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आज का इतिहास:आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने पारित किया था ऑनलाइन कॉपीराइट विधेयक


नयी दिल्ली : 12 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1964 में 12 अक्टूबर के दिन ही विश्व में पहली बार सोवियत संघ ने बिना स्पेस सूट पहनाए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा था।

1989 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने यहां के ध्वज को नष्ट करने पर प्रतिबंध संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी।

2013 में आज ही के दिन फैलिन (चक्रवात) ने ओडिशा तट पर दस्तक दी थी।

2007 में 12 अक्टूबर को ही अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अलगोर व संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय पैनल (आईपीसीसी) को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।

2005 में आज ही के दिन चीन ने अपना दूसरा अंतरिक्ष यान शेन्जू-6 2 अंतरिक्षयात्रियों के साथ पृथ्वी की कक्षा में भेजा था।

2004 में 12 अक्टूबर के दिन ही पाकिस्तान ने गौरी-1 मिसाइल का परीक्षण किया था।

2001 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र और उसके महासचिव कोफी अन्नान को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी।

2000 में 12 अक्टूबर के दिन ही अंतरिक्ष यान डिस्कवरी फ्लोरिडा से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।

1998 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने ऑनलाइन कॉपीराइट विधेयक को पारित किया था।

1992 में 12 अक्टूबर के दिन ही मिस्त्र की राजधानी काहिरा में भूकंप से लगभग 510 लोगों की मौत हो गई थी।

1989 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने यहां के ध्वज को नष्ट करने पर प्रतिबंध संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी।

1968 में 12 अक्टूबर को ही ईक्वाटोरियल गिनी को स्पेन से स्वतंत्रता मिली थी और इसी दिन को देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया था।

12 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1980 में आज ही के दिन समाजशास्त्र किरण मिश्रा का जन्म हुआ था।

1938 में 12 अक्टूबर को ही प्रसिद्ध उर्दू शायर और गीतकार निदा फाजली का जन्म हुआ था।

1919 में आज ही के दिन भाजपा की लोकप्रिय नेता और ‘ग्वालियर की राजमाता’ विजियाराज सिंधिया जी का जन्म हुआ था।

1911 में 12 अक्टूबर के दिन ही भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी विजय मर्चेन्ट का जन्म हुआ था।

1908 में आज ही के दिन प्रसिद्ध वैज्ञानिक आत्माराम का जन्म हुआ था।

12 अक्टूबर को हुए निधन

1967 में आज ही के दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानी डा. राममनोहर लोहिया का निधन हुआ था।

बेंगलुरु में अनोखी चोरी कबूतर की मदद से शख्स ने 50 से अधिक फ्लैट में कर डाली चोरी, जानें कैसे दिया अंजाम

बेंगलुरु: मंजूनाथ नाम के इस शख्स को 'परिवाला मांजा' के नाम से भी जाना जाता है। पुलिस ने आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया है। बेंगलुरु की यह घटना सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रही है। यूजर्स इस खबर को पढ़कर हैरान रह गए हैं।

बेंगलुरु में एक शख्स ने 50 से अधिक घरों में चोरी कर डाली। लेकिन उसका चोरी करने का तरीका इतना अलग है कि पूरी घटना के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इस तरह का मामला आपने खुद ना पहले देखा होगा ना सुना होगा। 

दरअसल, 38 साल का मंजूनाथ उर्फ परिवाला मांजा चोरी करने के लिए हमेशा बंद घरों को ही निशाना बनाता था। वो कबूतरों की मदद से चोरी के लिए घर की पहचान करता था और घटना को अंजाम देता था।हसौर में रहने वाला मंजूनाथ उर्फ परिवाला मांजा बेंगलुरु के नागरथपेट का है।

अधिकारियों का कहना है कि शहर भर में 50 से अधिक चोरी के पीछे उसी का हाथ है। मंजूनाथ अपने यूनिक टेक्नीक की वजह से वो आज तक पकड़ा नहीं जा सका। मंजूनाथ चोरी के लिए रेकी के दौरान कबूतर को अपने साथ लेकर जाता था। वो मुख्य रूप से बहुमंजिला इमारतों को निशाना बनाता था। उसकी रणनीति बिल्कुल सिंपल थी।

