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भाजपा में झारखंड के चार पूर्व आदिवासी मुख्यमंत्री की फौज के बाद भी नही बना पायी भाजपा आदिवासियों के बीच अपना मज़बूत पैठ

झा. डेस्क

रांची :झारखंड में जीत के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन उसकी आदिवासी बाहुल इस राज्य में उसकी राह आसान नहीं होने वाली है.वजह मूल वोट बैंक का ही छिटकना है.जानिए झारखंड में कैसे बीजेपी से आदिवासी वोट बैंक आज भी झामुमो के साथ है ।और इसके पीछे वजह क्या है.

हरियाणा फतह के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजर झारखंड पर है, जहां पिछले 5 सालों से बीजेपी सत्ता से दूर चल रही है.झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी ने कई रणनीतियों पर एक साथ काम करना शुरू कर दिया है। इनमें परिवर्तन यात्रा से लेकर अलग-अलग मेनिफेस्टो जारी करना शामिल है.

हालांकि, पार्टी के लिए झारखंड की राह आसान नहीं है।आदिवासी बहुल इस राज्य में मूल वोट ही बीजेपी से छिटक चुका है, जिसे वापस लाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है.

 क्यों है झारखंड में आदिवासी वोटर्स महत्वपूर्ण

झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है। अगर 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां पर आदिवासी करीब 26 प्रतिशत की बात करें तो इस राज्य के 5 में से 4 प्रमंडल में आदिवासियों का ही दबदबा है. झारखंड में विधानसभा की 81 में से 28 सीट आदिवासियों के लिए रिजर्व है। इसी तरह लोकसभा की 14 में से 5 सीट भी आदिवासी के लिए रिजर्व है.

कुल मिलाकर कहा जाए तो झारखंड की सत्ता की चाबी आदिवासियों के पास ही है.यहां 2005 से लेकर अब तक के हर चुनाव में आदिवासी ही महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है.झारखंड में अब तक बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन, चंपई सोरेन और रघुबर दास मुख्यमंत्री बने हैं.

अब तक रघुबर दास छोड़कर सभी 6 मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय से

 दिलचस्प बात यह है कि इनमें से चार पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, बाबू लाल मरांडी, चंपई सोरेन और मधु कोड़ा अभी बीजेपी में हैं।इसके वाबजूद आदिवासी समाज भाजपा पर भरोसा नहीं कर पा रही है.

क्यों ना कर पा रही है भाजपा पर आदिवासी समाज भरोसा...?

झारखंड राज्य का गठन जब 2000 में हुआ तो पहली बार विधानसभा में भाजपा को आदिवासी रिजर्व 28 सीटों में से 11 सीटों पर जीत मिली थी. जिसके कारण भाजपा को गैर आदिवासी सीट मिला कर किसी तरह बहुमत जुटाई थी.

 गठबंधन के सहयोग से बीजेपी किसी तरह सरकार बनाने में कामयाब हो गई. 2009 में बीजेपी को आदिवासी बहुल 9 सीटों पर जीत मिली.

2014 के चुनाव में बीजेपी ने बड़ी वापसी की और फिर से आदिवासी बहुल 28 में से 11 सीटें जीतने में कामयाब रही. बीजेपी ने इस बार झारखंड में गैर-आदिवासी सीएम बनाने का प्रयोग किया. ओबीसी समुदाय के रघुबर दास मुख्यमंत्री बनाए गए.

2019 के चुनाव में बीजेपी के लिए यह बैकफायर कर गया.

अगर 2019 की बात करें तो आदिवासियों के लिए सुरक्षित 28 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 2 सीट हीं जीत पाई. हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासी इलाकों में एकतरफा जीत हासिल की. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आदिवासियों के लिए रिजर्व 5 लोकसभा सीटों पर इंडिया गठंबधन ने जीत दर्ज कर ली.

2019 के लोकसभा चुनाव में इन 5 में से 3 पर एनडीए को जीत मिली थी.

