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छत्तीसगढ़ पुलिस को मिला राष्ट्रपति का पुलिस ध्वज सम्मान

रायपुर-     छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए यह एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण है, जब उन्हें ‘राष्ट्रपति का पुलिस ध्वज’ प्रदान किए जाने की स्वीकृति प्राप्त हुई है। यह विशेष ध्वज देश के चुनिंदा राज्यों की पुलिस इकाइयों को दिया जाता है, जो 25 वर्षों की अनुकरणीय सेवा और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सल मोर्चे पर साहस और दृढ़ता के साथ कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए यह सम्मान अर्जित किया है, जो उनकी उत्कृष्ट सेवा का प्रमाण है।

इस सम्मान के साथ, पुलिस बल के जवान इस ध्वज की प्रतिकृति को अपनी वर्दी पर प्रतीक चिन्ह के रूप में धारण करेंगे, जो उनके शौर्य और सेवा का प्रतीक होगा। राष्ट्रपति ध्वज किसी भी पुलिस या सैन्य बल के लिए सर्वोच्च मान्यता मानी जाती है और यह छत्तीसगढ़ पुलिस की निष्ठा, कर्तव्यपरायणता और परिश्रम की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना को दर्शाता है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “यह सम्मान छत्तीसगढ़ पुलिस के साहस, अनुशासन और देशभक्ति का प्रमाण है। हमारे जवानों ने विपरीत परिस्थितियों में भी नक्सलियों के खिलाफ सफलता प्राप्त की है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। यह ध्वज हमारे पुलिस बल के हौसले को और भी ऊंचा करेगा , उन्हें राज्य की सुरक्षा और सेवा के लिए और प्रेरित करेगा।” मुख्यमंत्री साय ने पुलिस बल को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि उन बहादुर जवानों के प्रति एक आदर है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना राज्य की शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने छत्तीसगढ़ की जनता को भी गर्व का अवसर प्रदान किया है, जो राज्य की पुलिस की सेवा और समर्पण का सम्मान करती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पूरी तरह से कवर नहीं करता कानून, अभी भी है गेप- जस्टिस गौतम भादुड़ी

बलौदाबाजार-  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में जितना अधिक डाटा फीड करेंगे, उतनी ही जानकारी आएगी. अब तक जो भी कानून बने हैं, जो कुछ हद तक इसे छूते हैं, लेकिन अभी पूरी तरह से कवर नहीं करते हैं. अभी भी इसमें गेप है. यह बात बलौदा बाजार जिला अधिवक्ता संघ द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड लॉ पर आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी ने कही.

जस्टिस गौतम भादुड़ी ने सेमिनार के दौरान मोबाइल के उपयोग और दुरुपयोग – दोनों की जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास एक फर्जी काल आया, जिसमें सामने वाले शख्स अपने को सीबीआई टीम का सदस्य बताते हुए बेटे की जांच में फंसने की बात कही पर पढ़े-लिखे होने और इस तरह की काल से लगातार जागरूकता से बच गए, लेकिन यह ग्रामीणों के लिए घातक है, सतर्क होने की आवश्यकता है.

कार्यक्रम में मौजूद जस्टिस रजनी दुबे ने कहा कि यह ऐसा विषय है जो समाज पर प्रभाव डाल रहा है. आज हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है, और वह हर बात उसमें डालता है, जो चोरी हो जाता है. हमसे ज्यादा, हमारे बारे में जानकारी कोई और रखता है, जिससे इसका दुरुपयोग हो रहा है. न्याय के सिद्धांत पर यह पूर्णतः खरा नहीं उतरता है. हमें घटना की स्थिति-परिस्थिति को देखकर व्यावहारिक चीजों को ध्यान में रखकर काम करना होता है, और न्याय करना होता है.

जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने कहा कि जस्टिस सिस्टम में यह फेल होगा, क्योंकि इसमें वह भावनाएं नहीं होती. मानवीय संवेदनाओं की कमी होती है. यह मेडिकल सपोर्ट में बहुत अच्छा है, पर न्याय के मामले में सही नहीं है. इससे जानकारी ली जा सकती है, पर इसके अनुसार निर्णय नहीं लिया जा सकता है. सेमिनार में वक्ता के रूप में हाइकोर्ट के अधिवक्ता गीतिका साहू, देवाशीष तिवारी, दिनेश तिवारी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड लॉ के रूल्स, लाइबिलिटी और रेगुलेशन पर बातें रखीं.

इसके पहले जस्टिस भादुड़ी के बलौदाबाजार पहुंचने पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. अधिवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष शारीक खान सहित जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया.

अब किसी के साथ नहीं होगा अन्याय, आपके साथ हमेशा खड़ी है हमारी सरकार : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर-      हमें लम्बे संघर्ष के बाद आज यह सम्मान मिला है। हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री ने हमारी पीड़ा समझी और बड़ी राहत देने का काम किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज उनके निवास कार्यालय, रायपुर में दिवंगत शिक्षक पंचायत संवर्ग संघ के आश्रितों ने मुलाकात कर उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री को उन्होंने ग़जमाला पहनाकर अभिवादन किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने भी सभी बहनों को शुभकामनाएं दी और कहा कि हमारी सरकार हमेशा आपके साथ खड़ी है और किसी के साथ भी अन्याय नहीं होगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में 16 अक्टूबर को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में दिवंगत शिक्षक पंचायत संवर्ग संघ के परिजनों की अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्णय लिया गया था। दिवंगत शिक्षक पंचायत संवर्ग संघ के आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के लिए आंदोलन कर रहे थे।

संघ के सदस्यों ने बताया कि दिवंगत शिक्षकों के परिजनों द्वारा पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 300 से अधिक दिनों तक लगातार आंदोलन किया गया था, जिसमें उन्होंने अलग-अलग ढंग से प्रदर्शन कर सरकार के सामने अपनी मांगे रखी थी। उनके लम्बे संघर्ष का सुखद परिणाम अब सामने आया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने दिवंगत शिक्षक पंचायत के परिजनों के हित में बड़ा निर्णय लेते हुए उन्हें अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का रास्ता खोल दिया है। इस अवसर पर संजय श्रीवास्तव, गौरी शंकर श्रीवास दिवंगत शिक्षक पंचायत कल्याण संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे।

सहायक लोको पायलट चयन परीक्षा: कैट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

बिलासपुर-  सहायक लोको पायलट चयन परीक्षा को लेकर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कैट द्वारा सहायक लोको पायलट चयन में दोबारा शॉर्ट लिस्टिंग के आदेश को यथावत रखा है और कैट के आदेश का पालन करते हुए दोबारा शॉर्ट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई.

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अगस्त 2018 को श्रेणी परिवर्तन कर सहायक लोको पायलट के 164 के अलावा अन्य पदों के लिए अधिसूचना जारी की. इसमें मांगी गई योग्यता पूर्ण करने पर ट्रैक मेंटेनर जे अनिल, शुभराम और अन्य ने आवेदन किया. इसमें चयन प्रक्रिया कंप्यूटर आधारित थी, किसे ऑनलाइन आयोजित किया जाना था. 328 अभ्यर्थियों की कम्प्यूटर जांच की गई. योग्यता परीक्षण में 104 उम्मीदवारों को बुलाया गया था. मेडिकल के बाद जारी सूची में गड़बड़ी किए जाने एवं अन्य उम्मीदवारों से अधिक अंक प्राप्त होने के बाद भी उनका चयन नहीं किए जाने पर उन्होंने कैट में याचिका पेश की.

कैट ने रेलवे को एएलपी चयन प्रक्रिया में दोबारा शार्ट लिस्टिंग करने का आदेश दिया. इसके खिलाफ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रेलवे बोर्ड ने हाईकोर्ट में अपील पेश कर कैट के आदेश को निरस्त करने की मांग की.

