आजमगढ़। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1857 के विद्रोह में सिराजे हिन्द(जौनपुर) के राजा इदारत जहां की जन्मस्थली
माहुल को आज भी पर्यटन विभाग का इंतजार है। इस स्थान का सुंदरीकरण कर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। राजा और उनके 39 साथियों की मजार
माहुल के डॉ जाकिर हुसैन नगर वार्ड नम्बर 7 रौजा मीरा मोहल्ला में स्थित है।
माहुल की अंग्रेजों से सुरक्षा के लिए अपने बेटे राजा मुजफ्फर जहां को
माहुल का प्रभारी बनाया था। राजा इदारत जहां की याद में सबेरात पर दीपोत्सव का पर्व मनाया जाता है।
सिराजे हिन्द के राजा इदारत जहां और उनके भाई वसारत जहां का जन्म
माहुल में हुआ था। अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे 1857 आंदोलन के दौरान इदारत जहां सिराजे हिन्द के राजा थे। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा लगाए गए मालगुजारी के खिलाफ विद्रोह चल रहा था। अवध और लखनऊ के नबाबों ने अंग्रेजों के सामने सरेंडर कर दिया था। लेकिन सिराजे हिन्द के राजा इदारत जहां ने विद्रोह कर दिया था। जिसके चलते अंग्रेजी हुकूमत उनके पीछे पड़ गयी थी। राजा इदारत जहां ने अंग्रेजों को मालगुजारी न देकर दिल्ली के राजा बहादुर शाह जफर को मालगुजारी देने का निर्णय लिया था। अंग्रेजी हुकूमत ने कई बार इन पर आक्रमण किया, लेकिन सफल नहीं हो सकी। अंग्रेजों ने इनके भाई वसारत जहां को अपने साथ मिला लिया। राजा इदारत जहां के साथियों ने इसकी जानकारी भी दिया। लेकिन राजा को भरोषा नहीं हुआ। वसारत जहां ने अंग्रेजों द्वारा बिछाए गए जाल के अनुसार राजा इदारत जहां को फूलपुर के तिघरा में मुहर्रम के लिए बुलाया। जहां पर पहले से ही मक्का के खेत में अंग्रेजी सेना छुपी हुई थी। राजा इदारत जहां अपने 39 साथियों के साथ पहुँचे थे। अंग्रेजी सिपाहियों ने सभी का वहीं पर कत्ल कर दिया था। राजा इदारत जहां के बेटे
माहुल के प्रभारी राजा मुजफ्फर जहां वहां से सभी के शव लाकर
माहुल के रौजा में दफन किया। इसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें भी बंदी बनाकर आगरा की जेल में बंद कर दिया। सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक फ्रीडम स्ट्रगल 1857 में राजा इदारत जहां का उल्लेख मिलता है।
माहुल के डॉ जाकिर हुसैन नगर रौजा मीरा मोहल्ला में राजा इदारत जहां की मजार है। जहां पर उनके साथियों को भी दफन किया गया है।
*अयोध्या और काशी के मध्य स्थित
माहुल को भी पर्यटन बनाने की चल रही मांग*
राजा इदारत जहां की जन्मभूमि अयोध्या, किछौछा शरीफ, दुर्वाषा और काशी के मध्य स्थित है। इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, इसकी मांग भी उनकी पीढ़ियों द्वारा लगातार की जा रही है। इन्ही के बंशज कैफी आजमी अकेडमी के आला इंडिया महासचिव सैयद मेंहदी हसन ने बताया कि इस संबंध में प्रमुख सचिव से वार्ता हुई है।
*आज भी
माहुल के चारों ओर झील की शक्ल में जगह और गुड़गुज मौजूद*
माहुल की सुरक्षा के लिए अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बनाई गई गुड़गुज(टीले)
माहुल के दक्षिणी भाग में हैं। टीले पर खजूर के पेड़ रौजा की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं। लेकिन देख रेख न होने के कारण धीरे धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। गुड़गुज के बगल में झील की शक्ल में खनक जल निकासी में सहयोगी था। वह भी पट्टा कर दिया गया है। जल निकासी अवरूद्ध है। गंदा पानी लगा हुआ है।
माहुलके जाने का केवल एक रास्ता था।
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माहुल की सुरक्षा के लिए चारों तरफ लगी थी तोप, तोप मोहल्ला आज भी मौजूद*
सैयद मेहंदी हसन ने बताया कि
माहुल की सुरक्षा के लिए चारों तरफ तोप लगाई गई थी।
माहुल में स्थित अस्पताल के पास भी तोप लगी थी। पवई रोड पर तोपखाना था। आज भी वह जगह तोप मोहल्ला के नाम से जानी जाती है। राजा इदारत जहां के बेटे राजा मुजफ्फर जहां
माहुल के पवई रोड पर उनकी कोर्ट लगती थी। जिसे आज सल्लाहगढ़ के नाम से जाना जाता है। यहां के डीएम, एसडीएम और
माहुल नगर पंचायत अध्यक्ष की जिम्मेदारी है कि इस स्थान को पर्यटन के रूप में विकसित करें।
पुराना कस्बा राजा इदारत जहां द्वारा बसाया गया था।
माहुल के चारों ओर पुरानी पोखरी
माहुल की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी। अब उसमें गंदगी लगी है। जानवर पानी पीकर मर जाते हैं। बचपन के हम लोग इसी में नहाते थे। डीएम साहब को इस बारे में लिखा जाएगा। डीएम साहब भी सुंदरीकरण के लिए उत्सुक रहते हैं।
माहुल का सुंदरीकरण बहुत जरूरी है। पूर्वजों की धरोहर को सुरक्षित रखना जिम्मेदारी है। कहीं से बजट मिलता है तो सुंदरीकरण का कार्य कराया जाएगा।
लियाकत अली, अध्यक्ष नगर पंचायत माहुल।
Nov 01 2024, 17:26