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मेरा बाप अध्यक्ष है मै जिस लड़की को चाहूँ उस लड़की को छेड़ूँगा वीडियो देखकर आपकी आँखे दंग रह जाएंगी दिनदहाड़े लड़की से बदसलूकी करने के बाद इस लड़के के तेवर देखिये, न कोई डर न कोई खौफ वीडियो दिल्ली

मेरा बाप अध्यक्ष है मै जिस लड़की को चाहूँ उस लड़की को छेड़ूँगा
मेरा बाप अध्यक्ष है मै जिस लड़की को चाहूँ उस लड़की को छेड़ूँगा वीडियो देखकर आपकी आँखे दंग रह जाएंगी दिनदहाड़े लड़की से बदसलूकी करने के बाद इस लड़के के तेवर देखिये, न कोई डर न कोई खौफ वीडियो दिल्ली NCR की किसी कॉलोनी का बताया जा रहा इतना Repost करें कि ये जानवर गिरफ्तार हो
पाकिस्तान के दौरे पर जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर, SCO की बैठक में होंगे शामिल

#s_jaishankar_will_visit_pakistan_to_attend_the_sco_meet 

भारत और पाकिस्तान के बीच काफी लंबे समय से रिश्ते ठंडे पड़े हुए हैं। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर में पाकिस्तान जाएंगे। वे इस्लामाबाद में SCO (शंघाई सहयोग संगठन) के हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसकी जानकारी दी।15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में बैठक होगी। 2014 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मंत्री पाकिस्तान जाएगा। पिछले 9 साल में पहली बार होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान जाएगा।

विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जायसवाल से सवाल किया गया कि क्या जयशंकर की यात्रा भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की कोशिश है। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि भारत SCO चार्टर को लेकर प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्री की यात्रा का यही कारण है। इसका कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

दरअसल, पाकिस्तान ने 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को SCO मीटिंग के लिए न्योता दिया था। पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा था कि बैठक में भाग लेने के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है।

पाकिस्तान से बातचीत की संभावनाओं को खारिज किया था

पाकिस्तान की तरफ से न्योता आने के बाद 30 अगस्त को जयशंकर दोनों देशों के रिश्ते पर बयान दिया था। जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, 'पाकिस्तान से बातचीत करने का दौर अब खत्म हो चुका है। हर चीज का समय होता है, हर काम कभी ना कभी अपने अंजाम तक पहुंचता है।' जयशंकर ने आगे कहा था, 'जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो अब वहां आर्टिकल 370 खत्म हो गई है। यानी मुद्दा ही खत्म हो चुका है। अब हमें पाकिस्तान के साथ किसी रिश्ते पर क्यों विचार करना चाहिए।'

यूएन में पाक को लिया आड़े हाथ

वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेने के कुछ दिन विदेश मंत्री एस जयशंकर की ये यात्रा हो रही है। 28 सितंबर को जयशंकर ने कहा था कि कई देश अपने कंट्रोल से परे परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं। मगर, कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं, जिनके विनाशकारी परिणाम होते हैं। इसका उदाहरण हमारा पड़ोसी पाकिस्तान है।

विधायकों के साथ तीसरी मंजिल से कूदे महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नरहरि जिरवाल, जानें वजह

#maharashtra_government_minister_narhari_zirwal_attempted_suicide

महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवल ने शुक्रवार को मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी। उनके साथ विधायक हीरामन खोसकर भी कूद पड़े। हालांकि, नीचे जाल रहने के कारण उनकी जान बच गई।धनगर समाज को एसटी कोटे से आरक्षण देने का विरोध करते हुए उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगाई। उनका कहना था कि उनकी मांगें नहीं सुनी जा रही हैं, इसलिए नाराजगी में वह मंत्रालय से कूद गए।

झिरवल उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी गुट के विधायक हैं। बताया जा रहा है कि वे शिंदे सरकार की तरफ से धनगर समाज को एसटी का दर्जा दिए जाने के फैसले के खिलाफ हैं। वे अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।

