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शासन की योजना से पशुपालकों के समृद्धि की राह हुई आसान, बकरीपालन कर कुलदीप बना लखपति

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशानुसार, गांव, गरीब और किसानों की आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए शासन द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं के तहत मुंगेली जिला के ग्राम सोढ़ार के पशुपालक कुलदीप सिंह ठाकुर ने पशुधन मिशन योजना का लाभ उठाते हुए अपनी समृद्धि की राह तय की।

कुलदीप, जो पहले सिर्फ खेती-किसानी कर अपना गुजारा कर रहे थे, को पशु चिकित्सा विभाग की योजना की जानकारी मिली। उन्होंने योजना के तहत अनुदान प्राप्त कर 10 देशी बकरी और 1 बीटल बकरा खरीदा और बकरीपालन का कार्य शुरू किया। आज उनके पास 50 बकरी और 10 उन्नत नस्ल की बकरियां हैं, जिनमें बीटल, बारबेरी, जमुनापारी, तोताफरी, और ब्लैक बेंगाल जैसी नस्लें शामिल हैं।

किसान कुलदीप ने बताया कि डेयरी में बकरी से 10 लीटर दूध निकाला जाता है, जिसे 150 रूपए प्रतिलीटर की दर से बाजार में बेचकर वे प्रतिदिन 1500 रूपए कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बकरियों को घर में हरी पत्ती, हरा बरसीम, चना, तिवरा, मसूर व अरहर का भूसा खिलाकर पाला जा सकता है, यह रबी के मौसम में आसानी से प्राप्त हो जाता है। कुलदीप ने बताया कि प्रतिवर्ष चारा के लिए लगभग 03 लाख रूपए खर्च होता है। वहीं लगभग 07 से 08 लाख रूपए की आमदनी हो जाती है। उन्होंने बताया कि बकरा के विक्रय के लिए बाजार में जाने की आवश्यकता नहीं होती। लोग यहीं से आकर बकरा खरीदते हैं।

उल्लेखनीय है कि कलेक्टर राहुल देव ने ग्राम सोढ़ार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान किसान कुलदीप सिंह ठाकुर के डेयरी का अवलोकन किया था और उनकी इस प्रगति की सराहना की तथा उनका हौंसला बढ़ाते हुए व्यवसाय को आगे भी मदद देने की बात कही। किसान कुलदीप ने शासन की इस पहल एवं योजना की तारीफ की और खुशी व्यक्त करते हुए शासन-प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि शासन के विकसित और समृद्ध छत्तीसगढ़ के संकल्प का सीधा लाभ हम जैसे गांव, गरीब, आम किसानों को मिल रहा है।

32 करोड़ की लागत से कुनकुरी में बनेगा 220 बिस्तर अस्पताल भवन, मुख्यमंत्री की पहल पर मिली स्वीकृति राज्य सरकार ने जारी किया निविदा

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर जशपुर जिला के कुनकुरी में प्रस्तावित 220 बिस्तर की क्षमता वाले अत्याधुनिक अस्पताल के भवन निर्माण के लिए राज्य सरकार ने निविदा जारी कर दिया है। इस अस्पताल के लिए राज्य सरकार ने 32 करोड़ 9 लाख रूपये की राशि स्वीकृत की है। उल्लेखनीय है राज्य में विष्णुदेव साय सरकार ने अपने बजट में कुनकुरी में 220 बिस्तर की क्षमता वाली अत्याधुनिक अस्पताल निर्माण की घोषणा की थी। इस बजट में अस्ताल भवन निर्माण के लिए आवश्यक राशि की स्वीकृति मुख्यमंत्री श्री साय ने दी है।

आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले के लिए इस अस्पताल को मील का पत्थर माना जा रहा है। सरकार की मंशा आगे चल कर, इसे मेडिकल कालेज के रूप में विकसित करने की है। जानकारी के लिए बता दें कि बीते वर्ष दिसंबर माह में राज्य की बागडोर सम्हालने के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जशपुर सहित पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा के विस्तार और इसमें गुणात्मक सुधार के लिए लगातार कार्य कर रहें हैं। उन्होनें शपथ ग्रहण करने के तत्काल बाद प्रदेश में एंबुलेंस सेवा में सुधार के लिए जिम्मेदार अधिकारियोें को सख्त निर्देश दिये थे। इस परिपालन में जरूरतमंद मरीजों या परिजनों से काल प्राप्त होने के आधा घंटे के अंदर मरीज को एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराने को कहा गया था। केबिनेट की पहली बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी सरकारी चिकित्सालयों में मरीजों के लिए सस्ती जेनरीक दवाओं को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये थे। बीते 8 माह के कार्यकाल के दौरान जशपुर जिले में स्वास्थ्य सेवा के विस्तार के लिए तेजी से काम हो रहा है।

कुनकुरी में 220 बिस्तर के अस्पताल के साथ ही मरीजों की सुविधा के लिए 25 अतिरिक्त एंबुलेंस और 1 शव वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। 7 उप स्वास्थ्य केन्द्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का दर्जा देते हुए, आवश्यक मानव संसाधन को स्वीकृति दी जा चुकी है। जिले में 19 एमबीबीएस चिकित्सक और 7 विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना कर, चिकित्सकों की कमी को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अस्पतालों में मशीनों की कमी को दूर करने के लिए 2 करोड़ 32 लाख की स्वीकृति राज्य सरकार ने दी है। इस राशि से कुनकुरी में डायलिसिस केन्द्र शुरू करने के साथ ही जशपुर, मनोरा, लोदाम, बगीचा के अस्पतालो में आवश्यक उपकरणों की खरीदी में किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशा जशपुर जिले को स्वास्थ्य सेवा कर क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाना है, ताकि मरीज और उनके स्वजनों को उपचार के लिए भटकना ना पड़े।

पहाड़ी कोरवा बिखनी बाई ने पूरे परिवार के साथ विधिवत पूजन कर खुशी-खुशी किया अपने पीएम आवास में गृहप्रवेश

रायपुर-    प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लोगों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है। इस योजना ने पीवीटीजी (विशेष पिछड़ी जनजाति) परिवारों के लिए सामाजिक और आर्थिक उत्थान का एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, नलजल, शिक्षा, बिजली, कृषि, सड़क, और आधार पंजीयन जैसी योजनाओं के माध्यम से न केवल समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने में सहायक हैं, बल्कि उनके जीवन स्तर को भी सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

सरगुजा जिले के जनपद पंचायत सीतापुर के ग्राम पंचायत पेटला की बिखनी बाई प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित होने वालों में से एक हैं। हाल ही में उन्होंने पूरे परिवार के साथ हरेली त्योहार के दिन अपने नए सपनों के सुंदर आशियाने पक्के घर में विधिवत पूजा-अर्चना कर गृहप्रवेश किया। बिखनी बाई ने बताया कि पहले हमारा कच्चा घर था, जिसमें बारिश के दिनों में पानी टपकता था और कीड़े-मकोड़े की समस्याएं भी थीं। हम ऐसे सुंदर-स्वच्छ घर का सिर्फ सपना ही देख सकते थे। लेकिन प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत हमें प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिली और अब हमारा यह सुंदर और स्वच्छ घर बनकर तैयार हो गया है। बिखनी बाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णदेव साय को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से उनका परिवार अब पक्के घर में रहने के लिए उत्साहित है और उनका जीवन पहले से बेहतर हो गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरगुजा जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवारों के लिए 2084 आवास स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 1469 हितग्राहियों को प्रथम किस्त, 804 को द्वितीय किस्त, 387 को तृतीय किस्त, और 17 को चतुर्थ किस्त की राशि प्रदान की जा चुकी है। वहीं जिले में 30 परिवारों के आवास पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुके हैं।

