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ओडिशा में पूर्व-अग्निवीरों को मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण, सरकार ने दी मंजूरी

ओडिशा सरकार ने गुरुवार को पूर्व-अग्निवीरों के लिए राज्य में 10 प्रतिशत आरक्षण की मंजूरी दी है. राज्य सरकार की ओर से पूर्व-अग्निवीरों को पुलिस, वन, आबकारी, अग्निशमन सुरक्षा संबंधी सेवाओं के लिए भर्ती में ये आरक्षण की मंजूरी दी गई है. सरकार ने शापूरजी पालोनजी पोर्ट मेंटेनेंस प्राइवेट लिमिटेड और ओडिशा स्टीवडोर्स लिमिटेड से इक्विटी शेयर को अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) को हस्तांतरित करने की भी अनुमति दी.

मुख्य सचिव मनोज आहुजा ने कहा कि इस संबंध में प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई. कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों की अविवाहित और सौतेली बेटियों को अनुकंपा के आधार पर नौकरियां देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी.

ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ पदों में उम्र सीमा में 3 साल की छूट

ओडिशा सरकार की प्रस्तावित नियमों का लक्ष्य पूर्व-अग्निवीरों को सुरक्षा से संबंधित पुलिस, वन, आबकारी, अग्निशमन या अन्य सेवाओं में अवसर उपलब्ध कराना है. सरकार ने इससे पहले राज्य की सुरक्षा संबंधी सेवाओं में समूह सी और डी के पदों पर पूर्व-अग्निवीरों की भर्ती में 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी थी.

अग्निवीरों को ये आरक्षण संबंधित भर्ती नियमों के अनुसार पदों के लिए मांगी गई आवश्यक न्यूनतम योग्यता के आधार पर भूतपूर्व सैनिकों को दिए जाने वाले आरक्षण के अतिरिक्त होगा. सुरक्षा संबंधी सेवाओं के समूह ‘सी’ और ‘डी’ पदों की सीधी भर्ती में अग्निवीरों को अत्यधिक उम्र सीमा में तीन साल की छूट दी गई है. उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षा से भी छूट दी गई है.

मुख्य सचिव ने पत्रकारों को बताया कि अदाणी पोर्ट्स ने इससे पहले रीयल एस्टेट समूह शापुरजी पालोनजी ग्रुप (एसपी ग्रुप) से गोपालपुर पोर्ट में 56 प्रतिशत और उड़ीसा स्टीवडोर्स में 39 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. गोपालपुर पोर्ट परियोजना में अदाणी पोर्ट्स की 95 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी जबकि उड़ीसा स्टीवडोर्स की शेष पांच प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में ही रहेंगे या उन्हें राहत मिलेगी, इसका पता आज चल जाएगा. सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज अपना फैसला सुनाएगा. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह के बाद 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. पहली जमानत याचिका और दूसरी सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी गई है. ED के केस में केजरीवाल को जमानत मिल चुकी है जबकि यह मामला CBI की ओर से की गई गिरफ्तारी और रेगुलर बेल से जुड़ा है. ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी.

ईडी केस में अंतरिम जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

सुप्रीम कोर्ट पांच सितंबर को केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला 5 सितंबर को सुरक्षित रखा था. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सिंघवी ने पेश की थीं ये दलीलें

पिछली सुनवाई के दौरान अरवंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कई दलीलें पेश की थीं.

केजरीवाल को तत्काल रेगुलर जमानत मिलनी चाहिए.

केजरीवाल की गिरफ्तारी जानबूझकर की गई.

जेल में रखने के लिए केजरीवाल को अरेस्ट किया गया

केजरीवाल के खिलाफ कोई नया सबूत नहीं.

CBI की FIR में केजरीवाल का नाम तक नहीं

FIR में केजरीवाल का नाम बाद में जोड़ा गया.

CBI ने 2 साल बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया.

सिर्फ एक गवाही का आधार बनाकर उनकी गिरफ्तारी हुई.

PMLA केस में केजरीवाल की दो बार रिहाई हुई.

