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SBPDL क्षेत्र में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर, मिलेगी अब यह सुविधा

डेस्क : बिहार में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। बिजली कंपनी ने उन्हें यह बड़ी सुविधा देने का एलान किया है। मीटर लगाते समय जो बकाया होगा, उसकी वसूली अब 300 दिनों के बदले मासिक औसत खपत के आधार पर होगी। तीन महीने के खपत का जो औसत होगा, उसका मात्र 25 फीसदी राशि ही महीने में वसूली जाएगी। साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। आने वाले दिनों में उत्तर बिहार में भी यह सुविधा लागू हो जाएगी।

कंपनी अधिकारियों के अनुसार शहरी क्षेत्र के बाद ग्रामीण इलाकों में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। चूंकि ग्रामीण इलाकों में भारी मात्रा में बिजली बिल बकाया है। ग्रामीण इलाकों में कंपनी का उपभोक्ताओं पर 10 हजार करोड़ बकाया है। कई ऐसे उपभोक्ता हैं जिन पर वर्षों का बिजली बिल बकाया है। ऐसे में जब स्मार्ट मीटर लगने के बाद सीमित समय यानी 300 दिनों में उसकी वसूली प्रक्रिया शुरू की गई तो वह उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक परेशानी का सबब बन गया।

इसके साथ ही तय लोड से अधिक बिजली खपत करने पर जुर्माना का प्रावधान है। कंपनी ने अभी इस नियम को भी छह महीने के लिए शिथिल कर दिया है। अधिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को संदेश भेजकर जागरूक किया जा रहा है कि वे अपने घर का लोड बढ़ा लें वरना उन्हें भविष्य में जुर्माना देना पड़ सकता है।

कंपनी का मैसेज मिलने पर हजारों उपभोक्ताओं ने अपने घर का लोड बढ़ा लिया है।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय का विपक्ष पर बड़ा हमला, कहा-अपराध पर गलतबयानी कर रहा राजद

डेस्क : बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिछले कई महीनों से अपराध को लेकर सरकार पर हमलावार है। तेजस्वी यादव का आरोप है कि प्रदेश मे कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है और अपराध में बेतहासा वृद्धि हुई है। इसे लेकर वे समय-समय पर क्राइन बुलेटिन भी जारी कर रही है।

इधर विपक्ष के इस आरोप पर पलटवार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने आरोप लगाया है कि अपराध पर गलतबयानी कर राजद बिहार के विकास को रोकना चाहता है। मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि साल 2000 के बाद से लेकर अब तक के 24 वर्षों में बिहार में हत्या की दर घटकर आधी रह गई है। फिर भी राजद हाय-तौबा मचाकर बिहार की जनता को डराना व बिहार के विकास को झुठलाना व रोकना चाहता है। उन्होंने कहा कि 2001 में प्रति लाख आबादी पर हत्या की दर 4.4 के मुकाबले 2024 में यह घटकर 2.1 हो गयी है।

कहा कि देश के 20 से अधिक राज्यों में क्राइम का ग्राफ बिहार से ज्यादा है। कोरोना काल के वर्ष 2021 को छोड़ दें तो पिछले छह वर्षों में हत्या के मामलों में उल्लेखनीय कमी आयी है। कानून के शासन के तहत हत्या सहित अपराध की हर घटना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई होती है।

मंत्री ने कहा कि राजद राजनीतिक तौर पर जब एनडीए सरकार को विकास व सुशासन के मुद्दों पर नहीं घेर पाता है तो हत्या व अन्य अपराध की घटनाओं पर गलतबयानी कर बिहार की जनता को डराना व उनमें दहशत पैदा करना चाहता है। दरअसल राजद को बिहार का चतुर्दिक विकास पच नहीं रहा है।

बिहार में दर्दनाक हादसा : स्नान के दौरान अलग-अलग जिलों में डूबे 54 लोग, 45 की हुई मौत

