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*थाना समाधान दिवस में पहुंचे 8 फरियादी*

गोरखपुर-सितंबर माह के पहले समाधान दिवस की अध्यक्षता कर रहे नायब तहसीलदार रामसूरज प्रसाद और दिवस प्रभारी थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा के समक्ष कुल 8 फरियादी अपनी समस्याएं लेकर पेश हुए। जिनमें ऐनवां गांव की महिला के भूमि विवाद के मामले को मौके पर सुलझा दिया गया।

इस दौरान भीटी खोरिया गांव के अनिल भारती, कल्याणपुरकटघर गांव की महिला सवेरी देवी भखरां गांव के जगरनाथ चौबे, नैपुरा गांव के अवधेश चौबे तथा भरोहियां गांव के पूर्व ग्रामप्रधान एडवोकेट अरविंद राम त्रिपाठी अपनी राजस्व विवाद से संबंधित समस्याएं लेकर पेश हुए।एक मामले को पुलिस विभाग से संबंधित पाया गया शेष सभी 6 मामलों के समाधान हेतु निर्देशित किया गया।

इस दौरान थानाध्यक्ष और नायब तहसीलदार ने थाने के पीछे बांसगांव मार्ग पर खुले में चलने वाले अवैध मुर्गा, मीट की दुकानों का निरीक्षण किया मौके पर खजनी के कानूनगो, हलका लेखपाल, चौकी इंचार्ज महुआडाबर शैलेन्द्र सिंह और थाने के एसआई तथा पुलिसकर्मी मौजूद रहे।

*गोरखपुरःजिले की ग्यारह सीएचसी को मिला कायाकल्प पुरस्कार, सुदृढ़ होगी चिकित्सा व्यवस्था*

गोरखपुर, जिले की ग्यारह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को वर्ष 2023-24 के लिए कायाकल्प पुरस्कार मिला है। इन सभी सीएचसी को एक एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि मिलेगी जिनमें से पचहत्तर फीसदी की धनराशि इनकी व्यवस्था के सुदृढ़ करने में खर्च की जा सकेगी। गोला और बांसगांव सीएचसी ने पहली बार यह पुरस्कार जीता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस उपलब्धि के लिए सभी सीएचसी अधीक्षक, उनकी टीम, नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी, डीपीएम पंकज आनंद और क्वालिटी प्रभारी विजय कुमार श्रीवास्तव समेत सभी मंडलीय और जनपदीय सहयोगियों को बधाई दी है। उन्होंने बताया कि मिशन निदेशक से प्राप्त पत्र के अनुसार प्रदेश की 425 सीएचसी को यह पुरस्कार मिला है। इनमें गोरखपुर जिले की भटहट, पिपरौली, गगहा, बरही, पिपराईच, पाली, सहजनवां, कैम्पियरगंज, गोला, बांसगांव और जंगल कौड़िया सीएचसी शामिल हैं। गोरखपुर की भटहट सीएचसी ने पांचवी बार पुरस्कार प्राप्त किया है और इसे जिले में सर्वाधिक 89.71 स्कोर प्राप्त हुआ है।

पुरस्कार में प्राप्त धनराशि में ऐसे होगा इस्तेमाल

डॉ दूबे ने बताया कि पिपराईच सीएचसी छठवीं बार, पिपरौली सीएचसी दूसरी बार, गगहा सीएचसी तीसरी बार, बरही सीएचसी दूसरी बार, पाली सीएचसी तीसरी बार, सहजनवां सीएचसी चौथी बार, कैम्पियरगंज सीएचसी पांचवी बार और जंगल कौड़िया सीएचसी चौथी बार यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली सीएचसी बन गई हैं। पुरस्कार के रूप में प्राप्त धनराशि में से 25 फीसदी का इस्तेमाल कर्मचारियों के प्रोत्साहन व पुरस्कार के तौर पर खर्च किये जाने का प्रावधान है।

70 फीसदी से अधिक स्कोर अनिवार्य

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि इंफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी सर्विसेज, स्वच्छता जैसे मानकों के आधार पर सीएचसी का मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन के लिए बाहर से आने वाली टीम जिन सीएचसी को सत्तर फीसदी से अधिक अंक मिलते हैं उन्हें ही यह अवार्ड दिया जाता है। जिले की इकाइयों को तैयार करने में क्वालिटी प्रभारी विजय कुमार श्रीवास्तव की अहम भूमिका रही है। इस पुरस्कार के लिए प्रत्येक वर्ष मूल्यांकन होता है । यह मूल्यांकन सीएचसी, पीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर श्रेणी में अलग अलग किया जाता है।