नॉन अरेस्ट को गिरफ्तारी के मामले में बदल दिया गया.

दोबारा गिरफ्तारी से पहले नोटिस नहीं दिया गया.

केजरीवाल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, वह कहीं भाग नहीं रहे

केजरीवाल को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से रोक गया.

CBI द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी उचित नहीं है.

सिंघवी ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है.

SC का ये फैसला ED और CBI मामले में भी लागू होगा.

केजरीवाल के मामले में भी लागू होगा.

CBI ने दी थीं ये दलीलें

ASG ने कहा कि केजरीवाल शराब घोटाले में मुख्य आरोपी हैं. उनके खिलाफ सबूत हैं.

सिसोदिया, कविता, सभी ट्रायल कोर्ट से गुजरे. केजरीवाल सांप-सीढ़ी का खेल खेल रहे

CBI सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सही नहीं है.

किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है.

जांच के आधार पर मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी की मंजूरी दी.

CBI की अर्जी को राउज एवेन्यू कोर्ट से अनुमति मिली थी.

कोर्ट की अनुमति के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी.

विधानसभा भंग होने के बाद नायब सिंह सैनी बने रहेंगे कार्यवाहक मुख्यमंत्री

हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रचार के जोर के बीच राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आज गुरुवार को राज्य कैबिनेट की सिफारिश के बाद विधानसभा भंग तत्काल भंग करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया. साथ ही राजभवन की ओर से यह कहा गया है कि राज्य में अगली सरकार के अस्तित्व में आने तक नायब सिंह सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहेंगे.

इससे एक दिन पहले राज्य कैबिनेट ने अंतिम बैठक से छह महीने की अवधि खत्म होने से पहले सदन को बुलाने से बचने के लिए इस कदम की सिफारिश की थी. हरियाणा विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, राज्यपाल दत्तात्रेय ने संविधान के अनुच्छेद 174 (2) (बी) के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से विधानसभा को भंग कर दिया. संविधान का अनुच्छेद 174 (2) (बी) के तहत राज्यपाल के पास संबंधित राज्य की विधानसभा को भंग करने का अधिकार होता है.

क्यों भंग करनी पड़ी विधानसभा

इससे पहले राज्य कैबिनेट ने कल बुधवार को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात कर विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी. इसके एक दिन बाद राज्यपाल ने विधानसभा को भंग करने से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया.

राज्य सरकार से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने विधानसभा भंग किए जाने की सिफारिश के पीछे की वजह बताई कि संवैधानिक नियम के अनुसार पिछले सत्र से छह महीने का दौर खत्म होने से पहले ही विधानसभा का नया सत्र बुलाना जरुरी होता है, लेकिन अब इस कदम से किसी भी तरह का संवैधानिक संकट नहीं रहेगा.

चंडीगढ़ में जारी जानकारी में कहा गया, “राज्य कैबिनेट की बुधवार शाम हुई बैठक में 14वीं हरियाणा विधानसभा को भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. प्रस्ताव को अब मंजूरी के लिए हरियाणा के राज्यपाल दत्तात्रेय के पास भेजा जाएगा. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर को खत्म हो रहा है.

13 मार्च को बुलाई थी आखिरी सत्र

हरियाणा में नई विधानसभा के गठन को लेकर चुनाव की तारीखों का ऐलान पहले ही किया जा चुका है. यहां पर एक ही चरण में यानी 5 अक्टूबर को वोटिंग कराई जाएगी. जबकि मतगणना 8 अक्टूबर को होगी. इससे पहले यहां पर एक अक्टूबर को वोटिंग कराई जानी थी और फैसला 5 को आना था, लेकिन लोगों की मांग के बाद चुनाव की तारीखों में फेरबदल किया गया.

वर्तमान हरियाणा विधानसभा का अंतिम सत्र 13 मार्च को आयोजित किया गया था. इस सत्र के दौरान राज्य की नई सरकार ने बहुमत हासिल करना था. मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद राज्य में बनी नायब सिंह सैनी सरकार ने विश्वास मत हासिल किया था. इस तरह से अगला सत्र आगामी आज गुरुवार यानी 12 सितंबर तक बुलाया जाना जरूरी हो गया था.

