संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: गरीबी और संघर्ष के बीच फंसे लोगों की संख्या बढ़ रही है
नयी दिल्ली : भले ही दुनिया चांद और सूरज की दूरी नाप रही हो और तरक्की के नित नये-नये आयाम गढ़ रही हो, लेकिन अभी भी तमाम देश गरीबी के दंश से उबर नहीं पाए हैं। अभी भी दुनिया में गरीबों की अच्छी खासी संख्या है।
दुनिया भर के गरीबों का संयुक्त राष्ट्र ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र के ताजा आकंड़ों के अनुसार दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोग घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं और इनमें से आधे बच्चे हैं। इनमें से 40 फीसदी लोग संघर्ष वाले या अस्थिर देशों में रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया में गरीबी को लेकर बृहस्पतिवार को एक जारी की है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि 83 प्रतिशत से अधिक गरीब लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और इन लोगों के इतने प्रतिशत ही उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड 2010 से ही हर साल बहु आयामी गरीबी सूचकांक जारी कर रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर सहित 10 संकेतकों को आधार बनाया जाता है।
जानें भारत का क्या है आंकड़ा
इस साल के सूचकांक में दुनिया के 112 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जिनमें दुनिया की 6.3 अरब आबादी निवास करती है। सूचकांक के मुताबिक 1.1 अरब लोग घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं जिनमें से करीब आधे पांच देशों भारत (23.4 करोड़), पाकिस्तान (9.3 करोड़), इथियोपिया (8.6 करोड़), नाइजीरिया (7.4 करोड़) और कांगो (6.6 करोड़) में निवास करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक घोर गरीबी में रह रहे लोगों में करीब आधे यानी 58.4 करोड़ बच्चे हैं जिनकी उम्र 18 साल से कम है। उनमें से 31.7 करोड़ लोग उप सहारा अफ्रीका में रहते हैं जबकि 18.4 करोड़ लोगों का निवास स्थान दक्षिण एशिया है।
इन देशों में बढ़ी गरीबी
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में गरीबी बढ़ी है। गरीब बच्चों का अनुपात और भी अधिक लगभग 59 प्रतिशत है। यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड ने कहा कि इस वर्ष की रिपोर्ट संघर्ष के बीच गरीबी पर केंद्रित है, क्योंकि 2023 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे अधिक संघर्ष हुए और युद्ध, आपदाओं और अन्य कारकों के कारण अब तक की सबसे अधिक संख्या यानी 11.7 करोड़ लोगों को अपने घरों को छोड़कर विस्थापित होना पड़ा।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक पेड्रो कॉन्सेकाओ ने बताया, ‘‘पहली बार वैश्विक ‘एमपीआई’ आंकड़ों के साथ संघर्ष के आंकड़ों को मिलाकर तैयार की गई रिपोर्ट उन लोगों की कठिन वास्तविकताओं को उजागर करती है जो एक साथ संघर्ष और गरीबी का सामना कर रहे हैं।’’
45 करोड़ से ज्यादा लोग बुनियादी जरूरतों से कर रहे संघर्ष
रिपोर्ट के अनुसार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बहुआयामी गरीब और संघर्ष के माहौल में रहने वाले 45.5 करोड़ लोग, पोषण, पानी और स्वच्छता, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों के गंभीर अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं और यह अभाव सामान्य क्षेत्रों के गरीबों के मुकाबले तीन से पांच गुना अधिक गंभीर होता है।’’ ऑक्सफोर्ड पहल की निदेशक सबीना अल्किरे ने कहा, ‘‘एमपीआई बता सकता है कि कौन से क्षेत्र गरीब हैं और लक्षित गरीबी उन्मूलन प्रयास उन क्षेत्रों में किए जा सकते है।
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए बुर्किना फासो में सैन्य शासन है और वहां चरमपंथियों के हमले बढ़े हैं। वहां की करीब दो तिहाई आबादी गरीब है।’
Oct 19 2024, 13:10