कबूतर की मदद से चोरी

वो एक या दो कबूतर को बिल्डिंग के आसपास छोड़ देता था। कबूतर उड़कर बालकनी में जाकर बैठ जाते थे। मंजूनाथ फिर बिल्डिंग के कैंपस में घुस जाता था। अगर कोई उससे सवाल करने लगता था तो बताता था कि वो बस अपने कबूतर को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। एक बार बंद घर का पता चलते ही मंजूनाथ लोहे की रॉड से दरवाजे को तोड़ देता था। इसी टूल की मदद से वो कपबोर्ड को भी तोड़ता था और चोरी करता था।

सोने-कैश पर नजर

वो मुख्य रूप से सोने के जेवर और कैश को चोरी करता था जिसे बाद में होसुर में जाकर बेच देता था। पहले भी मंजूनाथ कई बार गिरफ्तार हो चुका है लेकिन जेल से निकलते ही वो वापस अपराध का ही रास्ता चुन लेता था। अभी गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने सिटी मार्केट में और उल्सूर गेट में हुई चार चोरी की घटनाओं को सुलझाने में मदद मिली है।

दिनदहाड़े चोरी

पुलिस अधिकारी ने ये भी कहा कि मंजूनाथ अकेले इन घटनाओं को अंजाम देता था। दिन में जब काम की वजह से लोग व्यस्त रहते हैं तब वो रेकी कर चोरी करता था। उसकी गिरफ्तारी को पुलिस एक बड़ी सफलता के रूप में देख रही है और साथ ही उम्मीद की जा रही है और अधिक चोरी के सामान को रिकवर किया जा सकेगा।

दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से भगवान शिव का मिलता है आशीर्वाद,धार्मिक और पौराणिक महत्त्व।

नयी दिल्ली : धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकंठ हैं. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है. नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है. भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं. उड़ते हुए नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना सौभाग्य का सूचक माना जाता है।

विजय दशमी के इस मंगल पर्व पर आइए जानते हैं नीलकंठ पक्षी दर्शन का महत्व, कथा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां. नीलकंठ दर्शन से बन जाते हैं सारे काम, दशहरे के दिन क्या है इस पक्षी का महत्व? जानिए यहां

नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो... इन पंक्तियों के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नीलकंठ को भगवान शिव के प्रतीक के रूप में माना जाता है. ऐसा कहा गया है कि विजयादशमी यानी दशहरा के दिन अगर आपको यह नीलकंठ पक्षी नजर आ जाए तो आपके लिए यह काफी शुभ होता है. दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

नीलकंठ पक्षी को यह नाम उसके गले के नीले रंग की वजह से मिला था. भगवान शिव को भी नीलकंठ कहा जाता है क्योंकि समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और दानवों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया था, तब उसमें से निकले विष को पीकर भगवान शिव ने संसार का कल्याण किया था. लेकिन विष भगवान के गले में ही रह गया था, जिससे उनका गला नीला है और नीले गले की वजह से वे नीलकंठ कहलाए. आइए जानते हैं आखिर दशहरा पर्व पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन क्यों आपके भाग्य जगा सकते हैं?

क्यों शुभ माना गया है नीलकंठ पक्षी का दर्शन?

दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना भी बहुत शुभ माना गया. क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इस पक्षी को माता लक्ष्मी जी का ही एक स्वरूप माना गया है. लेकिन इस पक्षी का दर्शन इतनी आसानी से नहीं होता है, क्योंकि अन्य दिनों की तरह यह दशहरे के दिन भी बड़ी मुश्किल से दिखता है. एक जगह तो ये भी कहा गया है “नीलकंठ के दर्शन पाए, घर बैठे गंगा नहाए.” यदि आपको दशहरा पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाते हैं तो आपका भाग्य चमक जाता है और आपको हर कार्य में सफलता मिलती है.

