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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे गुट को लगा झटका! 7 पूर्व पार्षदों ने थामा ठाकरे का दामन

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। कल्याण-डोंबिवली में शिंदे गुट के कई नेताओं ने उद्धव ठाकरे का साथ चुन लिया है। रविवार को शिंदे समूह के युवा सेना सचिव दीपेश म्हात्रे, सात नगरसेवकों एवं सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ शिवसेना के ठाकरे गुट में सम्मिलित हो गए। ये नेता ठाकरे समूह के प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास 'मातोश्री' में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कुछ दिन पहले शिंदे गुट के विधायक एवं मंत्री रवींद्र चव्हाण और दीपेश म्हात्रे के बीच विवाद हुआ था, जिससे म्हात्रे नाराज चल रहे थे। अब डोंबिवली में ठाकरे गुट ने शिंदे गुट को बड़ा झटका दिया है। शिंदे गुट के प्रदेश सचिव दीपेश म्हात्रे ने अपने साथियों के साथ शिवसेना ठाकरे गुट में सम्मिलित होकर उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में मशाल थामी। दीपेश म्हात्रे के साथ उनके भाई और पूर्व पार्षद जयेश म्हात्रे, रूपेश म्हात्रे, रत्नताई म्हात्रे, सुलोचना म्हात्रे, संगीता भोईर, वसंत भगत, और संपतताई शेलार समेत सात पूर्व पार्षद भी शिवसेना में सम्मिलित हुए। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि यदि यह निर्णय थोड़ा पहले लिया गया होता, तो गुंडागर्दी और अत्याचार लोकसभा में ही समाप्त हो जाते। उन्होंने कहा कि कल्याण-डोंबिवली शिवसेना, हिंदुत्व और शिव राय का गढ़ है, जहां अब गद्दारी का दाग लगा है। उन्होंने इस दाग को धोकर भगवा को मशाल बनाकर जलाने की अपील की। ठाकरे ने कल्याण-डोंबिवली को फिर से शिवसेना का मजबूत गढ़ बनाने का आह्वान किया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि कई लोगों को यह गलतफहमी हो गई थी कि उन्होंने बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया है और शिवसेना हिंदुत्व से दूर हो गई है। उन्होंने कहा, "आपकी आंखों पर जो पट्टी बंधी थी, वह अब खुल गई है। अब आपको समझ आ गया है कि असली हिंदुत्व और शिवसेना बालासाहेब के विचारों से दूर नहीं गए हैं। महाराष्ट्र को बेचना कभी भी बालासाहेब का विचार नहीं था और न ही हो सकता है।" आगे उन्होंने कहा, "हम आत्मसम्मान के साथ जिएंगे, कंगाली में नहीं। हिन्दू हृदय सम्राट ने हमें सिखाया था कि यदि एक दिन जीना है तो बकरी की तरह नहीं, बल्कि शेर की तरह जियो। मुझे खुशी है कि आप वापस आ गए। अगर यह फैसला थोड़ा पहले लिया गया होता, तो गुंडागर्दी लोकसभा में ही खत्म हो गई होती।" उद्धव ठाकरे ने कहा कि सत्ता, पैसा एवं अंधराष्ट्रवाद के बावजूद, शिवसेना-प्रेमी मतदाताओं ने साधारण कार्यकर्ताओं को 4 लाख वोट दिए और उन लोगों की जीत सुनिश्चित की।
रतन टाटा अस्पताल में भर्ती, अपनी तबियत पर खुद दिया जवाब, इंस्टा पर किया पोस्ट, चिंता की कोई बात नहीं

रतन टाटा ने सोमवार को अपनी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर फैली चिंताओं को दूर किया। आज सुबह उन्हें रक्तचाप में अचानक गिरावट के कारण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया था। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा, "चिंता की कोई बात नहीं है।" रतन टाटा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह अपने स्वास्थ्य से जुड़ी अफवाहों से वाकिफ हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ये सभी दावे पूरी तरह से गलत हैं। उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ अपनी उम्र और उससे संबंधित चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। मैं अच्छे मूड में हूं।" उन्होंने जनता और मीडिया से गलत जानकारी फैलाने से बचने की अपील भी की। इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, "मेरे बारे में सोचने के लिए धन्यवाद।" 