बीजेपी जीत का कर रही दावा लेकिन अंदर से है डरी हुई भी 

झारखंड में मुस्लिमों की आबादी करीब 14 प्रतिशत है, जो आमतौर पर बीजेपी को वोट नहीं करते हैं. आदिवासियों के साथ मुसलमानों के मिलने से दोनों का गठजोड़ 40 प्रतिशत के पास पहुंच जाता है. संथाल परगना और कोल्हान में आदिवासियों के साथ-साथ मुसलमानों का भी दबदबा है.

2019 के चुनाव में दोनों ही इलाकों से बीजेपी साफ हो गई थी. बीजेपी इस बार इस गठजोड़ को तोड़ने की कवायद में जुटी है.

आदिवासियों को साधने के लिए क्या कर रही बीजेपी?

जहां एक तरफ बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन के आदिवासी-मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की कवायद कर रही है, वहीं पार्टी लोकल स्तर पर आदिवासी नेताओं को भी जुटा रही है.

2019 के बाद से अब तक बीजेपी ने दूसरी पार्टी के बाबू लाल मरांडी, चंपई सोरेन, लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन, मधु कोड़ा और गीता कोड़ा को अपने पाले में लाने का काम किया है.

बीजेपी को उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में इन नेताओं के जरिए वो आदिवासी सीटों को जीतने में कामयाब होगी. चंपई सोरेन, बाबू लाल मरांडी और मधु कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं.

झारखंड की 81 सीटों पर होने हैं चुनाव

झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर नवंबर-दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. यहां पर मुख्य मुकाबला बीजेपी, आजसू और जेडीयू गठबंधन का कांग्रेस, झामुमो और आरजेडी गठबंधन से है. झारखंड में इन दोनों गठबंधन के अलावा जेकेएलएम जैसी पार्टियां भी मैदान में उतरी है, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है.

झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है. 2019 में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन को 47 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी 25 सीटों पर ही सिमट गई थी..

आज कैबिनेट की बैठक में हेमंत सरकार लेगी बड़ा फैसला,महिलाओं को दी जाने वाली मंईयां सम्मान राशि 2500 रुपये प्रति माह करने की तैयारी


झा. डेस्क 

हेमंत सोरेन सरकार एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली राशि 2500 रुपये प्रति माह करने की तैयारी कर ली गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, चौथी किस्त एक हजार रुपये नवंबर में महापर्व छठ के मौके पर देने के बाद पांचवीं किस्त दिसंबर से 2500 रुपये दी जाएगी। इसका लाभ 53 लाख से अधिक महिलाओं को मिलेगा।

आज कैबिनेट की बैठक

सम्मान राशि में ढाई गुना बढ़ोतरी का निर्णय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सोमवार को होने जा रही कैबिनेट की बैठक में लिया जा सकता है। ऐसा होने पर हर लाभुक महिला को हर साल 30 हजार रुपये मंईयां सम्मान राशि मिलेगी। 

संभावना है कि कैबिनेट बैठक में इससे संबंधित महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी जाए।

अब तक चार चरणों में निकाली गई मंईयां सम्मान यात्रा के दौरान महिलाओं का जोरदार समर्थन मिला है। यात्रा के दौरान महिलाओं की ओर से मंईयां सम्मान राशि बढ़ाने की मांग भी होती रही है। यात्रा की अगुवाई कर रहीं महिला, बाल विकास मंत्री बेबी देवी कई मंचों से मंईयां सम्मान राशि बढ़ाने की बात लगातार कहती आई हैं। मंईयां सम्मान यात्रा का 5वां चरण जल्द शुरू होने जा रहा है।

इधर, सूचना है कि झारखंड सरकार की मंत्री बेबी देवी, मंत्री दीपिका पांडेय सिंह और विधायक कल्पना सोरेन दक्षिणी छोटानागपुर के विभिन्न जिलों में छह दिनों के दौरे पर रहेंगी। इस दौरान महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना के बारे में नई जानकारी से भी अवगत कराया जाएगा।

राज्य सरकार की ओर से कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाने पर बड़ी संख्या में झारखंड की महिलाओं को लाभ होगा। चुनाव के मद्देनजर भी सरकार की ओर से इसे एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।