जानकारी केअनुसार, नरहरी जिरवाल ने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगााई। जिरवाल के बाद कुछ और आदिवासी विधायक भी कूद गए। हालांकि, नीचे जाली रहने के कारण सभी की जान बच गई।इस मामले को लेकर जिरवाल और अन्य आदिवासी विधायकों ने शुक्रवार, 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। हालांकि, जब बात नहीं बनी तो उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी।

महाराष्ट्र में पिछले चार दिन से आदिवासी विधायक गुस्से में दिख रहे हैं। जिरवाल ने मुख्यमंत्री शिंदे से मुलाकात से पहले चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि सीएम हमारी बात नहीं सुनेंगे तो हमारे पास प्लान बी तैयार है। जिरवाल ने कहा कि हम एसटी आरक्षण को प्रभावित नहीं होने देना चाहते हैं। इसके बाद एक घंटे के अंदर उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर अपना गुस्सा जाहिर किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*
#jaishankar_visiting_srilanka
बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है। जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’ श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।" विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा। दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है। भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है। लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे। दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*

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बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है।

जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’

श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।"

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा।

दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है।

भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है।

लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे।

दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।

मुसलमानों को भाईचारे का संदेश, इजराइल को चेतावनी...जानें ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने क्या-क्या कहा

#muslims_should_live_together_in_brotherhood_said_iran_s_supreme_leader_khamenei

ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग के बीच आज तेहरान में हुई जुमे की नमाज बहुत ही खास रही। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने पहली बार जुमे की नमाज की अगुवाई की है।खामेनेई ने अपने संबोधन में कहा कि हम दुश्मनों के मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे। इस दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने सभी मुस्लिमों को भाईचारे का संदेश दिया।इसके साथ ही उन्होंने सभी मुश्लिम देशों को साथ आने के लिए कहा।

खामेनेई ने जुमे की नमाज के बाद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने मंगलवार को किए गए ईरान के हमले को लेकर कहा है कि ये हमला फिलिस्तीन के हक के लिए इजराइल पर हमला किया और आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो फिर इसे अंजाम देंगे। हमने अपनी जिम्मेदारी निभाई और आगे भी इसे निभाएंगे। हम न जल्दबाजी करेंगे न रुकेंगे।

खामेनेई ने कहा कि ये इस्लामी कानून है कि हम मुसलमानों की मदद करें और ये अंतरराष्ट्रीय कानून भी कहते हैं कि कोई अपनी जमीन की रक्षा करे। पिछले साल भी इसी समय में इस अत्याचार को अंजाम दिया गया। गाजा में जो हुआ वो सबने देखा। लोग ऐतराज जताते हैं कि हिजबुल्लाह गाजा के लोगों की मदद क्यों कर रहा है। लेकिन यह एक कानून है कि हम दुनियाभर के मुसलमानों की मदद करें।

ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने कहा कि अगर मुसलमान एकजुट हो जाएं तो सभी दुश्मन हार जाएंगे, क्योंकि हमें ऊपर वाले का साथ मिलेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अलग-अलग तरीकों के बावजूद, इस्लामी राष्ट्र का दुश्मन एकमात्र है और अहंकारी मुसलमानों के बीच विभाजन और कलह का कारण बनते हैं।

खामेनेई ने कहा कि ईरानी राष्ट्र का दुश्मन वही है, जो इराकी राष्ट्र का दुश्मन है। वही लेबनानी राष्ट्र का भी दुश्मन है, वही मिस्र राष्ट्र का दुश्मन है। हम सबका दुश्मन एक है। अपने इस बयान के जरिए उन्होंने सभी मुस्लिम राष्ट्र के लिए एकजुटता का संदेश दिया। खामेनेई ने इजराइल की तरफ संकेत करते हुए कहा जब वे एक देश से संतुष्ट हो जाते हैं, तो दूसरे देश में चले जाते हैं। हर देश जो दुश्मन के कब्जे में नहीं आना चाहता, उसे शुरू से ही सचेत रहना चाहिए। जब दुश्मन दूसरे देश में जाता है, तो उसकी मदद करनी चाहिए। हम मुसलमानों ने कई सालों तक इसकी उपेक्षा की। अपने पूरे भाषण के दौरान खामेनेई ने सभी मुस्लिम राष्ट्रों को एकजुट होने का संदेश दिया।