27वें ऑल इंडिया फारेस्ट स्पोर्ट्स मीट 2024 की चयन प्रतियोगिता का भव्य शुभारंभ

रायपुर-     27वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय चयन प्रतियोगिता का शुभारंभ आज व्ही. श्रीनिवास राव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़ द्वारा स्थानीय कोटा स्टेडियम में किया गया। पूरे प्रदेश के 6 वन वृत्तों से आये लगभग 500 खिलाड़ियों को वन बल प्रमुख द्वारा शपथ दिलायी गयी। वन वृत्त बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर, कांकेर, सरगुजा, रायपुर से आये खिलाड़ियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

समस्त खिलाड़ियों द्वारा मार्च पास्ट का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन 16 से 20 अक्टूबर 2024 को रायपुर में होना सुनिश्चित है जो छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है। उक्त राष्ट्रीय प्रतियोगिता में विविध खेलों हेतु राज्य स्तरीय टीम का चयन दिनांक 29 से 31 अगस्त 2024 के मध्य प्रतियोगिताएं आयोजित कर किया जा रहा है।

श्रीनिवास राव ने अपने संबोधन में बताया कि यह आयोजन महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया है, जो हम सभी के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने छत्तीसगढ़ को 27वें ऑल इंडिया फारेस्ट स्पोर्ट्स मीट 2024 की मेजबानी का अवसर दिए जाने पर वन मंत्रालय भारत सरकार का आभार व्यक्त किया एवं छत्तीसगढ़ राज्य के वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देशन में 27वें ऑल इंडिया फारेस्ट स्पोर्ट्स मीट 2024 को सफल बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे कठिन परिश्रम कर अपने खेल कौशल को निखारें और 27वें ऑल इंडिया फारेस्ट स्पोर्ट्स मीट में राज्य का नाम रोशन करें।

चयन टूर्नामेंट के दौरान अगले दो दिनों में विभिन्न खेल स्पर्धाओं में खिलाड़ियों के बीच कड़ा मुकाबला होगा, जिसमें सफल खिलाड़ी 27वें ऑल इंडिया फारेस्ट स्पोर्ट्स मीट 2024 में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग की टीम गत वर्ष पंचकूला, हरियाणा में आयोजित राष्ट्रीय वन खेलकूद प्रतियोगिता की चौम्पियन टीम रही है। राज्य स्तरीय चयन प्रतियोगिता में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरूण पाण्डेय, सुनील मिश्रा, संजीता गुप्ता, ओ.पी. यादव, नोडल अधिकारी शालिनी रैना, राजू अगासीमनी मुख्य वन संरक्षक रायपुर, विश्वेश कुमार, मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी अन्य वन वृत्तों एवं अरण्य भवन से आये वरिष्ठ अधिकारी, प्रदेश के समस्त वन वृत्तों से आये वन विभाग के उत्कृष्ट खिलाड़ी, रेफरी एवं कोच उपस्थित रहें।

सरस्वती साइकिल योजना छात्राओं के लिए बनी वरदान, समय पर स्कूल पहुंचना हुआ आसान

रायपुर-     छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना सरस्वती साइकिल योजना छात्राओं के लिए वरदान साबित हो रही है। कोरिया जिला के ग्राम जगतपुर की रहने वाली कुमारी डिम्पल ने बताया कि उनके पास साइकिल नहीं होने के कारण पहले 5-6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाती थी। अन्य लड़कियों को साइकिल से स्कूल आते देखकर उसे भी साइकिल चलाकर स्कूल जाने का मन करता था। पर मुख्यमंत्री साइकिल योजना के तहत् उन्हें साइकिल मिलने से अब वह 15 से 20 मिनट से भी कम समय में आसानी से स्कूल पहुंच जाती है। साइकिल मिलने से अब घर के सभी सदस्य बहुत प्रसन्न है।