नीलकंठ को सुख समृद्धि, शांति, सौम्यता और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है. दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं. सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है

नीलकंठ पक्षी के दर्शन पर इस मंत्र का जाप किया जाता है: कृत्वा नीराजनं राजा बालवृद्धयं यता बलम्, शोभनम खंजनं पश्येज्जलगोगोष्ठसंनिघौ। नीलग्रीव शुभग्रीव सर्वकामफलप्रद, पृथ्वियामवतीर्णोसि खञ्जरीट नमोस्तुते

नीलकंठ दर्शन का महत्व

खगोपनिषद् के ग्यारहवें अध्याय के अनुसार नीलकंठ साक्षात् शिव का स्वरूप है तथा वह शुभ-अशुभ का प्रतीक भी है. नीलकंठ महादेव का मंगलकारी एवं शांत मूर्त के अंतर्गत एक सौम्य स्वरूप माना जाता है, इस सौम्य स्वरूप के विषय में श्रीमद्भागवत के आठवें अध्याय में एक कथा आई है, जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से हलाहल नामक विष निकला, उस समय सभी देवों की प्रार्थना तथा पार्वती जी के अनुमोदन से शिवजी ने हलाहल का पान कर लिया और हलाहल को उन्होंने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा. नीलकंठ का जूठा फल खाने से मनवांछित लाभ, सौभाग्य वृद्धि एवं सुखमय वैवाहिक जीवन का योग बनता है.

क्या है कथा?

विजयादशमी के दिन ही भगवान राम ने रावण का संहार कर असत्य पर सत्य की विजय पताका लहरायी थी. अधर्म का नाश करने के बाद प्रभु श्री राम ने माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाया था. ऐसी मान्यता है कि अहंकारी रावण के साथ अंतिम युद्ध से पहले भगवान श्री राम ने नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे. तभी से ये माना जाने लगा कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करके अगर किसी काम के लिए निकला जाए तो निश्चित ही सिद्ध और सफल होता है.

वहीं एक अन्य कथा के अनुसार रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप से बचने के लिए लक्ष्मण के साथ महादेव भोलेनाथ की पूजा की थी तब शिव जी ने राम भगवान को नीलकंठ रूप में ही दर्शन दिए थे।

तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है कि भगवान राम की बारात निकलते समय काफी सुंदर माहौल था, चारो तरफ शकुन होने लगे, जिसमें नीलकंठ पक्षी बायीं ओर दाना चुग रहा है. शकुन का अर्थ है अच्छा समय जो शुभ कार्य के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसलिए नीलकंठ पक्षी का दिखना हमारे कार्यों के पूर्ण होने का संकेत है।

कब है दशहरा?

आश्विन मास की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है. दशहरे का शुभ मुहूर्त दशमी तिथि यानी 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा और 13 अक्टूबर 2024, सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. दशहरा पर्व शनिवार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसके बाद प्रदोष काल में रावण दहन किया जाएगा. रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 54 मिनट से शाम 07 बजकर 26 मिनट तक है. जबकि पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 02 मिनट से दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक होगा।

तमिलनाडु में रेल हादसा: दरभंगा एक्सप्रेस से मालगाड़ी टकराई,दो बोगियों में लगी आग,राहत कार्य जारी

तमिलनाडु में शुक्रवार की रात रेल हादसा हुआ है। ट्रेन मैसूर से पेरम्बूर होते हुए बिहार के दरभंगा जा रही थी। इसी दौरान ट्रेन की तिरुवल्लूर के पास कवारप्पेट्टई रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टक्कर हो गई।

मालगाड़ी से टकराने के बाद दरभंगा एक्सप्रेस के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए. हादसे के बाद दरभंगा एक्सप्रेस की दो बोगियों में आग भी लग गई है।घटना के बाद ट्रेन में सवार यात्रियों को किसी तरह से बाहर निकाला जा रहा है. हादसे में 5 यात्रियों के घायल होने की भी सूचना मिली है. दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन मैसूर से दरभंगा जा रही थी।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, दरभंगा एक्सप्रेस ने स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारी है. टक्कर के समय एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड कितनी थी इसे लेकर भी अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं है. टक्कर के तुरंत बाद रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे हुए है. राहत व बचाव कार्य भी शुरू कर दिया गया है।

घटना के बाद से अब यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर जिस पटरी पर मालगाड़ी पहले से खड़ी थी पर उस पर एक्सप्रेस ट्रेन कैसे आ गई है? क्या लाइन मैंन की तरफ से कोई गड़बड़ी हुआ या फिर कोई बात थी. टक्कर इतनी जोरदार थी कि काफी दूर तक आवाज सुनाई दी थी. टक्कर के बाद स्टेशन पर भी अफरा तफरी मच गई.

