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मानव-हाथी द्वंद रोकने की दिशा में साय सरकार कर रही लगातार प्रयास

रायपुर-    छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग और बिलासपुर संभाग सहित ज्यादातर उत्तरी इलाका पिछले दो दशक से से मानव-हाथी द्वंद की समस्या से ग्रसित है. यहां जंगली हाथियों के द्वारा किये जा रहे उत्पात की खबरें आये दिन समाचारों की सुर्खियां बनती है. हर दिन हाथी जंगली इलाके के गांवों में पहुंचकर जन धन को नुकसान पहुंचा रहे हैं. गांवों में जंगली हाथियों का झुंड पहुंचकर घरों को तहस नहस कर रहे हैं और फसलों के साथ साथ घरों में रखे गये अन्न को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कई स्थानों पर हाथियों द्वारा कुचले जाने से मनुष्यों की मृत्यू की खबरें छत्तीसगढ़ में आम बात हो गई है. इस समस्या से निजात दिलाने के लिये छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,जो स्वयं हाथी प्रभावित इलाके से आते हैं बेहद संवेदनशील हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णुदेव साय ने हाथी की समस्या से आम जन को निजात दिलाने के लिये लगातार पहल कर रहें हैं और उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को इस समस्या के समाधान के लिये सार्थक प्रयास करने के निर्देश दिये हैं.

छत्तीसगढ़ के जंगलों से हाथियों का रिश्ता बहुत पुराना है. हजारों कही-सुनी कहानियों और ऐतिहासिक प्रमाणों के अलावा बिलासपुर जिले के ब्रिटिश गजेटियर भी इस बात की मुद्रित गवाही देता है कि औरंगजेब के समय तक मुगल शासक बिलासपुर क्षेत्र से हाथियों की खरीददारी किया करते थे. इसके अलावा तुमान, पाली, मल्हार जैसे ऐतिहासिक महत्व के स्थानों की खुदाई में ऐसे सिक्के भी मिले हैं, जिसमें प्रतीक के रूप में हाथियों का अंकन है.. इतिहास में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि खिलजी वंश से लेकर मुगल शासन काल तक हाथियों की आपूर्ति छत्तीसगढ़ से ही की जाती थी… यहां के हाथी को ही प्रशिक्षित करके सेना में भेजा जाता था.. इस बात का भी पुख्ता प्रमाण है कि 1930 के त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में भी रसद लेकर यहां से हाथी गए थे.

छत्तीसगढ़ के जंगल हाथियों के लिए पसंद का रहवास शुरू से ही रहा है, मगर हाथियों का ऐसा आतंक और हाथी मानव द्वंद्व ऐसा पहले कभी नहीं रहा जैसा कि इन दिनों दिखाई दे जाता है..मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा मानव हाथी द्वंद को रोकने लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.. सरगुजा से ‘‘हमर हाथी हमर गोठ’’ रेडियो कार्यक्रम का प्रसारण कर हाथियों के विचरण की जानकारी स्थानीय लोगों को दी जा रही है..मुख्यमंत्री साय के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा स्थानीय जनों को अपनी ओर हाथियों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाने गज यात्रा अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही ‘‘गज संकेत एवं सजग एप’’ के माध्यम से भी हाथी विचरण की जानकारी दी जा रही है.