इसी तरह ग्राम तिलवन डाँड़ से कुमारी वंदना कुर्रे, उजियारपुर की कुमारी पलक, रटगा से अन्नू देशमुख ने सरस्वती साइकिल योजना से साइकिल मिलने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए बताया कि उन्हें स्कूल आने के लिए घर से करीब एक-डेढ़ घण्टे पहले निकलना होता था, कभी पैदल तो कभी किसी के साथ बैठकर आते थे, लेकिन अब सायकिल मिलने से उन्हें परेशानियों से छुटकारा मिला है। शासन की पहल से शिक्षा विभाग की सरस्वती सायकल योजना ने छात्राओं के सपने को साकार किया है साथ ही पढ़ाई-लिखाई व अन्य कार्यों में भी अब यह सायकिल मददगार साबित हो रहे हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा छात्राओं के लिए सरस्वती साइकिल योजना की शुरूवात की गई है। सरस्वती साइकिल योजना के तहत 9 वीं कक्षा में अध्ययनरत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य वर्ग के बीपीएल परिवार की बालिकाओं को साइकिल दी जाती है। ये योजना एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना है जो ना सिर्फ बेटियों को स्कूल आने-जाने में मदद करती है, बल्कि इससे बेटियों की शिक्षा की राह आसान हुई है।

कृषि यंत्रों एवं प्रौद्योगिकी के विकास से कृषि में आया क्रांतिकारी परिवर्तन : मंत्री रामविचार नेताम

रायपुर-     कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने कहा है कि कुछ दशक पूर्व किसान खेती में परंपरागत कृषि उपकरणों का उपयोग करते थे। लेकिन प्रौद्योगिकी के विकास के कारण आज खेतों में ट्रैक्टर चलित कल्टिवेटर, रोटावेटर, कम्बाइन जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों एवं मशीनरी का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही अब कृषि में ड्रोन तथा ए.आई. तकनीक का उपयोग भी होने लगा है। कृषि मशीनरी के तकनीकी विकास के कारण कृषि के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है, इसके लिए देश के कृषि अभियंता तथा कृषि वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं।

कृषि मंत्री श्री नेताम राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषक सभागार में आयोजित कृषि अभियंताओं के दो दिवसीय 36वें राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजिनियर्स (इंडिया) छत्तीसगढ़ स्टेट सेन्टर, रायपुर एवं स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कृषि अभियांत्रिकी संकाय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर से आए कृषि अभियंता शामिल हुए।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री नेताम ने कहा कि ‘‘सतत विकास के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु कृषि अभियंताओं का योगदान’’ विषय पर आयोजित इस सगोष्ठी का विषय काफी ज्वलंत, प्रासंगिक एवं सारगर्भित है। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आज अनेकों चुनौतियां विद्यमान है। जलवायु परिवर्तन के कारण किसान फसल उत्पादन संबंधी अनेक चुनौतियां से जूझ रहे हैं। ऐसे में कृषि अनुसंधान प्रौद्योगिकी विकास तथा कृषि यंत्रीकरण के द्वारा ही इस चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। श्री नेताम ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विभिन्न फसलों की 65 नई जलवायु लचीली फसल प्रजातियों का लोकार्पण किया है जो मौसम की प्रतिकूलताओं में भी अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कृषि अभियंताओं के इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी के सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे। श्री नेताम ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अभियंताओं द्वारा किये गये नवीन अनुसंधानों एवं प्रौद्योगिकी विकास की सराहना की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि भारत में कृषि के क्षेत्र में जो तीन मुख्य कमियां चिन्हित की गई हैं इनमें से कृषि के क्षेत्र में यंत्रों का उपयोग प्रमुख है। पिछले दशकों में कृषि मशीनरी के विकास तथा उपयोग को बढ़ावा मिलने के बावजूद आज भी हमारे देश में कृषि के क्षेत्र में मशीनरी का उपयोग अन्य विकसित देशों की अपेक्षा काफी कम है। उन्होंने कहा कि देश भर में कृषि मशीनरी के डिजाइन तथा तकनीक के विकास का कार्य किया जा रहा है, जिसके सार्थक परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं और किसान अब कृषि यंत्रों का ज्यादा उपयोग करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं कृषि अभियंताओं द्वारा कृषि मशीनरी के प्रौद्योगिकी विकास की दिशा में काफी काम किया गया है और स्थानीय परिस्थितियों एवं किसानों की आवश्यकताओं को देखते हुए अनेक नवीन कृषि यंत्र विकसित किये गये हैं जिनका उपयोग छत्तीसगढ़ के किसान कर रहे हैं। समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय भू-जल बोर्ड, भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ. सुनील के. अम्बस्ट ने कहा कि कृषि मशीनरी के विकास के साथ ही भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में भी अधिक कार्य किये जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा कृषि अभियंताओं के राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया गया। इसके साथ ही इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाशित पुस्तिका तथा 9 सितम्बर 2024 को आयोजित होने वाले बलराम जयंती समारोह के ब्रोशर का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कृषि अभियंताओं का सम्मान भी किया गया जिनमें डॉ. इन्द्रमणी मिश्रा, कुलपति वसंत राव नाईक, मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ परभणी, डॉ. टी.बी.एस. राजपूत, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जल प्रौद्योगिकी केन्द्र, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, डॉ. टी. विद्या लक्ष्मी, वरिष्ठ वैज्ञानिक केन्द्रीय पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजिनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.सी.ए.आर. लुधियाना), डॉ. मधुरेश द्विवेदी सहायक प्राध्यापक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला तथा इं. राजकुमार श्रीवास संचालक शुभी एग्रोटेक प्राईवेट लिमिटेड रायपुर शामिल हैं। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय को लाईफटाइम अचीवमेन्ट अवार्ड से सम्मनित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठा प्रशासनिक आधिकारी, वैज्ञानिक एवं अभियंता उपस्थित थे।