नायब सिंह सैनी ने मार्च में मनोहर लाल की जगह मुख्यमंत्री का पद संभाला था. खट्टर अब केंद्रीय मंत्री हैं. आमतौर पर अगस्त में मानसून सत्र बुलाया जाता रहा है. लेकिन पिछले महीने 16 अगस्त को विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया जिसके बाद सरकार ने अगला सत्र नहीं बुलाया

यमुना पुल से गायब हुए आईजीएल मैनेजर पवन शाह, 8 दिन बाद भी दिल्ली पुलिस को अबतक नहीं मिली कोई सुराग

राजधानी दिल्ली के गीता कॉलोनी के यमुना पुल से गायब आईजीएल मैनेजर पवन शाह को गायब हुए लगभग एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन इस मामले में दिल्ली पुलिस के हाथ अबतक खाली हैं.

4 सितंबर की रात नोएडा निवासी मैनेजर की कार लावारिस हालत में पुल पर मिली थी. पुल के आसपास खेल रहे बच्चों ने पुलिस को बताया था कि कार से उतरकर एक शख्स यमुना नदी में कूद गया था. हालांकि इसके अलावा पुलिस के पास कोई भी जानकारी नहीं है. पुलिस को अबतक नदी में कूदने वाले शख्स की लाश नहीं मिल पाई है.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जब मौके पर पहुंचे थे तो उन्हें पवन की कार की खिड़की का शीशा ईंट से टूटा हुआ मिला था.

साथ ही उनका फोन भी वहां मौजूद नहीं था. इसके बाद क्राइम टीम के अलावा एफएसएल टीम को मौके पर बुलाकर कार थाने में जांच के लिए भेजी गई थी. 8 दिनों के बाद भी पुलिस का कहना है कि उन्हें लापता मैनेजर के खुदकुशी करने का अनुमान है.

आखिरी बार यमुना पुल पर दिखे पवन

पुलिस का दावा है कि पवन को आखिरी बार गीता कॉलोनी के इसी यमुना पुल पर देखा गया था. किसी के पुल से कूदने वाली थ्योरी को फोलो करते हुए पुलिस ने अब तक पवन को यमुना ब्रिज से फरीदाबाद तक खोजने का दावा किया है. हालांकि हैरानी की बात ये है कि उन्हें अबतक कोई भी लाश नहीं मिली है. पुल पर मिली लावारिस कार में पवन का मोबाइल और कुछ सामान भी गायब है. पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को पकड़कर उनसे पूछताछ शुरू कर दी है लेकिन ना तो अब तक मोबाइल मिला है और ना ही युवक का शव.

4 सितंबर से लापता हैं आईजीएल मैनेजर

पवन 46 साल के हैं और वो इंद्रप्रस्थ पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड में काम करते हैं. दिल्ली पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, पवन 4 सितंबर को लगभग दोपहर 2:30 बजे ऑफिस से बिना बताए अपनी कार से निकले थे. शाम 7:20 बजे के बाद उन्होंने किसी के भी फोन नहीं उठाए. आखिरी कॉल पवन के फोन से उनकी मां को किया गया था जिसमें खाना खाने का पूछा था और नोर्मल बातचीत थी. घटना अंधेरा होने पर रात की है. घटनास्थल के आसपास खेल रहे छोटे बच्चों ने बताया था कि कार से कोई व्यक्ति बाहर निकला और यमुना में कूद गया, हालांकि कूदने वाला व्यक्ति पवन ही है, यह अभी स्पष्ट नहीं है.