नसरल्लाह के मारे जाने के बाद खामनेई पहली बार देश को संबोधन किया। खामनेई इस दौरान क्या कुछ कह रहे हैं, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। सरल्लाह की मौत के बाद से किसी सीक्रेट जगह पर छिपे खामनेई आज पहली बार सार्वजनिक तौर पर बाहर निकले हैं।तेहरान में जुमे की नमाज और खामनेई के भाषण को सुनने के लिए बड़ी तादात में भीड़ जुटी। बड़ी संख्या में महिलाएं भी नमाज में शामिल हुईं।

सोमनाथ मंदिर के पास बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जानें क्या कहा

#supreme_court_on_bulldozer_action_in_somnath_temple 

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर अदालत के आदेश की अवमानना हुई तो संबंधित अधिकारी को जेल भेज दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि अगर बुलडोजर एक्शन गलत पाया जाता है तो सरकार को ही उसे दोबारा बनवाना होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।यहां मंदिर के आसपास कथित अवैध निर्माण पर हाल ही में बुलडोजर एक्शन हुआ था।कथित अवैध निर्माण को गिराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका पाटनी मुस्लिम जमात ने दाखिल की है। इसी याचिका पर पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।

अवमानना याचिका में गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस का हवाला दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर रोक के आदेश के बाद बड़े पैमाने पर तोडफोड की कार्रवाई की गई।

गुजरात सरकार की ओर से भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह तोड़फोड़ अभियान अदालत द्वारा 17 सितंबर के आदेश में सार्वजनिक स्थानों और जल निकायों से सटी भूमि पर अतिक्रमण के लिए बनाए गए अपवाद के अंतर्गत आता है। मामले का विषय सरकारी भूमि है, बेदखली की कार्यवाही 2023 में शुरू की गई थी।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हमारे आदेश की अवमानना हुई होगी तो हम उसे पुनर्स्थापित करने का आदेश देंगे और जिम्मेदार अधिकारी को जेल भी भेजेंगे। 

बता दें कि बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका है कि सिर्फ आरोपी होने पर किसी का घर गिरा देना उचित नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दोषी होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता है।

ग्लोबल टेंशन से बिखरा भारत का शेयर बाजार, ₹11 लाख करोड़ स्वाहा, सेबी की सख्ती का भी असर,