छत्तीसगढ़ में 1950 में तिमोर पिंगला में हाथी आखरी बार देखा गया था उसके बाद हाथी दिखे 1980 में उसके पीछे का कारण ओपन कास्ट माइनिंग की वजह से झारखंड, बिहार और उडीसा में बड़े पैमाने पर जंगलों का कट जाना बताया जाता है..सच तो ये है कि यदि हाथी छत्तीसगढ़ को अपने रहने के लिए उपयुक्त स्थान पाते हैं तो ये छ.ग. का सौभाग्य है.. अजब संयोग है कि रहवास के लिए स्थल चयन को लेकर हाथी और मानव में बहुत समानता पाई जाती है.. जिस जगह को मानव अपने रहने के काबिल पाता है ठीक वही जगह हाथियों को अपने लिए जचता है. जल की उपलब्धता वाला घना हरा जंगल यदि मनुष्य को रास आता है तो हाथियों की भी यही पहली पसंद है.. पहाड़ी की तराई यदि मनुष्यों को पसंद है तो हाथी भी रह जाने के लिए ऐसी ही जगहों की खोज में होता है…आंख बंद कर के इस बात की घोषणा की जा सकती है कि वो स्थान प्राकृतिक संसाधनों से सुसज्जित होगा, जहाॅ हाथी जा बसते हैं.

हाथी अपने रहने के लिए उन्हीं स्थानों का चयन करता है, जहाॅ हरियाली बिखरी पड़ी हो क्योंकि यही हरियाली हाथियों के उदरपर्ति में भी सहयोगी होता है..संयोग से ऐसी ही हरियाली मनुष्य भी अपने लिए ढूंढता है.. इंसान और हाथियों के बीच की इसी समानता ने एक हकूक की लड़ाई को भी जन्म दे दिया है.. मानव हाथी द्वंद्व को रोकने की जो सफल कोशिश छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने की है वैसा पहले नहीं हो पाया था. उनकी सरकार आने के बाद ऐसे हादसों में बहुत कमी देखी गई है.

तमोर पिंगला अभयारण्य के पास स्थित घुई वन रेंज के हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र रामकोला वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग की प्रतिबद्धता का उदाहरण है.. हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र रामकोला 4.8 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है जो हाथियों की विशेष देखभाल और प्रबंधन के लिए समर्पित है.. यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र है.. मानव हाथी द्वंद्व के पीछे और भी बहुत सी वजहें हैं ,जो काम कर रही है.. जैसे वनों का घटता क्षेत्रफल, पेड़ पौधों और घांस का लगातार कम होना, फलदार वृक्षों की कमी, जंगली फलों का मानव के द्वारा दोहन, वनों में लगती आग वगैरह… शाकाहारी हाथियों और मनुष्य के खान पान की एकरूपता के अलावा हाथी भारतीय इंसानों से धार्मिक आस्थाओं के चलते भी जुड़ा हुआ है. स्वभाव से हाथी विशालकाय, शक्तिशाली, सामाजिक और शांति प्रिय प्राणी होता है, लेकिन अपनी शांति भंग करने वालो को वह बक्शता भी नहीं है.. इंसानों के द्वारा खेदा किए जाने वाला हाथी का एक छोटा सा बच्चा अपने यौवन काल में भी उस दर्द को भूला हुआ नहीं होता और जब भी पहला मौका मिलता है वो इंसानों को कुचलकर इसका बदला ले लेता है.. राज्य की साय सरकार पूरी दानिशमंदी के साथ इस समस्या का समाधान खोज रही है.

विचाराधीन कैदी की इलाज के दौरान मौत, मजिस्ट्रियल जांच के आदेश, परिजनों ने चौकी में किया था पथराव…

दुर्ग- केंद्रीय जेल में निरुद्ध विचाराधीन कैदी की उपचार के दौरान मेकाहारा अस्पताल में मौत हो गई. तीन दिन पहले कैदी को अस्पताल में भर्ती कराए जाने पर परिजनों ने मारपीट का आरोप लगाता हुए पुलिस चौकी में हंगामा मचाते हुए पथराव किया था. अब कैदी की मौत के बाद पुलिस ने मारपीट को पूर्णतया भ्रामक, बेबुनियाद और निराधार बताते हुए मजिस्ट्रियल जांच की बात कही है. 

बता दें कि तीन दिन पहले लूट के मामले में करीब एक महीने पहले जेल में दाखिल किये गए आरोपी पिंटू नेताम की तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल दाखिल किया गया था. इससे गुस्साए डेरा बस्ती के लोगों ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए स्मृति नगर पुलिस चौकी में जमकर हंगामा मचाते हुए पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया था. घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. आखिरकार भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का बल का प्रयोग करना पड़ा था.