*चोरों ने घात लगाकर लाखों उड़ाए, खिसियानी बिल्ली बनी पुलिस*

गोरखपुर- थाना क्षेत्र के बरपार बरगाह गांव के निवासी मरहूम अब्दुल रहीम के पुत्र मोनू उर्फ जुल्फिकार के घर में बीती रात छत के रास्ते भीतर घुसे चोरों ने एक बार फिर चोरी की बड़ी घटना को अंजाम दिया। पीड़ित के अनुसार अज्ञात चोरों ने तीन लाख से अधिक मूल्य के कीमती गहने और एक लाख रूपए नकद उड़ा ले गए।

बताया गया कि देर रात लगभग 11 बजे के बाद चोर घर में घुसे थे। खट पट होने पर घर के लोगों को शक हुआ तो भीतर जा कर देखने पर आलमारी, बक्से के ताले टूटे और सामान बिखरे पड़े थे। सिर्फ गहने और एक लाख कैश गायब था। घटना की सूचना 112 पुलिस को दी गई। देर रात मौके पर पहुंची खजनी पुलिस ने घटना की प्रारंभिक जांच पड़ताल की।

लगातार हो रही चोरी की घटनाओं से इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है, लोग भयभीत हैं तथा पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस ने पूछताछ की गांव की कुछ महिलाओं में चर्चा है कि देर रात चार लोग कच्छा बनियान पहनकर जाते हुए नजर आए थे। महिलाओं ने सोचा कि शायद लोग अपने धान के खेत में सिंचाई करके लौट रहे हैं।

बता दें कि अभी 12 दिन पहले बीते 2 सितंबर को निकट के आशापार गांव में इसी तरह एक घर में चैनल का ताला तोड़कर घुसे चोरों ने लगभग 15 लाख रूपए के कीमती गहने चुराए थे। घटना के खुलासे से दूर पुलिस अभी चोरों को छू भी नहीं पाई थी कि अचानक खुली चुनौती देते हुए चोरों ने दूसरी वारदात को अंजाम दिया है, जिससे पुलिस की हालत खिसियानी बिल्ली जैसी हो रही है। थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने बताया कि छानबीन चल रही है जल्दी ही हमें सफलता मिलेगी।

*सीएम योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान, बोले-ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ*

गोरखपुर- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के चारों कोनों में आध्यात्मिक पीठों की स्थापना करने वाले आदि शंकर की काशी में की गई साधना के समय भगवान विश्वनाथ द्वारा ली गई परीक्षा के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं वह ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी ही हैं।

सीएम योगी शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदान’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। यह दो दिवसीय संगोष्ठी गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है। दीक्षा भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं नाथपंथ की अध्यक्षीय पीठ, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने संतों और ऋषियों की परंपरा को समाज और देश को जोड़ने वाली परंपरा बताते हुए आदि शंकर का विस्तार से उल्लेख किया। कहा कि केरल में जन्मे आदि शंकर ने देश के चारों कोनों में धर्म-अध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण पीठों की स्थापना की। आदि शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर काशी आए तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही। ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए निकले तब भगवान विश्वनाथ एक अछूत के वेश में उनके सामने खड़े हो गए। आदि शंकर ने जब उनसे मार्ग से हटने को कहा तब उसी रूप में भगवान विश्वनाथ ने उनसे पूछा कि आप यदि अद्वैत ज्ञान से पूर्ण हैं तो आपको सिर्फ भौतिक काया नहीं देखनी चाहिए। यदि ब्रह्म सत्य है तो मुझमें भी वही ब्रह्म है जो आपमे है। हतप्रभ आदि शंकर ने जब अछूत बने भगवान का परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि मैं वही हूं, जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए वह (आदि शंकर) काशी आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप ही है।

सदैव जोड़ने वाली रही है ऋषि-संतों की परंपरा-सीएम योगी

सीएम योगी ने कहा कि भारतीय ऋषियों-संतों की परंपरा सदैव जोड़ने वाली रही है। इस संत-ऋषि परंपरा ने प्राचीन काल से ही समतामूलक और समरस समाज को महत्व दिया है। हमारे संत-ऋषि इस बात ओर जोर देते हैं भौतिक अस्पृश्यता साधना के साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए बाधक है।