डेस्क : बीता बुधवार बिहार के लिए हादसे का बुधवार साबित हुआ। पटना सहित पूरे बिहार में बुधवार को 54 लोग डूब गए। इनमें से 45 की मौत हो गई। अधिक मौतें जिउतियां के दौरान नदी, तालाब, आहर और पइन में स्नान के दौरान हुई। मरने वालों में अधिकतर बच्चियां हैं। सबसे ज्यादा आठ मौतें औरंगाबाद में हुई।

औरंगाबाद जिले में जिउतिया का त्योहार मातम में बदल गया। बारुण और मदनपुर प्रखंड में व्रतियों के साथ गांव के तालाब में नहाने गए नौ बच्चे-बच्चियां डूब गईं। इनमें से आठ की मौत हो गई। बारुण थाना क्षेत्र के ईटहट गांव में तालाब में पांच बच्चियां डूब गईां इनमें से चार की मौत हो गई, जबकि एक बच्ची को बेहोशी की हालत में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एसडीपीओ ने बताया कि मामले की सूचना पर पुलिस टीम को भेजा गया है।

पटना के बिहटा के अमनाबाद पथलौटिया बालू घाट पर जिउतिया पर्व पर सोन नदी मे स्नान के दौरान महिला और तीन किशोरियां तेज धारा में बह गईं। इनमें एक किशोरी की जान चली गई। तीन अन्य लापता हैं। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने एसडीआरएफ की मदद से एक किशोरी की शव को बरामद कर लिया है। तेज धारा मे बही लापता महिला और किशोरी की तलाश की जा रही है। मृतक की पहचान बिहटा थाना क्षेत्र के हलखोरिया चक निवासी शिवनारायण राय की 14 वर्षीय पुत्री अंजलि कुमारी के रूप में हुई है। लापता की पहचान हलखोरिया चक निवासी सुकुल राय की 17वर्षीय पुत्री तरेगनी कुमारी, शम्भू राय की 18वर्षीय पुत्री सोनी कुमार, वहीं अमनाबाद निवासी 50 वर्षीय ललिता देवी है।

वहीं, सारण में जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में जिउतिया पर पांच बच्चों की डूबकर मौत हो गई। जबकि भोजपुर में 3, गोपालगंज व सीवान में 2-2 और बेगूसराय, हाजीपुर, बक्सर और जहानाबाद में एक-एक की मौत हुई। भागलपुर में तीन और मुंगेर में एक की डूबने से मौत हो गई। उत्तर बिहार में 10 लोग डूब गए। इनमें सात बच्चों समेत नौ की मौत हो गई।

बिहार सरकार ने गुड़ उद्योग प्रोत्साहन नीति को दी स्वीकृति : प्रदेश में स्थापित होगी 81 गुड़ इकाइयां, 12.40 करोड़ रुपये हुए स्वीकृत

डेस्क : बिहार में गन्ना की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी खबर है। उनके दिन एकबार फिर बहुरने वाले है। बिहार सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री कृष्ण नंदन पासवान ने बताया है कि राज्य में गुड़ उद्योग प्रोत्साहन नीति को स्वीकृति दे दी गई है। इस वर्ष 81 गुड़ इकाइयां स्थापित होंगी। इसके लिए 12.40 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। गुड़ इकाई लगाने सहित विभाग की योजना का लाभ के लिए एक अक्टूबर से केन केयर सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे।