कैदी की मौत के बाद सीएसपी सत्य प्रकाश ने बताया कि थाना सुपेला अंतर्गत चौकी स्मृतिनगर में लूट के प्रकरण में फरीदनगर डेरा निवासी आरोपी पिंटू नेताम को 18 अक्टूबर को अन्य दो आरोपियों के साथ गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया था. आरोपी पिंटू नेताम 18-10-24 से केंद्रीय जेल दुर्ग में निरुद्ध था. गिरफ्तारी के लगभग 28 दिन बाद 15 नवंबर को अचानक उसका ब्लड प्रेशर लो होने पर उपचार के लिए दुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

स्थिति सामान्य होने के बाद उसे 17 नवंबर को वापस जेल भेज दिया गया था. लेकिन 18 नवंबर को पुन: उसका ब्लड प्रेशर लो होने की शिकायत के बाद जेल प्रशासन ने उपचार हेतु रायपुर स्थित मेकहारा अस्पताल में एडमिट कराया था. जहां उपचार के दौरान 21 नंवबर को उसकी मृत्यु हो गई.

रायपुर अब नहीं रहा सुरक्षित! चाकू की नोक पर हुई लूट

रायपुर-  कांपा मोवा रोड पर जूपिटर मोपेड सवार दो बदमाशों ने दुकान जा रहे अवंति गार्डन दलदलसिवनी निवासी एक हार्डवेयर कारोबारी के 21 वर्षीय पुत्र मानिक तलरेजा को रोका और चाकू अड़ा दिया. फिर धमकाते हुए उसकी जेब से मोबाइल फोन और 31 हजार कैश निकाले और फरार हो गए. लुटेरे चेहरे पर कपड़ा बांधे थे और घटना के वक्त कांपा-मोवा रोड पर आवाजाही नहीं थी. गुरुवार दोपहर हुई इस घटना के आधे घंटे के भीतर हरकत में आई पुलिस ने कुछ सुराग मिलने पर लुटेरों को दबोचने छापेमारी तेज कर दी है.

पुलिस सूत्रों के मुतविक लुटेरों की दुपहिया पर नंबर नहीं लिखा था. दोनों ने चेहरे पर काला कपड़ा बांध रखा था. पुलिस के मुताबिक थाने के स्टाफ के अलावा क्राइम ब्रांच की टीमें लगी हुई हैं. लुटेरे मंडी गेट की ओर भागे हैं. सूत्रों ने बताया कि एक घंटे के भीतर लुटेरों का सुराग मिलते ही छापेमारी तेज कर दी गई है.

मतदाता सूची तैयार करने में लापरवाही, कलेक्टर ने शिक्षक और पंचायत सचिव को किया निलंबित…

बलरामपुर-  मतदाता सूची तैयार करने में लापरवाही बरतने पर शिक्षक और पंचायत सचिव पर निलंबन की गाज गिरी है. निलंबन अवधि में दोनों को निर्वाचन कार्यालय में अटैच किया गया है. 

आम निर्वाचन 2024-25 के लिए तैयार मतदाता सूची किया जा रहा है. इस दौरान कार्य में लापरवाही बरतने पर माध्यमिक शाला सिलाजु में पदस्थ शिक्षक रामलाल चौरे और ग्राम पंचायत सिलाजू में पदस्थ पंचायत सचिव बुद्धदेव सिंह को निलंबित किया गया है. निलंबन की कार्रवाई कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने की है.

