सेविका सहायिकाओं को नाराज करना हेमंत सरकार को पड़ेगा भारी : संजय पासवान
हड़ताल के दसवें दिन आक्रोशित सेविका सहायिकाओं ने समाहरणालय पर जमकर की नारेबाजी
झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर 8 सूत्री मांगों को लेकर 5 अक्टूबर से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल के 10 वें दिन आक्रोशित सेविका सहायिकाओं ने जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर हेमंत सरकार होश में आओ, हमारी मांगें पूरी करो, दुबारा सत्ता में आना है तो मांगें पूरी करनी होगी. जमकर नारेबाजी की और हेमंत सोरेन सरकार को चेतावनी दी कि चुनाव के बेला में उनकी मांगों को अगर अनदेखी की गई तो, रघुवर सरकार जैसा हाल होगा और सत्ता से हांथ धोना होगा. मालूम हो कि 26 हजार वेतन के साथ आंगनबाड़ी सेवाशर्त नियमावली में संशोधन, हर साल मानदेय बढ़ाने की प्रक्रिया सरल करने, पारा शिक्षकों की तरह वेतनमान व अन्य सुविधाएं, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ग्रेच्युटी देने, रिटायर्मेंट के बाद सेविका को 10 लाख एवं सहायिका को 5 लाख एकमुश्त राशि देने, वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन देने और मार्केट रेट पर पोषाहार राशि देने आदि मांगों को लेकर राज्यभर में 38 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में 5 अक्टूबर से ताला लटका हुआ है. लाखों बच्चे की पढ़ाई और पोषाहार बंद है. टीकाकरण व बीएलओ का काम भी प्रभावित हो रहा है. 8 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में नियमावली में आंशिक संशोधन किया गया, जिससे सेविका सहायिका नाराज हैं और हड़ताल को जारी रखे हुए दशहरे की छुट्टी के बाद एक बार से फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है. सोमवार को झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका यूनियन (सीटू) के बैनर तले समाहरणालय पर आयोजित धरना प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद की अध्यक्षता में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए सीटू के राज्य सचिव संजय पासवान ने कहा कि सेविका सहायिकाओं की मांगों को नजरअंदाज करना हेमंत सरकार को भारी पड़ेगा. सेविका सहायिका से जितना काम लिया जाता है, उन्हें प्रतिदिन हजार रुपये के हिसाब से कम से कम 30 हजार रुपये मानदेय मिलना चाहिए. केन्द्र व राज्य सरकार की सारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम यही लोग करते हैं. जनता के बीच रोज इनका सीधा संवाद होता है. किसी को भी सत्ता पर बैठाने या उन्हें उतारने की क्षमता रखती हैं. 2019 के चुनाव में यह साबित हुआ है. इसलिए झारखण्ड की हेमंत सरकार के पास इनकी मांगें स्वीकार करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है. आंगनबाड़ी यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी ने कहा कि अगर सेविका सहायिका की मांगों पर विचार नहीं हुआ और सेविका सहायिका खाली हांथ लौटी तो यह सरकार दुबारा नहीं लौटेगी. धरना में जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद, सचिव वर्षा रानी, उर्मिला देवी, बेबी कुमारी, कविता यादव, मंजू मेहता, कुमारी अनामिका, चिंतामणी देवी, हीना, लीला, शकुन्तला मेहता, सरिता रानी, अनीता देवी, ममता सिहं, सहायिका कविता देवी, सुमैया जमीर, सरस्वती देवी, संध्या वर्णवाल, कांति, विमला, दीपा, रेखा, रीता, उमा मोदी, रानी, मीना, सरवरी खातुन, उषा, कांति, पिंकी, पुनम, रामदुलारी, मुशरत, उषा, संगीता, तर्रनुम, संध्या, संजू, निकहत, यासमीन, नुसरत बानो, देवंती, मीना एक्का सहित सैकड़ों सेविका सहायिका मौजूद थी.
Oct 15 2024, 16:07