इस राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी में वर्तमान समय में कृषि के विकास हेतु बहु प्रासंगिक विषयों जैसे - इंजीनियरिंग इनपुट का संरक्षण और प्रबंधन, फार्म मशीनरी, कृषि प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन, गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत, मिट्टी और जल संरक्षण और प्रबंधन’’ आदि पर विस्तृत चर्चा होगी एवं शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इनमें मुख्यतः कृषि में जुताई-बुआई से लेकर कटाई-मड़ाई एवं प्रसंस्करण की क्रियाओं का मशीनीकरण, ड्रोन का उपयोग, रिमोट सेंसिंग एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग, कृषि बागवानी में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोटिक्स एवं आई.ओ.टी. का प्रयोग आदि विषयों पर सार्थक संवाद, प्रदर्शन, प्रस्तुतिकरण एवं विचारों का आदान-प्रदान होगा। जलवायु परिवर्तन एवं कृषि कार्यों के समय पर संपादन में कृषि श्रमिकों की घटती उपलब्धता के परिपेक्ष्य में कृषि अभियंताओं के बढ़ते महत्व एवं कस्टम हायरिंग जैसे क्षेत्रों में उद्यमिता विकास की असीम संभावनाओं पर प्रकाश डाला जाएगा। इस कार्यक्रम में अभियंता, उद्यमी, वैज्ञानिक, उद्योगपति, शोधकर्ता, प्रगतिशील कृषक एवं देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के विद्वत्तजन शामिल हुए जो किसानों की आय बढ़ाने के लिए यथोचित रणनीति को अंतिम रूप देंगे।

मनरेगा से पशु आश्रय पाकर दीपक हुआ खुशहाल, दुग्ध उत्पादन बना अतिरिक्त आय का जरिया

रायपुर-    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत् पंजीकृत श्रमिकों को न केवल रोजगार उपलब्ध कराए जा रहे हैं, बल्कि आजीविका के नए-नए साधन एवं सुविधाएं भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बैकुंठपुर जिला के ग्राम पंचायत पटना के निवासी श्री दीपक और उनका परिवार मनरेगा में पंजीकृत है। जहां एक ओर वो मनरेगा से श्रमिक का काम करते हैं वहीं दूसरी ओर उनका रुझान गौपालन की तरफ भी था। उनके पास दो दुधारू गाय हैं, जिसके रखने के लिए उनके पास पक्का शेड नहीं था, जिसके कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। जब उन्हें पता चला कि मनरेगा के तहत् पशुओं को रखने के लिए पक्का शेड निर्माण करके दिया जाता है तब उन्होंने ग्राम पंचायत को आवेदन दिया। ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर स्वीकृत कर ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाया गया। इसके लिए एक लाख पच्चीस हजार रुपए की राशि खर्च कर गत वर्ष इनका कार्य पूर्ण कराया गया। इस निर्माण कार्य में श्रमिक के रूप में कार्य करके भी श्री दीपक को चार हजार रुपए की अतिरिक्त आय मनरेगा पारिश्रमिक के रूप में भी प्राप्त हुआ।

