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क्या हसीना के हटते ही ढाका में भारत विरोधी एजेंडे पर काम हो रहा? अब इस आतंकी को जेल से रिहा किया गया

#mufti_jashimuddin_rahmani_abt_chief_released_bangladesh_jail 

बांग्लादेश में शेख हसीने के सत्ता से हटने और देश छोड़ने के बाद गठित अंतरिम सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिसपर सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये हो रहे हैं कि क्या बंगाल की केयर टेकर सरकार के फैसले भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है? एक तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटा ली है। वहीं, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। यह भारत के लिए बड़ी सुरक्षा चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि एबीटी कभी भारत में अपने नेटवर्क का विस्तार करने की कोशिश कर चुका है।

मुफ्ती जशीमुद्दीन रहमानी उन सैकड़ों आतंकवादियों में से एक था, जिसे तत्कालीन शेख हसीना सरकार ने सलाखों के पीछे डाला था। 12 अगस्त 2013 को रहमानी को लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में बरगुना में गिरफ़्तार किया गया था। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 30 सदस्यों को भी गिरफ़्तार किया गया था। 2013 में गिरफ़्तारी के बाद से रहमानी जेल में ही था। उन पर छह अलग-अलग मामले चल रहे हैं और पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। 31 दिसंबर 2015 को ढाका की एक अदालत ने ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या से जुड़े एक मामले में उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी। 

जशीमुद्दीन रहमानी को 2013 में धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। 15 फरवरी, 2013 की रात को हैदर को ढाका में उनके घर के सामने मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हत्या के लिए शहर की एक अदालत ने दो लोगों – फैसल बिन नईम और रिजवानुल आजाद राणा – को मौत की सजा सुनाई थी।

बांग्लादेश ने मई 2015 में तीन धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की हत्या में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन एबीटी पर प्रतिबंध लगा दिया था। समूह ने अत्यधिक प्रेरित और शिक्षित विश्वविद्यालय के छात्रों की भर्ती शुरू की, जो अंग्रेजी भाषा में पारंगत और सोशल मीडिया के जानकार होते थे। 2016 में किए गए एक आकलन के अनुसार, एबीटी हरकत उल-जिहाद अल-इस्लामी-बांग्लादेश (एचयूजेआई-बी) और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से बड़ा संगठन था।

विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों को बांग्लादेश में खुद को एकजुट करने में अहम रोल निभाग सकता है। वे कहते हैं कि ये तत्व पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के कहने पर भारत विरोधी गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं।

बता दें कि 2017 में भारत में पैर जमाने की कोशिश कर रहे पांच एबीटी आतंकवादियों को असम में पकड़ गया था। जुलाई 2022 में, असम में एबीटी से जुड़े दो मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया। 2022 में फिर से, एबीटी से जुड़े दो इमामों को गिरफ्तार किया गया। दोनों इमामों को असम में गोलपारा पुलिस ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) और इस्लामिक आतंकवादी समूह अल कायदा भारतीय उपमहाद्वीप के खिलाफ व्यापक आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस द्वारा कई घंटों तक पूछताछ करने के बाद, तिलपारा नतून मस्जिद के इमाम जलालुद्दीन शेख (49) और मोरनोई के टिंकुनिया शांतिपुर मस्जिद के इमाम अब्दुस सुभान (43) दोनों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया।

परमाणु मिसाइल पनडुब्‍बी अर‍िघात से डरा ड्रैगन! भारत को दे रहा शांति का ज्ञान

#china_tension_as_ins_arighat_nuclear_powered_missile_submarine 

भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात शुक्रवार को नौसेना में शामिल हो गई।यह पनडुब्‍बी के-15 परमाणु मिसाइल से लैस है जो 750 किमी तक मार कर सकती है। भारत बंगाल की खाड़ी के उत्‍तरी इलाके से अगर इस मिसाइल को दागता है तो चीन के यून्‍नान प्रांत और तिब्‍बत को तबाह कर सकता है। यही नहीं आगे चलकर इस सबमरीन में 3 हजार किमी तक मार करने वाली के 4 मिसाइल को भी फिट किया जा सकता है। जाहिर सी बात है भारत की इस बढ़ी हुई ताकत से देश के दुश्मन जरूर बौखला गए हैं।

आईएनएस अरिघात को लेकर चीन में भी दहशत है। ड्रैगन के जर का दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पड़ोसियों पर अपनी धौंस जमाने वाला चीन, भारत को शांति का पाठ पढ़ा रहा है।चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से इस मिसाइल पनडुब्‍बी को लेकर भारत को नसीहत दी है।

चीन दे रहा है शांति तथा स्थिरता में योगदान देने की नसीहत

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने अपने एक लेख में कहा, 'चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को शक्ति प्रदर्शन की बजाय इस ताकत को जिम्‍मेदारी के साथ रखना चाहिए और शांति तथा स्थिरता में योगदान देना चाहिए।' बीजिंग के सैन्‍य एक्‍सपर्ट ने ग्‍लोबल टाइम्‍स से कहा कि ज्‍यादा परमाणु ऊर्जा से चलने वाली मिसाइल पनडुब्‍बी से भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है लेकिन इसके साथ ही इस तरह की ताकत रखने से जिम्‍मेदारी भी बढ़ जाती है। चीनी एक्‍सपर्ट ने कहा कि जब तक परमाणु हथियार मौजूद हैं, इनका इस्‍तेमाल शांति और स्थिरता के लिए किया जाना चाहिए न कि शक्ति प्रदर्शन या परमाणु ब्‍लैकमेलिंग के लिए।

भारत को ज्ञान ना देने की मिली सलाह

चीन की इस नसीहत का भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्‍बल ने जवाब दिया है। उन्होंने एक्‍स पर लिखा, 'चीन के पास 6 परमाणु ऊर्चा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन और 6 परमाणु अटैक पनडुब्बी मौजूद हैं।' उन्होंने चीन पर तंज कसते हुए कहा कि चीन तो अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करता है, बस दोस्तों के बंदरगाहों पर जाता है। उन्होंने इसे चीन का पाखंड बताते हुए कहा कि चीन अक्सर अपनी नौसेना भेजकर ताइवान, जापान, फिलीपीन्‍स और वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों को धमकाता रहता है। इसके बावजूद चीन के विशेषज्ञ भारत को ज्ञान दे रहे हैं।

जानें अरिघात में क्या है खास?

बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। भारत के लिए ये चिंता का विषय है। जिसको देखते हुए भारत लगातार अपनी सेना को मजबूत करने में लगा है। इसी क्रम में आईएनएस अरिघात की एंट्री हुई है। लगभग 112 मीटर लंबी इस पनडुब्बी में K-15 मिसाइलें लगी हैं, जो 750 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। अरिघात K15 मिसाइलों को अधिक ले जा सकता है। यह दुश्मनों को छिपकर ध्वस्त कर सकता है। भारत की ये ताकत दुश्मन देशों के लिए काल बन चुकी है। चीन के समुद्री विस्तार को लगाम लगाने के लिए भारत का हर एक कदम उसे पीछे खदेड़ेगा।

गाजा में रुकेगी जंग, इजरायल नहीं बरसाएगा बम, 6 लाख बच्चों को देनी है वैक्सीन

#the_war_in_gaza_will_stop_more_than_6_lakh_children_will_be_given_vaccine 

इजरायल-हमास युद्ध से बड़ी राहत की खबर आ रही है। रविवार से अलग-अलग क्षेत्रों में 9 दिनों तक हमास को जान की फिक्र नहीं । सताएगी। दरअसल, इजराइल-हमास के बीच गाजा में तीन-तीन दिन के लिए कुछ इलाकों में सीजफायर पर सहमति बनी है। यानी कि गााज के अलग-अलग हिस्सों में तीन-तीन दिन (कुल 9 दिन) तक इजरायल की ओर से कोई रॉकेट या ड्रोन हमला नहीं होगा। बता दें कि गाजा में 25 साल बाद 23 अगस्त को पोलियो का पहला केस मिला था, जिसके बाद 6.40 लाख बच्चों को पोलियो का टीका लगाया जाएगा।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारी रिक पीपरकोर्न ने कहा कि फिलिस्तीनी इलाकों में वैक्सीनेशन अभियान रविवार (1 सितंबर) को शुरू होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय समयानुसार सुबह 6 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच सीजफायर रहेगा। डब्ल्यूएचओ अधिकारी ने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान सेंट्रल गाजा में शुरू होगा, जहां तीन दिन का सीजफायर रहेगा। फिर दक्षिणी गाजा की ओर बढ़ेगा, जहां तीन दिन का और सीजफायर रहेगा। उसके बाद वैक्सीनेशन ड्राइव उत्तरी गाजा में चलाई जाएगी। पीपरकोर्न ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो हर इलाके में सीजफायर को चौथे दिन तक बढ़ाया जा सकेगा।

डब्लूएचओ के इमरजेंसी डायरेक्टर रयान ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, टीकाकरण को पूरा करने में अक्सर एक या दो दिन का अतिरिक्त समय लग जाता है। इसलिए दोनों पक्षों को इस पर राजी करवा लिया गया है। वहीं, पीपरकोर्न ने कहा कि अगर टीकाककरण का पहला दौर पूरा होता है तो चार सप्ताह बाद टीकाकरण का दूसरा दौर शुरू किया जाएगा।

बता दें कि इजरायल ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इज़राइल पर हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व हमले के जवाब में गाजा में सैन्य अभियान शुरू किया। हमास के हमले के दौरान लगभग 1,200 लोग मारे गए और 251 बंधक बनाए गए। क्षेत्र के हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर से गाजा में 40,530 से अधिक लोग मारे गए हैं।

पेरिस पैरालंपिकःभारत का शानदार आगाज, पैरा शूटर अवनी लेखरा ने रचा इतिहास, अपना ही रिकॉर्ड तोड़ जीता सोना

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पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने शानदार शुरूआत की है। देश की स्टार पैरा शूटर अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। अवनी लेखरा ने पैरालिंपिक गेम्स में भारत को पहला मेडल दिला दिया है। उन्होंने विमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की एसएच1 कैटेगरी में पैरालिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 249.7 स्कोर किया। पिछला पैरालिंपिक रिकॉर्ड 249.6 भी अवनी के ही नाम था, जो उन्होंने टोक्यो में बनाया था।

अवनी ने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच1) कैटेगरी में अवनी ने पहला स्थान हासिल किया वहीं इसी इवेंट में भारत की अन्य पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज पर निशाना साधा। मोना ने फाइनल में 228.7 स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता जबकि अवनी ने पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ सोने का तमगा हासिल किया। कोरिया की युनरी ली को सिल्वर मिला, उनका स्कोर 246.8 रहा। 

अवनी ने एसएच1 कैटेगरी में गोल्ड जीता था। शूटिंग में एसएच1 कैटेगरी में वे शूटर शामिल होते हैं, जिनके हाथ, शरीर के निचले हिस्से या पैर प्रभावित होते हैं। या फिर जिनके कोई अंग नहीं होते। क्वालिफिकेशन राउंड में अवनी लेखरा दूसरे और मोना अग्रवाल पांचवें नंबर पर रही थीं। फाइनल में 2 राउंड की शूटिंग बाकी थी, तब मोना 208.1 स्कोर के साथ टॉप पर थीं। अवनी दूसरे और कोरियन शूटर तीसरें नंबर पर थीं।

सेकेंड लास्ट राउंड में कोरियन शूटर ने पहला स्थान हासिल कर लिया और अवनी दूसरे पर पहुंची। जबकि मोना तीसरे नंबर पर रहकर गोल्ड मेडल की रेस से बाहर हो गईं। आखिरी राउंड में अवनी ने पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया और 249.7 के स्कोर के साथ गोल्ड जीत लिया। जबकि कोरियन शूटर 246.8 पॉइंट्स के साथ दूसरे नंबर पर रही।

बता दें, अवनी लेखरा जयपुर की रहने वाली हैं और स्टार पैरा शूटर हैं. अवनी पहली बार उस समय सुर्खियों में आई थी जब तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में एसएच1 कैटेगिरी में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने का बड़ा कारनामा किया था। उनके नाम एक ही पैरालंपिक में दो मेडल जीतने का रिकॉर्ड है। टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीता था जबकि 50 मीटर राइफल थ्री-पोजीशन में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। पेरिस में अब मेडल जीतने के साथ ही अब वह लगातार 2 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गईं हैं।

पीएम मोदी ने शिवाजी महाराज से मांगी माफी, छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर बोले- वे हमारे आराध्य

#pm_modi_apologize_on_falling_of_shivaji_maharaj_statue_in_maharashtra 

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में बीते दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई थी। इस घटना को लेकर महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक घमासान मचा हुआ था। आज शुक्रवार को महाराष्ट्र पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकसभा में इस घटना को लेकर माफी मांगी है। पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर माफी मांगते हुए कहा है कि हमारे लिए शिवाजी आराध्य है।

मोदी ने पालघर में कहा, "2013 में भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। सबसे पहला काम जो मैंने किया, वह था रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने एक भक्त के रूप में बैठना और एक नई यात्रा शुरू करना।"

उन्होंने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए सिर्फ एक नाम नहीं हैं। आज मैं सिर झुकाकर अपने भगवान छत्रपति शिवाजी महाराज से माफ़ी मांगता हूं। हमारे मूल्य अलग हैं, हम वो लोग नहीं हैं जो भारत माता के महान सपूत, इस भूमि के सपूत वीर सावरकर को गाली देते रहते हैं और उनका अपमान करते रहते हैं। वे माफ़ी मांगने के लिए तैयार नहीं हैं, वे अदालतों में जाकर लड़ने के लिए तैयार हैं।"

सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस भी मांग चुके हैं माफी

प्रधानमंत्री की यह प्रतिक्रिया 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग में 35 फीट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने को लेकर चल रहे विवाद के बीच आई है। पीएम मोदी से पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने पर बीते 28 अगस्त को राज्य के लोगों से माफी मांगी थी। इस घटना को लेकर विपक्ष महायुति गठबंधन सरकार पर लगातार निशाना साध रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह शिवाजी महाराज के 100 बार पैर छूने और घटना के लिए माफी मांगने से नहीं हिचकिचाएंगे।

'अजित पवार के बगल में बैठता हूं तो उल्टी...', शिंदे के मंत्री के बयान ने महाराष्ट्र में मचाया बवाल

शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता तानाजी सावंत ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और उसके प्रमुख अजित पवार पर विवादित टिप्पणी की है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वह पूरी जिंदगी एनसीपी की विचारधारा से कभी सहमत नहीं रहे. एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेता ने कहा कि मैं शिवसैनिक हूं. यह सच है कि हमारी जिंदगी में कांग्रेस एवं NCP की कभी नहीं बनी. मैं जब से छात्र था, तब से कभी तालमेल नहीं बैठा. यह हकीकत है. आज, यदि मैं उनके (NCP) साथ कैबिनेट में भी बैठता हूं, तो बाहर आने के बाद मुझे उल्टी आती है. मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता.

तानाजी सावंत ने कहा कि मैं बेशक मंत्रिमंडल में NCP चीफ अजित पवार के साथ बैठता हूं किन्तु जैसे ही मैं बाहर आता हूं, मुझे उल्टी आने लगती है. इसे रोका नहीं जा सकता. ऐसा नहीं है कि इसे बदला नहीं जा सकता बल्कि हम अपने सिद्धांतों को लेकर प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि एलर्जी वाले शख्स को जैसे गोलियां खाने पर उल्टियां गिरती हैं. वैसी ही स्थिति मेरे साथ है.

वहीं, NCP के प्रवक्ता तथा एमएलसी अमोल मिटकरी ने सावंत के इस बयान की निंदा की. उन्होंने काह कि क्या शिवसेना के साथ संबंधों को सामान्य बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ एनसीपी की है. हम सिर्फ गठबंधन धर्म निभा रहे हैं. बता दें कि तानाजी सावंत पहले भी विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रह चुके हैं। 2022 में, उन्होंने रत्नागिरी जिले में बांध टूटने की घटना के लिए केकड़ों को जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। इस बयान की भी बहुत आलोचना की गई थी।

हिंदी फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज़ रोकने की मांग, जानिए, क्या बोला हाई कोर्ट

 हिंदी फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज के रास्ते में अब कोई रोड़ा नहीं है। हालाँकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस हिंदी फिल्म की रिलीज पर कोई अभी तक अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है, कोर्ट ने रिलीज़ पर कोई भी आदेश देने से साफ़ इनकार कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की स्वस्थ आलोचना को रोका नहीं जाना चाहिए। अदालत में फिल्म को रोकने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में दावा किया गया था कि फिल्म में सूबे की सीएम (ममता बनर्जी) को गलत तरह से पेश किया गया है। इस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि उसका इस याचिका पर विचार करने का कोई इरादा नहीं है। हालाँकि, इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने याचिका के समर्थन में विस्तृत दलीलें देने की इच्छा जताई, इसलिए मामले को तीन हफ्ते बाद सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। हाई कोर्ट ने याचिका पर कहा कि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं और बायोपिक के माध्यम से किसी भी प्रकार की स्वस्थ आलोचना को नहीं रोका जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि, हम एक सहिष्णु समाज हैं, पश्चिम बंगाल शुरू से एक सहिष्णु समाज रहा है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ज्वॉय साहा ने हाई कोर्ट से कहा कि सनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित ये फिल्म दो समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देने का काम करती है।

हाई कोर्ट ने कहा कि किसी पुस्तक, फिल्म या नाटक पर बैन लगाने के आग्रह संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया हुआ है कि ये लोगों पर निर्भर है कि वे उन्हें देखेंगे या पढ़ेंगे या नहीं। अदालत ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि यदि फिल्म में चित्रित किसी व्यक्ति को पीड़ा होती है, तो वह व्यक्ति कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता विवादित फिल्म की रिलीज के लिए सर्टिफिकेट कैंसिल करने का अनुरोध करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का रुख कर सकता है। CBFC का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा कि उसने फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र दे दिया है।

छत्रपति की प्रतिमा गिरने पर सिर झुकाकर माफ़ी मांगता हूँ..', महाराष्ट्र में बोले पीएम मोदी

महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने का मामला पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। इस घटना को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। आज शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के पालघर पहुंचे, तो उन्होंने इस घटना का जिक्र किया। मंच से संबोधन के दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर सिर झुकाते हुए कहा, "छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर मैं सिर झुकाकर माफी मांगता हूं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महाराष्ट्र दौरा कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के लिए था। पालघर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने वाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 76,000 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, उन्होंने 1,560 करोड़ रुपये की लागत से 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार, और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी उपस्थित थे। इससे पहले, पीएम मोदी ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024 को भी संबोधित किया, जिसमें उन्होंने डिजिटल फाइनेंस और तकनीकी विकास पर अपने विचार साझा किए। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने शिवाजी की प्रतिमा गिरने की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह इस घटना को लेकर बेहद खेद प्रकट करते हैं और माफी मांगते हैं।

प्रधानमंत्री का यह कदम न केवल एक प्रतीकात्मक इशारा था, बल्कि यह उनके नेतृत्व की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र के साथ ही देशभर में अत्यधिक सम्मान है, और उनकी प्रतिमा से जुड़ी इस घटना ने लोगों के बीच आक्रोश पैदा किया था। पीएम मोदी का माफी मांगना, सरकार की ओर से इस घटना के प्रति गंभीरता और सम्मान को दर्शाता है। इस घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है, जहां लोग इस पर सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य के कदमों का इंतजार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस दौरे ने महाराष्ट्र की राजनीति और विकास कार्यों पर व्यापक प्रभाव डाला है। जबकि उनके संबोधन में शिवाजी की प्रतिमा के मामले का जिक्र एक भावनात्मक क्षण था, उनका दौरा राज्य में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो महाराष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।

शरद पवार ने Z+ सुरक्षा लेने से किया इनकार, बोले, पहले वो जांच करेंगे कि उन्हें किस प्रकार का खतरा है ...

NCP प्रमुख शरद पवार ने गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई Z प्लस कैटेगरी की सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है। गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले उन्हें Z प्लस सुरक्षा देने का फैसला लिया था, जिसमें CRPF के 58 कमांडो उनकी सुरक्षा में तैनात किए जाने थे। रिपोर्ट के अनुसार, शरद पवार ने कहा है कि वह पहले यह जांच करेंगे कि उनके खिलाफ किस तरह का खतरा है, और उसके पश्चात् ही सुरक्षा लेने पर विचार करेंगे। उन्होंने इस संबंध में गृह मंत्रालय के कुछ अफसरों से जानकारी भी मांगी है। 

फिलहाल, शरद पवार ने Z प्लस सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है, तथा इस मामले में उनकी अगली कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। गौरतलब है कि शरद पवार ने पहले भी Z प्लस सुरक्षा को लेकर अपनी उदासीनता व्यक्त की थी। हाल ही में जब उन्हें यह सुरक्षा देने का निर्णय लिया गया था, पवार ने तब भी इस पर तंज कसा था। उन्होंने Z प्लस सुरक्षा को "जासूसी का जरिया" बताया था। पवार ने कहा था कि यह सुरक्षा उनके बारे में "प्रामाणिक जानकारी" प्राप्त करने का एक तरीका हो सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। मीडिया द्वारा Z प्लस सुरक्षा प्राप्त होने पर पूछे गए सवाल पर शरद पवार ने कहा कि उन्हें इस कदम के पीछे की वजह नहीं मालूम है, हालांकि उन्होंने केंद्र सरकार के फैसले पर शक जरूर जाहिर किया था। 

 शरद पवार ने कहा, "गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि सरकार ने तीन व्यक्तियों को Z प्लस सुरक्षा देने का फैसला किया है तथा मैं उनमें से एक हूं। मैंने पूछा कि अन्य दो कौन हैं, तो मुझे बताया गया कि RSS प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं।" उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था कि शायद चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए यह उनके बारे में प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका हो सकता है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के सशस्त्र कर्मियों की एक टीम पवार की Z प्लस सुरक्षा का भाग होगी। आधिकारिक सूत्रों ने पहले बताया था कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा खतरे का आकलन किया गया था तथा पवार के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवर की सिफारिश की थी।

मणिपुर हिंसा पर सीएम बीरेन सिंह का बड़ा बड़ान, बोले-6 महीने के भीतर होगी शांति, क्यों दूं इस्तीफा?

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मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। हालांकि, धीरे-धीरे राज्य हिंसा से उबर रहा है। इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए दावा किया कि राज्य की ‘रक्षा’ के उनके प्रयासों में लोग उनके साथ हैं, इसलिए उनके इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही उन्होंने ये बी दावा किया है कि आने वाले 6 महीने के भीरत राज्य में पूरी तरह से शांति बहाल हो जाएगी। 

बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में सवाल किया, “मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ किसी घोटाले का आरोप है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है?”

इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।

यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है? इस पर सीएम ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से। सीएम ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (हिंसा) लंबे समय तक जारी रहेगी। शांति पांच-छह महीने में बहाल हो जानी चाहिए। यह हमारी उम्मीद है और मुझे पूरा भरोसा भी है।

नशाखोरी पर कार्रवाई को बताई हिंसा की वजह

सीएम ने इस पूरी हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से जुड़ी है, जब उन्होंने पड़ोसी म्यांमार से आने वाले प्रवासियों एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर नकेल कसी थी। म्यांमार की सीमा इंफाल से केवल 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए लोगों ने कुकी-मेइती संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची।

प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई

पीएम मोदी के मणिपुर ना जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के आने या नहीं आने को लोगों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है और प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कई बार बात की है, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी (उन्होंने मणिपुर पर बात की) और यहां सुरक्षा, वित्तीय मदद आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। जटिल परिस्थिति में प्रधानमंत्री का आना जरूरी नहीं था।

मई 2023 से जारी है हिंसा

बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। कुकी मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियां हैं, जबकि मेइती मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है।