16.5 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भार

मंईयां सम्मान राशि को एक हजार रुपये प्रति लाभुक प्रति माह से ढ़ाई गुना बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह करने के बाद राज्य सरकार पर करीब 16.5 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा। यह सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण निर्णय होगा। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव और संबंधित विभागों के सचिवों के बीच मैराथन बैठक के बाद दिसंबर से मंईयां सम्मान राशि 2500 रुपये करने पर सहमति बन गई है। सूत्रों के अनुसार एक हजार रुपये मंईयां सम्मान के समय योजना पर 6720 करोड़ रुपये एक साल का व्यय था।

18 से 50 वर्ष की महिलाओं को मिल रहा योजना का लाभ

मंईयां सम्मान योजना का लाभ 18 वर्ष से 50 वर्ष की आयु वाली राज्य की महिलाओं को मिलता है। अगस्त से इस योजना के तहत महिलाओं को एक हजार रुपये सम्मान राशि दी जा रही है। तीसरी किस्त नवरात्र पर करीब 53 लाख से अधिक महिलाओं को उनके बैंक खाते में स्थानांतरित की जा चुकी है। अब चौथी किस्त छठ पर्व पर देने की घोषणा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कर दी है।

चतरा से बीजेपी सांसद कालीचरण को आया हार्ट अटैक, गंभीर हालत में रिम्स में भर्ती, बाबूलाल मरांडी ने अस्पताल पहुँच कर ली जानकारी

झारखंड डेस्क 

चतरा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद कालीचरण सिंह को रविवार की रात छाती में अचानक तेज दर्द हुआ, जिसके बाद वह बेहोश हो गए । 

आनन फानन में सांसद को सदर अस्पताल चतरा में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टर्स ने डेढ़ घंटे तक उन्हें होश में लाने की कोशिश की, हालांकि, सांसद को होश नहीं आ सका. इसके बाद बेहतर इलाज के लिए डॉक्टर्स ने उन्हें रिम्स रेफर कर दिया। 

हार्ट अटैक के बाद जब सांसद कालीचरण सिंह को सरकारी एंबुलेंस से रांची लाया जा रहा था तो रास्ते में ही एंबुलेंस का तेल खत्म हो गया। इसके बाद रास्ते में रूक कर एंबुलेंस में तेल भराया गया। सांसद के करीबी ने बताया कि ये सरकार की लापरवाही है, सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए। 

जब एक सांसद के साथ ऐसा हो सकता है तो आम लोगों की परेशानी को समझा जा सकता है। 

जानकारी के मुताबिक एक सम्मान समारोह के दौरान ही उन्हें छाती में हल्का दर्द महसूस हुआ। इस संबंध में सांसद प्रतिनिधि विनय सिंह ने बताया कि सांसद का सुबह से ही बीपी लो था। ग्रामीणों के आग्रह पर उन्हे कान्हाचट्टी जाना पड़ा. उसके बाद से तबीयत बिगड़ गई। फिलहाल, चिकित्सक डॉ. अजहर की निगरानी में सांसद को एंबुलेंस से रिम्स, रांची रेफर किया गया है। कालीचरण सिंह को रांची पहुंचने पर रिम्स के इमरजेंसी कॉर्डियक डिपार्टमेंट में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है। 

डॉक्टरों ने उनकी ईसीजी की जो नॉर्मल था उसके बाद उन्हे वॉर्ड में भर्ती कराया गया। सांसद को देखने के लिए रात में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास समेत अनेक बीजेपी नेता आये। फिलहाल सांसद की तबीयत नियंत्रित बताई जा रही है।

आज झारखंड सरकार की ओर से सीएम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के तहत अनुबंध आधारित 498 सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मी को देंगे नियुक्ति-पत्र

रांची। झारखंड में चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है। ऐसे में आचार संहिता लागू हो जायेगा। लिहाजा राज्य में सौगातों को सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज नियुक्ति पत्र बांटने वाला है। 

स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों को ये नियुक्ति पत्र दिया जायेगा। कैबिनेट की बैठक 12 बजे से शुरू होने वाली है। उससे पहले नियुक्ति पत्र वितरित किया जायेगा। 

 मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कल यानी सोमवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड अनुबंध आधारित 498 सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को नियुक्ति-पत्र देंगे। जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम प्रोजेक्ट भवन के सभागार में सुबह 11:30 बजे से शुरू किया जाएगा। यह कार्यक्रम धुर्वा स्थित प्रोजेक्ट भवन में आयोजित किया जा रहा है। 

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 498 सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को नियुक्ति-पत्र वितरित करेंगे।बता दें कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 76 नवनियुक्तों को नियुक्ति पत्र सौंपा था। इनमें झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद में 35 लॉ एग्जीक्यूटिव, 4 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, 21 अस्सिटेंट इंजीनियर और 10 स्कूल मैनेजर तथा झारखंड भवन नई दिल्ली तथा मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग में 6 कर्मी शामिल थे। नियुक्ति पत्र प्रदान कर हेमंत सोरेन ने उन्हें सरकार के अभिन्न अंग के रूप में जुड़ने के लिए शुभकामनाएं दी।

झारखंड सीएम ने 14 अक्टूबर को फिर बुलाई कैबिनेट की बैठक, इसमें में लिए जा सकते लोक लुभावन फैसले, इसके पूर्व 8 अक्टूबर को की गयी थी बैठक


झा. डेस्क 

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले हेमंत सरकार ने 14 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक बुलायी है. यह बैठक दिन के 12 बजे से शुरू होगी . मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसकी अध्यक्षता करेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि यह मौजूदा सरकार के कार्यकाल का अंतिम बैठक होने वाला है. बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है.

झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग जल्द कर सकता है. इसलिए ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि सोमवार को हेमंत सोरेन सरकार की इस कैबिनेट में कई लोकलुभावन फैसले लिये जा सकते हैं.

 यह 6 दिनों के अंदर में सरकार की दूसरी कैबिनेट बैठक है. इससे पहले 8 अक्टूबर को भी कैबिनेट की बैठक बुलायी गयी थी. जिसमें 81 प्रस्तावों पर मुहर लगी थी.

इससे पहले 8 अक्टूबर की बैठक में भी कई लोकलुभावन फैसले लिये गये थे. जिसमें मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना में संशोधन करने सहमति बनी. इसके तहत अब हर 25 की जगह 50 मेधावी विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा सकेंगे. इसके लिए कोटिवार विद्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी की गयी है. अब अनुसूचित जनजाति के 20 और अनुसूचित जाति के 10 और पिछड़ा वर्ग के 14 विद्यार्थियों को राज्य सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाएगी. इसके अलावा कैबिनेट ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग की सुविधा प्रदान करेगी. इसके अलावा आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के सेवा नियमावली में सुधार का निर्णय लिया.

गिरीडीह के साढ़े 3 लाख लोगों का बिजली बिल हुआ माफ, आइये जानते हैं किसे मिल रहा योजना का लाभ


झारखंड सरकार की बकाया बिल माफी योजना के तहत गिरिडीह के तीन लाख 53 हजार 293 उपभोक्ताओं का बकाया बिजली बिल माफ हो गया, है । 

मुख्यमंत्री ऊर्जा खुशहाली योजना के तहत इन सभी ग्राहकों का बिजली बिल माफ (शून्य) हुआ है। गुरुवार को टाउन हॉल में सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने उपभोक्ताओं को बिजली बिल माफी प्रमाण-पत्र दिया। इस योजना के तहत कम बिजली इस्तेमाल करने वालों का बिल माफ किया गया है। इस दौरान करीब 3 अरब से ज्यादा का बिजली बिल माफ किया जा चुका है।

बिजली उपभोक्ताओं के बिल माफी को लेकर बात करते हुए जीएम प्रतोष कुमार ने कहा कि पांच अक्तूबर तक शिविर लगाकर उपभोक्ताओं का बकाया बिजली बिल माफ हुआ है, उन्हें प्रमाण-पत्र देने का काम किया जाएगा। कार्यपालक अभियंता मृणाल गौतम ने कहा कि योजना के तहत वैसे घरेलू उपभोक्ताओं जो 200 यूनिट या उससे कम का प्रतिमाह बिजली खपत करते हैं, उनका बिजली बिल माह अगस्त तक माफ किया गया है।