भारत ने नागरिकों के लिए जारी किए गाइड लाइन ग्लोबली टेंशन और सेबी की सख्ती के बीच भारतीय शेयर बाजार ने निवेशकों की लुटिया डुबो दी है। दरअसल, सप्ताह के चौथे दिन गुरुवार को शेयर बाजार के दोनों सूचकांक- सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट देखी गई। इस गिरावट की वजह से बीएसई पर सभी सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैपिटल करीब 11 लाख करोड़ रुपये घटकर 464.3 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। इस तरह एक ही दिन में निवेशकों के करीब 11 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। गुरुवार को ट्रेडिंग के दौरान सेंसेक्स 1800 अंक से अधिक गिर गया तो निफ्टी 50 में भी 500 अंक से ज्यादा की गिरावट देखी गई। कारोबार के अंत में बीएसई सेंसेक्स 1,769.19 अंक का गोता लगाते हुए 82,497 अंक और एनएसई निफ्टी 547 अंक फिसलकर 25250 अंक पर बंद हुआ। दरअसल, बीते कुछ दिनों से ईरान और इजराइल के बीच तनाव का माहौल है। ईरान ने इजराइली हमले में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह और अन्य कमांडरों की मौत के जवाब में इजराइल पर लगभग 200 मिसाइल दागी हैं। ईरानी कार्रवाई के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत ने जारी की एडवाइजरी ईरान-इजराइल जंग के मद्देनजर तनाव बढ़ने पर भारत ने अपने नागरिकों को ईरान की गैर-जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी। विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर ईरान में रहने वाले भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने और तेहरान स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने का भी आग्रह किया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ईरान में 4,000 से अधिक भारतीय नागरिक रह रहे हैं। एफएंडओ पर सेबी की सख्ती भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से डेरिवेटिव्स यानी फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (एफएंडओ) को लेकर नए नियम बनाए गए हैं। सेबी द्वारा इंडेक्स डेरिवेटिव में कॉन्ट्रैक्ट साइज की मिनिमम वैल्यू को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही वीकली एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक इंडेक्स तक सीमित कर दिया है। ऐसे में अब एक एक्सचेंज की ओर से सप्ताह में एक ही एक्सपायरी देखने को मिलेगी। सेबी की ओर से यह कदम रिटेल निवेशकों द्वारा डेरिवेटिव सेगमेंट में लगातार किए जा रहे नुकसान के बीच लिया गया है। कच्चे तेल की कीमतें ग्लोबली टेंशन की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है। तेल की कीमतों में वृद्धि भारत जैसे कमोडिटी के आयातकों के लिए नकारात्मक है, क्योंकि कच्चे तेल का देश के आयात बिल में महत्वपूर्ण योगदान है। ब्रेंट क्रूड कुछ समय के लिए 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 72 डॉलर के ऊपर पहुंच गया, दोनों बेंचमार्क पिछले तीन दिनों में लगभग 5% बढ़ गए हैं। पिछले सप्ताह चीन सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा के बाद विश्लेषकों ने चीन के शेयरो मार्केट में निरंतर वृद्धि की भविष्यवाणी की है। इससे डर है कि भारत में बिकवाली को बढ़ावा मिलेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले दो कारोबारी सत्रों में भारतीय इक्विटी से 15,370 करोड़ रुपये निकाले हैं।
जब तक आखिरी यहूदी जिन्दा है, तब तक जिहाद करो..', जाकिर नाइक ने उगला जहर

भारत से भागकर मलेशिया में शरण लेने वाले कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक ने हाल ही में पाकिस्तान पहुंचने पर नफरती बयानबाजी शुरू कर दी है। पाकिस्तान में धार्मिक मामलों के एक कार्यक्रम में शामिल होकर, नाइक ने यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद को इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल बताते हुए मुसलमानों को जिहाद के लिए प्रेरित किया। उसने इजरायल के खिलाफ जिहाद का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक अंतिम यहूदी को मार हीं दिया जाता, तब तक यह जिहाद जारी रहना चाहिए।

अपने नफरती भाषण के दौरान, नाइक ने गाजा के मुसलमानों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का समर्थन किया और कहा कि वे अल-अक्सा मस्जिद की रक्षा कर रहे हैं, जिसे वह मुसलमानों का एक धार्मिक कर्तव्य मानता है। नाइक ने जोर देकर कहा कि गाजा के मुसलमान जिहाद में संलग्न होकर इस्लाम के सम्मान की रक्षा कर रहे हैं, और यदि वे यह नहीं करेंगे, तो यह बाकी सभी मुसलमानों की जिम्मेदारी बन जाएगी। नाइक ने इस्लामिक विद्वान तकी उस्मानी द्वारा जारी एक फतवे का भी समर्थन किया, जिसमें इजरायल के खिलाफ जारी लड़ाई का समर्थन किया गया था। उसने इस बात पर बल दिया कि यह जिहाद तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक इजरायल से अंतिम यहूदी को मार नहीं दिया जाता। नाइक का यह बयान इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष के बीच आया है, और इससे उसने अपने समर्थकों को इस संघर्ष में भाग लेने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि इजराइल-फिलिस्तीन के बीच हो रही जंग जमीनी विवाद से कहीं ज्यादा है। मुस्लिमों की पवित्र किताब अल बुखारी में साफ़ लिखा है कि क़यामत तब तक नहीं आएगी, जब तक आखिरी यहूदी को मुसलमान मार नहीं डालते। पैगंबर मोहम्मद के जन्म से पहले मक्का-मदीना में भी कई यहूदी रहते थे, लेकिन उन्हें मार-मारकर वहां से भगा दिया गया। अब मुस्लिम यहूदियों से इतनी नफरत क्यों करते हैं? ये कोई इस्लामी विद्वान ही बता सकता है। जाकिर नाइक भी यहूदियों के खिलाफ वही जहर उगल रहा है। अब उस किताब को लिखने के समय तो, इजराइल-फिलिस्तीन का कोई विवाद नहीं था, फिर भी मुसलमानों को यहूदियों की हत्या का हुक्म है। जिसे अब कट्टरपंथी जमीनी विवाद की आड़ में पूरा कर रहे हैं।