शराब बंदी पर सियासत: पूर्व मंत्री अमरजीत भगत बोले- यह राम राज्य की परिकल्पना नहीं, नशे का कारोबार बढ़ेगा तो अपराध बढ़ेगा
रायपुर-   छत्तीसगढ़ में शराब बंदी को लेकर सियासत जारी है. शराब बंदी का मामला अब अपराध के साथ-साथ धर्म के मुद्दे से भी जुड़ता नजर आ रहा है. सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष की कांग्रेस पार्टी शराब बंदी को लेकर लगातार एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने आज मीडिया से बातचीत में प्रदेश में शराब बंदी को लेकर सरकार के राम राज्य परिकल्पना पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि राम राज्य की परिकल्पना यह नहीं है. राम राज्य की परिकल्पना यह है कि भय मुक्त शासन चले. शराब परोसने की व्यवस्था पर रोक लगनी चाहिए. अगर सरकार शराब परोसने लगे, तो कौन रोकेगा? राम राज्य की परिकल्पना को आगे बढ़ाने का काम धरातल पर करना चाहिए. जहां नशे का कारोबार बढ़ेगा तब अपराध भी बढ़ेंगे.

धर्मांतरण पर पूर्व मंत्री अमरजीत का बयान

उन्होंने धर्मांतरण को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राजनीति में संवैधानिक व्यवस्था के तहत कानून बने हैं. भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है, सबको पूजा विधि मानने का संवैधानिक अधिकार है. अगर कोई कानून को तोड़ता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होने चाहिए. सरकार बहुत सारी बातें बोलती है लेकिन करती नहीं है. लोगों की भावनाओं को अपने पक्ष में करने बातें बोलते रहती है.

राज्य सरकार पर धान खरीदी में कालाबाजारी का लगाया आरोप

इन दिनों प्रदेश में धान खरीदी का दौर जारी है. इसे लेकर भी पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने राज्य सरकार को घेरा है. उन्होंने राज्य सरकार पर धान खरीदी की कालाबाजारी करने के आरोप लगाए है. पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि कई धान खरीदी केंद्रों में अब तक बोहनी नहीं हुई. एक लिमिट टाइम में कैसे खरीदी और तौलाई होगा. धान खरीदी में इससे कालाबाजारी की संभावना बढ़ जाती है. खेल में माहिर बिचौलिये धान खपाने की कोशिश कर रहे हैं.

राज्य सरकार का मॉनिटरिंग सिस्टम फेल है. एक से 14 नवंबर तक लोगों को स्टॉक करने का कारण मिल गया है. राज्य सरकार ने इसमें कोई कार्रवाई नहीं की है. स्टॉक का ना कोई वेरिफिकेशन हुआ, ना जांच हुई. दूसरे राज्यों से जो धान आते हैं, उसे रोकने के लिए सुरक्षा होनी चाहिए. सरकार की नीति प्रदेश के किसानों के लिए है, इसका हक दूसरे के प्रदेश के लोग ना मारें.

प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर पूर्व मंत्री भगत का बयान

छत्तीसगढ़ में लगातार सामने आ रहे आपराधिक घटनाओं को लेकर पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने राज्य की साय सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की जवाबदारी कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने की है. सरगुजा से बस्तर, मध्य क्षेत्र, राजधानी में हर दिन घटना हो रही है. घटनाओं से लोग चिंतित है और अपराधियों के हौसले बुलंद है. सरकार को नए सिरे से समीक्षा करने की जरूरत है. लोगों को लगना चाहिए कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित है. अपराध के नए नए तरीकों पर रोक लगाना जरूरी है.

रायपुर दक्षिण उपचुनाव में ईवीएम पर पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का बयान

बता दें 13 नवंबर को रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई. इससे पहले कांग्रेस ने ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे. इसे लेकर उन्होंने कहा कि EVM पर प्रश्न आज भी खड़े हैं. पिछले चुनाव से EVM पर प्रश्न आज भी चल रहे हैं. जहां पारदर्शिता नहीं है, ऐसे सिस्टम को लागू करना प्रजातंत्र में उचित नहीं. जिसके ऊपर भी प्रश्न उठा है, उसे बंद कर देना चाहिए.