पक्का पशु आश्रय बन जाने से अब उन्हें गौपालन में आसानी हुई है, उनके घर प्रतिदिन सात लीटर से अधिक दुग्ध का उत्पादन हो रहा है। वह दुग्ध का व्यवसाय प्रारंभ किया है, जिससे उनके परिवार को लगभग आठ से दस हजार रूपए प्रतिमाह की अतिरिक्त आमदनी हो रही है। मनरेगा के हितग्राही श्री दीपक और उनका परिवार अब बेहतर जीवन यापन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

गौरतलब है कि मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत पक्का पशु आश्रय बनने से ग्रामीण इलाकों में लोगों को कई तरह के लाभ हो रहे हैं। पक्का पशु आश्रय बनने से पशुओं को सुरक्षित स्थान मिलता है, जहां वे मौसम की मार से बचे रहते हैं। इससे पशुओं की मृत्यु दर में कमी आती है और उनकी सेहत में सुधार होता है। पशुओं की सेहत में सुधार होने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे ग्रामीणों की आमदनी बढ़ती है। इसके अलावा, स्वस्थ पशु बेहतर खेती के लिए उपयोगी होते हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाता है। मनरेगा के तहत इन आश्रय स्थलों के निर्माण के दौरान ग्रामीणों को रोजगार मिलता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है। यह ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करता है और गरीबी कम करने में मदद करता है। पशु आश्रय के निर्माण से ग्रामीण समुदायों में सहयोग और आपसी समझ बढ़ती है। यह कार्य समुदायों को एकजुट करता है और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, मनरेगा के तहत पक्का पशु आश्रय बनने से ग्रामीण इलाकों में लोगों को आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा से जुड़े कई लाभ मिल रहा है।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से भावेश बना मेडिकल स्टोर का मालिक, अब हर माह 25 हजार से अधिक की हो रही है आय

रायपुर-   मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लाभ पाकर गरियाबंद जिला के ग्राम लोहरसी निवासी भावेश तिवारी अब खुद के मेडिकल स्टोर के मालिक बन गए हैं। मेडिकल स्टोर से उन्हें 20 से 25 हजार रुपए प्रतिमाह का मुनाफा हो रहा है, जिससे वे बहुत खुश हैं तथा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का हृदय से आभार मान रहा है।

भावेश तिवारी ने बताया कि वे डिप्लोमा इन फार्मेसी करने के बाद शासकीय सेवा की तैयारी कर रहा था। लेकिन किसी कारणवश उनका शासकीय सेवा में चयन नहीं हो पाया। साथ ही उनके पास आय का कोई अन्य साधन भी नहीं होने के कारण उन्होंने स्वयं का मेडिकल स्टोर्स स्थापित करने के बारे में सोचा। मेडिकल स्टोर के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नही था, जिससे वे मेडिकल स्टोर्स स्थापित नहीं कर सका। फिर किसी ने भावेश को बताया कि मेडिकल स्टोर्स शुरू करने में दिक्कत हो रही है तो वे जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क कर जानकारी लें। उन्होंने एक दिन जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र कार्यालय गरियाबंद पहुंचकर अधिकारियों से सम्पर्क किया। वहां के अधिकारियों ने उन्हें स्वरोजगार योजना के बारे में विस्तारपूर्वक से जानकारी प्रदान की। साथ ही उन्हें इस योजना के लिए आवेदन करने प्रेरित किया। उन्होंने निर्धारित प्रारूप में जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र में आवेदन प्रस्तुत किया। उनके आवेदन को बारिकी से परीक्षण करने के पश्चात यूनियन बैंक फिंगेश्वर प्रेषित किया गया, जिसे बैंक द्वारा 12 दिसम्बर 2023 को एक लाख 80 हजार रूपये का उन्हें ऋण वितरण किया गया। साथ ही विभाग द्वारा 20 हजार रूपये का अनुदान प्रदान किया गया। भावेश तिवारी ने फिंगेश्वर विकासखंड के ग्राम बेलर में स्वयं का मेडिकल स्टोर्स स्थापित किया, जिससे उन्हें रोजगार तो मिला ही साथ एक अन्य व्यक्ति को भी रोजगार दे रहा है। उन्होंने बताया कि मेडिकल स्टोर्स से उन्हें प्रतिमाह 25 हजार रूपये का शुद्ध आय प्राप्त कर रहा है, जिससे वे अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर रहा है। भावेश तिवारी ने जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र एवं राज्य शासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शासन द्वारा चलाए जा रहे स्वरोजगार योजना हमारे जैसे अन्य युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों राज्य खेल अलंकरण समारोह में सम्मानित हुए 502 प्रतिभावान खिलाड़ी