अस्पृश्यता नहीं होती तो देश कभी गुलाम नहीं होता-सीएम योगी

मुख्यमंत्री ने कहा, अस्पृश्यता को दूर करने पर ध्यान दिया गया होता तो देश कभी गुलाम नहीं होता। संत परंपरा ने समाज में छुआछूत और अस्पृश्यता को कभी महत्व नहीं दिया। यही नाथपंथ की भी परंपरा है। नाथपंथ ने हरेक जाति, मत, मजहब, क्षेत्र को सम्मान दिया। सबको जोड़ने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथपंथ ने काया की शुद्धि के माध्यम से एक तरफ आध्यात्मिक उन्नयन पर जोर दिया तो दूसरी तरफ समाज के हरेक तबके को जोड़ने के प्रयास किए।

गुरु गोरखनाथ के पदों-दोहों के केंद्र में सामाजिक समरसता-सीएम योगी

सीएम योगी ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ जी की शब्दियों, पदों और दोहों में समाज को जोड़ने और सामाजिक समरसता की ही बात है। उनकी गुरुता भी सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिए प्रतिष्ठित है। यहां तक कि मलिक मुहम्मद जायसी ने भी कहा है, ‘बिनु गुरू पंथ न पाइये, भूलै से जो भेंट, जोगी सिद्ध होई तब, जब गोरख सौं भेंट।’ संत कबीरदास जी भी उनकी महिमा का बखान करते हैं तो गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, ‘गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग निगम नियोग सों।’ सीएम योगी ने कहा कि संत साहित्य की परंपरा, इसकी श्रृंखला गुरु गोरखनाथ के साहित्य से आगे बढ़ती है। उन्होंने बताया कि पीताम्बर दत्त जी ने गोरखवाणी को संकलित किया और इसके लिए उन्हें हिंदी में डी. लिट् की उपाधि प्राप्त हुई। सीएम योगी ने समाजिक समरसता और समतामूलक समाज को लेकर संतों की पद्धतियों, साहित्य के कुछ उद्धरण भी दिए। उन्होंने कहा कि संत रामानंद जी ने उपासना विधि की एक विशिष्ट पद्धति को बढ़ाया लेकिन छुआछूत को कभी महत्व नहीं दिया। एक तरफ रविदास उनके शिष्य थे तो दूसरी तरफ कबीरदास।

विदेशों में भी नाथपंथ की परंपरा के अमिट चिह्न-सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथपंथ की परंपरा के अमिट चिह्न सिर्फ देश के हर कोने में ही नहीं हैं बल्कि विदेशों में भी हैं। उन्होंने अयोध्या में गत दिनों तमिलनाडु के एक प्रमुख संत से हुई मुलाकात का उल्लेख करते हुए बताया कि उक्त संत से उन्हें तमिलनाडु के सुदूर क्षेत्रों की नाथपंथ की पांडुलिपियां प्राप्त हुई हैं। यहां गोरखनाथ जी से जुड़े अनेक साधना स्थल और नाथपंथ की परंपराएं आज भी विद्यमान हैं। कर्नाटक की परंपरा में जिस मंजूनाथ का उल्लेख आता है, वह मंजूनाथ गोरखनाथ जी ही हैं। महाराष्ट्र में संत ज्ञानेश्वर दास की परंपरा भी मत्स्येंद्रनाथ जी, गोरखनाथ जी और निवृत्तिनाथ जी की कड़ी है। महाराष्ट्र में रामचरितमानस की तर्ज पर नवनाथों की पाठ की परंपरा है। पंजाब, सिंध, त्रिपुरा, असम, बंगाल आदि राज्यो के साथ ही समूचे वृहत्तर भारत और नेपाल, बांग्लादेश, तिब्बत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत अनेक देशों में नाथपंथ का विस्तार देखने को मिलेगा। मुख्यमंत्री ने नाथपंथ की परंपरा से जुड़े चिह्नों के संरक्षण और उसे एक म्यूजियम के रूप में संग्रहित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु गोरखनाथ शोधपीठ इस दिशा में पहल कर सकता है। उन्होंने शोधपीठ से अपील की कि वह नाथपंथ की इनसाइक्लोपीडिया में नाथपंथ से जुड़े सभी पहलुओं, नाथ योगियों के चिह्नों को इकट्ठा करने का प्रयास करे।