86 वर्षीय रतन टाटा, जो एक उद्योगपति, मानवतावादी और परोपकारी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं, जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। जमशेदजी ने एक छोटे से व्यवसाय की शुरुआत की थी, जो अब विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। टाटा समूह की कंपनियों का कारोबार ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस, रक्षा, आईटी, स्टील, रियल एस्टेट, वित्तीय सेवाओं, विमानन, ई-कॉमर्स और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। रतन टाटा 1991 से 2012 तक और फिर 2016 से 2017 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। हालांकि वे अब कंपनी के दैनिक कामकाज से दूर हैं, फिर भी वे टाटा ट्रस्टों के प्रमुख बने हुए हैं। उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण जैसे बड़े नागरिक सम्मान मिले हैं। सेवानिवृत्ति के बाद रतन टाटा सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो गए हैं। खासतौर पर पशु अधिकारों और कुत्तों के प्रति उनकी संवेदनशीलता के चलते उनकी पोस्ट्स लोगों का ध्यान आकर्षित करती हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है, जिससे वे भारत के सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले उद्यमी बन गए हैं।
बंगाल के बीरभूम जिले में कोयला खदान में हुआ भीषण धमाका, 7 लोगों की मौत, कई अन्य घायल

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित एक कोयला खदान में हुए धमाके के कारण 7 लोगों की जान चली गई है, जबकि कई अन्य घायल हो गए हैं। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह दुर्घटना बीरभूम के लोकपुर थाना क्षेत्र में स्थित गंगारामचक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (GMPL) की कोलियरी में हुई, जहां कोयला क्रशिंग के दौरान अचानक विस्फोट हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों और सूत्रों का कहना है कि यह हादसा उस वक्त हुआ जब खदान में कोयला क्रशिंग के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा रहा था। विस्फोट इतनी तेजी से हुआ कि मौके पर काम कर रहे कई अधिकारी और कर्मचारी अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकले। इस घटना में कई मजदूर भी बुरी तरह घायल हुए हैं। धमाके के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। बचे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा है और उन्हें प्राथमिक उपचार मुहैया कराया जा रहा है। घटना के बाद पुलिस मृतकों के परिवारों से संपर्क करने का प्रयास कर रही है और हादसे के कारणों की जांच कर रही है। स्थानीय बीजेपी विधायक भी घटना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द पीड़ितों को सहायता देने की अपील की है। इस खदान में काम करने वाले कई मजदूरों का कहना है कि सुरक्षा के इंतजामों में खामियां थीं, जिसके कारण इस हादसे की आशंका पहले से ही थी। स्थानीय लोग भी खदान के संचालन पर सवाल उठा रहे हैं। फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी है, और पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
चेन्नई: IAF के शो के दौरान बिगड़े हालात, 5 लोगों की दुखद मौत, 200 जख्मी अस्पताल में इलाजरत

चेन्नई के मरीना बीच पर आयोजित IAF एयर शो के दौरान 72 विमानों का प्रदर्शन रविवार को कई दर्शकों के लिए दुखद घटना में बदल गया। शो में कम से कम पांच लोगों की अत्यधिक थकावट और निर्जलीकरण के कारण मौत हो गई, जबकि 200 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अधिकारियों के अनुसार, एक व्यक्ति की मौत मरीना बीच पर हुई, जबकि चार अन्य लोगों की मौत पास के क्षेत्रों में हुई। सभी मृतक उन 1.5 मिलियन लोगों में से थे, जो भारतीय वायुसेना के पराक्रम को देखने के लिए समुद्र तट पर एकत्र हुए थे। तमिलनाडु सरकार के एक बयान में बताया गया कि अधिकांश मरीजों को रोयापेट्टा और ओमानदुरार अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है, हालांकि राजीव गांधी अस्पताल में दो मरीज अभी भी इलाजरत हैं। सरकार ने इस बात से इनकार किया कि भीड़ के कुप्रबंधन के कारण मौतें हुईं। घटनास्थल से सामने आई तस्वीरों में आपातकालीन कर्मियों को बेहोश लोगों को स्ट्रेचर पर ले जाते हुए देखा जा सकता है। लगभग 30 से अधिक लोगों को निर्जलीकरण के लक्षणों के चलते निकटवर्ती सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। AIADMK नेता कोवई सत्यन ने इस घटना के लिए सरकार की आलोचना करते हुए इसे 'पूरी तरह से कुप्रबंधन' का नतीजा बताया और तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने परिवार के साथ आराम से कार्यक्रम देखा, जबकि आम जनता कठिनाइयों का सामना कर रही थी। सत्यन ने आरोप लगाया कि आयोजन में कोई सार्वजनिक संबोधन प्रणाली नहीं थी, पानी के बूथ भी नदारद थे, और चिकित्सा सहायता का भी अभाव था। उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री में ज़रा भी आत्म-जागरूकता और सहानुभूति है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। तमिलनाडु भाजपा प्रमुख अन्नामलाई ने भी इस घटना के लिए डीएमके सरकार पर निशाना साधते हुए उन्हें बुनियादी सुविधाओं की कमी और भीड़ नियंत्रण में विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया। अन्नामलाई ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि वह इस दुखद घटना से स्तब्ध हैं और सरकार द्वारा उचित व्यवस्था न किए जाने को इसका कारण बताया। उन्होंने कहा कि IAF के एयर शो के दौरान बुनियादी सुविधाओं और पर्याप्त परिवहन का प्रबंध न होने के कारण इस घटना में 5 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