गन्ना उद्योग मंत्री कृष्ण नंदन पासवान ने कहा कि बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत पूंजी अनुदान का प्रावधान किया गया है। 5 से 20 टीडीसी (टन पेराई प्रतिदिन) की क्षमता की स्थापना पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 6 लाख रुपये तक दिया जाएगा। 21 से 40 टन पेराई प्रतिदिन क्षमता के लिए 15 लाख रुपये अनुदान मिलेगा। 41 से 60 टन पेराई प्रतिदिन की क्षमता के लिए 45 लाख रुपये अनुदान मिलेगा। 61 टन पेराई प्रतिदिन क्षमता के लिए 45 लाख रुपये अनुदान मिलेगा। 5 करोड़ से अधिक निवेश के लिए ऋण पर 10 प्रतिशत ब्याज 5 वर्षों तक देने का प्रावधान है। गुड़ उत्पादन इकाई चीनी मिल से न्यूनतम 15 किलोमीटर की दूरी पर होगी। अभी राज्य के 9 में से 6 मिलों में चीनी, बिजली और इथेनॉल उत्पादन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि 29 फरवरी 2020 से बंद रीगा चीनी मिल इसी पेराई सत्र से चालू हो जाएगी। चौथे निविदा प्रक्रिया के बाद मेसर्स निरानी शुगर्स को लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया है। इससे सीतामढ़ी, शिवहर जिलों के गन्ना किसानों को लाभ होगा। 2005-06 में राज्य में चीनी मिलों में प्रतिदिन 32 हजार टन गन्ना पेराई क्षमता थी। अभी 9 चीनी मिलों की क्षमता प्रतिदिन 55,500 टन है। यूपी के एक चीनी मिल में भी बिहार से गन्ना पेराई के लिए जाता है। रीगा चीनी मिल के चालू होने से गन्ना किसानों के लिए गन्ना पेराई के लिए 11 चीनी मिल की सुविधा होगी।

वहीं विभाग के प्रधान सचिव नर्मदेश्वर लाल ने कहा कि राज्य के सभी जिलों में गन्ना उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। गुड़ उत्पादन यूनिट लगाने के लिए भी किसी भी जिले के लोग आवेदन कर सकते हैं।

*अब नहीं चलेगी सीओ की मनमानी, बिना कारण बताए इन मामलों के आवेदन को किया अस्वीकृत तो होगी सख्त कार्रवाई

* डेस्क : अंचल कार्यालय में काम करवाने में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासकर जमीन के म्यूटेशन के लिए अंचल कार्यालय द्वारा लोगो को काफी परेशान किया जाता है। लेकिन अब उनकी परेशानी खत्म होने वाली है। अंचल स्तर पर ऑनलाइन सेवाओं खासकर दाखिल-खारिज से जुड़ी सेवाओं को बिना कारण बताए या जानबूझकर अस्वीकृत करने वाले अंचलाधिकारियों (सीओ) पर सख्त कार्रवाई होगी। यह निर्देश राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने दिया है। दरअसल बीते बुधवार को मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने राजधानी पटना के दशरथ मांझी श्रम एवं नियोजन संस्थान के सभागार में प्रदेश के 170 अंचलों के सीओ के साथ ऑनलाइन योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा किए। इस दौरान दाखिल-खारिज के मामलों की विस्तार से समीक्षा के दौरान पाया गया कि सर्वाधिक 47.93 फीसदी अस्वीकृति के मामले सीतामढ़ी के सुप्पी अंचल में मिले। 44 फीसदी के साथ पटना का पंडारक दूसरे और 39.9 फीसदी अस्वीकृति के साथ बेगूसराय का शाम्हो अखहा कुरहा तीसरे स्थान पर है। मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल कहा कि विभाग के स्तर से दी जा रही ऑनलाइन सेवाओं में अस्वीकृति की दर काफी अधिक है। कई बार यह अस्वीकृति जल्दबाजी या निहित स्वार्थ के कारण किया जाता है। इससे लोगों को परेशानी होती है। ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए। मंत्री कहा कि कई बार डीसीएलआर, एडीएम या डीएम के स्तर पर सुनवाई में पता चलता है कि सीओ का निर्णय गलत था। तब तक संबंधित व्यक्ति का काफी नुकसान हो चुका होता है। कई मामलों में वरीय पदाधिकारियों का आदेश लेकर रैयत भटकते रहते हैं। अंचल स्तर पर इनका क्रियान्वयन नहीं होता है। वहीं अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी सीओ को अक्टूबर तक अपना प्रदर्शन सुधारने की चेतावनी दी। उन्होंने विभाग के उच्च अधिकारियों को दाखिल-खारिज के अस्वीकृत किए गए मामलों की रैंडम तरीके से जांच करने का आदेश दिया। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि जिन सीओ की मासिक रैंकिंग लगातार खराब रहेगी, यह उनके खिलाफ कार्रवाई का मजबूत आधार बनेगा। उन्होंने अक्टूबर महीने से सभी सीओ की पिछले 6 महीने की रैंकिंग भी करने को कहा। सचिव जय सिंह ने कहा कि सीओ दैनिक और साप्ताहिक आधार पर अपने कर्मचारियों के साथ बैठक कर लंबित मामलों की प्रगति देखें।
मौसम का मिजाज : राजधानी पटना में झमाझम बारिश ने गर्मी से दी बड़ी राहत, अगले दो दिनों तक 14 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