जाकिर नाइक सोमवार को एक महीने के दौरे पर पाकिस्तान पहुंचा, जहां उसका स्वागत धार्मिक मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सहयोगी राणा मशहूद ने किया। नाइक इस दौरान पाकिस्तान के प्रमुख शहरों इस्लामाबाद, कराची और लाहौर में लेक्चर देगा। पाकिस्तान में नाइक का यह दौरा लगभग तीन दशक बाद हुआ है। इससे पहले वह 1992 में पाकिस्तान गया था, जब उसने लाहौर में प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान डॉ. इसरार अहमद से मुलाकात की थी। यह यात्रा पाकिस्तान सरकार के निमंत्रण पर हो रही है, और इसे लेकर वहां के धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चाएं तेज हैं। नाइक वर्तमान में भारत में वांछित है, जहां उस पर भड़काऊ भाषण देने और नफरत फैलाने के आरोप हैं। भारत ने मलेशिया से उसे प्रत्यर्पित करने का अनुरोध भी किया है, लेकिन अभी तक वह मलेशिया में शरण लिए हुए है।

मराठी-बंगाली सहित इन 5 भाषाओं को मोदी सरकार ने दिया 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा, सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को मिलेगी और मजबूती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दी। यह निर्णय पश्चिम बंगाल, बिहार और असम की राज्य सरकारों से प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद लिया गया। इस निर्णय से भारत की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को और मजबूती मिलेगी। साहित्य अकादमी के तहत गठित भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति ने 25 जुलाई 2024 को एक बैठक में शास्त्रीय भाषाओं के चयन के लिए तय मानदंडों में संशोधन किया और पांच नई भाषाओं को इस सूची में शामिल करने का फैसला लिया। इसके साथ ही अब भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। पहले से जिन भाषाओं को यह दर्जा प्राप्त था, वे हैं तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया।

किसी भी भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करने के लिए कुछ विशेष मानदंड होते हैं। इनमें प्रमुख हैं उस भाषा की प्राचीनता, यानी उसकी उत्पत्ति और इतिहास लगभग 1500-2000 वर्षों पुराना होना चाहिए। इसके अलावा उस भाषा में प्राचीन साहित्य और ग्रंथों का एक समृद्ध संग्रह होना चाहिए, जिसे समाज की पीढ़ियों द्वारा धरोहर माना जाता हो। इस साहित्य में न केवल काव्य या ग्रंथ शामिल होते हैं, बल्कि पुरालेखीय और अभिलेखीय साक्ष्य भी होने चाहिए। इसके अलावा, शास्त्रीय भाषाएं अपने वर्तमान स्वरूप से भिन्न हो सकती हैं या इनकी बाद की शाखाओं से अलग हो सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण फैसले की सराहना की और कहा कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है। उन्होंने ट्वीट किया, "हमारी सरकार भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को संजोती है और उसका जश्न मनाती है। हम क्षेत्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने की अपनी प्रतिबद्धता में भी अडिग रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाएँ हमारी विविधता का जीवंत प्रतीक हैं, और इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना उन सभी लोगों के लिए गर्व का क्षण है जो इन भाषाओं से जुड़े हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने असमिया, बंगाली और मराठी के लिए विशेष रूप से बधाई संदेश जारी किए। असमिया भाषा के लिए उन्होंने कहा, "मुझे बेहद खुशी है कि असमिया को अब शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल जाएगा। असमिया संस्कृति सदियों से समृद्ध रही है और इसने हमें एक अनमोल साहित्यिक परंपरा दी है। मुझे विश्वास है कि यह भाषा आने वाले समय में और भी अधिक लोकप्रिय होगी।" बंगाली के लिए उन्होंने कहा, "बंगाली साहित्य ने वर्षों से अनगिनत लोगों को प्रेरित किया है। महान बंगाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर मैं दुनिया भर के सभी बंगाली भाषी लोगों को बधाई देता हूं।" मराठी के लिए उन्होंने कहा, "मराठी भारत का गौरव है। इस अभूतपूर्व भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर बधाई। मराठी हमेशा से भारतीय विरासत का आधार रही है। मुझे यकीन है कि इस मान्यता से इसे सीखने के लिए और भी लोग प्रेरित होंगे।"