रूढ़ियों पर प्रहार करने में भी आगे रहा नाथपंथ-सीएम योगी

मुख्यमंत्री ने कहा देश, काल और परिस्थितियों के अनुरूप नाथपंथ ने अपनी भूमिका को सदैव समझा। जब देश बाहरी आक्रमण शुरू हो गए थे तब नाथपंथ के योगियों ने सारंगी वादन के जरिये समाज को देश पर आए खतरे के प्रति जागरूक किया। इसी तरह सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करने में भी नाथपंथ अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि महायोगी गोरखनाथ जी ने गोरखपुर को अपनी साधना से पवित्र किया।

देश को जोड़ने की व्यावहारिक भाषा है हिंदी-सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी लोगों को राजभाषा हिंदी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हिंदी देश को जोड़ने की एक व्यावहारिक भाषा है। इसका मूल देववाणी संस्कृत है। मुख्यमंत्री ने भारतेंदु हरिश्चंद्र के ‘निज भाषा उन्नति’ वाले उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का भाषा के प्रति यह भाव आज भी आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि यदि भाव और भाषा खुद की नहीं होगी तो हर स्तर पर प्रगति बाधित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश को जोड़ने के लिए हिंदी को जिस रूप में देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है, वह अभिनंदनीय है।

सर्वसमाज के कल्याण का चिंतन पुंज है नाथपंथ : प्रो. श्रीप्रकाश मणि

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि नाथपंथ सर्वसमाज के कल्याण का चिंतन पुंज है। यह ऐसा पंथ है जो सर्वसमाज के लिए है और सर्वसमाज का है। सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय ही इसका ध्येय है। मध्य प्रदेश के रेवाखण्ड समेत देश के अनेक राज्यों में विभिन्न स्थानों के नाम गोरखनाथ या गोरखपुर से जुड़े होने का उल्लेख करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि नाथपंथ की व्याप्ति पूरे देश में है। यह सर्वाग्रही पंथ है। नाथपंथ का आभिर्भाव किसी आंदोलन से नहीं हुआ है बल्कि इसने खुद अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया है जिनमें अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर निर्माण का भी आंदोलन प्रमुख रूप से शामिल है।

नाथपंथ में श्रवण और भ्रमण, दोनों ही परंपराएं समाहित

उन्होंने कहा कि नाथपंथ में श्रवण और भ्रमण, दोनों ही परंपराएं समाहित हैं। यह सामाजिक समरसता, त्याग, मानव कल्याण और सर्वकल्याण की भावना से परिपूर्ण पंथ है। हिंदी दिवस पर सभी लोगों को बधाई देते हुए कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदी, हिंदुत्व और राष्ट्रीयता का प्रतीक बताया। उन्हें मानक मुख्यमंत्री बताते हुए प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि देश के अन्य प्रांतों के लोग भी अपने प्रांत में योगी आदित्यनाथ जैसा मुख्यमंत्री चाहते हैं।

नाथपंथ के मूल में अनुप्राणित है सामाजिक समरसता : प्रो. पूनम टंडन

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि नाथपंथ के मूल में ही सामाजिक समरसता अनुप्राणित है। नाथपंथ के आभिर्भावक महायोगी गोरखनाथ जी ने जिस चिंतन पर बल दिया है वह सामाजिक समरसता, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय अखंडता का है। प्रो. टंडन ने कहा कि आज समाज भाषावाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद आदि के कारण खंडित हो रहा है। समाज मे समरसता का भाव न होना राष्ट्रीयता के लिए संकट है। ऐसी परिस्थिति में नाथपंथ के विचार हमारे लिए पथप्रदर्शक हैं। नाथपंथ का दर्शन और इसके विचार हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर हैं। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का संचालन आयोजन सचिव संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने किया।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव भाषा एवं हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल, विधायक विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, प्रदीप शुक्ल, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, पूर्व महापौर अंजू चौधरी, कार्यक्रम समन्वक महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ के उपनिदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र, संगोष्ठी के संयोजक एवं राजनीति शास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अमित कुमार उपाध्याय समेत बड़ी संख्या में विद्वतजन और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

