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बंगाल में क्यों मनाई जाती है काली पूजा? जानें पौराणिक कथा!

दिवाली का त्योहार पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. हर राज्य में दिवाली की पूजा भी अलग-अलग तरह से होती है. लेकिन इस दिन बंगाल में मां काली की पूजा की जाती है.

यहां दिवाली को काली पूजा के नाम से जाना जाता है. बंगाल में इस दिन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिवाली पर आधी रात को मां काली की विधिवत पूदा करने पर व्यक्ति के जीवन सभी दुख और संकट दूर होते हैं. इसके अलाव शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है.

बंगाल में क्यों होती है काली पूजा?

बंगाल में दिवाली के दिन मां काली की पूजा करने को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार, एक बार चंड- मुंड और शुंभ- निशुंभ आदि दैत्यों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था. जिसके बाद उन्होंने इंद्रलोक तक पर कब्जा करने के लिए देवताओं से युद्ध शुरू कर दिया. तब सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे दैत्यों से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना की. भगवान शिव ने माता पार्वती के एक रूप अंबा को प्रकट किया. माता अंबा ने इन राक्षसों का वध करने के लिए मां काली का भयानक रूप धारण किया और अत्याचार करने वाले सभी दैत्यों का वध कर दिया. उसके बाद अति शक्तिशाली दैत्य रक्तबीज वहां आ पहुंचा.

रक्तबीज एक ऐसा दैत्य था जिसके रक्त की एक बूंद जमीन पर गिरते ही उस रक्त से एक नया राक्षस पैदा हो जाता था, इसीलिए उसे रक्तबीज कहा गया. मां काली ने रक्त बीज का वध करने और दूसरे रक्तबीज का जन्म होने से रुकने के लिए अपनी जीभ बाहर निकाली और अपनी तलवार से रक्तबीज पर वार किया और उसका रक्त जमीन पर गिरे, उसके पहले ही वे उसे पीने लगीं. इस तरह रक्तबीज का वध हुआ लेकिन मां काली का क्रोध शांत नहीं हुआ. वे संहार की ही प्रवृत्ति में रहीं. मां काली के इस स्वरूप को देखकर ऐसा लग रहा था कि अब सारी सृष्टि का ही संहार कर देंगी. जैसे ही भगवान शिव को इसका आभास हुआ तो वे चुपचाप मां काली के रास्ते में लेट गए.

मां काली भगवान शिव का ही अंश हैं इसीलिए उन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है. उन्हें अनंत शिव भी कहा जाता है क्योंकि उनकी थाह कोई लगा ही नहीं सकता.जब मां काली आगे बढ़ीं तो उनका पैर शिवजी की छाती पर पड़ा. अनंत शिव की छाती पर पैर पड़ते ही मां काली चौंक पड़ीं क्योंकि उन्होंने देखा कि यह तो साक्षात भगवान शिव हैं. उनका क्रोध तत्काल खत्म हुआ और उन्होंने संसार के सभी जीवों को आशीर्वाद दिया. इसलिए कार्तिक मास की अमावस्या को मां काली की पूजा की जाती है.

मां काली की पूजा विधि

मां काली की पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें. देवी काली की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें, और इसे लाल या काले कपड़े से सजाएं. मां काली का आह्वान करें और उन्हें पूजा में आमंत्रित करें. देवी की मूर्ति पर जल, दूध, और फूल अर्पित करें.सिंदूर, हल्दी, कुमकुम, और काजल चढ़ाएं. मां काली को फूलों की माला पहनाएं. सरसों का तेल का दीपक जलाएं और कपूर से आरती करें.धूप या अगरबत्ती जलाकर मां काली के सामने रखें.मिठाई, फल, और नैवेद्य मां को अर्पित करें.”ॐ क्रीं काली” या “क्रीं काली” का जाप करें. यह मंत्र मां काली को बहुत प्रिय हैं. उसके बाद मां काली की कपूर से आरती कर पूजा संपन्न करें.

इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी पूरी, दिवाली पर दोनों सेनाएं एक-दूसरे को देंगी मिठाइयां!

पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया अब पूरी हो गयी है. दिवाली के अवसर पर गुरुवार को दोनों सेनाओं की ओर से एक-दूसरे को मिठाइयां दी जाएंगी.

सेना से मिली जानकारी के अनुसार भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद यह पहल शुरू हुई है.

पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग मैदानों में चीन और भारत के बीच दो टकराव के बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है और जल्द ही इन बिंदुओं पर सेना की ओर से गश्त शुरू हो जाएगी. सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सेना के दोनों पक्षों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान गुरुवार को दीवाली के अवसर पर होगा.

सेना के सूत्रों का कहना है कि सेना की वापसी के बाद अब सत्यापन पर काम हो रहा रहा है. दोनों सेनाओं के ग्राउंड कमांडरों के बीच गश्त के तौर-तरीकों पर फैसला होना अभी बाकी है. बातचीत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्थानीय कमांडर स्तर पर बातचीत शुरू की जाएगी.

कोर कमांडर स्तर पर बातचीत को दिया गया अंतिम रूप

सेना के आला अधिकारी के अनुसार यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. समझौते की रूपरेखा पर पहले राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों की ओर से हस्ताक्षर किए गए और फिर चीन और भारत के सैन्य अधिकारियों की बीच सैन्य स्तर की बातचीत शुरू हुई. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई. इस बातचीत के दौरान समझौते की बारीकियों को अंतिम रूप दिया गया.

दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बाद दोनों पक्षों ने वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. भारतीय सैनिकों ने अपने उपकरण वापस लाना शुरू कर दिया है. यह प्रक्रिया पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समझौते के बाद शुरू हुई है. गश्त और सैनिकों की वापसी पर दोनों देशों के बीच समझौते हुए थे.

गलवान में झड़प के बाद खटास में आएगी कमी

दोनों देशों के बीच पिछले चार साल से गतिरोध चल रहा था. इस समझौते के बाद गतिरोध समाप्त करने में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है.

बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. इस झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी. गलबान में दोनों पक्षों में सैन्य संघर्ष हाल के दिनों में हुए संघर्ष में सबसे ज्यादा गंभीर थे. सेना के अधिकारी के अनुसार दोनों सेनाओं के बीच क्षेत्रों और गश्त की स्थिति को अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में आने की उम्मीद है.

चुनाव आयोग की कड़ी नजर, पुलिस ने जब्त किया 4 करोड़ 25 लाख कैश!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही ब्लैक मनी का मिलना जारी है. महाराष्ट्र गुजरात बॉर्डर पर पुलिस ने फिर 4 करोड़ 25 लाख कॅश बरामद किया है. चुनाव के मद्देनजर पालघर जिले में गुजरात दादरा नगर हवेली और दमन की सीमाओं पर नाकाबंदी की गई है. इसी नाकाबंदी में करोड़ों की नकदी जब्त की गई है. तलासरी पुलिस ने इन्हें जब्त किया है.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार ये कैश एक वैन में लाया जा रहा था. वैन चालक के पास उस नकदी को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं थी तो उसे जब्त कर लिया गया.

मामले की जांच की जा रही है कि कैश किसने और क्यों भेजा? पुलिस सूत्रों के मुताबिक अवैध रूप से चुनाव में इस्तेमाल के लिए ये नगदी भेजी जा रही थी.

राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं. फिलहाल महाराष्ट्र में आचार संहिता लागू है. इसलिए पुलिस महाराष्ट्र की सड़कों और गलियों पर कड़ी नजर रख रही है. आचार संहिता के दौरान अवैध धन रखने वालों पर चुनाव आयोग की टीम, पुलिस और आयकर विभाग की नजर है.

22 अक्टूबर को पुलिस ने जब्त किए थे 5 करोड़ कैश

इससे पहले 22 अक्टूबर को पुणे के खेड़-शिवपुर इलाके में एक कार से करीब 5 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी. बता दें कि राजगढ़ पुलिस को सूचना मिली कि पुणे सातारा रोड पर एक वाहन से नकदी ले जायी जा रही है. इसी के तहत राजगढ़ पुलिस ने खेड़-शिवपुर टोल बूथ पर जाल बिछाया. शाम करीब 6 बजे एक संदिग्ध गाड़ी टोल बूथ पर आई. गाड़ी की जांच की गई. पुलिस को इसमें नकदी मिली. इस दौरान पुलिस ने संबंधित वाहन से नकदी जब्त कर ली. साथ ही इस गाड़ी में सवार चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था.