पाली और प्राकृत के लिए उन्होंने कहा, "पाली और प्राकृत भारतीय संस्कृति की जड़ हैं। ये आध्यात्मिकता, ज्ञान और दर्शन की भाषाएँ हैं। उनकी शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता उनके कालातीत साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान का सम्मान है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इन भाषाओं के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और अधिक लोग इनके बारे में जानने के लिए प्रेरित होंगे।

असमिया, बंगाली और मराठी भाषाओं को अलग-अलग ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी ने इन भाषाओं के गौरवशाली इतिहास और उनकी वर्तमान स्थिति की सराहना की। असमिया भाषा असम और उत्तर-पूर्वी भारत में प्रमुख रूप से बोली जाती है, जबकि बंगाली भाषा पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और दुनिया भर के कई हिस्सों में फैली है। मराठी भाषा महाराष्ट्र राज्य की प्रमुख भाषा है और भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में इसका विशेष स्थान है। पाली और प्राकृत अब सामान्यत: उपयोग में नहीं हैं, लेकिन ये भाषाएँ भारत के प्राचीन साहित्य, विशेष रूप से बौद्ध और जैन धर्म के ग्रंथों का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं।

इस फैसले पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा, "यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो हमारी संस्कृति को प्रोत्साहित करने और हमारी विरासत पर गर्व करने के दर्शन से जुड़ा हुआ है।" उन्होंने यह भी बताया कि इस निर्णय से भारत की भाषाई धरोहर को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी और इसका प्रभाव न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखेगा।

शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने और उनके अध्ययन को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वर्ष 2020 में संसद के एक अधिनियम के तहत संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी। इसके अतिरिक्त, तमिल भाषा के प्राचीन ग्रंथों के अनुवाद, शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने और तमिल के छात्रों और विद्वानों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान की स्थापना की गई। इसी प्रकार, अन्य शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन के लिए भी विशेष केंद्रों की स्थापना की गई है, जिनमें कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया के लिए मैसूर में केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण और उनकी समृद्ध साहित्यिक परंपराओं का प्रचार करना है।

शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के साथ इन भाषाओं के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करने और प्रोत्साहित करने के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी स्थापित किए गए हैं। शिक्षा मंत्रालय शास्त्रीय भाषाओं को मिलने वाले लाभों में राष्ट्रीय पुरस्कार, विश्वविद्यालयों में इन भाषाओं के अध्ययन के लिए विशेष पीठ, और इन भाषाओं के प्रचार के लिए केंद्रों की स्थापना शामिल है।

यह निर्णय न केवल सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे रोजगार के भी अनेक अवसर पैदा होंगे। शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण, उनके प्राचीन ग्रंथों का दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण से अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके साथ ही शैक्षणिक और शोध कार्यों के क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इस निर्णय का प्रभाव महाराष्ट्र (मराठी), बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश (पाली और प्राकृत), पश्चिम बंगाल (बंगाली) और असम (असमिया) के अलावा पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जाएगा।