बिहार में बाढ़ का कहर : 12 जिलों में 12 लाख से अधिक लोग प्रभावित, लोगों को सता रही भविष्य की चिंता
डेस्क : बिहार में गंगा के रौद्र रूप और अन्य कई नदियों के जलस्तर में हुई भारी वृद्धि से 12 जिले बाढ़ की चपेट में है। बिहार के इन 12 बाढ़ प्रभावित जिलों में बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार शामिल हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को हाजीपुर में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविर का दौरा किया और अधिकारियों को सहायता और राहत प्रदान करने के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए।
हालांकि पटना और उसके आसपास के इलाकों में गंगा नदी का जलस्तर घट रहा है लेकिन अन्य जिलों में कई नदियों में जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) की ओर से रविवार को यहां जारी एक बयान के अनुसार, गंगा के किनारे लगभग 12 जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है और निचले इलाकों में रहने वाले लगभग 12.67 लाख लोग और कुल 361 ग्राम पंचायतें प्रभावित हुई हैं।
बाढ़ के कारण पटना के साथ-साथ कई जिलों में स्थति ख़राब हो गई है। बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के कारण स्कूल-कॉलेज को बंद कर दिया गया है। वही भागलपुर में ट्रेन सेवा भी प्रभावित हुई है। रविवार 22 सितंब को जमालपुर-भागलपुर रेलखंड के सुलतानगंज और रतनपुर स्टेशनों के मध्य पुल संख्या 195 के ग्रिडर तक बाढ़ का पानी पहुंच जाने से रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया। पूर्व मध्य रेलवे द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस कारण जमालपुर-भागलपुर संभाग से गुजरने वाली कई ट्रेनों का परिचालन रद्द/परिवर्तित मार्ग से किया गया। हालांकि ट्रेको पर जलस्तर कम होने के बाद इस रेल खंड पर फिर से रेल सेवा बहाल हो गई है।
पटना के दियारा समेत गंगा के किनारे बसे इलाको में बाढ़ का पानी फैल गया है। जिसकी वजह से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों को बंद कर दिया गया है। पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर ने जिले के 8 प्रखंडों के 76 स्कूलों को अगले आदेश तक बंद रखने का निर्देश जारी किया है।
भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड में गंगा नदी का पानी घुसने से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। सोनकी सूहिया बस पड़ाव के पास के गांव में बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं बची है। लोग मजबूरन सड़क पर ही श्मशान घाट बनाकर अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। सोनकी सूहिया बस पड़ाव के पास के गांव में गंगा नदी का पानी भर गया है। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। ऐसे में लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गांव वालों ने बताया कि बाढ़ की वजह से उनके घरों में पानी भर गया है। खाने-पीने का सामान खत्म हो गया है। बाहर से सामान लाना भी मुश्किल हो गया है। कई मील दूर से लोग नाव से सामान ला रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भी नहीं मिल रही हैं। लोग दूर-दूर से गाड़ियों से लकड़ियां मंगवा रहे हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि बाढ़ की वजह से बहुत नुकसान हुआ है। घर का सारा सामान बर्बाद हो गया है। परिवार के लोग भी परेशान हैं। ये जीवन का कठिन समय है। मां गंगा ने इस बार ऐसी तबाही मचाई की चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है।
कटिहार में गंगा और कोसी नदी के बढ़ते जलस्तर ने कुरसेला प्रखंड में बाढ़ ला दी है, जिससे कई गांव डूब गए हैं और लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। पिछले चार दिनों से गंगा और कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इसके कारण निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है और कई गांव पानी से घिर गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कटिहार के जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा, एसपी वैभव शर्मा और एसडीएम आलोक चंद्र चौधरी ने कुरसेला प्रखंड का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। उन्होंने मधेली गुमटी टोला, बंगाली टोला और मोकना टोला का दौरा कर तटबंधों का निरीक्षण किया और बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया।
वहीं खराब स्थिति भागलपुर जिले की है। गंगा के रौद्र रुप से कहलगांव और सुल्तानगंज जान वाले एनएच-80 पर पानी बहने से आवागमन बंद हो गया। वहीं, शनिवार देर रात रेल लाइन पर पानी का दबाव बढ़ते ही सुल्तानगंज-जमालपुर के बीच परिचालन रोका गया है। बरियारपुर के पास पानी रेल लाइन को छू गया है। कई ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया।
वर्ष 2021 के बाद इस बार शहरी क्षेत्र में बाढ़ आई है। निगम क्षेत्र के छह वार्ड में करीब पांच हजार लोग ‘जलकैदी’ बनकर रह गए हैं। वार्ड संख्या 01, 03, 04, 09, 10, 18 पूर्ण रूप से जलमग्न हो गया है। यहां के लोग सामानों को ऊंचे स्थान पर रख रहे हैं। बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। जिस गली में ऑटो-टोटो चलती थी। वहां नाव चल रही है। बाढ़ का पानी साहेबगंज में यूनिवर्सिटी जाने वाली सड़क के पार हो गई है। पानी भैरवा तालाब की ओर गिर रहा है। सखीचंद घाट, जहाज घाट रोड का निचला हिस्सा, आदमपुर बैंक कॉलोनी, बूढ़ानाथ मोहल्ला आदि में सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है। तिलकामांझी विश्वविद्यालय के अतिथि आवास, ऑडिटोरियम आदि तक पानी पहुंच गया है। विश्वविद्यालय कर्मी नाव से या रिक्शा से दफ्तर जा रहे हैं। वहीं बाढ़ की स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा चल रहे पीजी नामांकन को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया है।
भागलुपर में बाढ़ की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगो ने रो-रोकर कहा कि परदेश में मजदूरी कर पाई-पाई जोड़कर अपना आशियाना बनाया था। जिसे बाढ़ ने उनके सामने घर को लील लिया। कटाव और बाढ़ की दोहरी मार ने गंगा पर वर्षों पूर्व जमा विश्वास तोड़ दिया। इन महिलाओं का नया मकान गृहप्रवेश के पहले ही जलसमाधि ले ली। गंगा को नजदीक आता देख ये महिलाएं खुद ही छेनी-हथौड़ी लेकर मकान को तोड़ने में जुट गईं। नदी में समाने से पहले जितना संभव हो पाया। इन महिलाओं ने ईंट ऊखाड़कर सुरक्षित स्थलों पर रख दिया। ये ईंट किस काम के होंगे, इस सवाल का जवाब महिलाओं ने सिर्फ आंसू बहाकर दिया।
वैसे बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए सरकार की ओर से जरुरत के सामान उपलब्ध कराए जा रहे है। खाने के लिए सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाढ़ ने जिन लोगों का आशियाना छिन लिया। जो लोग बेघर हो गए। फसले बर्बाद हो गई। क्या यह सबकुछ वापस मिल पाएगा। प्रभावित लोगों अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
Sep 26 2024, 09:13