हाईकोर्ट की डीबी ने सुनवाई के बाद कहा कि कैट ने एएलपी पद के चयन की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए एक तर्कसंगत आदेश पारित किया है. शॉर्ट लिस्ट किए गए उम्मीदवारों की सूची को बिना श्रेणी में बदलाव किए फिर से तैयार करने का निर्देश दिया है. जिसे अवैध या मनमाना आदेश नहीं कहा जा सकता है.

हमें अपने देश में उत्पादित वस्तुओं पर गर्व करना चाहिए –उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

रायपुर-     उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा कवर्धा के पीजी कालेज मैदान में आयोजित स्वदेशी मेला के दूसरे दिन शामिल हुए। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने भारत माता की तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित एवं दीप प्रज्ववलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रम का विधिवत शुभांरभ किया। उन्होंने इससे पहले स्वदेशी मेला का अवलोकन किया। कबीरधाम जिले के महिला स्व-सहायता समूह की दीदियों और अन्य प्रांतो से आए स्वदेशी विक्रेता ने उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा का स्वागत और अभिनंदन किया। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा मेले के अवलोकन के दौरान स्वदेशी मेला की भव्यता देखकर बहुत अभिभूत हुए। उन्होंने दूसरे राज्यो से आएं स्वदेशी विक्रेता का कवर्धा की इस धरती पर स्वागत और अभिनंदन किया। स्वदेशी मेला के दूसरे दिन अंचल शर्मा और उनकी म्यूजिकल ग्रुप के कार्यक्रम की प्रस्तुति से दर्शक झूम उठे।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का यह एक शानदार अवसर है। हमें अपने देश के उत्पादों पर गर्व करना चाहिए और उन्हें अपनाना चाहिए। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने यह भी कहा कि ऐसे मेलों का आयोजन हमारे सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने और स्थानीय उद्यमियों के विकास में समर्थन देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि आज स्वदेशी का संकल्प है हमे इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन ग्लोबल मार्केट में हमारा प्रोडक्ट होना चाहिए। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया दोनों कॉन्सेप्ट से देश में कार्य प्रारंभ किया है। उन्होंने कहा है कि हमारे देश में नवाचार और स्टार्टअप बढ़ना चाहिए। स्टार्टअप बढ़ाने के लिए हमारे छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में कार्य कर रही है। उन्होंने बताया आई हब छत्तीसगढ़ संस्था का प्रारंभ किया जा रहा है। आई हब गुजरात की तरह है। उन्होंने इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यदि किसी युवा या व्यक्ति के पास टेक्नोलॉजी में नवाचार करने का आइडिया है लेकिन उसके पास संसाधन नहीं है तो उन्हें साधन और संसाधन उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे छत्तीसगढ़ के कोने–कोने से नवाचार उभर कर सामने आए और एक नई दिशा मिले। उन्होंने बताया कि इसके लिए गुजरात से ओएमयू किया गया है। छत्तीसगढ़ में आई हब का प्रारंभ नवंबर से रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रारंभ किया जाएगा। ये स्टार्टअप स्वदेशी होगा। जिसे हमें आगे आने वाले सालों में आई हब छत्तीसगढ़ में बनने वाला नवाचार को स्वदेशी मेला में देखने मिलेगा।

उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि स्वदेशी मेला मतलब हमारे देश की बनी हुई सामग्री से है। एक तरफ इसका आर्थिक पक्ष है जो मजबूत करता है और दूसरा पक्ष भाव का है जो स्वाभिमान को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि सन 1991 का समय याद होगा जब भारत सुपर कम्प्यूटर के लिए भटकता था। रूस और अमेरिका जैसे देश ने सुपर कम्प्यूटर देने ने भी मना कर दिया था, लेकिन उसके बाद हमारे देश की कंपनी सी डेक ने योजना करके दुनिया का बेहतर कंप्यूटर परम बनाया। अब अमेरिका और फ्रांस जैसे देश भारत से सुपर कंप्यूटर खरीदते है। भारत आज समर्थ देश है। विदेशी की बड़ी बड़ी कंपनियों के सीईओ मैनेजिंग डायरेक्टर आज भारत के लोग है। भारत सोने की चिड़िया हुआ करता था क्यों कि भारत में ही सोना, रेशम, मसाले, रत्न जैसे सभी चीजें यहां मिलता था। भारत में अनुसंधान बहुत ही आगे था। नालंदा, तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय यहां रहा है। उन्होंने कहा कि स्वदेश का कोई उत्पाद होता है तो पैसा भारत में ही रहता है और इससे देश आत्म निर्भर होता है। आज देश इतना आगे बढ़ा है जिसमें हम ब्रह्मोस नाम की मिसाइल विदेशों को एक्सपोर्ट कर रहे है।

उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि हमारा देश समृद्ध है और हमें अपने उत्पादों को बढ़ावा देकर उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। यह सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि हमारे संस्कृति और परंपरा को भी आगे बढ़ाने का अवसर है। उन्होंने कहा कि पूर्व में कवर्धा का विकास रुक गया था। कुछ दिन पहले ठाकुर देव चौक से नया बस स्टैण्ड का 11 करोड़ का सड़क का भूमिपूजन किया गया और टेंडर हो चुका है। ग्राम घोटिया के पास 300 करोड़ का मेडिकल कॉलेज के लिए टेंडर लगा दिया गया है और बिल्डिंग भी बनना प्रारंभ हो जाएगा। उन्होंने बताया कि आज 5 करोड़ 75 हजार रुपए के लागत कार्य का भूमि पूजन किया गया है। कवर्धा का डेवलपमेंट के लिए कार्ययोजन तैयार कर कार्य किया जा रहा है। कवर्धा के विकास में जन जन को अपनी सहभागिता निभानी है। कवर्धा के विकास के लिए जो विचार है वो साझा कर सकते है। नगर का विकास जनभागीदारी से ही हो यही प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वे स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें और अपने आसपास के समुदायों को भी इस दिशा में प्रेरित करें।

रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव: भाजपा-कांग्रेस में ही होगा मुकाबला, प्रत्याशी चयन में उलझी पार्टियां

रायपुर-   रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव का बिगुल बजते ही अब तरह-तरह के चुनावी कयास लगाए जा रहे है। इसमें सबसे ज्यादा कयास इस बार उपचुनाव में यह लगाया जा रहा है कि उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में होगा तथा निर्दलीय इस बार और घट सकते हैं। पिछले चुनावों में रायपुर दक्षिण में अक्सर यही कहा जाता रहा है कि यहां चुनावी गणित के चलते ज्यादा से ज्यादा संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी खड़े किए जाते रहे है और इस वर्ष ऐसा देखने नहीं मिलेगा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बहुत से कारण माने जा रहे है।

प्रत्याशी चयन के लिए चल रहा मंथन

भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अभी तक इस सीट से अपने प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है। दोनों ही पार्टियां इस कश्मकश में है कि रायपुर दक्षिण से प्रत्याशी चुनने में जातिगत समीकरण में उलझ गई है। भाजपा ने दो दिन पहले ही तीन नामों का पैनल मुख्यालय भेजा है, लेकिन अभी तक नाम तय नहीं हुए है। भाजपा इस कश्मकश में है कि अनुभव को प्राथमिकता दी जाए या किसी नए चेहरे को लाया जाए। वहीं कांग्रेस में यह देखा जा रहा है कि भाजपा से कौन प्रत्याशी फाइनल हो रहा है।

दावेदारों ने शुरू किया प्रचार-प्रसार

दोनों ही पार्टियों के मुख्य दावेदारों ने अब इंटरनेट मीडिया के साथ ही व्यक्तिगत संपर्क करते हुए अपना प्रचार- प्रसार शुरू कर दिया है और वोट मांगने लगे है।

हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, निर्धारित प्रक्रियाओं को पूरा किए बिना प्रभावी नहीं हो सकता किसी भी शासकीय सेवक का इस्तीफा…