’नाथपंथ का इतिहास’, ‘नाथपंथ की प्रवेशिका’ और ‘कुंडलिनी’ पत्रिका का विमोचन

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. पद्मजा सिंह द्वारा रचित पुस्तक ‘नाथपंथ का इतिहास’, अरुण कुमार त्रिपाठी की पुस्तक ‘नाथपंथ की प्रवेशिका’ तथा महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ की अर्धवार्षिक पत्रिका ‘कुंडलिनी’ का विमोचन किया। नाथपंथ का इतिहास पुस्तक नाथपंथ के आभिर्भाव से लेकर अद्यतन काल तक के इतिहास का शोधपरक विवेचन है। जबकि कुंडलिनी पत्रिका में नाथपंथ के प्रति शोध और स्वास्थ्य जैसे विषयों पर लेख संकलित हैं। साथ ही सीएम ने दीक्षा भवन की गैलरी में लगी पुस्तक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

दिव्यांगजन कैंटीन का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में दिव्यांगजन कैंटीन का भी शुभारंभ किया। इस कैंटीन का संचालन दिव्यांगजन द्वारा किया जाएगा। कैंटीन का उद्घाटन करने के बाद सीएम योगी ने इसका संचालन करने वालों का मनोबल बढ़ाया।

खजनी में डेंगू और एइएस से पीड़ित मरीज मिले

खजनी गोरखपुर।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अब तक जेई अर्थात जापानी इंसेफेलाइटिस के 2, एइएस अर्थात (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के एक तथा डेंगू से पीड़ित एक मरीज पाए गए हैं। संचारी रोगों में शुमार एइएस और डेंगू के मरीजों के मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है और गांवों में छिड़काव तथा बीमारियों से बचाव के उपाय अपनाने के मौखिक निर्देश दिए गए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र के रूद्रपुर गांव के निवासी अनुराग तिवारी के पुत्र अभिषेक उर्फ छोटू तिवारी 28 वर्ष को बीते कई दिनों से बुखार आ रहा था। इलाज के बाद भी बुखार ठीक नहीं हो रहा था। खजनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचकर जांच कराने के बाद उनके डेंगू से पीड़ित होने की पुष्टि हुई। पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉक्टर प्रदीप तिवारी के निर्देशन में

स्वास्थ्य केंद्र में उनका इलाज शुरू किया गया है।

वहीं बीते महीने क्षेत्र में एक बच्चे और दो युवकों को जेई तथा एइएस से पीड़ित पाया गया था। उन्हें जिले पर इलाज के लिए भेजा गया था। बताया गया कि इलाज के बाद अब उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिल गया है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचारी रोगों से पीड़ित मरीज की समय रहते पहचान करने और उनका इलाज कराने के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है।

मरीजों के मिलने के बाद विभागीय स्तर पर ऐसे रोगियों की पहचान के लिए अभियान चलाया गया है।

पीएचसी के एमओआईसी डाॅक्टर प्रदीप तिवारी ने बताया कि इलाज के बाद मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार है। साथ ही संबंधित गांवों के ग्राम प्रधानों को गांव में सफाई और छिड़काव कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।

खजनी कस्बे में स्थापित गणेश प्रतिमा का विसर्जन

खजनी गोरखपुर।कस्बे में पुराने पोस्ट आॅफिस के समीप स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा का आज एक सप्ताह बाद गाजे-बाजे के साथ नाचते गाते, अबीर गुलाल उड़ाते और जयकारे लगाते हुए धूमधाम से विसर्जन किया गया।

इस दौरान कस्बे में भगवान गणेश की मूर्ति के साथ आकर्षक झांकी निकाली गई। मुख्य कस्बे में सड़क की दोनों पटरियों के किनारे खड़े श्रद्धालुओं ने गणेश जी की मूर्ति और सुंदर झांकी के दर्शन किए। हर्षोल्लास के साथ नाचते गाते जयकारे लगाते हुए गणेश भक्त श्रद्धालुओं ने अबीर गुलाल उड़ाकर अपनी भक्ति और प्रसन्नता का प्रदर्शन किया।

विसर्जन में शामिल युवाओं महिलाओं और बच्चों ने भक्ति गीतों की धुनों पर खूब ठुमके लगाए। तालियां बजाते और गणपति बप्पा के जयकारे लगाते हुए स्थानीय लोगों बड़ी संख्या में विसर्जन में सम्मिलित हुए।

थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा के एसआई विवेक चतुर्वेदी ने अपने सहकर्मी महिला और पुरुष पुलिस टीम के साथ शांति सुरक्षा व्यवस्था तथा कस्बे में जाम की समस्या को नियंत्रित करने में मुस्तैदी से डंटे नजर आए।

सांसद को पत्र सौंप कर गांव का संपर्क मार्ग बनवाने की मांग,सांसद ने दिया निर्माण का भरोसा

खजनी गोरखपुर।तहसील क्षेत्र के कैथवलियां हरख सिंह गांव के निवासी ग्रामवासियों ने क्षेत्रीय सांसद लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू निषाद से गांव के निवासी सुनील यादव उर्फ ठाकुर के घर से गांव के काली मंदिर स्थान तक लगभग एक किलोमीटर लंबे कच्चे मार्ग के स्थान पर पक्की सड़क का निर्माण कराने की मांग की।

ग्रामप्रधान गीता देवी के साथ दर्जनों की संख्या में ग्रामवासियों ने पत्र सौंपकर सांसद को अपनी समस्या से अवगत कराते हुए बताया कि संपर्क मार्ग न होने से लगभग 4 किलोमीटर लंबी दूरी तय करके आना जाना पड़ता है।

सांसद ने ग्रामीणों को शीघ्र सड़क का निर्माण कराने का भरोसा दिया। इससे पहले सांसद बनने के बाद पहली बार क्षेत्र का हाल जानने निकले क्षेत्रीय सांसद के आगमन पर फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया।

रोल मॉडल बनने को अग्रसर है महायोगी गोरखनाथ विवि : एमपी अग्रवाल

गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चर, यहां की शैक्षिक गुणवत्ता और परिसर संस्कृति किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए अनुकरणीय है। स्थापना के मात्र तीन सालों में ही यह विश्वविद्यालय उच्च और रोजगारपरक शिक्षा के क्षेत्र में रोल मॉडल बनने की तरफ अग्रसर है।

यह बातें उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एमपी अग्रवाल ने शुक्रवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार गोरखपुर के भ्रमण-निरीक्षण के दौरान कही। पूरे विश्वविद्यालय परिसर और यहां की अवस्थापना सुविधाओं, शिक्षण पद्धति आदि का अवलोकन करने के बाद श्री अग्रवाल काफी खुश दिखे। उन्होंने कहा कि किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के लिए यह विश्वविद्यालय मानक बन सकता है।

प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ. जीएन सिंह, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. अश्वनी मिश्रा, विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी और कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव के साथ आयुर्वेद कॉलेज, नर्सिंग संकाय, पैरामेडिकल संकाय, संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय, फार्मेसी संकाय, कृषि संकाय आदि का निरीक्षण किया। सभी संकायों के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही उन्होंने यहां शिक्षण पद्धति को भी बारीकी से समझा।

विश्वविद्यालय में इसी सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए नीट काउंसिलिंग से प्रवेश लिए गए हैं। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने एमबीबीएस की कक्षाओं के संचलन को लेकर की गई तैयारियों को भी परखा और अबतक की व्यवस्थाओं को उत्कृष्ट बताया। उन्होंने कहा कि स्थापना के इतने कम समय में मॉडर्न मेडिकल, आयुर्वेद, नर्सिंग, पैरामेडिकल, फार्मेसी आदि विधाओं के शिक्षण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, मान्यता प्राप्त करना और बिना किसी सीट के रिक्त रहे पढ़ाई एक असाधारण उपलब्धि है।

प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के निरीक्षण के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति ने उन्हें बताया कि इस विश्वविद्यालय का जोर रोजगारपरक शिक्षा के नए आयामों से जुड़ने, शोध-अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने पर है। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने प्रमुख सचिव श्री अग्रवाल को बताया कि स्थापना के पहले से साल से इस विश्वविद्यालय ने शोध-अनुसंधान, नवाचार के साथ आत्मनिर्भरतापरक स्टार्टअप के लिए देश की कई ख्यातिलब्ध शिक्षण, चिकित्सकीय संस्थानों, अनुसंधान परिषदों, उद्योग समूहों से एमओयू किया है।

उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय में जिन भी पाठ्यक्रमों का संचालन है, वे सभी पूर्ण क्षमता से संचालित हैं। डॉ. राव ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को विश्वविद्यालय की परिसर संस्कृति, कार्य प्रबंधन में छात्र सहभागिता, सामाजिक सरोकारों और भावी कार्ययोजना के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। जन स्वास्थ्य एवं अन्य नागरिक सेवाओं को लेकर विश्वविद्यालय की पहल की प्रमुख सचिव श्री अग्रवाल ने सराहना की।

प्रधानमंत्री आवास के पात्रों के चयन हेतु गांव में चौपाल ,28 लोगों ने की आवास की मांग

खजनी गोरखपुर। तहसील क्षेत्र के विकास खण्ड बांसगांव के पुरासपार गांव में उन्मुखीकरण गोष्ठी और चौपाल का आयोजन कर प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के पात्रों के चयन हेतु बैठक की गई। ग्राम सभा सचिव गणेश खरवार ने ग्रामवासियों को पात्रता शर्तों की जानकारी देते हुए बताया कि पीएम आवास योजना का लाभ पाने के लिए शपथ पत्र के साथ कुल 8 बिंदुओं की जानकारी देनी होगी जिसमें बताना होगा कि केन्द्र और राज्य से प्रायोजित किसी भी आवासीय योजना का लाभ आज तक नहीं प्राप्त हुआ है।

आवेदक के परिवार के नाम पूरे भारत में पक्का मकान नहीं है, उसे संज्ञानित है कि परिवार की परिभाषा में पति-पत्नी एवं अविवाहित बच्चे शामिल हैं। परिवार की मासिक आय 15 हजार रूपए से कम है। परिवार के पास यंत्रीकृत तीन पहिया या चार पहिया कृषि उपकरण नहीं है। परिवार के पास रुपये 50 हजार रूपए अथवा इससे अधिक की क्रेडिट सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है। परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी कर्मचारी नहीं है। व्यक्तिगत या व्यावसायिक आयकर दाता नहीं है।परिवार में 2.5 एकड़ सिंचित भूमि या 5 एकड़ अभिसिंचित भूमि का स्वामी नहीं है।

इस दौरान गांव के निवासी कुल 28 लोगों ने अपने परिवार के लिए प्रधानमंत्री आवास की मांग की, सचिव ने बताया कि पात्रता शर्तों के आधार पर चयनित लोगों को ही आवास योजना का लाभ मिलेगा। इस अवसर पर ग्राम प्रधान तरंग यादव और गांव के निवासी राणा प्रताप, धर्मेंद्र यादव, सिकंदर प्रजापति, रूपा देवी, पुष्पा, सुभावती, मीना देवी, प्रेमचंद, सूर्यभान यादव, अंबरीश पांडेय, विशाल यादव, महंथ प्रसाद आदि उपस्थित रहे।

एम्स में इंटर पोजीशनल आर्थोप्लास्टि प्रक्रिया से 5 वर्षीय बच्चे के जबड़े का हुआ सफल आॅपरेशन

गोरखपुर। एम्स गोरखपुर में दंत शल्य विभाग द्वारा एक नयी तकनीक से बहुत कम समय एवं खोपड़ी में बहुत छोटे चीरे से 5 वर्ष के बच्चे का जटिल आॅपरेशन किया गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गोरखपुर के दंत रोग विभाग ने एक जटिल सर्जरी को अंजाम दिया है। गोरखपुर निवासी 5 वर्षीय बच्चे के पिछले 2 वर्ष से छत से गिरने की वजह से और इसके बाद मुँह ना खुलने और कुपोषण से ग्रसित था ।

मरीज के पिता कुशीनगर जिÞले के रामकोला के निवासी हैं एवं प्रवासी मजदूर एवं किसान हैं।

बच्चे के पिता वाराणसी, लखनऊ, गोरखपुर के बहुत सारे डॉक्टरो एवं अस्पतालों को दिखाने के बाद भी जब समस्या बढ़ती चली गयी तब गोरखपुर एम्स के दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन डा शैलेश कुमार को दिखाया। मरीज की गहन जाँच तथा स्कैन के बाद ये पता चला की मरीज एक जटील किस्म की समस्या से ग्रसित था। मरीज के खोपड़ी की हड्डी निचले जबड़े की हड्डी से पूरी तरह से जुड़ गई थी. जिसकी वजह से पिछले 2 वर्षों से मरीज मुँह ना खुलने की वजह से सिर्फ़ तरल खाने पर निर्भर था, जिसके कारण मरीज का स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा था. आॅपरेशन के दौरान चेहरे की नशों को बचाते हुए (एंकिलोज्ड मास) हड्डी का टुकड़ा निकाला गया ह और हड्डी दुबारा खोपड़ी से जुड़ न जाए इसके लिए मरीज के सिर के अंदर से फैट के कुछ हिस्से को काट कर जबड़े के ज्वाइंट में डाला गया। इस प्रक्रिया को इंटर पोजीशनल आर्थोप्लास्टि कहते हैं।

इस बीमारी में मुंह का निचला जबड़ा खोपड़ी के हिस्से में जुड़ जाता है, जिसे मुंह खुल नही पता है। जिसे बेहोश करने की प्रक्रिया भी जटिल हो जाती है. इसमें मरीज के नाक के द्वारा फाइबर आॅप्टिक स्वास नली डाली गई। ऐम्स निदेशक एवं सीईओ डा (प्रो) जी के पॉल को दंत शल्य विभाग द्वारा मरीज की समस्या की जानकारी दी गई. मरीज की बेहोशी जाँच निश्चेतना विभाग के द्वारा किया . मैक्सिलोफेशियल सर्जन डा शैलेश ने बताया की ऐसे मरीजों में बेहोशी की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है, जिसके लिए विशेष उपकरण और बहुत तैयारी की जरूरत होती है. इस आॅपरेशन में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा देवेश सिंह एवं ईएनटी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा रुचिका अग्रवाल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मरीज की सर्जरी पूर्ण बेहोशी मैं दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं ओरल एंड मैक्सिलोफेशल सर्जन डा शैलेश कुमार द्वारा किया गया. आमतौर पर ऐसे आॅपरेशन में 5-6 घंटे का वक़्त लगता है, लेकिन इस आॅपरेशन में एक नयी विधि से कान के पास बहुत ही छोटे चिरे से केवल ढ़ेढ़ घंटे में आॅपरेशन को अंजाम दिया गया. आमतौर पर विदेशों में ऐसी तकनीक से आॅपरेशन किया जाता है. ऐम्स निदेशक ने डा शैलेश कुमार एवं उनकी टीम को सफल आॅपरेशन की बधाई दी। ऐम्स निदेशक द्वारा नियमित रूप से मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी ली जा रही है. आॅपरेशन के बाद मरीज अभी स्वस्थ है और स्पेशल वार्ड में डा शैलेश की निगरानी में है।

दंत विभाग के विभागाध्यक्ष ने डाक्टरों की पूरी टीम को सफल आॅपरेशन की बधाई दी एवं हर्ष व्यक्त किया. इस आॅपरेशन में दंत विभाग के सीनियर रेजीडेंट डा प्रवीण कुमार एवं जूनियर रेजिÞडेंट डा दिव्या पाठक, डा अंकुर पाँडे शामिल रहे। एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा विक्रम वर्धन, एडिशनल प्रोफेसर डा भूपिन्दर सिंह, एसोसियेट प्रोफेसर डा गणेश आर निमजे, डा अंकिता काबी, डा प्रियंका द्विवेदी और जूनियर एकेडमिक रेजीडेंट डा अभिषेक ने भी योगदान दिया।

पूर्वांचल एवं गोरखपुर एम्स में इतने कम उम्र के बच्चे में इतना जटिल पहला आॅपरेशन है. अभी तक ऐसे मरीजो को आॅपरेशन के लिए दिल्ली या लखनऊ जाना पड़ता था. . डा शैलेश ने बताया की सही समय पर अगर डॉक्टर को दिखाया जाये तो ऐसे आॅपरेशन को टाला जा सकता है. कम उम्र में आॅपरेशन करने के कारण आगे चलकर बच्चे की चेहरे की होने वाली विकृति, साँस की विकृति (डरअ) एवं विकृत चेहरे से होने वाली मानसिक दुष्प्रभाव को टाला जा सका है।

डा शैलेश ने ये बताया है कि बच्चों के चेहरे मैं होने वाले किसी भी एक्सीडेंट, चोट को नजरअंदाज ना करे और किसी भी ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन से ही संपर्क करे. ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन ईस तरह के केस के लिए सुपरस्पेशियलिटी डॉक्टर होते हैं।