* डेस्क : पिछले दो दिन से राजधानी पटना समेत पूरे प्रदेश में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। राजधानी पटना में बीते बुधवार की रात से हो रही झमाझम बारिश ने उमस भरी गर्मी से लोगों को बड़ी राहत दी है। वहीं पटना में अधिकतम तापमान में चार डिग्री गिरावट आई। यहां का पारा 31.6 डिग्री रहा। मौसम विभाग ने 28 सितंबर तक बिहार में कहीं मध्यम तो कहीं अतिभारी बारिश की संभावना जताई है। 25 से 27 सितंबर तक राज्य के 14 जिलों में भारी और अतिभारी बारिश का अलर्ट है। इस दौरान राज्य के अधिकतर जिलों में मेघ गर्जन के साथ वज्रपात एवं 30 से 40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से सतही हवा चलने की भी संभावना है। इसकी मुख्य वजह बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में ताजा हलचल है। मौसम विभाग के अनुसार बिहार में कम बारिश की वजह से सामान्य तापमान वाले दिन में कमी आई हैं।दरअसल, दो साल पहले तक महीने में मानसून अवधि में सामान्य तापमान औसतन 20 से 22 दिन रहता था जो घटकर अब 10-11 दिन तक सीमित हो गया है। हर माह में बारिश की कमी इसकी मुख्य वजह है। बादलों का मिजाज से न बरसना स्पष्ट तौर पर अनियंत्रित ताप को बढ़ावा दे रहा है। इस वर्ष भी 25 सितंबर तक राज्य भर में बारिश की कमी 28 प्रतिशत है। वहीं, औरंगाबाद और शेखपुरा में सामान्य से चार प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। 12 जिलों में बारिश की कमी 40 से ज्यादा है। इनमें वैशाली में 52, सारण में 56, समस्तीपुर में 49, सहरसा में 46, पूर्णिया में 42, पटना में 41, मुफ्फरपुर में 51 प्रतिशत, मधुबनी में 52 प्रतिशत, गोपालगंज में 42 प्रतिशत, दरभंगा में 44 प्रतिशत की कमी है। उधर बारिश की कमी से असर खेती किसानी पर संकट और प्रतिरोधक क्षमता में कमी के साथ ही साथ वायरल बीमारियों का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। इस बीच मौसम विभाग ने 28 सितंबर तक बिहार में कहीं मध्यम तो कहीं अतिभारी बारिश की संभावना जताई है। विशेषकर 25 से 27 सितंबर तक राज्य के 14 जिलों में भारी और अतिभारी बारिश का अलर्ट है।
रेल यात्रियों के लिए बड़ी राहत की खबर : बाढ़ के कारण बंद भागलपुर-जमालपुर रुट पर ट्रेनो का परिचालन शुरु, जानिए पूरा डिटेल

