Bhopal News : अदालत ने कहा "तलाक" न कराएं, दारुल कजा ने करवा दिया, पति को खबर ही नहीं थी, जानिए क्या हुई गड़बड़ी
खान आशु
भोपाल। जबलपुर हाईकाेर्ट में पहुंचे एक मामले में फैसला आया, मसाजिद कमेटी के अधीन काम करने वाली दारुल कजा तलाक के फैसले न किया करे। यह काम अदालत का है, इस प्रक्रिया को वहीं से होने दें।
वर्ष 2020 में आए इस आदेश को कुछ दिनों गंभीरता से लिया भी गया। लेकिन धीरे धीरे हालात फिर मनमर्जी के बनते गए। स्थिति यहां तक भी पहुंची कि समझौता करने के लिए पहुंचे एक मियां बीवी को परामर्श देने की बजाए गुपचुप तलाक करवा दिया गया। पति को इस गड़बड़ी की खबर अब लगी है, जबकि वह परामर्श प्रक्रिया के बाद से लगातार अपनी पत्नी के साथ पारिवारिक जीवन व्यतीत कर रहा था।
मामला तीन जिलों की व्यवस्था सम्हालने वाली मसाजिद कमेटी से जुड़ा है। कमेटी के अधीन काम करने वाली संस्था दारुल कजा पिछले कई दशकों से निकाह और तलाक के काम करती रही है। समांतर अदालत के तौर पर किए जा रहे तलाक के मामलों को लेकर शिकायत हुई। मामला जबलपुर हाईकाेर्ट पहुंचा और वर्ष 2020 में अदालत ने तलाक मामलों का निपटारा अदालत से ही करने की ताकीद कर दी।
फिर यह हुआ
सूत्रों के मुताबिक रईस खान और आफरीन बी के बीच आपसी मनमुटाव हुआ। नौबत तलाक तक जा पहुंची। दारुल कजा में अर्जी दाखिल की गई। दोनों मियां बीवी को परामर्श के लिए बुलाया गया। सूत्रों का कहना है कि इस बीच कमेटी के तत्कालीन अधीक्षक सैयद उवैस अली ने रईस खान से कुछ दस्तावेज भी हस्ताक्षर भी कराए। कहा गया था कि यह कागजी कार्रवाई महज एक खानापूर्ति है, जिनका कोई उपयोग नहीं है। लेकिन बताया जा रहा है कि अधीक्षक द्वारा कराए गए दस्तखत पति द्वारा तलाक के लिए दी गई सहमति थी।
बरसों बाद चला पता
जानकारी के मुताबिक आपसी फुटोव्वल के बाद रईस और आफरीन में सुलह हो गया। वे पुनः एक साथ रहने लगे। लेकिन पिछले दिनों उनके बीच फिर विवाद गहरा गया। मामला जहांगीराबाद थाने पहुंचा। पति रईस खान जब अपनी पत्नी आफरीन को सुसराल पक्ष द्वारा उसके सुसराल न भेजने की शिकायत लेकर पहुंचा, तो थाने से उसे एक कागज थमा दिया गया, जिसे तलाकनामा बताया जा रहा है। इस्लामी शरीयत के खिलाफ पुलिस द्वारा कहा जा रहा है कि रईस को उसकी पत्नी आफरीन ने तलाक दे दिया है। इस लिहाज से वह अब अपनी पत्नी को घर ले जाने का अधिकार नहीं रखता है।
अब रईस लगा रहा चक्कर
अदालत के आदेश के बाद भी दारुल कजा से हो रहे तलाक मामलों से रईस हतप्रभ है। वह मसाजिद कमेटी, अपने सुसराल और थाने के चक्कर लगा रहा है। सुसराल या थाने से उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। मसाजिद कमेटी में कभी अधीक्षक रहे सैयद उवैस अली अब इसी कमेटी के प्रभारी सचिव के पद पर आसीन हैं। इसलिए अपने हाथों से हस्ताक्षरित फैसले को बदलने को तैयार नहीं हैं।
इनका कहना है
पीड़ित पति रईस खान का कहना है कि जब अदालत ने तलाक मामलों पर पाबंदी लगा दी है तो दारुल कजा इस तरह के आदेश जैसे जारी कर सकती है। उनका कहना है कि यह मामला अदालत की अवमानना के साथ धोखाधड़ी का भी है, क्योंकि उन्होंने कभी तलाकनामा पर दस्तखत नहीं किए हैं। थाने और सुसराल वालों द्वारा कहा जा रहा यह वाक्य कि पत्नी आफरीन ने अपनी तरफ से तलाक दे दिया है, शरई तौर पर गलत है। कारण यह है कि इस्लामी मान्यता के अनुसार कोई महिला उसके पति को तलाक नहीं दे सकती है।
Nov 14 2024, 17:26