बिलासपुर-  राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह फैसला न्याय दृष्टांत बन सकता है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा है कि निर्धारित प्रक्रियाओं को पूरा किए बिना किसी भी शासकीय सेवक का इस्तीफा प्रभावी नहीं हो सकता. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के उप प्रबंधक शैलेंद्र कुमार खम्परिया ने 26 मार्च, 2016 को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए ई-मेल के जरिए इस्तीफा दे दिया था. विभाग ने ई-मेल के जरिए भेजे गए त्यागपत्र में निर्दिष्ट तिथि का अभाव और तीन महीने का वेतन जमा करने की शर्त को पूरा नहीं करने का हवाला देकर इसे अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद सितंबर 2016 में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.

लेकिन इसके बाद उप महाप्रबंधक खम्परिया ने अक्टूबर 2016 में अपना इस्तीफा वापस लेने की मांग की, जिस पर निगम ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, और इस्तीफा स्वीकार कर लिए जाने की जानकारी दी. उन्होंने निगम अफसरों के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी. सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निगम द्वारा स्वीकार किए गए त्यागपत्र को गैर कानूनी ठहराया।

सिंगल बेंच के फैसले को निगम ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी. मामले की सुनवाई के दौरान निगम की ओर से कहा गया, कि एक बार इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कर्मचारी को इसे वापस लेने का कोई अधिकार नहीं है, भले ही स्वीकृति की सूचना ना दी गई हो.

इस पर उप महाप्रबंधक खम्परिया की ओर से तर्क दिया गया कि निगम ने शुरू में गैर-अनुपालन के कारण उनके इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया था, और बाद में की गई इस्तीफे की स्वीकृति अमान्य थी, क्योंकि उन्होंने अपेक्षित शर्तें पूरी नहीं की थी, साथ ही तीन महीने का वेतन भी जमा नहीं किया था.

मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि एक बार जब इस्तीफा गैर-अनुपालन के कारण अस्वीकार कर दिया जाता है, तो संबंधित विभाग के आला अफसर पर इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बनती है कि त्यागपत्र की स्वीकृति के साथ पत्र को आगे बढ़ाने से पहले सभी शर्तें पूरी कर ली गई है या नहीं.

एक्शन में कलेक्टर, कस्टम मिलिंग का चावल जमा न करने पर राइस मिलों को किया ब्लैकलिस्टेड

महासमुंद-      जिले के बागबाहरा स्थित दो राइस मिलों, मेसर्स जय चण्डी एग्रोटेक राइस मिल और मेसर्स लक्ष्मी राइस इंडस्ट्रीज को आगामी एक खरीफ वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है.

कलेक्टर ने भौतिक सत्यापन के दौरान पाया कि मेसर्स जय चण्डी एग्रोटेक राइस मिल ने 124 क्विंटल धान और मेसर्स लक्ष्मी राइस इंडस्ट्रीज ने 1681.60 क्विंटल धान का चावल जमा नहीं किया. इस गंभीर लापरवाही के चलते दोनों राइस मिलों को काली सूची में डाला गया है.

इसके साथ ही, कलेक्टर ने जिला विपणन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि मेसर्स जय चण्डी एग्रोटेक राइस मिल से 3 लाख 10 हजार रुपये और मेसर्स लक्ष्मी राइस इंडस्ट्रीज से 42 लाख 4 हजार रुपये की बैक गारंटी तत्काल वसूली जाए. यह कार्रवाई चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उठाई गई है.

अंबिकापुर एयरपोर्ट के उद्घाटन से पहले ही शुरू हुआ विरोध, हवाई सेवा जनसंघर्ष समिति ने फूंका बिगुल…

बिलासपुर-    एक तरफ रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर के बाद अब अंबिकापुर से नियमित हवाई सेवा शुरू करने की तैयारी है. प्रधानमंत्री मोदी 20 अक्टूबर को एयरपोर्ट प्रदेशवासियों को समर्पित करेंगे, लेकिन उसके पहले हवाई सेवा जनसंघर्ष समिति ने बिना सुविधाओं के एयरपोर्ट का उद्घाटन किए जाने का विरोध किया है. 

हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि आधे-अधूरे एयरपोर्ट पर फ्यूल भराने की सुविधा नहीं है, जिससे आने वाले दिनों में उड़ान संचालन को लेकर संशय है. रायपुर को छोड़, बिलासपुर, जगदलपुर और अंबिकापुर में जरूरी सुविधाएं नहीं है. उन्होंने कहा कि 4 सी लाइसेंस, नाइट लैंडिंग, टेक्सी, कैंटीन जैसी सुविधाओं का अब तक अभाव है. पिछले 5 साल से हवाई सेवा समितियों के लोग संघर्ष कर रहे हैं. समिति ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर में बड़ा फर्जीवाड़ा
रायपुर-  रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर निर्माण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. सड़क बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जमीन प्रभावितों के लिए मुआवजा तय किया गया था. इसमें तहसील के अफसरों ने करीब 42 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया है. भू-स्वामियों को नियमानुसार 300 करोड़ का मुआवजा देना था पर अफसरों ने जमीन मालिकों से मिलकर 342 करोड़ का मुआवजा बना दिया. इसमें शासन ने 246 करोड़ की राशि भू-स्वामियों को बांट भी दी है. जांच के बाद हुए खुलासे के बाद एक तहसीलदार और तीन पटवारी को तत्काल निलंबित कर दिया गया है.

जानकारी के मुताबिक, अभनपुर में अफसरों ने जमीन मालिकों को अधिग्रहण के दौरान वास्तविक से ज्यादा मुआवजा दिलवा दिया. पूरी मिलीभगत से इस काम को किया गया. भू-अर्जन में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर तत्कालीन रायपुर कलेक्टर ने इसकी जांच का आदेश दिया था. प्रारंभिक जांच में ही गड़बड़ी साबित हो गई. प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आते ही गोबरा नवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन को निलंबित किया गया है. अभी भू-स्वामियों ने 2.41 किमी तक कॉरिडोर के काम पर रोक लगा दी है. इसके चलते प्रोजेक्ट का काम रुक गया है.

4 हजार करोड़ की लागत से बननी है 464 किमी सड़क

बता दें कि रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर 464 किलोमीटर तक बनाना है. सड़क बनाने में करीब 4 हजार करोड़ खर्च होंगे. इसमें अभनपुर ब्लॉक में अफसरों ने जमीन मालिकों के साथ मिलकर 9 किमी सड़क की जमीन का 342 करोड़ का मुआवजा बना दिया, जबकि नियमों के अनुसार लगभग 300 करोड़ का मुआवजा होता है. शासन ने इसमें 246 करोड़ की राशि भू-स्वामियों को बांट भी दी. अभी इन भू-स्वामियों को 78 करोड़ की राशि और मिलनी थी. इसी बीच एनएचएआई की विजलेंस टीम से ज्यादा मुआवजा बांटने की शिकायत हो गई और राशि बांटने पर रोक लग गई।

जानिए… कैसे हुआ पूरा खेल

जमीन अधिग्रहण के नियमों के अनुसार ग्रामीण अंचल में 500 वर्गमीटर से कम जमीन है तो उसका मुआवजा अधिक मिलता है यदि 500 वर्गमीटर से जमीन ज्यादा है तो उसका पैसा कम मिलता है. जैसे एक एकड़ जमीन है तो उसका मुआवजा 20 लाख होगा. यदि इसी जमीन को टुकडों में बांटकर 500 वर्गमीटर से कम कर दिया जाए तो मुआवजा बढ़कर करीब एक करोड़ का हो जाएगा. रायपुर- विशाखापट्टनम कॉरिडोर के पास होते ही बड़े-बड़े रसूखदारों ने अफसरों से मिलकर ज्यादातर जमीन को 500 वर्गमीटर के नीचे कर दिया. इस वजह से मुआवजे की रकम बहुत ज्यादा बढ़ गई, जिससे अफसरों को भी शक हुआ और जांच कराई.