दो दिन पहले यूपी में टला था बड़ा हादसा

दो दिन पहले ही यानी गुरुवार को यूपी के बिजनौर में ट्रेन पलटाने की बड़ी साजिश सामने आई थी. जहां, रेलवे ट्रैक पर पत्थर रखे मिले थे. जिस ट्रैक पर पत्थर रखे मिले थे उसी पर मेमो एक्सप्रेस ट्रेन आ गई. जब तक ड्राइवर कुछ समझ पाता ट्रेन पत्थरों को तोड़ते हुए आगे बढ़ गई. ट्रेन जब पत्थरों से टकराई तो ड्राइवर को तेज आवाज सुनाई दी. इसके बाद उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर गाड़ी रोक दी.

रेलवे ने शुरू की जांच

जांच में पता चला कि अप और डाउन लाइन की रेल पटरी पर दोनों तरफ लगभग 20 मीटर तक पत्थर रखे हुए थे. घटना की सूचना मिलते ही जीआरपी प्रभारी पवन कुमार, आरपीएफ के धन सिंह चौहान, सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलवे ट्रैक पर जहां पत्थर रखा गया था घटनास्थल पहुंच कर जांच की. इसके बाद रेलवे पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी।

आज का इतिहास:11 अक्टूबर को ही भारत की शांति सेना ने की थी श्रीलंका में ऑपरेशन पवन की शुरुआत

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 11 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

1987 में आज ही के दिन भारत की शांति सेना ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन की शुरुआत की थी और यह अभियान लिट्टे का कब्‍जा खत्‍म कर जाफना को फ्री कराने के लिए चलाया गया था।

11 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2002 में आज ही के दिन नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र ने लोकेन्द्र बहादुर को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। 2005 में 11 अक्टूबर के दिन ही तीसरे अंतरिक्ष पर्यटक ग्रेगोरी ओल्सन पृथ्वी पर लौटे थे।

2008 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौगांव स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर कश्मीर की घाटी में चलने वाली पहली रेलगाड़ी को रवाना किया था।

2007 में 11 अक्टूबर के दिन ही ब्रिटेन के उपन्यासकार डोरिस लैसिंग को वर्ष 2007 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था।

2005 में आज ही के दिन तीसरे अंतरिक्ष पर्यटक ग्रेगोरी ओल्सन पृथ्वी पर लौटे थे।

2000 में 11 अक्टूबर के दिन ही दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड की ओर से हैन्सी क्रोनिए पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था।

1987 में आज ही के दिन भारत की शांति सेना ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन की शुरुआत की थी और यह अभियान लिट्टे का कब्‍जा खत्‍म कर जाफना को फ्री कराने के लिए छोड़ा गया था।

1984 में 11 अक्टूबर के दिन ही अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक कैथरीन डी सुलिवन अंतरिक्ष में सैर करने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनी थीं।

1968 में आज ही के दिन अमेरिका का पहला मानवयुक्त ओपोलो मिशन ‘अपोलो 7’ के प्रक्षेपण का कक्षा से पहली बार टेलीविजन प्रसारण किया गया था।

1936 में 11 अक्टूबर के दिन ही ‘प्रोफेसर क्विज’ के नाम से रेडियो पर पहले क्विज कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था।

1932 में आज ही के दिन न्यूयॉर्क में राजनीतिक अभियान के लिए पहला प्रसारण किया गया था।

1910 में 11 अक्टूबर को ही थियोडोर रूजवेल्ट हवाई जहाज में यात्रा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे।

1881 में आज ही के दिन अमेरिकी आविष्कारक डेविड हेंडरसन हॉस्टन ने कैमरों के पहले रोल फिल्म का पेटेंट कराया था।

11 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1916 में आज ही के दिन समाजसेवी चंडिका अमृतराव देशमुख का जन्‍म हुआ था।

1916 में 11 अक्टूबर के दिन ही ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के मज़बूत स्तंभ और प्रख्यात समाजसेवक नानाजी देशमुख का जन्म हुआ था।