अब तक कितना बिल हुआ माफ

जिले में 375 करोड़ 43 लाख 31 हजार 683 रुपए का बकाया बिजली बिल को शून्य किया गया है। जेई अमित कुमार ने कहा कि शहर के 6600 उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ मिला है। इसके अलावा ऐसे लोगों का बिल माफ किया गया है जो इस योजना के तहत लाभार्थी होने की योग्यता रखते हों। सर्टिफिकेट वितरण में मौके पर एसडीओ मधुसूदन मांजी, सुरजीत उपाध्याय, जीतू आदि थे।

दिल्ली सरकार के तर्ज़ पर हेमंतसरकार ने किया काम 

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी दिल्लीवासियों को फ्री बिजली की सुविधा दे रखी है। हालांकि, इसके लिए एक शर्त है कि यह फ्री सुविधा ऐसे लोगों को ही मिलती है, जो प्रति महीने सिर्फ 200 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करते हैं। इससे ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को पूरा बिजली का बिल देना पड़ता है। इसी तर्ज पर झारखंड सरकार की तरफ से योजना शुरू की गई है।

पति ने दुर्गापूजा में साड़ी नहीं खरीदी तो पत्नी ने कर ली आत्महत्या, घर में छाया मातम


झारखंड डेस्क 

झाऱखंड में एक पत्नी ने इसलिए जहर खाकर जान दे दी, क्योंकि पति ने दुर्गापूजा में उसके लिये साड़ी नहीं खरीदी। मामला चतरा के सदर थाना क्षेत्र के किशुनपुर गांव का है। 

महिला का नाम पूनम देवी है। पति सुनील भारती पूनम के इस कदम से हैरान है, उसका कहना है कि अगर मालूम होता कि सिर्फ साड़ी के लिए उसकी पत्नी जान दे देगी, तो वो कभी ऐसा नहीं करता।

परिजनों के मुताबिक मृतक पूनम अपने पति सुनील भारती से दुर्गा पूजा के अवसर पर साड़ी खरीदने की जिद कर रही थी। पति सुनील इसे लेकर टाल रहा था। जिसके बाद गुस्से में महिला ने जहर पी लिया। गंभीर हालत में उसे सदर अस्पताल में लाया गया जहां इलाज के दौरान चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

 घटना वाले दिन बेटा सुनील अपनी पत्नी और अपने चार अन्य बच्चों को साथ लेकर कपड़े खरीदने के लिए बाजार गया हुआ था जहां से बच्चों के कपड़ों की खरीदारी हो चुकी थी। लेकिन बेटे सुनील के पास नकद पैसे नहीं होने के कारण बहु को अगले दिन साड़ी खरीदने की बात कह कर घर ले आया। 

जिससे वह नाराज थी इसी बीच उसने विषपान कर आत्महत्या किया। घटना के बाद परिवार में मातम का माहौल है,वहीं जानकारी के बाद पुलिस मामले की में जांच जुटी हुई है। वहीं घर में बच्चों को रो रोकर बुरा हाल है।

रांची में विजयादशमी धू-धूकर जला 70 फीट का रावण, सीएम हेमंत सोरेन पहुंचे कार्यक्रम में


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : शारदीय नवरात्र की समाप्ति के बाद आज विजयादशमी के मौके पर देशभर में रावण दहन का कार्यक्रम हुआ। वहीं पंजाबी हिंदू बिरादरी द्वारा मोरहाबादी मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला का कार्यक्रम किया गया। लोग बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयदशमी बना रहे हैं। इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सम्मिलित हुए। 