24 अक्टूबर को मिले थे 25 लाख कैश

इसी तरह से 24 अक्टूबर को लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता चल रपुणे और पिंपरी चिंचवड़ में अवैध धन ले जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई. पिंपरी चिंचवड़ में 25 लाख कैश जब्त किए गए थे. इससे पहले पुणे शहर के शनिवारवाड के पास 3 लाख 80 हजार रुपए जब्त किए गए थे.

चुनाव आयोग के कर्मचारी और पुलिस की टीमें पिंपेर चिंचवड़ में गश्त कर रही थीं. यह रकम वाकड सीमा में एक वाहन की जांच के दौरान मिली थी. जब इस बारे में पूछा गया तो संबंधित कोई जवाब नहीं दे सके. लोकसभा चुनाव के दौरान यह रकम पकड़ी गई और टीम ने इसे जब्त कर लिया. चुनाव आयोग ने जानकारी दी थी कि जिस संबंधित व्यक्ति से रकम जब्त की गई है, वह स्थानीय है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: कांग्रेस का मेनिफेस्टो 6 नवंबर को होगा जारी!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का मेनिफेस्टो 6 नवंबर को मुंबई में जारी होगा. इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहेंगे. इसके अलावा एनसीपी (शरद गुट) के शरद पवार और शिवसेना (UBT) के उद्वव ठाकरे भी रहेंगे.

इसी दिन नागपुर में संविधान बचाव आंदोलन होगा. दोपहर 1 बजे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे इसमें शामिल होंगे. फिर शाम 6 बजे मुंबई में MVA की बड़ी सभा होगी जिसमें उद्धव ठाकरे, शरद पवार समेत कई नेता शामिल होंगे.

20 नवंबर को होगी वोटिंग

राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 20 नवंबर को होगी और मतों की गिनती तीन दिन बाद की जाएगी. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि 7,995 उम्मीदवारों ने निर्वाचन आयोग के पास 10,905 नामांकन दाखिल किए हैं.

मंगलवार को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि थी. उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करना 22 अक्टूबर को शुरू हुआ और यह प्रक्रिया 29 अक्टूबर को समाप्त गई. नामांकन पत्रों का सत्यापन और जांच 30 अक्टूबर को होगी तथा उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि चार नवंबर को अपराह्न तीन बजे तक है.

राज्य की 288 सदस्यीय

विधानसभा के लिए 20 नवंबर को होने वाले चुनाव के वास्ते नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर थी और उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच 30 अक्टूबर को की जाएगी. चुनावी जंग से नाम वापस लेने की अंतिम तिथि चार नवंबर है.

कितनी सीटों पर लड़ रही कांग्रेस

महा विकास आघाडी (एमवीए) में कांग्रेस 103 सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना (यूबीटी) 89 और शरद गुट की एनसीपी 87 सीट पर चुनाव लड़ रही है. छह सीट एमवीए के अन्य सहयोगियों को दी गई हैं, जबकि तीन विधानसभा सीट पर कोई स्पष्टता नहीं है.

राहुल गांधी का रेलवे व्यवस्था पर बड़ा हमला: केंद्र सरकार पर निशाना, जनता से की आवाज उठाने की अपील!

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने दिवाली के समय ‘रेल यात्रा में बहुत सारे लोगों को पेश आ रही दिक्कतों’ का हवाला देते हुए मंगलवार को दावा किया कि रेलवे व्यवस्था टूट रही है और यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है. कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, इस समय कोई लोगों की सुनने वाला नहीं है.

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक वीडियो शेयर की जिस में रेल में लोगों की भारी भीड़ नजर आ रही है. वीडियो शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कहा, इस दिवाली पर करोड़ों भारतीय अपने परिवार से मिलने रेल से यात्रा करेंगे. दैनिक यात्री हो या पर्यटक, शहरी हो या ग्रामीण, श्रमिक हो या उद्योगपति – रेलवे हर भारतीय की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा या आधार है. अगर हमारी ट्रेनें रुक जाएं, तो भारत थम जाएगा.

रेलवे व्यवस्था टूट रही है”

राहुल गांधी ने कहा, भारत को ऐसी बेहतरीन रेल सुविधा चाहिए जो सभी लोगों के लिए हो. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि आज बालासोर से बांद्रा तक, हमारी रेलवे व्यवस्था टूट रही है और यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है. इस समय, जब लोगों की बात सुनी जानी चाहिए तब कोई सुनने वाला नहीं है.

राहुल गांधी ने जनता से कहा, एक बेहतर भारत बनाने के लिए मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप अपनी आवाज उठाएं. अगर आपको रेल व्यवस्था में कोई कमी दिखती है, या आपके पास सुधार के लिए कोई सुझाव है, तो कृपया अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करें. आइए हम सब मिलकर अपने सपनों का भारत बनाएं.

बांद्रा टर्मिनस पर मची थी भगदड़

भारत में बहुत जल्द दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. इसी के चलते अपने घरों से दूर रह रहे लोग अपने घरों की तरफ इन दिनों जाते हैं और इन दिनों ट्रेन से लेकर बस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लोगों की भारी भीड़ दिखाई देती है. हाल ही में दिवाली और छठ के मौके पर भारी भीड़ होने के चलते मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर भगदड़ मच गई थी और 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

ब्रिटिश शाही परिवार की बेंगलुरु यात्रा: स्वास्थ्य और शांति की खोज में!

ब्रिटेन के राजा चार्ल्स बेंगलुरु में एक सीक्रेट ट्रिप पर हैं. जहां वे व्हाइटफील्ड के पास एक विशाल एकीकृत चिकित्सा सुविधा सेंटर में ठहरे हैं. यह उनके राज्ययाभिषेक के बाद शहर की पहली यात्रा है, जो 6 मई को यूनाइटेड किंगडम के राजा के रूप में हुई थी. उनके साथ रानी कैमिला भी हैं. यह हेल्थ सेंटर अपने पुनर्जीवनीकरण उपचार के लिए प्रसिद्ध है. यहां योग, ध्यान और विशेष उपचार के जरिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जाता है.

अधिकारी बताते हैं कि तीन दिन की इस यात्रा के दौरान, शाही दंपति ने केंद्र के चारों ओर लंबी सैर का आनंद लिया है और पास के जैविक फार्म का भी दौरा किया है. इससे उन्हें न सिर्फ शांति मिल रही है, बल्कि प्रकृति के करीब आने का भी अनुभव हो रहा है.

क्यों आएं राजा?

सूत्रों के मुताबिक, राजा और रानी मध्य सप्ताह में वापस लौटने की योजना बना रहे हैं. इस स्वास्थ्य केंद्र से उनकी पुरानी यादें भी जुड़ी हैं, क्योंकि 2019 में अपने 71वें जन्मदिन के अवसर पर राजा चार्ल्स यहां आए थे और इसी केंद्र में इसे मनाया था. 30 एकड़ में फैले इस केंद्र में पहले भी राजा को स्वास्थ्य लाभ के लिए कई उपचार दिए गए हैं, और यह स्थान अपने शांत वातावरण और हरियाली के लिए जाना जाता है. ब्रिटिश शाही परिवार के इस दौरे के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

लोगों का किया धन्यवाद

रॉयल फैमिली के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स एक्स पर भी इस यात्रा का कोई जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि, इसे शाही परिवार के एक निजी दौरे के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए सार्वजनिक स्तर पर इसका प्रचार नहीं किया गया है. राजा चार्ल्स और रानी कैमिला ने ऑस्ट्रेलिया और सामोआ का दौरा भी किया था. वहां उन्होंने लोगों से मिले गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए अपना आभार व्यक्त किया था. इस यात्रा के अंत में राजा चार्ल्स ने अपने संदेश में कहा था, हम दोनों राष्ट्रों का इतने शानदार स्वागत और यादगार पलों के लिए धन्यवाद करते हैं. ये यादें हमारे दिलों में वर्षों तक रहेंगी.

भारतीय रेलवे में यात्री सुविधाओं की कमी: सप्तक्रांति एक्सप्रेस में बिजली खराब होने से यात्रियों को रातभर परेशानी!

भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को लगातार बेहतर सुविधाएं देने के लिए काम कर रहा है. हालांकि बीते दिन एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने यात्रा के दौरान दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. 29 अक्टूबर की रात मुजफ्फरपुर से आनंद विहार जाने वाली 12557 सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस की बी-फोर बोगी की बिजली खराब हो गई, जिसे पूरी रात ठीक नहीं किया गया. बिजली खराब होने की वजह से कोच में सवार सभी यात्रियों को रातभर परेशानी का सामना करना पड़ा

कोच के यात्रियों ने जब इसकी शिकायत रेलवे बोर्ड, रेल मंत्री और संबंधित क्षेत्र के डीआरएम के एक्स हैंडल पर की तो मुजफ्फरपुर जंक्शन पर रेल महकमे में हलचल मच गई. सोनपुर मंडल के डीआरएम विवेक भूषण सूद ने यात्रियों की शिकायत के बाद मामले की जांच के निर्देश दिए हैं. ट्रेन की बी-फोर बोगी आनंद विहार टर्मिनल पर है, जहां इसकी जांच की गई.

किस स्टेशन से लाइट हुई खराब?

विवेक भूषण सूद ने बताया कि ट्रेन के कोच की आखिरी जांच 30 अक्टूबर को ट्रेन के मुजफ्फरपुर पहुंचने पर की जाएगी. साथ ही कहा कि मामले में दोषियों के खिलाफ मुख्यालय कार्रवाई भी करेगा. यात्रियों से मिली जानकारी के मुताबिक बगहा स्टेशन के बाद से ट्रेन के आगे बढ़ने के बाद से ही बी-फोर कोच की बत्ती नहीं जल रही थी.

यात्रियों से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने लाइट नहीं आने की शिकायत कोच अटेंडेंट से की थी, जिसके बाद उसने इस बात की जानकारी इलेक्ट्रिकल विभाग को दी. यात्रियों ने बताया कि लखनऊ पहुंचने पर मैकेनिक आया लेकिन गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई. वहीं कोच अटेंडेंट भी कोच से निकल गया, फिर पूरी यात्रा के दौरान बी-फोर बोगी में नहीं आया और न ही कोच की लाइट सही हुई. यात्रियों ने बताया कि उन्हें इस दौरान कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरा: दिवाली पर अरबों की सौगात और विकास परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिन के गुजरात दौरे पर जा रहे हैं. वह दिवाली पर गुजरात की जनता को अरबों की सौगात देंगे. पीएम शाम 5.30 बजे एकता नगर में 280 करोड़ से अधिक की लागत वाली तमाम विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. इन प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाना, पहुंच में सुधार करना और क्षेत्र में स्थिरता पहलों का समर्थन करना है.

इसके बाद पीएम मोदी शाम 6 बजे 99वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारियों को संबोधित करेंगे. इस साल के कार्यक्रम का विषय “आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लिए रोडमैप” है. 99वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स आरंभ 6.0 में भारत की 16 सिविल सेवाओं और भूटान की 3 सिविल सेवाओं के 653 अधिकारी प्रशिक्षु शामिल हैं.

पीएम मोदी राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में होंगे शामिल

पीएम मोदी 31 अक्टूबर दिवाली के दिन राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में शामिल होंगे. वहां सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि देंगे. पीएम मोदी एकता दिवस की शपथ दिलाएंगे और एकता दिवस परेड देखेंगे. इस परेड में 9 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस, 4 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एनसीसी और एक मार्चिंग बैंड की 16 मार्चिंग टुकड़ियां शामिल होंगी. इस कार्यक्रम में हमारे वायुवीर फ्लाईपास्ट भी करेंगे. सेना के अलावा स्कूली बच्चे भी वारा पाइप बैंड शो करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे को लेकर पूरी तैयारी की गई है, जहां-जहां पीएम मोदी के कार्यक्रम होंगे वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

बीते दिन पीएम मोदी ने दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘एक समय था, जब इलाज में लोगों के घर, जमीने, गहने सब बिक जाते थे. गंभीर बीमारी के इलाज का खर्च सुनते ही गरीब की आत्मा कांप जाती थी. पैसे की कमी की वजह से इलाज न करा पाने की बेबसी, बेचारगी गरीब को तोड़ कर रख देती थी. मैं अपने गरीब भाई-बहनों को इस बेबसी में नहीं देख सकता था, इसलिए ही ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने जन्म लिया है.’

70 वर्ष से ऊपर के सभी बुजुर्गों को मिलेगा ‘आयुष्मान योजना’ का लाभ

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने तय किया, गरीब के 5 लाख रुपए तक के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. देश में लगभग 4 करोड़ गरीबों ने आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठाया है. चुनाव के समय मैंने गारंटी दी थी कि तीसरे कार्यकाल में 70 वर्ष से ऊपर के सभी बुजुर्गों को ‘आयुष्मान योजना’ के अंतर्गत लाया जाएगा. ये गारंटी पूरी हो रही है. अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के देश के हर बुजुर्ग को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा. ऐसे बुजुर्गों को आयुष्मान वय वंदना कार्ड दिया जाएगा. ये योजना मील का पत्थर साबित होगी. घर के बुजुर्ग के पास आयुष्मान वय वंदना कार्ड होगा, तो परिवार के खर्चे भी कम होंगे, उनकी चिंता भी कम होगी.’

मध्य प्रदेश में हाथी मौत की गुत्थी: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 4 हाथियों की मौत, 6 बीमार!

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर, खितौली और पनपथा रेंज की सीमा में 4 जंगली हाथियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वहीं दूसरी तरफ 6 हाथी बिमार है. ग्रामीणों का कहना है कि कोदो और कुटकी की फसल खाने के चलते हाथियों की मौत हो गई है और जो बीमार हैं उनका इलाज करने के लिए जबलपुर के डाक्टरों की टीम पहुंची है.

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि खितौली कोर, पतौर कोर और पनपथा बफर का एरिया है, यह ट्राय जंक्शन एरिया कहलाता है. यहां से गांव भी पास में लगे हुए हैं. हाथियों की मौत को लेकर उन्होंने कहा, हम जांच कर रहे हैं, डॉक्टरों की टीम भी आ गई है, अभी तक 4 हाथियों की मौत हो चुकी है.

हाथियों के मूवमेंट पर रखी जाती है नजर

डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया, यह 13 हाथियों का झुंड था बाकी अभी जंगल में दिख रहे हैं अभी 6 हाथियों का इलाज चल रहा है. प्रतिदिन हमारी टीमें पेट्रोलिंग करती हैं और साथ में हमारे गांव वालों के दल भी बने हुए हैं जो लगातार हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखते हैं, हमारे व्हाट्सएप ग्रुप भी बने हुए हैं, कल का इनका मूवमेंट बताया गया था कि बगैहा, बडवाही होते हुए सलखनिया गांव गए थे.

हाथियों की कैसे हुए मौत?

अगर ग्रामीणों की माने तो इनकी मौत और जो हालत खराब हुई है वह कोदो और कुटकी की फसल खाने से हुई है. हाथियों को कोदो और कुटकी भारी नुकसान पहुंचाती है. हालांकि, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 60 से 70 जंगली हाथियों का दल अलग-अलग झुंड में अलग-अलग क्षेत्र में रहता है.

भारत में कितने हाथी मौजूद

हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. साल 2017 में हाथियों की भारत में जनगणना हुई थी, जिसके मुताबिक, भारत में लगभग 29,964 हाथी मौजूद हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक जंगली एशियाई हाथियों की आबादी रहती है. पूरे देश में 31 हाथी रिजर्व हैं, जो 14 राज्यों और 76,508 वर्ग किलोमीटर में फैले हैं.

नीतीश कुमार का एनडीए को एकजुट करने का अभियान: 2025 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए आवश्यक

नीतीश कुमार को फिर से धोखे का डर सता रहा है. इसलिए नीतीश एनडीए के घटक दल से एकजुट होकर काम करने को लेकर जोर दे रहे हैं. नीतीश ने बैठक में जोर देकर कहा कि एनडीए की मीटिंग बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक होनी चाहिए जिससे विधानसभा चुनाव में जनता को साफ मैसेज जाए कि गठबंधन एकजुट है और इसमें कोई मतभेद नहीं है. साल 2020 में 43 सीटों पर अटकी जेडीयू पुराने इतिहास से सबक लेकर कदम फूंक फूंक कर रखना चाह रही है. इसलिए एनडीए की मीटिंग में वैसे किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई जो एनडीए के घटक दलों के लिए गले की फांस बनी हुई है.

साल 2020 के चुनावी परिणाम के बाद जेडीयू बीजेपी पर शक करने लगी थी. चिराग पासवान पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार न उतारकर जेडीयू की मिट्टी पलीद करने में जुटे हुए थे. चिराग कामयाब भी रहे. एनडीए की सरकार तो बनी लेकिन नीतीश की पार्टी जेडीयू महज 43 सीटों पर सिमट गई थी. नीतीश सीएम बन गए, लेकिन उन्हें लग गया कि ये खेल बीजेपी की तरफ से खेला गया था. क्योंकि बीजेपी अब बिहार में भी ड्राइविंग सीट पर बैठना चाह रही है.

जेडीयू को एनडीए में किस घटक दल से लग रहा है डर?

इसी वजह से साल 2022 में जेडीयू ने एनडीए से किनारा कर आरजेडी का दामन थामा था. लेकिन आरजेडी के साथ भी रिश्ते महज डेढ़ साल ही चले और नीतीश वापस एनडीए में आ गए. नीतीश द्वारा इस कदर पलटी मारने से उनकी छवि को बड़ा धक्का पहुंचा, लेकिन वो इस बार एनडीए के सभी घटक दल को साध कर बिहार में कीर्तिमान स्थापित करना चाह रहे हैं. लोकसभा चुनाव में नीतीश का स्ट्राइक रेट अच्छा रहा है और केन्द्र सरकार नीतीश की पार्टी के समर्थन से चल रही है.

बीजेपी अब डिफेंसिव है. इसलिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में मेजॉरिटी नहीं आने की वजह से उसी समय ऐलान कर दिया था कि साल 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए नीतीश के नेतृत्व में मैदान में उतरेगी. इस बार बीजेपी प्रदेश में ज्यादा खेल करने की स्थिति में नहीं है. वहीं चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) भी नीतीश से बेहतर रिश्ते कायम करने के प्रयास में जुटी दिख रही है, लेकिन दो बार बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ जाने वाले नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के कार्यकर्ता दिल से जुड़ सकेंगे इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

यही वजह है कि नीतीश और उनके सिपहसालार ने इस संभावनाओं के मद्देनजर आज एक मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग एनडीए की एकजुटता पर विशेष जोर दिया. जाहिर है एनडीए में इस बार बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (आर), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल है.

2025 को लेकर क्यों चौकन्ने हैं नीतीश कुमार?

नीतीश कुमार साल 2019 में एनडीए में थे और लोकसभा चुनाव में एनडीए बिहार में 39 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन एनडीए की हालत साल 2020 के विधानसभा चुनाव में खराब रही थी. चिराग के विरोध की वजह से नीतीश 43 सीटें पर सिमट गए थे और बीजेपी के साथ मिलकर विरोधियों से महज 12 हजार वोटों की बढ़त के साथ नीतीश सरकार बनाने में सफल रहे थे. इस बार के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन एक की तुलना में 10 सीटें जीतने में कामयाब रहा है.

वहीं कांग्रेस और लेफ्ट आरजेडी के साथ मजबूत गठबंधन में है और मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी भी तेजस्वी यादव के साथ मिलकर ही विधानसभा चुनाव लड़ने की फिराक में हैं. जाहिर है एनडीए के घटक दलों की संख्या बढ़ी है तो महागठबंधन में भी घटक दलों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ी है. इसलिए मुकाबला दिलचस्प होगा ये साफ दिखाई पड़ रहा है. 17 महीने की सरकार में नीतीश कुमार ने जो भी नौकरियां दी हैं उसे आरजेडी तेजस्वी यादव की कारस्तानी बताकर यूथ को साधने में जुट गई है.

बिहार में नीतीश के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी भी चरम पर

पिछले 19 साल से नीतीश सीएम की कुर्सी पर हैं. इसलिए एंटी इनकम्बेंसी भी चरम पर है. ऐसे में मुकेश साहनी और लेफ्ट का मजबूती से आरजेडी को मिल रहा साथ पिछले 19 सालों की कहानी को पलट सकता है. इसका ट्रेलर पिछले विधानसभा चुनाव में दिख गया था. इसलिए कहा जा रहा है कि आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव युवाओं को अपने साथ खींचने में सफल रहे तो बाजी पलट सकती है. जाहिर है इसी को रोकने की कोशिश में नीतीश और उनकी टीम लग गई है. इसलिए घटक दलों के साथ व्यापक पैमाने पर बैठक कर जिले स्तर पर मजबूत गठबंधन कायम रखने का प्रयास किया गया है.

गौरतलब है कि एनडीए के घटक दल के एमपी, एमएलए, एमएलसी और जिला अध्यक्ष तक को मीटिंग में बुलाकर नीतीश कुमार ने अगले चुनाव के लिए मंत्र दिया है जेडीयू के नेताओं के दिमाग में चल रही संशय की ओर इशारा साफ करती है. नीतीश और उनके सिपहसालार को लग रहा है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 39 सीटें जीतने के बावजूद साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी सत्ता तक पहुंचने से कुछ कम विधायकों के चलते चूक गई थी. लेकिन इस बार महागठबंधन 10 लोकसभा सीटें जीती है. इसलिए आरजेडी इस बार विधानसभा चुनाव में ज्यादा खेल न कर सके इसके लिए एनडीए का सही अर्थों में एकजुट रहना बेहद जरूरी है.

जेडीयू का लगातार गिर रहा है ग्राफ

जेडीयू साल 2010 में 125, साल 2015 में 71 और साल 2020 में 43 सीटें जीतकर सरकार बनाने में सफल तो रही है. लेकिन जेडीयू का ग्राफ किस कदर गिरा है ये आंकड़े सारे विश्लेषण कर रहे हैं. लेकिन साल 2020 में उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग पासवान एनडीए में नहीं थे वहीं एनडीए में मुकेश साहनी चुनाव से ऐन वक्त पहले आए थे. ज़ाहिर है इस बार चिराग, उपेंद्र कुशवाहा साथ हैं और मुकेश साहनी अलग. इस सबके बीच नीतीश के दाहिने हाथ कहे जाने वाले आरसीपी सिंह भी पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं.

वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी नीतीश को कमजोर बताकर हटाने में जुट गई है. ऐसे में चिराग की भूमिका में इस बार प्रशांत किशोर रह सकते हैं. इसकी भी चर्चा जोरों पर है. बिहार में प्रशांत किशोर एनडीए को ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे या इंडिया गठबंधन को, इसको लेकर भी ऊहापोह की स्थिति है. कहा जा रहा है कि बीजेपी के मतदाता वैसी जगह पर प्रशांत किशोर को वोट दे सकते हैं जहां जेडीयू के उम्मीदवार खड़े होंगे. इसलिए इस बार प्रशांत किशोर ही चिराग पासवान की भूमिका में होंगे. यही डर जेडीयू नेताओं के दिलो दिमाग में है. इसलिए एकजुटता को लेकर नीतीश कुमार मीटिंग में सबसे ज्यादा जोर देते सुने गए हैं.

अंतर्विरोध को कैसे दूर करेंगे एनडीए के घटक दल?

एनडीए में अंतर्विरोध है. वक्फ संशोधन बिल को जेपीसी में भेजा जाना इसका बड़ा प्रमाण है. संसद में ललन सिंह का जोरदार बीजेपी समर्थन तब फीका पड़ गया जब जेडीयू के भीतर से विरोध में आवाज उठने लगे. वहीं यूसीसी से लेकर कई अन्य मसलों पर जेडीयू और बीजेपी आमने सामने है. जाहिर है बीजेपी केंद्र में समर्थन पाने की वजह से जेडीयू की हां में हां कर रही है. लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी और जेडीयू में विरोध साफ दिखता रहा है. यही हाल शराबबंदी को लेकर भी है. इस मसले पर जीतन राम मांझी के सुर जेडीयू से अलग रहे हैं.

अंतर्विरोध चुनाव में महंगे साबित हो सकते हैं

वहीं एससी-एसटी को रिजर्वेशन के मसले पर कोटे में कोटा का विरोध चिराग पासवान की पार्टी खुलकर करती दिखी है. जबकि जीतन राम मांझी इसकी मांग करने में आगे दिखे. ये अंतर्विरोध चुनाव में महंगे साबित हो सकते हैं. लेकिन नीतीश कुमार इस सब को अलग रख सभी घटक दल को एकजुट रखने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं. इसी वजह से जेडीयू मीटिंग में गिरिराज सिंह की हिंदु जागरण यात्रा की चर्चा न कर अंतर्विरोध को दूर करती दिखी है. ज़ाहिर है जेडीयू के लिए आधार वोट बैंक को एकजुट रखते हुए घटक दलों के वोट को ट्रांसफर करा लेना बड़ी चुनौती दिख रही है. इसलिए नीतीश कुमार नीतीश सरकार न कहकर एनडीए सरकार के प्रचार प्रसार करने पर जोर दे रही है.

दरअसल लोकसभा चुनाव में काराकाट, आरा और जहानाबाद में एनडीए की हार चिंता का सबब बना हुआ है. इसमें एनडीए के कई वोटर अलग पैटर्न पर वोट डालते देखे गए हैं. इसलिए नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव से पहले सारी दिक्कतों को दूर करना चाह रहे हैं.