1942 में आज ही के दिन भारतीय अभिनेता अमिताभ बच्चन का जन्म हुआ था।

11 अक्टूबर को हुए निधन

1896 में आज ही के दिन महान संगीतज्ञ ऐंटन ब्रॉटनर का निधन हुआ था।

1911 में 11 अक्टूबर के दिन ही विवेकानंद की सहयोगी तथा शिक्षिका तथा समाज सेविका सिस्टर निवेदिता का निधन हुआ था।

2002 में आज ही के दिन 120 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम करने वाली प्रसिद्ध अभिनेत्री दीना पाठक का निधन हुआ था।

दिल्ली में दशहरे की धूम: दुनिया का सबसे ऊंचा रावण का पुतला लंबाई 211 फुट, 40 लोगों को बनाने में लगे 4 महीने, लाखों में आया खर्च


नयी दिल्ली :- आपको जानकर हैरानी होगी कि राजधानी दिल्ली में इस दशहरा दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया जाएगा. जी हां, इस पुतले की ऊंचाई 211 फुट और बनाने का खर्च लाखों में आया है।

दुनिया के सबसे ऊंचा 'रावण'

आपको जानकर हैरानी होगी कि राजधानी दिल्ली में इस दशहरा दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया जाएगा. जी हां, इस पुतले की ऊंचाई 211 फुट और बनाने का खर्च लाखों में आया है।

211 फुट ऊंचा रावण का पुतला

द्वारका में 211 फुट ऊंचा रावण का पुतला बनाने में 40 कारीगरों को चार महीने का समय लगा. हरियाणा के बरारा गांव के कारीगरों द्वारा निर्मित इस पुतले को 12 अक्टूबर को दशहरे के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दहन किया जाएगा।

नवरात्र के पहले दिन हुआ स्थापित

रामलीला समिति के अध्यक्ष राजेश गहलोत के अनुसार, नवरात्र के पहले दिन सेक्टर 10 के डीडीए ग्राउंड में ‘कलश स्थापना’ के दौरान यह पुतला स्थापित किया गया था.

कितना आया खर्च?

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के पुतले को बनाने का खर्च 30 लाख रुपये आया है. इतने महंगे पुतले को दहन करने के लिए शायद ही आपका दिल गवाही दे.

पहनाया गया मखमली कपड़ा

गहलोत ने बताया, 'यह रावण का अब तक का सबसे ऊंचा पुतला है, जिसकी ऊंचाई 211 फुट है. इसे मखमली कपड़े से सजाया गया है और लोहे से बनाया गया है. इसे 40 कारीगरों की टीम ने चार महीने में बनाया है.'

PM मोदी को भेजा निमंत्रण

समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हर साल की तरह इस भव्य आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण भेजा है. समिति के अध्यक्ष ने बताया, 'अभी तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है लेकिन हमें उम्मीद है.' समिति 14 साल से रावण दहन का आयोजन करती आ रही है.

12वां रावण दहन

गहलोत ने बताया, 'यह हमारा 12वां रावण दहन होगा क्योंकि हम कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दो साल दशहरा नहीं मना पाए थे.'

कागज से नहीं बना रावण का पुतला

उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि पुतला बनाने में कागज का इस्तेमाल नहीं किया गया. वहीं, लव कुश रामलीला समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने कहा कि 120 फुट का रावण का पुतला बनाने में करीब दो महीने लगे.

कुंभकर्ण और मेघनाद के भी पुतले

कुमार ने बताया कि रावण, कुंभकर्ण (रावण का छोटा भाई, 110 फुट) और मेघनाद (रावण का सबसे बड़ा पुत्र, 100 फुट) के पुतलों का निर्माण उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के 18 कारीगरों द्वारा किया गया है।

ताजनगरी में दिल दहला देने वाली हत्या,महिला की सिर कुचल कर हत्या;लाश के पास बैठी रो रही थी बच्ची, मंजर देख सहमे लोग

आगरा : ताजनगरी के एतमादुद्दौला क्षेत्र के यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास महिला का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने से हड़कंप मच गया. शव का सिर कुचला हुआ था और उसके पास एक मासूम बैठे रो रही थी. 

