। हम भगवान कृष्ण से इन भक्तों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं।

बता दें कि, इसी साल 30 अक्तूबर को बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में देशद्रोह अधिनियम के तहत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु समेत 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। आरोप है कि 25 अक्तूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने आठ सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इस दौरान एक चौक पर स्थित आजादी स्तंभ पर कुछ लोगों ने भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था। इसे लेकर चिन्मय कृष्ण दास पर राष्ट्रीय झंडे की अवमानना व अपमान करने का आरोप लगाया गया है।

इस बीच यहां यह भी बता दें कि, बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया था। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन की वजह से शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू निशाने पर हैं। छात्र आंदोलन के दौरान हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया था। बांग्लादेश के खुलना, मेहरपुर स्थित इस्कॉन मंदिर को भी निशाना बनाया था। इस हमले को लेकर चिन्मय प्रभु ने हिंदू मंदिरों की सुरक्षा पर गहरी चिंता जताई थी।
वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ टीएमसी का विरोध प्रदर्शन, सड़कों पर होंगे 2 लाख से ज्यादा लोग, विधानसभा में प्रस्ताव भी पेश होगा


डेस्क: वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ ममता बनर्जी की कांग्रेस 30 नवंबर को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन करेगी। इस दौरान 2 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर होंगे। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद कल्याण बनर्जी मुख्य वक्ता होंगे। इसके साथ ही ममता सरकार ने वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने की भी तैयारी कर ली है। वक्फ संसोधन बिल कुछ महीने पहले संसद में पेश किया गया था। हालांकि, भारी विरोध के बाद इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। संसदीय समिति का कार्यकाल शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन तक बढ़ा दिया गया है।

अब संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद इसमें जरूरी बदलाव किए जाएंगे और इसे दोबारा पेश किया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस शुरुआत से ही इस बिल का विरोध करती आ रही है और अब पार्टी ने व्यापक स्तर पर इस कानून का विरोध करने का मन बना लिया है।

चट्टोपाध्याय ने सोमवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। हालांकि, तारीख अभी तय नहीं हुई है। चटर्जी ने दावा किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक विभाजनकारी है और इससे अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेला जा सकता है तथा उनके अधिकारों का हनन हो सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने की तारीख अभी तय नहीं हुई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक का बार-बार विरोध किया है।

केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में विचार के लिए वक्फ संशोधन विधेयक सहित 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना है।

पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री और कोलकाता के महापौर फिरहाद हकीम ने सोमवार को कहा कि टीएमसी का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ वक्फ (संशोधन) विधेयक के विरोध में 30 नवंबर को शहर में एक रैली निकालेगा। यह रैली शहर के रानी रासमणि एवेन्यू में निकाली जाएगी। हाकिम और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अन्य प्रमुख नेता भी रैली को संबोधित करेंगे।
झारखंड के 81 विधायकों में 80 करोड़पति, जानें किसके पास है सबसे ज्यादा संपत्ति

डेस्क: झारखंड में नवनिर्वाचित विधायकों में 89 प्रतिशत करोड़पति हैं और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव सबसे अमीर विधायक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 42.20 करोड़ रुपये है। ‘द झारखंड इलेक्शन वॉच’ और ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने 81 विजयी उम्मीदवारों में से 80 के हलफनामों का विश्लेषण किया और पाया कि 2024 में 71 नवनिर्वाचित विधायक 'करोड़पति' हैं, जो 2019 में निर्वाचित ऐसे विधायकों की संख्या से 20 प्रतिशत अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, पांच साल पहले निर्वाचित हुए 81 विधायकों में से 56 करोड़पति थे और 2014 में इनकी संख्या 41 थी। इस साल 71 करोड़पति विधायकों में से 28 झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के, 20 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के, 14 कांग्रेस के, चार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के, दो भाकपा (माले) लिबरेशन के और एक-एक लोजपा (रामविलास), जद (यू) और आजसू पार्टी के हैं।

झामुमो ने 34 विधानसभा सीट जीतीं, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 16, राजद ने चार और भाकपा (माले) लिबरेशन ने दो सीट जीतीं। दूसरी ओर, भाजपा ने 21 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की और उसके सहयोगी लोजपा (रामविलास), जद (यू) और आजसू पार्टी ने एक-एक सीट हासिल की। वर्ष 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रत्येक विजेता उम्मीदवार की औसत संपत्ति 6.90 करोड़ रुपये है और 2019 के चुनाव में यह 3.87 करोड़ रुपये थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जीतने वाले उम्मीदवारों में कांग्रेस के लोहरदगा विधायक रामेश्वर उरांव 42.20 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ सबसे अमीर हैं। पांकी निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले भाजपा के कुशवाहा शशि भूषण मेहता 32.15 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ दूसरे सबसे अमीर विजयी उम्मीदवार हैं, जबकि गोड्डा सीट जीतने वाले राजद के संजय प्रसाद यादव 29.59 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ सूची में तीसरे स्थान पर हैं।

डुमरी सीट से विजयी हुए झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के जयराम कुमार महतो के पास सबसे कम करीब 2.55 लाख रुपये की संपत्ति है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 विजयी उम्मीदवारों ने एक करोड़ रुपये और उससे अधिक की देनदारियों की घोषणा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 42 विधायक फिर से निर्वाचित हुए हैं और पिछले पांच वर्षों में उनकी औसत संपत्ति वृद्धि 2.71 करोड़ रुपये है।

विजयी उम्मीदवारों में से 28 ने अपनी शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8 और 12 पास के बीच घोषित की है, जबकि 50 ने स्नातक और उससे अधिक की शैक्षणिक योग्यता घोषित की है और एक विजेता डिप्लोमा धारक हैं। एक अन्य ने खुद को केवल साक्षर घोषित किया है। राज्य विधानसभा में विजयी महिला उम्मीदवारों की संख्या 10 से बढ़कर 12 हो गई है।