पवन की तलाश में पुलिस के हाथ खाली

पुलिस के मुताबिक अज्ञात बदमाश ने ईंट से कार का कांच तोड़कर मोबाइल फोन चुरा लिया है. दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जारी रही है, लेकिन अभी तक मोबाइल का सुराग नहीं लग सका है. उधर, पवन के परिवार का भी रो-रोकर बुरा हाल है. दिल्ली पुलिस से निराश होकर सोशल मीडिया पर पवन के दोस्तों और परिजनों ने कैम्पेन चलाना शुरू कर दिया है. नाम के हैश टैग चलाकर पवन को ढूंढने की कोशिश की जा रही है. पवन के घर में उनके बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो छोटे- छोटे बच्चे हैं. दोस्तों के मुताबिक पवन शाह ज़िंदादिल इंसान है. वो गलत कदम नहीं उठा सकता. फिलहाल पवन की तलाश में अबतक पुलिस को कुछ भी पुख्ता हाथ नहीं लग सका है.

पीएम मोदी के जन्मदिन से एक दिन पहले गुजरात को मिलेगी वंदे मेट्रो ट्रेन की सौगात

वंदे भारत एक्सप्रेस के बाद अब देश को जल्द ही ‘वंदे भारत मेट्रो ट्रेन’ की सौगात मिलने वाली है. भारतीय रेलवे की यह आधुनिक और कम दूरी की वंदे भारत मेट्रो ट्रेन जल्द ही यात्रियों के लिए चालू होने जा रही है. हाल ही में वंदे भारत मेट्रो ट्रेन का ट्रायल भी सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है. वहीं, सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन से एक दिन पहले इसे हरी झंडी दिखाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन इसी महीने की 17 सितंबर को है. वहीं, इससे एक दिन पहले यानी 16 सितंबर को पीएम मोदी गुजरात के लोगों को देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन की सौगात देने जा रहे हैं. इससे पहले 15 सितंबर को पीएम मोदी देश को एक साथ 10 वंदे भारत ट्रेनों की सौगात भी देने जा रहे हैं.

गुजरात को देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन की सौगात

भारतीय रेलवे अपने लाखों यात्रियों को हाई-स्पीड वंदे भारत मेट्रो ट्रेन का तोहफा देने जा रहा है. रेलवे वंदे भारत का वंदे मेट्रो वर्जन लॉन्च करने जा रहा है. पिछले महीने इसका सफल ट्रायल भी हो चुका है. वहीं, पीएम मोदी अब 16 सितंबर को इसे देश को समर्पित करने जा रहे हैं. गुजरात को देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन का तोहफा मिलने जा रहा है

देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन गुजरात के अहमदाबाद और भुज के बीच चलेगी. वहीं, 16 सितंबर को पीएम मोदी द्वारा इसे हरी झंडी दिखाने से पहले लंबी दूरी पर इसका ट्रायल किया जा रहा है. यह वंदे मेट्रो ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी. यह ट्रेन मेट्रो शहरों में चलने वाली मेट्रो ट्रेन की तरह ही है, जो दो शहरों के बीच चलेगी. यह ट्रेन पूरी तरह से वातानुकूलित होगी और 100 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी

15 सितंबर को एक साथ 10 वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात

वहीं, पीएम मोदी 15 सितंबर को एक साथ 10 राज्यों के लिए दस वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने वाले हैं. इन ट्रेनों की सौगात झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश को मिलने जा रहा है. इसमें सबसे ज्यादा ट्रेनों की सौगात बिहार और ओडिशा को मिलने वाली है. वंदे भारत ट्रेन एक सेमी हाई स्पीड ट्रेन है जिसकी रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है.

मलेशिया में वेलफेयर होम्स में बच्चों का यौन शोषण: 171 गिरफ्तार, 402 बच्चों को बचाया गया

मलेशिया से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बड़े इस्लामिक बिजनेस ग्रुप से जुड़े 20 वेलफेयर फोम्स में पुलिस ने छापा मारा. आरोप है कि इन वेलफेयर होम्स में छोटे बच्चों के साथ यौन शोषण किया जाता था.

पुलिस ने इस पूरे मामले में 105 महिलाओं समेत 171 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें शिक्षक और केयरटेकर भी शामिल हैं. वहीं एक से 17 साल की उम्र के 402 बच्चों का रेस्क्यू किया है. जिन 20 ठिकानों पर पुलिस ने कार्रवाई की है उनमें से 18 वेलफेयर होम सेंट्रल सेलेंगोर स्टेट के हैं और 2 दक्षिणी नेगेरी सेम्बिलान स्टेट के हैं.

इखवान ग्रुप से जुड़े हैं वेलफेयर होम्स

पुलिस अधिकारी के मुताबिक उन्हें वेलफेयर होम्स में बच्चों के साथ यौन शोषण और गलत व्यवहार की शिकायत मिली थी जिसके बाद ये कार्रवाई की गई. जानकारी के मुताबिक ये वेलफेयर होम्स मलेशिया के इखवान बिजनेस ग्रुप के हैं.

IG रजारउद्दीन हुसैन ने न्यूज़ कॉन्फ्रेंस में बताया है कि न केवल केयरटेकर इन बच्चों का यौन शोषण करते थे बल्कि उन्हें आपस में भी गलत काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. उन्होंने बताया कि अगर कोई बच्चा बीमार पड़ जाता था तो उसका तब तक इलाज नहीं कराया जाता था जब तक हालत गंभीर नहीं हो जाती थी. पुलिस के मुताबिक छोटे बच्चों को गलतियां करने पर गर्म चम्मच से जलाया जाता था, केयरटेकर मेडिकल चेकिंग के नाम पर बच्चों के शरीर को टच करते थे.

धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करने का शक

पुलिस को शक है कि ग्लोबल इखवान ग्रुप धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कर बच्चों का यौन शोषण और डोनेशन इकट्ठा करता है. जांच से पता चलता है कि वेलफेयर होम में रहने वाले तमाम बच्चे ग्लोबल इखवान ग्रुप के कर्मचारियों के बच्चे हैं. जिन्हें उनके माता-पिता जन्म के साथ से ही वेलफेयर होम्स में छोड़ गए. IG हुसैन ने बताया कि मामले की पड़ताल के बीच सभी बच्चों की मेडिकल जांच भी कराई जाएगी.

धार्मिक नेता अशारी मोहम्मद ने की थी स्थापना

ग्लोबल इखवान ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक इसकी स्थापना एक धार्मिक नेता अशारी मोहम्मद ने की है. उन्होंने मलेशिया में अल-अरकाम नाम का धार्मिक संप्रदाय शुरू किया था जिस पर मलेशिया की सरकार ने 1994 में बैन लगा दिया. 2010 में अशारी की मौत के बाद इस ग्रुप ने दोबारा प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया था. हाल ही में यह ग्रुप इस्लामिक अथॉरिटी के रडार पर भी आया था, दावा किया गया था कि यह ग्रुप फिर से अल-अरकाम संप्रदाय को बढ़ावा दे रहा है.

इखवान ग्रुप ने आरोपों को नकारा

हालांकि ग्लोबल इखवान बिजनेस ग्रुप ने बुधवार को एक बयान जारी कर बच्चों के शोषण के आरोपों को खारिज कर दिया है. इखवान ग्रुप ने कहा है कि वह अधिकारियों के साथ जांच में सहयोग करेंगे. बयान में कहा गया है कि कंपनी किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों के साथ समझौता नहीं करेगी खासकर कि उनके कर्मचारियों के बच्चों के साथ यौन शोषण जैसे मामलों में.

ग्लोबल इखवान ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक यह कई तरह के बिजनेस में मौजूदगी दर्ज करा रही है, जैसे- फूड एंड बेवरेज, मीडिया, मेडिकल, ट्रैवल और प्रॉपर्टी. इखवान ग्रुप में 5 हज़ार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और 20 देशों में इसकी अपनी ब्रांच है. लंदन, पेरिस, ऑस्ट्रेलिया और दुबई में इसके अपने होटल चेन हैं.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने दिया इस्तीफा

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर के मामले में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद जवाहर सरकार ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ को लिखे पत्र में जवाहर सरकार ने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के सदस्य रूप में अपना इस्तीफा दे रहे हैं. कृपया उनके इस्तीफा पत्र को स्वीकार कर लें.

बता दें कि कोलकाता रेप मर्डर केस के खिलाफ जवाहर सरकार ने पहले ही सांसद पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था. इस्तीफे के ऐलान के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें फोन किया और आग्रह किया था कि वह इस्तीफा पत्र पर पुनर्विचार करें, लेकिन जवाहर सरकार ने ममता बनर्जी की बात मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि वह आम लोगों से वादा कर चुके हैं और अब वह इस्तीफा देने से पीछे नहीं हटेंगे.

पुरी जगन्नाथ मंदिर में सुरक्षा को लेकर बड़ी चूक, शिखर पर चढ़ा अंजान शख्स,,

ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में सुरक्षा को लेकर भारी चूक दिखी. यहां सुरक्षा कर्मियों को चकमा देकर एक अंजान शख्स मंदिर के शिखर पर जा चढ़ा. जैसे ही खबर सामने आई तो पूरा प्रशासन सकते में आ गया. मंदिर के आसपास सुरक्षा का एक कड़ा घेरा होता है. ऐसे में सुरक्षा के घेरे में चूक कैसे हुई इसे लेकर प्रशासन अब छानबीन कर रहा है.

घटना बुधवार शाम की है. जानकारी के मुताबिक, देर शाम जब श्रद्धालु मंदिर के अंदर जाने का इंतजार कर रहे थे. तभी मंदिर के शिखर पर एक व्यक्ति अचानक चढ़ गया. इसका वीडियो भी सामने आया है. शख्स अपने आप को छत्रपुर का निवासी बता रहा है. मंदिर के शिखर पर चढ़ने के बाद काफी देर तक यह शख्स वहीं खड़ा रहा. जैसे ही सुरक्षाकर्मियों को इसकी भनक लगी, उन्होंने उसे नीचे उतारा. फिर पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. पुलिस अब मामले की छानबीन कर रही है.

ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है. लाखों-करोड़ों की संख्या में लोग हर साल यहां दर्शन करते हैं. इस कारण मंदिर में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होते हैं. ऐसे में इस तरह की घटना ने लोगों को सकते में डाल दिया है. हर कोई यह जानकर हैरान रह गया कि आखिर शख्स सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर वहां पहुंचा कैसे. किसी को पता क्यों नहीं लगा

शख्स ने बताई वजह

पुलिस ने बताया- शिखर पर चढ़ने वाला व्यक्ति अपने आप को छत्रपुर (ओड़िशा) का निवासी बता रहा है. व्यक्ति के अनुसार वो सन् 1988 से मंदिर आता जाता रहा है और उसकी एक मन्नत पूरी होने पर वो निलचक्र को छू कर प्रणाम करना चाहता था. इसीलिए वह मंदिर के शिखर तक पहुंच गया. फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. मामले में आगामी कार्रवाई जारी है. चार धामों में से एक है

ओडिशा के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर, भारत के चार धामों में से एक है. यह भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है और वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है. मंदिर की स्थापना 1150 ईस्वी में गंग राजवंश के शासनकाल में हुई थी. मंदिर के रिकॉर्ड के मुताबिक, अवंती के राजा इंद्रद्युम्न ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियां हैं. मंदिर के चारों प्रवेश द्वारों पर हनुमान जी की मूर्तियां हैं. मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है.

दिल्ली सीएम केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल यानी शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा. पिछली सुनवाई (5 सितंबर) में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली के सीएम को ईडी के केस में जमानत मिल चुकी है जबकि यह मामला सीबीआई की ओर से की गई गिरफ्तारी और रेगुलर बेल से जुड़ा है.

दरअसल, केजरीवाल ने दो याचिकाएं दायर की हैं. एक जमानत से इनकार को चुनौती देने वाली और दूसरी याचिका में उन्होंने सीबीआई द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी. ईडी केस में अंतरिम जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था.

5 सितंबर को SC ने सुरक्षित रखा था फैसला

अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीबीआई और केजरीवाल की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान केजरीवाल को राहत देने का संकेत दिया था और कहा था कि जेल अपवाद है. हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा था कि हम दोनों पक्षों को सुनेंगे

केजरीवाल के वकील ने पेश की थीं ये दलीलें

इस दौरान कोर्ट में सीबीआई और केजरीवाल की तरफ से तमाम दलीलें पेश की गईं.केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को तत्काल रेगुलर जमानत मिलनी चाहिए. जानबूझकर उनकी गिरफ्तारी की गई. वह कहीं भाग नहीं रहे हैं. वह एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. सीबीआई की FIR में उनका नाम तक नहीं है. बाद में एफआईआर में उनका नाम जोड़ा गया. केजरीवाल को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से रोक गया. सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी उचित नहीं है.

सिंघवी ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला ED और सीबीआई मामले में भी लागू होगा. केजरीवाल के मामले में भी लागू होगा. केजरीवाल को जेल में रखने के लिए अरेस्ट किया गया. केजरीवाल के खिलाफ कोई नया सबूत नहीं. सीबीआई ने 2 साल बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया. सिर्फ एक गवाही का आधार बनाकर उनकी गिरफ्तारी हुई. PMLA केस में केजरीवाल की दो बार रिहाई हुई. नॉन अरेस्ट को गिरफ्तारी के मामले में बदल दिया गया. दोबारा गिरफ्तारी से पहले नोटिस नहीं दिया गया.

दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला: वाहन चालान में 50% की छूट

बिजली और पानी में छूट के बाद दिल्ली सरकार अब वाहनों के चालान में भी भारी छूट देने जा रही है. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर उपराज्यपाल के पास उनकी मंजूरी के लिए भेज दिया है. एलजी की मुहर लगते ही वाहनों के चालान में 50 फीसदी की छूट मिलना शुरू हो जाएगी. दिल्ली में जिन वाहनों के चालान कटे हैं, उन्हें यह छूट मोटर वाहन अधिनियम की विशिष्ट धाराओं के अंतर्गत अपराधों पर मिलेगी.

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि सरकार ने ये फैसला जनता की सुविधा और यातायात जुर्माना निपटाने को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया है. उन्होंने कहा है कि इस सुविधा से यातायात जुर्माना अदा करने से अदालतों और परिवहन विभाग पर काम का बोझ कम होगा. कैलाश गहलोत ने बताया है कि दिल्ली सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम की कुछ धाराओं के तहत कुछ यातायात अपराधों के लिए निर्धारित चालान राशि का 50 फीसदी जुर्माना कंपाउडिंग करने की घोषणा की है.

दिल्ली सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को उनकी मंजूरी के लिए भेजा गया है. जानकारी देते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि एलजी से मंजूरी मिलते ही मौजूदा चालानों के लिए अधिसूचना के 90 दिनों के भीतर और नए चालानों को 30 दिनों के अंदर निपटारा किया जाना जरूरी होगा. ऐसा करने पर जुर्माना भरने वाले वाहन चालकों को 50 फीसदी की छूट मिल जाएंगी. उनका कहना है कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य लोगों को सुविधाजनक तरीके से अपना चालान जुर्माना भरने के लिए प्रोत्साहित करना है.

इन यातायात अपराधों पर होगा लागू

दिल्ली सरकार ने चालान जुर्माना में 50 फीसदी की छूट का प्रस्ताव राज्य के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजा गया है. वहां से मंजूरी मिलते ही इसका लाभ उन वाहन मालिक और चालकों को मिलेगा जिनके भारी भरकम चालान कते हुए हैं और जुर्माना नहीं भर पा रहे हैं. इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं 177, 178 (1) या (2), 178 (3) (ए), 178 (3) (बी), 179 (1) या (2), 180, 181, 182 (2), 182 ए (1), 182 ए (3), 182 ए (4), 182 बी, 183 (i), 183 (ii), 184, 186, 189, 190(2), 192 (1), 192 ए, 194 (2), 194 ए, 194 बी, (1) & (2), 194 सी, 194 डी, 194 ई, 194 एफ, (ए) & (बी), 196 और 198 में और इसके तहत बनाए गए नियमों में ये लागू होगा