गोरखपुर एम्स के डॉक्टरों ने दो वर्षीय शिशु के टूटे हुए चेहरे को पीडियाट्रिक मैक्सिलोफेशियल सर्जरी द्वारा दिया पुराना रूप
गोरखपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गोरखपुर के दंत शल्य विभाग के सहायक आचार्य एवं ओरल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन डा शैलेश कुमार ने 2 घंटे चले आॅपरेशन में एक 02 वर्षीय शिशु के टूटे हुए चेहरे को पीडियाट्रिक मैक्सिलोफेशियल सर्जरी द्वारा पुराना रूप दिया, साथ ही साथ भविष्य मैं होने वाले अनेक प्रकार की विकृतियों को टाल दिया .
घटना गोरखपुर एम्स के पास के मोतीराम अड्डा इलाके की है जहां 02 वर्षीय शिशु अपनी दादी की साथ आॅटोरिक्शा में जा रही थी, तभी विपरीत तरफ से आ रहे वाहन ले साथ टक्कर होने के कारण आॅटोरिक्शा अनियंत्रित होकर पलट गया. जिसके बाद बाकी सवारियों के साथ शिशु की दादी को तो मामूली खरोंच आयी लेकिन शिशु का चेहरा बुरी तरह से टूट गया. मरीज को गंभीर हालत में एम्स इमरजेंसी में लाया गया, जहां से पूरी तरह से जाँच करने ले बाद पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) में भर्ती किया गया. 5 दिन बाद मरीज की हालत में सुधार होने के पश्चात उसको डा शैलेश के अंदर मैक्सिलोफेशियल वार्ड में ट्रांसफर लेकर पूर्ण बेहोशी ली जाँच एवं आॅपरेशन की तैयारी सुरु की गई. गोरखपुर एम्स एवं दंत शल्य विभाग में यह अबतक के सबसे कम उम्र के चेहरे के एक्सीडेंट का मरीज है.
डा शैलेश ने बताया कि वयस्क के तुलना में इतने छोटे शिशु का आॅपरेशन बहुत ही जटिल होता है और केवल एम्स जैसे बड़े अस्पताल में ही संभव है. एम्स गोरखपुर में पीडियाट्रिक मैक्सिलोफेशियल सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है.
कम उम्र तथा एक्सीडेंट के बाद चेहरे के संरचना बिगड़ने के कारण ऐसे मरीज में पूर्ण बेहोशी की प्रक्रिया बहुत ही मुश्किल एवं चुनौतीपूर्ण होती है. एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डा संतोष कुमार शर्मा एवं एसोसियेट प्रोफेसर डा विज्ञेता वाजपेयी के नेतृत्व मैं एनेस्थीसिया टीम ने बड़े ही कुशलतापूर्वक पूर्ण बेहोशी की प्रक्रिया पूरी की .
डा शैलेश ने भारत तथा विश्व में इतने कम उम्र के शिशु के इस प्रकार के इलाज के बहुत कम केस रिपोर्ट हुए हैं. आमतौर पर इतने छोटे बच्चे की हड्डी टूटने के बजाए मुड़ जाती है. जिसे ग्रीन स्टिक (जैसे हरा बांस टूटने की जगह सिर्फ़ मुड़ता है) फ्रैक्चर कहतें हैं. लेकिन इस केस में पूरा चेहरा टूटकर अंदर धँस भी गया. डा शैलेश ने यह भी बताया है कि जरूरत से ज्यादा सवारी एवं सीट बेल्ट का ना होना, आॅटो रिक्शा की सवारी को मामूली एक्सीडेंट की दशा में भी वयस्क तथा बच्चों के लिए जानलेवा बन सकता है.
ऐम्स निदेशक एवं सीईओ डा (प्रो) जी के पॉल को मैक्सिलोफेशियल सर्जन डा शैलेश द्वारा मरीज की आॅपरेशन की जानकारी दी गई, जिस पर उन्होंने डाक्टरों के टीम को बधाई दी. एम्स निदेशक द्वारा मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी नियमित रूप से ली जा रही है. डॉ पाल ने यह बताया की 2024 में एम्स गोरखपुर की कमान संभाने के कुछ समय बाद ही पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) एवं पीडियाट्रिक मैक्सिलोफेशियल सर्जरी की सुविधा शुरू की गई.
आॅपरेशन के बाद मरीज की नियमित निगरानी के लिए पीडियाट्रिक आईसीयू (पिकु) में एम्स गोरखपुर की डीन एवं बाल रोग विभागद्यक्ष प्रोफेसर महिमा मित्तल एवं एडिशनल प्रोफेसर डा मनीष कुमार के निगरानी में रखा गया है.
इस आॅपरेशन मैं ट्रामा एवं इमरजेंसी विभाग के डाक्टरों का पूरा सहयोग मिला. ट्रामा एवं इमरजेंसी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा सुबोध एवं दांत रोग विभागाध्यक्ष ने डा शैलेश और उनकी टीम को सफल आॅपरेशन की बधाई दी . मरीज को दो दिनों बाद सर्जरी के मैक्सिलोफेशियल वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा. इस आॅपरेशन में सीनियर रेजिÞडेंट डा प्रवीण कुमार, जूनियर रेसिडेंट डा अंकुर एवं डा दिव्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ।
Sep 26 2024, 16:48