*राम की भांति त्याग से ही मिलेंगे भरत और लक्ष्मण से समर्पित भाई: ब्रम्हानंद महाराज*
गोरखपुर- क्षेत्र के बिहारी बुजुर्ग में गांव में चल रही 9 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ और रामकथा में अयोध्या से पधारे कथा व्यास ब्रह्मानन्द महाराज ने श्रोताओं को भरत के चरित्र की महिमा सुनाकर श्रद्धालु श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने छोटे भाई भरत के लिए अयोध्या का राज सौंप कर स्वयं वन में रहना पसंद किया तो वहीं छोटे भाई भरत जी ने भगवान श्रीराम की चरण पादुका को राज सिंहासन पर रखकर अयोध्या में अपने आदर्श आचरण का परिचय दिया। साथ ही चौदह वर्षों तक नंदीग्राम में भूमि पर शयन करते हुए एक वनवासी की भांति ही रहकर संसार के समक्ष उच्च मानवीय आदर्श और बड़े भाई के प्रति अपने अनन्य प्रेम और समर्पण को प्रस्तुत किया।
वहीं भगवान राम ने कहा था कि भरत हमारे रघुकुल के हंस हैं जो इस कुल में अवतरित होकर सिर्फ गुणों को ग्रहण करते हैं। इतना ही नहीं जब लक्ष्मण जी ने भरत जी के प्रति राज मद् होने की शंका की तो भगवान ने लक्ष्मण से कहा कि हे भाई भरत को कभी राज मद् नहीं हो सकता। व्यासपीठ से उन्होंने कहा कि राम चरित मानस एक आदर्श जीवन जीने के लिए पथ प्रदर्शक की भांति है जब आप राम जैसा व्यवहार करेंगे तभी छोटे भाईयों से भरत, लक्ष्मण जैसे आचरण और सम्मान पाने की आशा कर सकते हैं।
कथा के अंतिम दिन देव दीपावली के पावन पर्व पर आयोजित श्रीराम महायज्ञ के समापन पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की साथ ही सायंकाल एक हजार दिए जलाकर भव्य दीपोत्सव मनाया गया। समापन के अवसर पर आयोजकों ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार जताया साथ ही इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों को निरंतर आयोजित करने का सामुहिक संकल्प लिया।
मुख्य यजमान सुग्रीव मिश्रा सपत्नीक आचार्य पंडित हरिओम पांडेय आयोजक राहुल पांडेय कार्य समिति अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अजय पांडेय कोषाध्यक्ष प्रभात दुबे सचिव केशव पांडेय मार्गदर्शक प्रह्लाद पांडेय, अनिरुद्ध पांडेय ,सुभाष पांडेय, धीरेंद्र दुबे, नितेश पांडेय, सुरेन्द्र मौर्य, देवेंद्र पांडेय, मुकेश पांडेय, सुनील पांडेय, दयाराम मौर्य, राकेश भारती और ग्रामवासीयों ने अपना अमूल्य समय व श्रम दान कर 9 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ और कथा रासलीला के आयोजन को संपन्न कराया।
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