RTE के भुगतान में हुआ 74 लाख रुपए का खेला! अब विभाग ने दिए FIR कराने के निर्देश…

रायपुर-   शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत स्कूलों को दी जाने वाली प्रतिपूर्ति राशि में 74 लाख रुपए की हेराफेरी के मामले में राज्य शासन ने रायपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) जी. आर. चन्द्राकर के खिलाफ FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं. कई स्तर पर हुई जांच में राशि आबंटन में गड़बड़ी प्रमाणित होने के बाद शासन ने कार्रवाई करने निर्देशित किया है.

बताते हैं कि कुछ स्कूल अस्तित्व में ही नहीं थे और लाखों रुपए जारी कर दिए गए. इसी तरह दो तीन स्कूल के बजाय व्यक्ति के निजी खाते में राशि जमा की गई. आरटीई की राशि में हेराफेरी को लेकर शिकायत हुई तो स्कूल शिक्षा विभाग ने अलग-अलग स्तर पर जांच कराई. इसके बाद पूरे मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ.

अलग-अलग स्तर पर हुई जांच

आरटीई की राशि में हेराफेरी की अलग-अलग स्तर पर जांच हुई. सभी में राशि में हेराफेरी प्रमाणित हुई और पूर्व डीईओ दोषी पाए गए. पहली जांच तत्कालीन संभागीय संयुक्त संचालक एस. के. भारद्वाज ने की. जांच में पाया गया कि जिन लोगों के खाते में रकम भेजी गई, उनमें से कुछ स्कूल काफी समय से बंद थे. वहीं कुछ स्कूलों के नाम पर व्यक्ति के निजी खाते में लाखों रुपए जमा किए गए. एक जांच जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से कर संचालनालय को रिपोर्ट भेजी गई. इसमें बताया गया कि किस तरह जानबूझकर राशि दूसरों के खाते में अंतरित कराई गई. तीसरी जांच समग्र शिक्षा के पूर्व संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव ने जांच की. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आरटीई राशि के आबंटन में गड़बड़ी होने का जिक्र किया.

पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 10 नक्सली ढेर, 3 ऑटोमेटिक गन सहित कई हथियार बरामद …

सुकमा-   कोंटा के भेज्जी इलाके में हुए पुलिस नक्सली मुठभेड़ में जवानों को बड़ी कामयाबी मिली है. सुरक्षाबल के जवानों ने 10 नक्सलियों को मार गिराया है. वहीं मौके से 3 ऑटोमेटिक गन सहित कई हथियार बरामद किए गए है. इसकी पुष्टि DIG कमलोचन कश्यप ने की है.

बता दें कि गुरुवार को ओडिशा के रास्ते बड़ी संख्या में नक्सलियों के छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश करने की सूचना मिली थी, जिसके बाद DRG की टीम नक्सलियों के घेराबंदी के लिए रवाना हुई थी.

शुक्रवार को सुबह सुबह कोंटा के भेज्जी इलाके में नक्सलियों की मुठभेड़ डी.आर.जी के जवानों के साथ हुई है, जिसमें जवानों ने 10 नक्सलियों को ढेर कर दिया है. इलाके में फिलहाल सर्चिंग अभियान जारी है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में हुए शामिल

रायपुर-   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय विगत दिवस राजधानी रायपुर के होटल अंब्रेसिया में छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी को दीपावली की शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मौके पर कहा कि आप सभी ने बहुत सुंदर आयोजन किया है। आप सभी अपने परिवार जनों के साथ आए हैं, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने द साबरमती रिपोर्ट फिल्म का जिक्र करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में इस फिल्म को हमने टैक्स फ्री कर दिया है और अभी मैंने मंत्री गणों और विधायकों के साथ इस फिल्म को देखा है। इस फिल्म में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में हुई घटना को बहुत सुंदर ढंग से फिल्माया गया है। मुख्यमंत्री ने सभी से आग्रह किया कि वे इस फिल्म को जरूर देखें। साथ ही इस फिल्म के संदर्भ में कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है। सीमेंट के सुचारू परिवहन से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। अधोसंरचनाओं का निर्माण हम समय पर पूरा कर पाते है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के कार्यों की सराहना की।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अंजय शुक्ला सहित अन्य पदाधिकारी गण और उनके परिजन उपस्थित थे।