कब तक कठपुतली की तरह नाचते रहेंगे मुसलमान?” हरियाणा-कश्मीर के चुनावी नतीजों से पहले रिजिजू का सवाल*
#kiren_rijiju_targets_congress_keeping_muslims_as_vote_bank
मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री और तीसरे कार्यकाल में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे किरेन रिजिजू ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बांटने के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बांटने के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही वीडियो शेयर करते हुए रिजिजू ने अंग्रेजी की दो लाइनें लिखीं। पहले में उन्होंने मुसलमानों को वॉर्निंग देते हुए कहा, 'My warning to the Muslims: Do not become vote bank of the Congress!' दूसरी लाइन में उन्होंने हिंदुओं और अन्य को वॉर्निंग दी। रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की बांटो और राज करो वाली नीतियों के पीड़ित न बनें। किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानती है। चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी कहती है कि उसका 15 प्रतिशत वोट शेयर मुस्लिम वोट आरक्षित है। ये पार्टी की मानसिकता दर्शाता है। ये पार्टी की मानसिकता दर्शाता है और ये मुसलमानों के लिए भी बड़ा नुकसान है। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस का मूल प्लान ही यही है कि मुसलमानों को वोट बैंक बनाकर रखो और हिंदुओँ को बांटो। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे राहुल गांधी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इसलिए आजकल राहुल गांधी के मुंह से एससी-एसटी, ओबीसी जैसे शब्द निकल रहे हैं। एससी, एसटी, ओबीसी के अंदर की जो तकलीफें हैं उसका एबीसीडी भी राहुल गांधी को पता नहीं है लेकिन हर वक्त उनके मुंह से एससी, एसटी, ओबीसी निकलता रहता है। उनको इसी बात का पाठ पढ़ाया गया है। उन्होंने मुसलमान को वोट बैंक बनाया और अब एसटी, एससी, ओबीसी को हिंदुओं में विभाजित करके वोट हासिल करना चाहते हैं। इससे देश को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। रिजिजू ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। पीएम मोदी के इस अभियान को बाधित करने के लिए कांग्रेस ने डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी को अपनाया है। अंग्रेजों ने भी हिंदुओं को विभाजित किया अब और कांग्रेस पार्टी फिर से हिंदुओं को विभाजित करना चाहती है। मैं समझता हूं देश को सबसे ज्यादा नुकसान ऐसी चीज से होगा। ऐसे में हमको संगठित रहना होगा। हम मुसलमानों से भी कहना चाहेंगे कि कब तक आप कांग्रेस का वोट बैंक बनकर कठपुतली की तरह नाचते रहेंगे। पीएम मोदी ने समाज के हर तबके के लिए काम किया है। सरकार की योजनाओं का सबको लाभ मिल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र पर विदेश मंत्री जयशंकर का तंज, बोले- यह पुरानी कंपनी की तरह...*
#s_jaishankar_calls_un_an_old_company
दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत आज इस हालत में पहुंच गई है कि इसकी उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं। आज दुनिया के दो मुहाने पर युद्ध लड़े जा रहे हैं। कभी ऐसे ही हालातों के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया था। आज एक बार फिर वैसे ही हालात उत्पन्न हो गए हैं, तो उसके अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने परोक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर कटाक्ष किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को एक पुरानी कंपनी बताया और यह भी कहा कि आज इसकी प्रासंगिकता नहीं बची है। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए जयशंकर ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रहा है जिससे देशों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने पर मजबूर होना पड़ा है। जयशंकर ने कहा, “चूंकि यह एक आर्थिक सम्मेलन है, इसलिए मैं आपको एक व्यावसायिक उत्तर देता हूं। जयशंकर ने यूएन की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक पुरानी कंपनी की तरह है जो बाजार के साथ पूरी तरह से नहीं चल पा रही है, लेकिन जगह घेरे हुए है। जब कंपनी दुनिया से पिछड़ जाती है तो स्टार्टअप और इनोवेशन शुरू होते हैं। अलग-अलग लोग, अपनी-अपनी चीजें करना शुरू कर देते हैं। *युद्ध के हालात के बीच यूएन को बताया दर्शक* एस जयशंकर ने आगे कहा कि दुनिया में दो बहुत ही गंभीर संघर्ष चल रहे हैं। और इन पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका क्या है? विदेश मंत्री ने कहा, 'निश्चित रूप से एक दर्शक की।' जयशंकर ने कहा, आखिरकार संयुक्त राष्ट्र तो है, लेकिन यह काम करने में बहुत कमजोर है, हालांकि यह अभी भी एकमात्र बहुपक्षीय खिलाड़ी है, लेकिन जब यह प्रमुख मुद्दों पर आगे नहीं आता है, तो देश अपने-अपने तरीके खोज लेते हैं। *कोविड के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर क्या कहा?* कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने इसके सीमित योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, संभवतः हमारे जीवन में जो सबसे बड़ी घटना घटी वह कोविड थी। जरा सोचें कि कोविड में संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया, मुझे लगता है कि इसका उत्तर बहुत अधिक नहीं है। कोविड के दौरान भी देखा, देशों ने या तो अपने तरीके से काम किया या कोवैक्स जैसी पहल सामने आई, जिसके पीछे देशों का ग्रुप था। *संयुक्त राष्ट्र अब एकमात्र रास्ता नहीं-जयशंकर* विदेश मंत्री ने कहा, आजकल जब बड़े मुद्दों की बात आती है, तो आप पाएंगे कि देशों के समूह एक साथ आकर कहते हैं कि, आइए इस पर सहमत हो जाएं और इसे करें। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा, लेकिन एक गैर-यूएन स्पेस भी तेजी से विकसित हो रहा है, जो एक्टिव स्पेस है।विदेश मंत्री ने जयशंकर ने आगे कहा कि हालांकि अभी संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व बना है। मगर यह अब वैश्विक समस्याओं पर देशों के सहयोग के लिए एकमात्र रास्ता नहीं है।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: एग्जिट पोल में एनसी-कांग्रेस गठबंधन की बल्ले-बल्ले, कहां चूक गई बीजेपी?
#jammu_and_kashmir_exit_poll_results जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग पूरी खत्म हो चुकी है। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। उससे पहले शनिवार को एग्जिट पोल्स जारी किए गए।जम्मू-कश्मीर चुनाव को लेकर जारी लगभग सभी एक्जिट पोल्स में त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए गए हैं। यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे बड़े दल बनकर उभरने का अनुमान जताया गया है। एनसी-कांग्रेस गठबंधन को 41 सीटें मिलती दिख रही है।बीजेपी को 27 से 32 सीट मिलने का अनुमान है। अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह पहला चुनाव है। इन चुनावों में बीजेपी को झटका लगता दिख रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी को इस झटके की वजह क्या है। बेशक जम्मू में अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर भाजपा को समर्थन प्राप्त है,लेकिन स्थानीय भाजपा नेताओं के प्रति जनमानस में अंसतोष, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा न मिलना, उसके लिए नुकसानदायक साबित हुआ है। उसने जिस तरह से बार बार खानदानी सियासत को निशाना बनाया, उससे भी आम मतदाता चिढ़े थे। वहीं, कश्मीर में आम मतदाताओं को कांग्रेस-नेकां यह समझाने में कामयाब रही है कि अनुच्छेद 370 और 35 को सिर्फ इसलिए हटाया क्योंकि जम्मू कश्मीर एक मुस्लिम बहुल प्रदेश है। दूसरा ,जम्मू कश्मीर में अब बाहरी लोगों को रोजगार और नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी। उनके लिए पहचान का संकट बन जाएगा। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार को जममू कश्मीर के लिए राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली पर केंद्रित रखते हुए स्थानीय भावनाओं को उभारने का भी प्रयास किया। उसका फायदा भी उन्हें चुनाव में मिला। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं का आह्वान किया था कि यह स्वाभिमान एवं अधिकारों का चुनाव है तथा राज्य का दर्जा छीनने वालों को सबक सिखाने का यह आखिरी मौका है। उन्होंने कहा था कि यह युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने, भ्रष्टाचारियों से मुकाबला करने, अपने भूमि अधिकारों की रक्षा करने और प्रगति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक-एक वोट मूल्यवान है। वहीं, बीजेपी की तरफ से जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार से दूर रखने के नाम पर वोट मांगे गए थे।
हरियाणा में हैट्रिक से चूकी बीजेपी! क्या किसानों-जवानों-पहलवानों की नारजगी का असर*
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हरियाणा के चुनाव नतीजे आने में बस 24 घंटे रह गए हैं। राज्य में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को सभी 90 सीटों पर वोटिंग हुई।वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। किसी भी सर्वे में बीजेपी बढ़त बनाते हुए नहीं दिखी। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई। राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को इस चुनाव में किसान, जवान, पहलवान जैसे मुद्दों की वजह से नुकसान हुआ। किसान आंदोलन की वजह से किसान भाजपा से नाराज थे। पहलवाल के साथ हुए विवाद का भी खासा असर पड़ा और अग्निवीर योजना भी भाजपा के गले की फांस बन गई। *किसानों- जाटों की नाराजगी पड़ी भारी* किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के किसानों ने उसी तरह की नाराजगी दिखाई थी, जैसी पंजाब के किसानों ने। ध्यान देने लायक है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य के मंत्रियों को कई जगहों पर किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। पंजाब की ही तरह यहां किसान परिवारों की संख्या अच्छी भली है। किसान भी ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का अहम जरिया है। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए। किसानों में जाट वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है। हरियाणा में जाट बीजेपी के स्वाभाविक वोटर भी नहीं रहे हैं। *अग्निवीर पर आक्रोश* किसानों की इस नाराजगी को सेना में नियमित भर्ती की जगह अग्निवीर योजना से और हवा मिली। हरियाणा वो राज्य है जिसकी देश की आबादी में हिस्सेदारी महज 2 फीसदी के आस-पास है। जबकि सेना में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी से कुछ ज्यादा होती है। राज्य की आबादी के हिसाब से ये बहुत बड़ी और प्रभावी संख्या है। अग्निवीर की व्यवस्था लागू होने किए जाने के केंद्र के फैसले से जो राज्य सबसे ज्यादा नाराज हुए हैं उनमें हरियाणा प्रमुख है। हरियाणा के युवाओं को ये बात गले से नहीं उतरती कि पांच साल की सेवा के बाद रिटायर अग्निवीर को सरकार ने पैरामिलिट्री और दूसरी जगहों पर नौकरियां देने का वायदा कर रखा है। *पहलवानों का दाव* राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट ने उस समय के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध में आवाज उठाई। ये मामला किसी न किसी रूप से हरियाणा के लिए बड़ा सवाल था। यही वो राज्य है जहां के पहलवान मेडल जीत कर दुनिया भर में भारत का नाम उंचा करते हैं। पेरिस ओलंपिक की घटना के बाद विनेश जब लौट कर भारत में आईं तब भी बीजेपी ने पार्टी के स्तर पर उनके आंसू पोछने का कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हरियाणा के वोटरों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा काम किया गया हो। उल्टे विनेश और उनके साथ बजरंग पूनिया पहलवान कांग्रेस के पाले में चले गए। दोनों रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ कर सीधी लड़ाई में आ गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे कर चुनाव लड़ाया। *बागियों ने बिगाड़ा खेल* इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।
बड़ी खबर : लैंड फॉर जॉब मामले में लालू परिवार को बड़ी राहत, लालू, तेजस्वी, तेजप्रताप समेत 8 आरोपियों को मिली जमानत*

डेस्क : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में आज सोमवार को लालू प्रसाद, तेजस्वी और तेजप्रताप यादव समेत आठ आरोपियों को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी होने के बाद सभी को जमानत दे दी गई है। बता दें ईडी की सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। उसके बाद सभी लोग सशरीर उपस्थित हुए और उसके बाद सभी लोगों को जमानत दे दी गई है। आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुबह 10 बजे लालू परिवार की पेशी हुई। पेशी के लिए लालू फैमिली कोर्ट पहुंची थी। आज दिल्ली कोर्ट में कुल 8 आरोपियों की पेशी होनी थी, जिनमें लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव भी कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में तेजप्रताप यादव पहली बार पेश हुए। उसके बाद कोर्ट ने इन लोगों की जमानत मंजूर कर दिया है। बता दें कि जमीन के बदले नौकरी का यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री थे। उन पर आरोप लगा कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और रेलवे में ग्रुप डी में कई लोगों को जमीन के बदले नौकरी दी। पिछले महीने कोर्ट ने इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया है। जबकि इस केस से जुड़े हुए मामले में तीन की मौत हो चुकी है। दिल्ली की ईडी स्पेशल राउज एवेन्यू कोर्ट ने 8 लोगों को पेश होने का समन भेजा था। जिन आरोपियों को समन भेजा गया था, उनमें पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनके बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप के अलावे अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी शामिल हैं। वहीं, आज अदालत ने 1-1 लाख के निजी मुचलके पर सभी आरोपियों को जमानत दे दी है।
पांच दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, क्या उम्मीद लेकर आए हैं भारत?*
#maldives_president_mohamed_muizzu_india_visits_eyeing_a_bailout_package मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रविवार को अपनी पांच दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हैं। मोहम्मद मुइज्जू के भारत दौरे का की विश्ष वजह है। दरअसल, मालदीव इन दिनों भारी वित्तीय संकट में है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने भरोसा जताया है कि भारत इस द्वीपीय देश की मदद के लिए आगे आएगा। इसे देखते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत आ रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि भारत से बेलआउट पैकेज मिल जाएगा। सितंबर में मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 440 मिलियन डॉलर (3697 करोड़ रुपए) था। इतने से सिर्फ डेढ़ महीने आयात हो सकता है। मालदीव इन दिनों भारी वित्तीय संकट में है। इस देश के पास सिर्फ इतना पैसा है कि 45 दिन तक विदेश से जरूरी सामान आयात कर सके। इतने दिनों में पैसे का प्रबंध नहीं हुआ तो भारी परेशानी खड़ी हो जाएगी। विदेशी मुद्रा भंडार घटकर मात्र 440 मिलियन डॉलर रह जाने के कारण मालदीव खुद को ऋण भुगतान में चूक के खतरे के करीब है, क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार केवल छह सप्ताह के महत्वपूर्ण आयातों को कवर करने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में मालदीव में "डिफ़ॉल्ट जोखिम बहुत बढ़ गया है"। बीबीसी ने मुइज्जू के हवाले से एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, "भारत हमारी राजकोषीय स्थिति से पूरी तरह वाकिफ है और हमारे सबसे बड़े विकास साझेदारों में से एक होने के नाते वह हमारे बोझ को कम करने, हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के लिए बेहतर विकल्प और समाधान ढूंढने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।" साक्षात्कार में मुइज्जू ने आगे कहा, दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को स्वीकार किया, हालांकि उन्होंने अपने पहले के भारत विरोधी रूख पर बात करने से परहेज किया, जो एक प्रमुख मुद्दा था जिसने उनके राजनीतिक अभियान को परिभाषित किया। उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि किसी भी मतभेद को खुली बातचीत और आपसी समझ के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।" बता दें कि चीन समर्थक रुख के लिए मशहूर मुइज्जू ने पिछले साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभाला था, तब से भारत और मालदीव के बीच कूटनीतिक संबंधों में काफी तनाव देखने को मिला है। दरअसल, मुइज्जू अपने 'इंडिया आउट' अभियान के दम पर सत्ता में आए थे, जिसमें उन्होंने मालदीव से भारतीय सैनिकों और सहायक कर्मचारियों की वापसी की मांग की थी। शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद मुइज्जू ने द्वीप राष्ट्र से भारतीय सैन्यकर्मियों को तत्काल वापस बुलाने का आह्वान किया और इसके बाद नई दिल्ली ने अपनी सेना के स्थान पर नागरिक सैनिकों को तैनात कर दिया। इसके बाद, राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के बाद एक कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया। यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लक्षद्वीप द्वीपों का प्रचार करते हुए अपने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करने के बाद आई है। हालांकि मुइज्जू ने इसमें शामिल मंत्रियों को तुरंत उनके पदों से हटा दिया, लेकिन इस घटना के कारण भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई, जिसका असर मालदीव के पर्यटन क्षेत्र पर पड़ा।