राहगीरों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. महिला के शव की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है. मासूम भी कुछ नहीं बता पा रही है. पुलिस ने महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

पुलिस के मुताबिक, गुरुवार दोपहर करीब तीन बजे राहगीरों ने एतमादुद्दौला थाना पुलिस को सूचना दी कि यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास झाड़ियों में एक महिला का शव पड़ा है. शव के पास एक बच्ची बैठी रो रही है. आशंका है कि महिला और बच्ची को ट्रेन से फेंका गया है. 

जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस जब रेलवे लाइन के पास झाड़ियों में पहुंची तो महिला की लाश पड़ी थी. महिला के सिर से खून निकल रहा था. आशंका है कि महिला की सिर कुचल कर हत्या की गई है. उसके पास बैठी रही बच्ची की उम्र करीब एक साल है.

एसीपी छत्ता हेमंत कुमार ने बताया कि, यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास महिला का संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिला है. महिला के शव के पास मासूम बच्ची बैठी रो रही है. महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

महिला की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं. यहां पर महिला कैसे और किसके पास पहुंची, उसकी हत्या किसने की जानकारी की जा रही है.

ताजनगरी में दिल दहला देने वाली हत्या,महिला की सिर कुचल कर हत्या;लाश के पास बैठी रो रही थी बच्ची, मंजर देख सहमे लोग


आगरा : ताजनगरी के एतमादुद्दौला क्षेत्र के यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास महिला का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने से हड़कंप मच गया. शव का सिर कुचला हुआ था और उसके पास एक मासूम बैठे रो रही थी. 

राहगीरों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. महिला के शव की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है. मासूम भी कुछ नहीं बता पा रही है. पुलिस ने महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

पुलिस के मुताबिक, गुरुवार दोपहर करीब तीन बजे राहगीरों ने एतमादुद्दौला थाना पुलिस को सूचना दी कि यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास झाड़ियों में एक महिला का शव पड़ा है. शव के पास एक बच्ची बैठी रो रही है. आशंका है कि महिला और बच्ची को ट्रेन से फेंका गया है. 

जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस जब रेलवे लाइन के पास झाड़ियों में पहुंची तो महिला की लाश पड़ी थी. महिला के सिर से खून निकल रहा था. आशंका है कि महिला की सिर कुचल कर हत्या की गई है. उसके पास बैठी रही बच्ची की उम्र करीब एक साल है.

एसीपी छत्ता हेमंत कुमार ने बताया कि, यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास महिला का संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिला है. महिला के शव के पास मासूम बच्ची बैठी रो रही है. महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

महिला की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं. यहां पर महिला कैसे और किसके पास पहुंची, उसकी हत्या किसने की जानकारी की जा रही है.

रसोई का बजट बढ़ेगा! आटा-चावल-दाल होंगे महंगे,आम ग्राहकों के लिए इतने बढ़ेंगे दाम


नयी दिल्ली : फरवरी में केंद्र सरकार ने 29 प्रति किलो के हिसाब से 5 किलो और 10 किलो पैक में चावल बेचने की शुरुआत की थी पर अब इनकी कीमतों को बढ़ाने की तैयारी कर ली गई है।

त्योहारी सीजन में अब आपकी रसोई का बजट भी बढ़ने वाला है क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से जो सस्ता आटा, चावल, दाल मिल रहे थे, उनके दाम बढ़ाने की तैयारी हो गई है. 

केंद्र सरकार की ओर से रियायती दरों पर खाने-पीने के उत्पाद मुहैया कराए जा रहे थे. सरकार के मंत्रिस्तरीय पैनल ने उनके दाम बढ़ने के लिए चर्चा कर ली है और अब जब जल्द ही बढ़े हुए दाम पर इनकी बिक्री शुरू की जाएगी. 

नहीं मिलेगा सस्ता आटा-चावल-दाल

आम लोगों के लिए ये बुरी खबर हो सकती है कि इस बार भारत आटा, चावल, दालें इन सब की बिक्री बढ़े हुए दामों पर की जाएगी. एक हफ्ते में इनकी बिक्री शुरू की जाएगी. हालांकि इसके लिए लोगों को ज्यादा दाम चुकाने होंगे.

जानें कौन से अनाज के लिए कितने दाम देने होंगे

10 किलो आटे के दाम 275 रुपये से बढ़कर 300 रुपये होंगे

10 किलो चावल के दाम 295 रुपये से बढ़कर 320 रुपये होंगे

1 किलो चने की दाल के दाम 60 रुपये से बढ़कर 70 रुपये प्रति किलो होंगे।

इस बार क्या होगा खास

एक खबर के मुताबिक भारत दाल (मूंग) के लिए 107 रुपये प्रति किलो के रेट रखे जा सकते हैं और भारत दाल (मसूर) को इस बार सस्ते खाद्य उत्पादों की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. इसके लिए 89 रुपये प्रति 10 ग्राम के लिए रेट तय किया जा सकता है.

कब से शुरू हुई है भारत आटे-दाल-चावल बेचने की शुरुआत

फरवरी में केंद्र सरकार ने 29 प्रति किलो के हिसाब से 5 किलो और 10 किलो पैक में चावल बेचने की शुरुआत की थी. 275 रुपये प्रति 10 किलो के बैग में भारत आटे को बेचने की शुरुआत नवंबर 2023 में की गई थी. हालांकि जून में इनकी बिक्री को बंद कर दिया गया था।

सूत्रों से क्या अहम जानकारी मिली

सरकारी सूत्रों के मुताबिक दरअसल सरकार इस समय स्टॉक में रखे गए चावल को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बांटना चाहती है. एक तरफ तो सरकार चावल की सब्सिडी पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहती है, वहीं स्टॉक में रखे चावल की बड़ी सप्लाई को भी एडजस्ट करना चाहती है. 

वहीं साल 2024-25 मार्केटिंग ईयर के लिए भी ताजा सरकारी खरीद चालू हो चुकी है. इसके चलते अगले छह महीने में वेयरहाउस को खाली करने का दबाव होगा जिससे नई चावल और गेहूं की फसल को रखने के लिए जगह बन सके।

सरकार ने पहले ही चावल की बिक्री साप्ताहिक ई-ऑक्शन के जरिए करनी शुरू कर रखी है जिसके चलते इस वित्त वर्ष में एक लाख टन से ज्यादा की बिक्री या उठाव किया जा चुका है. इस तरह चावल के बढ़े हुए स्टॉक को भी प्रबंधित करने की कोशिश की जा रही है।

इसरो का पांचवां चंद्रमा मिशन: लूपेक्स से चांद के ध्रुवीय इलाके की खोज

नई दिल्ली:- अपने पिछलों मिशनों में चांद फतह कर चुका इसरो अब चंद्रमा पर और बड़े स्केल पर मिशन की तैयारी में है। इसी दिशा में इसरो के महत्वाकांक्षी लूपेक्स मिशन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग की मंजूरी मिल चुकी है। लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन या लूपेक्स को इसरो जापानी अंतरिक्ष एजेंसी, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ पूरा करेगा।

गौरतलब है कि यह इसरो का पांचवां चंद्रमा मिशन होगा। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब इसरो चंद्रयान 4 की तैयारियों में लगा हुआ है। इस बीच पांचवें मिशन की भी मंजूरी मिल गई है। अब इस मिशन को कैबिनेट से मंजूरी दी जानी है। इसके बाद मिशन का रास्ता साफ हो जाएगा।

चंद्रयान मिशन की सीरीज पर काम कर रहा इसरो

इसरो का कहना है कि वह चंद्रयान मिशन की एक पूरी सीरीज बनाना चाहता है, जिससे ऐसी क्षमता विकसित की जा सके कि भविष्य में इंसानों को सफलतापूर्वक चांद पर ले जाया और वापस लाया जा सके। बात करें लूपेक्स मिशन के तो इसके तहत इसरो लैंडर का विकास करेगा, जबकि जापान की एजेंसी जाक्सा रोवर बनाएगी।

यह रोवर अपने साथ इसरो और जाक्सा के उपकरणों के साथ-साथ नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के उपकरण भी साथ लेकर जाएगा।

मिशन के माध्यम से चंद्रमा पर स्थायी गतिविधियों के लिए आधार बनाने के उद्देश्य से ध्रुवीय इलाके की खोज की संभावना का भी पता लगाया जाएगा। साथ ही चांद की सतह पर जल संसाधन की मौजूदगी को लेकर भी जानकारी हासिल की जाएगी।