जहर से नहीं हुई थी बाघ की मौत : वन एवं पर्यावरण संरक्षण मंडल की सचिव ने हाईकोर्ट ने दिया शपथ पत्र

बिलासपुर- बीते दिनों कोरिया में एक बाघ की मौत और बलरामपुर में करंट लगाकर हाथी को मारने के मामले में राज्य की वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग की अतिरिक्त सचिव ऋचा शर्मा ने गुरुवार को हाईकोर्ट में शपथपत्र पेश किया. कोर्ट को बताया गया कि बाघ की पीएम रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई है. बीमारी से मौत की संभावना है. बिसरा रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने मामले को मॉनिटरिंग में रखने कहा है, इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी.

दरअसल, कोरिया जिला अंतर्गत टाइगर रिजर्व क्षेत्र गुरू घासीदास नेशनल पार्क में 8 नवंबर को नदी किनारे बाघ का शव मिला था. कोरिया जिले के सोनहत भरतपुर सीमा में देवशील कटवार ग्राम के नदी किनारे उक्त बाघ का शव बरामद किया गया था. घटना की शुरुआती जांच में मृत बाघ के नाखून, दांत और आंख जैसे अंग गायब थे. प्रथम दृष्टया यह अनुमान लगाया गया कि बाघ को जहर देकर मारा गया है. मामले में चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेकर कहा था कि स्थिति को देखकर लग रहा है कि बदले की भावना से बाघ को मारा गया है. कोर्ट ने निर्देशित किया कि बाघों की मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच की जाए और इस मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह दूसरी मौत है. टाइगर हिंदुस्तान में जल्दी मिलता नहीं, यहां हैं तो संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं बलरामपुर में भी खेत में लगाये गए बिजली करंट से एक हाथी के मारे जाने की घटना पर भी कोर्ट ने संज्ञान लिया था. मामले में अतिरिक्त सचिव ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. एक अन्य घटना में हाथी शावक पोटाश बम से घायल हो गया था, इस संबंध में सचिव ने बताया कि शावक का इलाज कराया गया है, जिसके बाद वह स्वस्थ है और अपने दल में शामिल हो चुका है.

बस्तर ओलंपिक पर मंत्री केदार कश्यप का बड़ा बयान, कहा- अव्यवस्था पर होगी कार्रवाई

रायपुर-  सुकमा में आयोजित बस्तर ओलंपिक में नजर आई अव्यवस्था पर मंत्री केदार कश्यप ने संज्ञान लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बस्तर में ओलंपिक खेल देखने जा रहा हूं. अव्यवस्था नजर आई तो कार्रवाई की जाएगी. 

बता दें कि सुकमा के मिनी स्टेडियम में आयोजित किए जा रहे बस्तर ओलंपिक जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आई थी, जिसमें कोंटा ब्लॉक से आए 700 से अधिक खिलाड़ियों को नाश्ते और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं दी गई. सुबह 11 बजे केवल पोहा परोसा गया और शाम 5.30 बजे तक बच्चों को कोई अन्य खाना नहीं मिला.

खेलों में भाग लेने के लिए बच्चों को भूखे पेट खेलना पड़ा, जिससे उनकी थकावट और परेशानी साफ नजर आई. बच्चों ने बताया कि शाम को जब खाना मिला, तब तक वे बहुत थक चुके थे. उनके साथ आए शिक्षक भी भूखे थे. अव्यवस्था पर खिलाड़ियों के साथ-साथ शिक्षकों ने भी नाराजगी जताते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी.