कल्पवास: गंगा किनारे एक महीने तक कुटिया में रहने की आध्यात्मिक प्रथा, जानें इसका महत्व और उद्देश्य
बिहार में एक स्थान ऐसा है जहां पवित्र गंगा नदी की धारा से घाट गुलजार रहता है. कार्तिक महीने में यहां का नजारा अद्भुत और आध्यात्मिक रहता है. साधु-संत और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां कुटिया बनाकर पूरे महीने भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं. यह पवित्र घाट चार जिलों का संगम कहलाता है. यहां भगवान शिव का चमत्कार है. प्रख्यात कवि विद्यापति को दर्शन देने के लिए गंगा की धारा यहां खुद चली आई थी.
यूं तो कार्तिक मास सनातन धर्म के हिसाब से सबसे पवित्र मास माना जाता है और कार्तिक मास में देश के विभिन्न हिस्सों में गंगा किनारे लोग एक माह तक कल्पवास में रहते हैं. लेकिन बेगूसराय जिले के सुदूर इलाके में अवस्थित चमथा गंगा घाट का अपना ही एक खास महत्व है. श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र भी बना रहता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं साधु संत यहां पर गंगा किनारे कुटिया बनाकर रहते हैं.
चमथा गंगा घाट पर जुट रहे साधु-संत
बेगूसराय जिला का चमथा गंगा घाट पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं साधु संत पहुंचे हैं. यहां सभी पूरे एक माह तक गंगा की पूजा अर्चना के साथ-साथ विभिन्न तरीकों से श्रद्धालु भक्ति भाव में लीन रहते हैं. इस दौरान कुटिया बनाकर श्रद्धालु भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. एक महीने तक यहां की छटा बिल्कुल ही निराली बनी रहती है. चमथा घाट पर आए श्रद्धालु ननकी बाबा कहते हैं कि वह पिछले 45 वर्षों से इस घाट पर कार्तिक मास में कल्पवास में आते हैं. उनसे पहले उनके गुरु भी यहीं पर कल्पवास करते थे.
चमथा गंगा घाट का इतिहास
ननकी बाबा ने बताया कि जब भगवान भोलेनाथ उगना के रूप में कविवर विद्यापति के यहां उनके चाकर बनकर रहते थे. कविवर विद्यापति ने एक बार उगना के समक्ष गंगा स्नान की इच्छा जाहिर की थी. वह चलकर यहां आए थे. जब वह गंगा नदी से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर थे तब उन्होंने उगाना से कहा था कि अब वह थक गए हैं. उन्होंने कहा था कि जब गंगा स्नान के लिए वह इतनी दूर चलकर आए हैं तो क्या गंगा थोड़ी दूर नहीं आ सकती? कहा जाता है उसी वक्त गंगा की मुख्य धारा से एक धारा चमथा की ओर प्रवाहित हुई और कविवर विद्यापति ने वहां स्नान किया था.
राजा जनक भी किया करते थे स्नान
गंगा की वह धारा आज भी वहां पर अवस्थित है. वही मान्यताओं के अनुसार विदेह राज राजा जनक भी यहां गंगा स्नान किया करते थे. हालांकि, लोगों की आस्था का केंद्र होने के बावजूद भी उपयुक्त सुख सुविधाओं का यहां घोर अभाव है. साधु संतों की माने तो प्रशासन के द्वारा इस गंगा घाट के महत्व की अनदेखी की जा रही है जिससे यह पूरी तरह प्रचलित नहीं हो सकी है. तेघरा के एसडीएम राकेश कुमार एवं डीएसपी डॉक्टर रविंद्र मोहन ने श्रद्धालुओं को आस्वस्त किया है कि यहां सुरक्षा एवं सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा . दीपावली के बाद यहां भारी भीड़ जुटने की संभावना है. इसके मद्देनजर प्रशासन के द्वारा भी पूरी तैयारी की जा रही है.









Oct 24 2024, 20:07
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