डेस्क : बिहार के 12 जिले इनदिनों बाढ़ के चपेट में है। जिससे 12 लाख से अधिक लोग प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित इलाको में पूरा जन-जीवन अस्तव्यस्त है। पठन-पाठन, यातायात सभी कुछ प्रभावित है। बाढ़ ने रेलवे की भी परेशानी बढ़ा दी थी। भागलपुर-जमालपुर रेल खंड पर कई जगह पानी चढ़ गया था। इससे कई ट्रेनों का परिचालन बाधित कर दिया गया था तो कई ट्रेन के रूट को डायवर्ट कर दिया गया था।

इसी बीच अब रेल यात्रियों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। फिलहाल भागलपुर-जमालपुर रेल खंड पर रेलवे ट्रैक से पानी नीचे चला गया है। जिसके बाद अब पुनः सभी ट्रेनों को नियमित करने की कवायद की जा रही है।

मालदा डिवीजन के डीआरएम मनीष कुमार गुप्ता ने बयान जारी करते हुए बताया कि 21 सितंबर से ट्रेन का परिचालन बन्द कर दिया था। अब सभी ट्रेन को अपने रूट से चलाई जाएंगी। हालांकि, उनकी स्पीड अभी कम रहेगी।

उन्होंने बताया कि सभी एक्सप्रेस और लोकल ट्रेन अपने रूट से चलाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि दूसरे रूट से ट्रेन चलने से यात्रियों को परेशानी हो रही थी। अब विक्रमशिला एक्सप्रेस, इंटरसिटी और गरीब रथ सभी ट्रेन सुल्तानगंज होते हुए जाएंगी। लगातार अपडेट भी लिया जा रहा है। अगर किसी प्रकार की परेशानी होगी तो समाधान किया जाएगा।

जहां-जहां कुछ पानी अभी भरा हुआ है वहां से 30 के रफ्तार में ट्रेन गुजरेगी। 12 से ज्यादा ब्रिज के गार्डर के समीप पानी था। इस दौरान करीब 17 ट्रेनों को निरस्त रखा गया। 20 ट्रेनों को डायवर्ट किया गया था। 12 ट्रेन शार्ट टर्मिनेट रखी गई थी। टीम लगातार सभी जगह पर नजर बनाए रखे हुए है। अब सुल्तानगंज की तरफ जाने के लिए यात्रियों को परेशानी नहीं होगी। जमालपुर तरफ से आने वाले भी यात्रियों को परेशानी नहीं होगी। अब पटना के लिए भी सभी ट्रेन निर्धारित समय पर खुलेंगी। इसलिए पटना जाने वाले यात्रियों को भी परेशानी नहीं होगी।

बाढ़ पीड़ितों से मिले केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह : सामुदायिक किचन का लिया जायजा, हर प्रकार के सहयोग का दिलाया भरोसा

डेस्क : बिहार के 12 जिले इनदिनों बाढ़ के चपेट में है। जिससे 12 लाख से अधिक लोग प्रभावित है। मुंगेर सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने आज बुधवार को लखीसराय मे बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात कर उन्हें हर प्रकार का सहयोग देने का भरोसा दिलाया।

उन्होंने वहां चल रहे सामुदायिक किचन में खाने की सामग्री और उसकी गुणवत्ता का जायजा लिया। साथ ही बाढ़ पीड़ितों के बीच कपड़े भी बांटे और बर्तन मुहैया कराने की बात की। साथ ही बाढ़ से अपना घर गंवाने वाले लोगों को उन्होंने आश्वस्त किया कि सभी को मकान बनाने में सरकार की ओर से सहयोग किया जाएगा। पानी उतरने के बाद सर्वे किया जाएगा। इस दौरान उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा से भी उन्होंने मुलाकात की और जिले में बाढ़ पीड़ितों को उपलब्ध कराए जा रहे कार्यों पर चर्चा की।

गौरतलब है कि पिछले करीब एक सप्ताह से इन जिलों के दियारा और निचले इलाके के हजारों लोगों को घर गांव छोड़कर उपरी जगहों पर शरण लेना पड़ा है। वहीं गंगा के बाढ़ के कारण इन जिलों में हजारों एकड़ में लगी धान, मक्के और अन्य प्रकार की खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