रांची के मोरहाबादी मैदान में रावण सहित तीन पुत्रों को लगाया गया जिसमें रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट, कुंभकरण के पुतले की ऊंचाई 65 फीट और मेघनाथ के पुतले की ऊंचाई 60 फीट थी। मोरहाबादी मैदान में शाम 4:00 बजे से ही इस बार उत्तर प्रदेश के कलाकारों की ओर से जीवंत झांकी निकाली गई। इतना ही नहीं, पायरो फायर वर्क्स मुंबई और कोलकाता की टीम की आतिशबाजी आकर्षण का केंद्र रहा। यह मुख्य अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रहे, साथ में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, विधायक सीपी सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहेंगे। इस वर्ष लंका दहन कार्यक्रम के दौरान 30×30 का स्वर्ण नगरी बनाया गया, जिसका दहन रामभक्त हनुमान रूपी कलाकार ने किया।

पंजाबी हिन्दू बिरादरी द्वारा मोरहाबादी में आयोजित दशहरा एवं लंका दहन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रावण के पुतले का दहन किया। वहीं, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ कुंभकर्ण और पूर्व मंत्री सह स्थानीय विधायक सीपी सिंह मेघनाथ का पुतला दहन किया।

बता दे राजधानी रांची समेत 8 जगहों पर रावण दहन होता है। मोरहाबादी मैदान, अरगोड़ा, हुंडरू मैदान, नामकुम के सिदरौल, टाटीसिल्वे मैदान, शालीमार मैदान एचइसी, झखड़ाटांड़ व महादेव टंगरा में रावण दहन का कार्यक्रम होता है।

बोकारो स्टील प्लांट के एक DGM की कार दुर्घटनाग्रस्त होकर तालाब में गिरी, डूबने के कारण हुई मौत

झा.डेस्क

बोकारो: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के बोकारो स्टील प्लांट से दुखद खबर आ रही है। एक डीजीएम की सड़क हादसे में मौत हो गई है।

 तालाब में कार गिरने की वजह से डीजीएम खुद को बचा नहीं सके, जबकि कार में सवार बेटा किसी तरह गेट खोलकर बाहर निकलने में सफल हो गया।

मौत की खबर लगते ही प्लांट से लेकर घर तक कोहराम मच गया। घटनास्थल पश्चिम बंगाल के चास एरिया के आसपास का है। 

इसलिए पोस्टमार्टम वहीं हो गया है। शव बोकारो लाया जा रहा है। अंतिम संस्कार पटना में किया जाएगा।

अंधविश्वास : सौ साल से पहले से झारखंड के एक मंदिर में लगता है भूतों का मेला, पेड़ में कील ठोक कर किये जाते हैं शैतान को कैद

झारखंड डेस्क 

पलामू :जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर हैदरनगर में भूतों का मेला लगता है. जहां एक ओर झारखंड में अंधविश्वास ओझा गुणी डायन के खिलाफ सख्त कानून है तो वही दूसरी ओर इस अंधविश्वास के मेले में पुलिस प्रशासन ही सुरक्षा मुहैया करती है. 

कभी किसी अधिकारी ने इस मेले में चिकित्सा कैंप लगवाने का प्रयास नहीं किया. अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने वाली किसी संस्था ने यहां जागरूकता अभियान नहीं चलाया. ऐसा भी नहीं है कि हैदरनगर देवी धाम आने वाले सभी अंधविश्वासी हैं. इसमें बड़ी संख्या मां भगवती में आस्था रखने वाले पूजा-पाठ करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की है.

सौ साल से पहले से ही होता आ रहा मेले का आयोजन

भूतों का मेला साल में दो बार शारदीय नवरात्र व चैत नवरात्र में लगता है. आज साइंस के युग में भूत-प्रेत अंधविश्वास है. लेकिन इस भूत मेले में पहुंचने वाले लोगों की आस्था देखकर कोई भी हैरान हो सकता है. हजारों लोग नवरात्र के दौरान प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए हैदरनगर के देवी धाम पहुंचते हैं. 

पुजारी ने बताया कि सौ साल से अधिक समय से हैदरनगर देवी धाम मंदिर परिसर में मेले का आयोजन होता आ रहा है. इस मेले में बिहार, यूपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा व पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में लोग पंहुचते हैं. उनकी आस्था हैदरनगर के देवी धाम मंदिर से जुड़ी हुई है.  

