जय श्री कृष्ण जय श्री राधे, कालभैरव अष्टमी (23 नवंबर 2024) ✒️योगी गुरु जी( आध्यात्मिक गुरु) गोदावरी, गयाजी धाम (बिहार) पिन कोड:-823001
कालभैरव अष्टमी, भगवान कालभैरव की पूजा का एक विशेष पर्व है. यह पर्व विशेष रूप से हिंदू धर्म में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. यह पर्व विशेष रूप से भगवान शिव के रूप में पूजे जाने वाले कालभैरव की उपासना का दिन है. कालभैरव को भगवान शिव का एक रौद्र रूप माना जाता है. वे समय के अधिपति और सृष्टी के संहारक माने जाते हैं. कालभैरव का यह रूप भक्तों के लिए खास है, क्योंकि वे समय और मृत्यु के देवता हैं, जिनकी पूजा से भय, संकट और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है.
कालभैरव स्वरूप: भगवान कालभैरव का रूप अत्यंत डरावना और शक्तिशाली होता है. यह स्वरुप आसुरी प्रवर्ति के मानव हेतु धारण किया गया. सद्मार्ग पर चलते हुए कोई भी मनुष्य इनसे भयभीत नहीं होगा. अपितु स्वयं भैरव जी ही मार्गदर्शक की भूमिका अदा करते है. उनका शरीर काले रंग का होता है, वे हाथ में त्रिशूल और डमरू पकड़े हुए होते हैं. उनके माथे पर तीसरी आँख और गले में मृत्युसंकेत माला होती है. कालभैरव का वाहन कुत्ता होता है, जिसे वे अपना प्रिय साथी मानते हैं. उन्हें भक्तों के द्वारा उनके रौद्र रूप के लिए पूजा जाता है, ताकि वे जीवन में आने वाली कठिनाइयों से उबार सकें और सुख-शांति का आशीर्वाद दे सकें
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महापर्व का महत्व: मार्गशीष माह की कृष्ण अष्टमी विशेष महापर्व के रूप में दुनियाभर में एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है. प्रत्येक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी रूप में पूजन हेतु श्रेष्ठ होती है. इस दिन भक्त विशेष रूप से कालभैरव की पूजा करके उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं. माना जाता है कि इस दिन की पूजा से कालभैरव अपने भक्तों के सारे भय और कष्टों को समाप्त करते हैं और उनके जीवन को सुखमय बनाते हैं. यह दिन खासतौर पर उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो मृत्यु, समय या शत्रुओं के भय से परेशान रहते हैं.
कालभैरव अष्टमी के दिन, भक्त प्रात:काल स्नान करने के बाद कालभैरव के मंदिर जाते हैं और विशेष पूजा करते हैं. पूजा में आमतौर पर निम्नलिखित विधियाँ शामिल होती हैं:
व्रत का आयोजन: भक्त इस दिन उपवासी रहते हैं और विशेष रूप से कालभैरव की पूजा करते हैं.
मंत्र जप: कालभैरव के मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे "ॐ कालभैरवाय नम:."
धूप-दीप जलाना: मंदिर में या घर में दीपक जलाकर भगवान कालभैरव को अर्पित किया जाता है.
पुण्य कार्य: इस दिन अच्छे कार्यों का संकल्प लिया जाता है, जैसे गरीबों को भोजन देना या दान करना.
कुत्तों की पूजा: चूंकि कालभैरव के वाहन कुत्ते हैं, इस दिन कुत्तों को खाना खिलाना भी एक शुभ कार्य माना जाता है.
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