जल संसाधन विभाग के अनुसार गंगा कि बाढ़ का खतरा अगले 48 घंटे में और ज्यादा कम हो जाएगा। नदी में पानी का आवक कम है जबकि बहिर्गमन ज्यादा तेजी से हो रहा है। इससे नदी के निचले इलाकों को तेजी से राहत मिलेगी। वहीं मानसून की समाप्ति की ओर बढने के कारण आगे आने वाले दिनों में गंगा का जलस्तर नहीं बढ़ेगा।

बिहार में बाढ़ का कहर : 12 जिलों में 12 लाख से अधिक लोग प्रभावित, लोगों को सता रही भविष्य की चिंता

डेस्क : बिहार में गंगा के रौद्र रूप और अन्य कई नदियों के जलस्तर में हुई भारी वृद्धि से 12 जिले बाढ़ की चपेट में है। बिहार के इन 12 बाढ़ प्रभावित जिलों में बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार शामिल हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को हाजीपुर में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविर का दौरा किया और अधिकारियों को सहायता और राहत प्रदान करने के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए।

हालांकि पटना और उसके आसपास के इलाकों में गंगा नदी का जलस्तर घट रहा है लेकिन अन्य जिलों में कई नदियों में जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) की ओर से रविवार को यहां जारी एक बयान के अनुसार, गंगा के किनारे लगभग 12 जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है और निचले इलाकों में रहने वाले लगभग 12.67 लाख लोग और कुल 361 ग्राम पंचायतें प्रभावित हुई हैं।

बाढ़ के कारण पटना के साथ-साथ कई जिलों में स्थति ख़राब हो गई है। बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के कारण स्कूल-कॉलेज को बंद कर दिया गया है। वही भागलपुर में ट्रेन सेवा भी प्रभावित हुई है। रविवार 22 सितंब को जमालपुर-भागलपुर रेलखंड के सुलतानगंज और रतनपुर स्टेशनों के मध्य पुल संख्या 195 के ग्रिडर तक बाढ़ का पानी पहुंच जाने से रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया। पूर्व मध्य रेलवे द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस कारण जमालपुर-भागलपुर संभाग से गुजरने वाली कई ट्रेनों का परिचालन रद्द/परिवर्तित मार्ग से किया गया। हालांकि ट्रेको पर जलस्तर कम होने के बाद इस रेल खंड पर फिर से रेल सेवा बहाल हो गई है।

पटना के दियारा समेत गंगा के किनारे बसे इलाको में बाढ़ का पानी फैल गया है। जिसकी वजह से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों को बंद कर दिया गया है। पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर ने जिले के 8 प्रखंडों के 76 स्कूलों को अगले आदेश तक बंद रखने का निर्देश जारी किया है।

भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड में गंगा नदी का पानी घुसने से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। सोनकी सूहिया बस पड़ाव के पास के गांव में बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं बची है। लोग मजबूरन सड़क पर ही श्मशान घाट बनाकर अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। सोनकी सूहिया बस पड़ाव के पास के गांव में गंगा नदी का पानी भर गया है। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। ऐसे में लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

गांव वालों ने बताया कि बाढ़ की वजह से उनके घरों में पानी भर गया है। खाने-पीने का सामान खत्म हो गया है। बाहर से सामान लाना भी मुश्किल हो गया है। कई मील दूर से लोग नाव से सामान ला रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भी नहीं मिल रही हैं। लोग दूर-दूर से गाड़ियों से लकड़ियां मंगवा रहे हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि बाढ़ की वजह से बहुत नुकसान हुआ है। घर का सारा सामान बर्बाद हो गया है। परिवार के लोग भी परेशान हैं। ये जीवन का कठिन समय है। मां गंगा ने इस बार ऐसी तबाही मचाई की चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है।