पूरे नौ दिनों तक लगता है मेला 

बता दें कि, नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिनों तक हैदरनगर देवी धाम मंदिर परिसर में भूत मेला का आयोजन किया जाता है. प्रथम दिन से महानवमी तक लगने वाले इस मेले में श्रद्धालुओं के अलावा कथित भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित लोग भी आते हैं. ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की अधिक संख्या इन्हीं की रहती है. भूत मेले की कुछ ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आती है कि किसी के भी रौंगटे खड़े हो सकते हैं. 

प्राचीन पेड़ में कील ठोक कर किया जाता है भूत-प्रेतों को कैद

हैदरनगर देवी धाम परिसर में एक प्राचीन पेड़ मौजूद है. इस पेड़ में हजारों की संख्या में कील ठोके हुए हैं. मान्यता है कि इन कील में भूत-प्रेतों को कैद किया गया है. पूरे नौ दिनों तक देवी धाम परिसर में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा रहती है. मध्य प्रदेश के सिंगरौली से झाड़-फूंक कराने हैदरनगर आए व्यक्ति ने दावा किया कि प्रेत बाधा होती है, जिसे यहां दूर किया जाता है. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए अलग-अलग फीस लगती है. 

24 घंटे रहती है महिलाओं की भीड़


हैदरनगर देवी धाम परिसर में हजारों की संख्या में लोग प्रेत बाधा से मुक्ति की कामना को लेकर पहुंचते हैं. मेला परिसर में चारों तरफ टेंट और तंबू नजर आता है. शारदीय नवरात्र बरसात के बाद ही आता है. इस लिए इस मेला में आने वाले लोगों को काफी कठिनाई होती है. नौ दिनों तक देवी मां की आराधना होती है. इस मौके पर ओझा गुणियों द्वारा झाड़-फूंक किया जाता है. मेले में हजारों की संख्या में महिलाओं की भीड़ 24 घंटे जमा रहती है. 

देवी धाम में पूजा करने के बाद मजार पर किया जाता है फातेहा


बिहार के रोहतास निवासी रविंद्र कुमार बताते हैं कि, वह पिछले आठ वर्षों से यहां लगातार आ रहे हैं. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए वह हर वर्ष हैदरनगर आते हैं. देवी मां की आराधना के बाद उनके परिवार में खुशहाली आई है. वहीं, मंदिर के मुख्य पुजारी त्यागी महाराज बताते हैं कि हैदरनगर में देवी मां की आराधना से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. हैदरनगर देवी धाम परिसर एकता व आपसी सौहार्द की मिसाल है. जिस वक्त मंदिर की स्थापना हुई थी, उस वक्त से ही मंदिर परिसर में जिन्न बाबा का मजार भी है. जो लोग देवी मां की पूजा करने आते हैं, उसके बाद मजार पर फातेहा भी कराते हैं. यहां वर्षों से मुजाविर का काम करने वाले आशिक अली बताते हैं कि हर दिन सैकड़ों लोग चादरपोशी के लिए यहां पहुंचते हैं. वह कोई मीठी चीज का फातेहा भी कराते हैं.

पहले जम्होर में लगता था मेला


शारदीय और चैत नवरात्र में मंदिर प्रबंधन कमेटी को लाखों रुपये की आमदनी होती है. इन पैसों को मंदिर के विकास और भक्तों को सुविधा उपलब्ध करवाने में खर्च किया जाता है. भूत मेला को लेकर मंदिर प्रबंधन समिति एक महीने पहले से तैयारी शुरू कर देती है. हैदरनगर देवी धाम परिसर में मां शीतला देवी मौजूद हैं. एक हलवाई परिवार 1887 के आसपास औरंगाबाद के जम्होर से हैदरनगर पंहुचा था. उन्होंने ही इस मंदिर में मेला शुरू कराया था. 'एक पड़ताल में पता चला कि इस तरह का मेला पहले जम्होर में लगता था. वहां के हलवाई परिवार ही झाड़-फूंक का काम करते थे. यही कारण है कि आज भी उन्हीं हलवाई परिवारों की बनाई गई चीनी की मिठाई यहां प्रसाद के रूप में इस्तेमाल होती है