कटिहार में गंगा और कोसी नदी के बढ़ते जलस्तर ने कुरसेला प्रखंड में बाढ़ ला दी है, जिससे कई गांव डूब गए हैं और लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। पिछले चार दिनों से गंगा और कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इसके कारण निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है और कई गांव पानी से घिर गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कटिहार के जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा, एसपी वैभव शर्मा और एसडीएम आलोक चंद्र चौधरी ने कुरसेला प्रखंड का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। उन्होंने मधेली गुमटी टोला, बंगाली टोला और मोकना टोला का दौरा कर तटबंधों का निरीक्षण किया और बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया।

वहीं खराब स्थिति भागलपुर जिले की है। गंगा के रौद्र रुप से कहलगांव और सुल्तानगंज जान वाले एनएच-80 पर पानी बहने से आवागमन बंद हो गया। वहीं, शनिवार देर रात रेल लाइन पर पानी का दबाव बढ़ते ही सुल्तानगंज-जमालपुर के बीच परिचालन रोका गया है। बरियारपुर के पास पानी रेल लाइन को छू गया है। कई ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया।

वर्ष 2021 के बाद इस बार शहरी क्षेत्र में बाढ़ आई है। निगम क्षेत्र के छह वार्ड में करीब पांच हजार लोग ‘जलकैदी’ बनकर रह गए हैं। वार्ड संख्या 01, 03, 04, 09, 10, 18 पूर्ण रूप से जलमग्न हो गया है। यहां के लोग सामानों को ऊंचे स्थान पर रख रहे हैं। बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। जिस गली में ऑटो-टोटो चलती थी। वहां नाव चल रही है। बाढ़ का पानी साहेबगंज में यूनिवर्सिटी जाने वाली सड़क के पार हो गई है। पानी भैरवा तालाब की ओर गिर रहा है। सखीचंद घाट, जहाज घाट रोड का निचला हिस्सा, आदमपुर बैंक कॉलोनी, बूढ़ानाथ मोहल्ला आदि में सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है। तिलकामांझी विश्वविद्यालय के अतिथि आवास, ऑडिटोरियम आदि तक पानी पहुंच गया है। विश्वविद्यालय कर्मी नाव से या रिक्शा से दफ्तर जा रहे हैं। वहीं बाढ़ की स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा चल रहे पीजी नामांकन को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया है।

भागलुपर में बाढ़ की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगो ने रो-रोकर कहा कि परदेश में मजदूरी कर पाई-पाई जोड़कर अपना आशियाना बनाया था। जिसे बाढ़ ने उनके सामने घर को लील लिया। कटाव और बाढ़ की दोहरी मार ने गंगा पर वर्षों पूर्व जमा विश्वास तोड़ दिया। इन महिलाओं का नया मकान गृहप्रवेश के पहले ही जलसमाधि ले ली। गंगा को नजदीक आता देख ये महिलाएं खुद ही छेनी-हथौड़ी लेकर मकान को तोड़ने में जुट गईं। नदी में समाने से पहले जितना संभव हो पाया। इन महिलाओं ने ईंट ऊखाड़कर सुरक्षित स्थलों पर रख दिया। ये ईंट किस काम के होंगे, इस सवाल का जवाब महिलाओं ने सिर्फ आंसू बहाकर दिया।

वैसे बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए सरकार की ओर से जरुरत के सामान उपलब्ध कराए जा रहे है। खाने के लिए सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाढ़ ने जिन लोगों का आशियाना छिन लिया। जो लोग बेघर हो गए। फसले बर्बाद हो गई। क्या यह सबकुछ वापस मिल पाएगा। प्रभावित लोगों अपने भविष्य की चिंता सता रही है।

अशोक चौधरी के ट्वीट को लेकर किए गए सवाल पर मीडिया पर भड़के केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह, कहा-अनावश्यक विवाद पैदा करते रहते हैं आपलोग

डेस्क : बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कविता के तर्ज पर ट्वीट किया। अशोक चौधरी के इस ट्वीट को लेकर यह कहा जाने लगा कि उन्होंने कविता के माध्यम से सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र पर तंज किया गया है। जिसके बाद इसपर सियासत गर्म हो गई। जदयू ने इसे लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। हालांकि बाद में अशोक चौधरी ने इसपर अपनी सफाई दी और सीएम आवास जाकर उनसे मिले और उनके साथ की तस्वीर भी साझा की। 

इधर अशोक चौधरी के ट्वीट पर मचे घमासान को लेकर आज जब मीडिया कर्मियों ने केंद्रीय मंत्री ललन सिंह से पटना में सवाल किया तो वो मीडिया पर ही भड़क गये। केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि आप लोग बिना मतलब के ट्वीट में मतलब निकालते रहते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी जेडीयू के सर्वमान्य नेता हैं कोई भी पार्टी का नेता नीतीश कुमार के बारे में क्या बोलेगा? उन्होंने फिर मीडिया कर्मियों से कहा कि आप लोग अनावश्यक विवाद पैदा करते रहते हैं। 

बता दें इस अशोक चौधरी के ट्वीट को लेकर जदयू के कई नेताओं द्वारा उनके पोस्ट पर नाराजगी जाहिर करने के बाद अब राज्यसभा सांसद उपेन्द्र कुशवाहा ने भी अशोक चौधरी के ट्विट पर नाराजगी जाहिर की है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हमारे गार्जियन की तरह हैं और गार्जियन को लेकर इस तरह की बातें करना कहीं से भी शोभा नहीं देता है। 

उन्होंने कहा कि उनका ट्वीट बहुत ही आपत्तिजनक है। घर में कोई गार्जियन है। उनके बारे में इस तरह की बात कहीं से उचित नही कहा जा सकता है। उनको मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के उम्र से क्या लेना देना है। मुख्यमंत्री जी का योगदान बिहार के लिए इतना शानदार रहा है। इतिहास भी उनको य़ाद रखेगा । आज भी बिहार के विकास के लिए नीतीश जी दिन-रात काम कर रहे है। उनके बारे में उम्र का हवाला देकर के कोई भी व्यक्ति तंज कसे यह बिल्कुल गैर मुनासिब और आपत्तिजनक है। कैसे उन्होंने कहा यह तो हम नही बता सकते हैं। उनका यह ट्वीट मुझे तो व्यक्तिगत रूप से बहुत ही आपत्तिजनक लगा है। 

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुशवाहा ने कहा कि उस पार्टी को बनाने में शुरूआत में उनका कोई योगदान रहा नहीं है। नीतीश कुमार जी उस पार्टी के सबकुछ है। उनका जैसा मन करे जिस तरह से वो पार्टी को चलाए। लेकिन व्यक्तिगत रूप से कोई भी नीतीश जी के प्रति इस तरह की बात करें । वो कही से उचित नहीं है। जदयू के अंदर –मामला है। उसमें हम कुछ नही कह सकते है। लेकिन जो बात निकलकर सामने आ रही है। वह गलत है। जदयू द्वारा अशोक चौधरी पर कार्रवाइ करने को लेकर सावाल पर उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि वो पार्टी का मामला है। उसमें हम कुछ नही कह सकते है।

वहीं अशोक चौधरी के सफाई देने के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने बाद में जो सफाई दे रहे हैं। उसको भी हमने देखा है। लेकिन अब सफाई से कोई मतलब नहीं है। एक कहावत है ना तीर कमान से और बात जुबान से निकल जाती है। उसको बाद सफाई देने का क्या मतलब है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से जो बात कही है वो बहुत ही आपत्तिजनक है। नीतीश कुमार जी हर तरह से बिहार में विकास करने के लिए प्रयासरत है। किस वजह से उनकी बैचेनी बढ़ गई है वो ही जाने।