रायपुर-     मुख्यमंत्री विष्णु देव साय राष्ट्रीय खेल दिवस के पर ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को तीन करोड़ रुपए, रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को दो करोड़ रुपए और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को एक करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य खेल अलंकरण समारोह में विभिन्न खेल विधाओं के 502 प्रतिभावान खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया और उन्हें 01 करोड़ 36 लाख रूपए वितरित की। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री साय ने मुख्यमंत्री ने शहीदों के परिजनों को शॉल, श्रीफल भेंट कर भी सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि खेलों के क्षेत्र में सर्वाेच्च सम्मान होने के बावजूद भी इस बात की पीड़ा है कि पिछले पांच सालों में राज्य में राज्य खेल अलंकरण समारोह का आयोजन नहीं हुआ। खिलाड़ियों की पीड़ा महसूस कर और राज्य खेल अलंकरण समारोह पुनः आयोजित करने का निर्णय लिया गया। पहला अलंकरण समारोह इसी साल 14 मार्च को आयोजित किया गया। खेल दिवस के मौके पर आज पुनः खिलाड़ियों को खेल अलंकरण से सम्मानित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, सरबजोत सिंह, स्वप्निल कुसाले, अमन सेहरावत जैसे खिलाड़ियों ने पदक जीत कर भारत माता का यश बढ़ाया। छत्तीसगढ़ में भी खेल प्रतिभाओं को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आगामी दिनों में अच्छी अधोसंरचना तथा प्रशिक्षण के माध्यम से खेल प्रतिभाओं को निखारेंगे ताकि हमारे खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी बढ़िया खेल कर अपनी प्रतिभा का झण्डा दुनिया में बुलन्द कर सकें।

श्री साय ने कहा कि जशपुर तथा रायगढ़ में 105 करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के साथ ही नवा रायपुर में 62 करोड़ रूपए की लागत से मल्टीपर्पस इंडोर स्टेडियम तथा सिंथेटिक फुटबॉल मैदान विथ रनिंग ट्रैक बनाया जा रहा हैं। राज्य बनने के बाद पहली बार आवासीय हॉकी अकादमी रायपुर में इसी साल के अगस्त महीने में प्रारंभ हुई है। सितम्बर महीने से बालिकाओं के लिए आवासीय फुटबाल अकादमी शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही एथलेटिक अकादमी, कबड्डी अकादमी तथा तीरंदाजी अकादमी का भी संचालन कर रहे हैं। रायपुर में लक्ष्मी बाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान का ऑफ सेंटर भी शुरू किया जाएगा, जो खेलों के क्षेत्र में प्रदेश की बड़ी उपलब्धि होगी। आप सभी पूरी मेहनत के साथ अपनी खेल प्रतिभा को निखारने में जुटे रहे तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन करें।

छ.ग. विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि युवा खिलाड़ियों ने इस सम्मान के लिए बहुत संघर्ष किया है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस सम्मान का आयोजन रोक दिया गया था। हमारी सरकार द्वारा पुनः इस खेल अलंकरण सम्मान को शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राज्य में खेल गतिविधि को बढ़ावा देने एवं खिलाड़ियों को हर संभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है।

केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने खेलो इंडिया के नये परिसरों के संबंध में तथा खेल अधोसंरचना को बढ़ावा देने में सहमति व्यक्त की है। प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ में ‘‘क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना‘‘ आरंभ करने का निर्णय लिया गया है। इस योजना से खेल मैदानों के उन्नयन के साथ ही खिलाड़ियों के लिए उच्च स्तरीय खेल उपकरणों की व्यवस्था, खेल प्रतिभाओं की खोज, खेल क्लबों को आर्थिक सहायता तथा पारंपरिक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करेंगे। खेलो इंडिया योजना के अंतर्गत रायपुर और बिलासपुर में मल्टीपर्पस हॉल तथा बलौदाबाजार में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक का निर्माण कराया गया है।

खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि राज्य में खेल और खिलाड़ियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा रहा है। सरकार ने एक ही वर्ष में प्रतिभावान खिलाड़ियों को सम्मानित और अलंकृत करने खेल अलंकरण समारोह का दो बार आयोजन किया है। खेल अधोसंरचना का निर्माण, आवासीय खेल अकादमी और खेलों इंडिया सेन्टर की स्थापना से राज्य में खेल और खिलाड़ियों को बेहतर अवसर मिल सकेगा। खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति के साथ-साथ खेल विभाग में रिक्त पदों की भर्ती की जाएगी। कार्यक्रम को सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी सम्बोधित किया।

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2021-22 के लिए शहीद राजीव पाण्डे पुरस्कार के लिए 06, शहीद कौशल यादव पुरस्कार के लिए 06, वीर हनुमान सिंह पुरस्कार के लिए 02, शहीद पंकज विक्रम सम्मान 11, शहीद विनोद चौबे सम्मान के लिए 05 एवं मुख्यमंत्री ट्राफी के लिए 11 खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। इसी तरह वर्ष 2022-23 हेतु शहीद राजीव पांडेय पुरस्कार के लिए 04, शहीद कौशल यादव पुरस्कार के लिए 07, वीर हनुमान सिंह पुरस्कार के लिए 01, शहीद पंकज विक्रम सम्मान 15, शहीद विनोद चौबे सम्मान के लिए 05 एवं मुख्यमंत्री ट्राफी के लिए 24 चयनित खिलाड़ियों को ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। पुरस्कार वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 के लिए 97 पुरस्कारग्राही खिलाड़ियों को 76 लाख रुपए की पुरस्कार राशि, पदक विजेता 502 खिलाड़ियों के बैंक खाते में गए 60.33 लाख रूपए तथा खिलाड़ियों को मिला 01 करोड़ 36 लाख 33 हजार रूपए की राशि प्रदान की गई।

कार्यक्रम में उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन, खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, सांसद रायपुर बृजमोहन अग्रवाल, विधायक सर्व सम्पत अग्रवाल, पुरन्दर मिश्रा, गुरु खुशवंत साहेब, प्रणव मरपच्ची, मोती लाल साहू, अनुज शर्मा, इन्द्र कुमार साहू, सचिव खेल युवा कल्याण विभाग हिमशिखर गुप्ता, खेल संचालक तनुजा सलाम सहित खिलाड़ीगण मौजूद थे।

जलवायु परिवर्तन आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या है : राज्यपाल रमेन डेका

रायपुर-  जलवायु परिवर्तन आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या है। हमें इसके प्रतिकूल प्रभावों का सामना करने के लिए ज्यादा सक्षम और तैयार होना होगा। राज्यपाल रमेन डेका ने गुरुवार को मौसम विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किए।

भारत मौसम विज्ञान विभाग इस वर्ष अपनी सेवाओं का 150 वां वर्ष मना रहा है। इस उपलक्ष्य में विभाग के हितधारकों की एक दिवसीय कार्यशाला आज न्यू सर्किट हाउस रायपुर के कन्वेंशन हॉल में आयोजित की गई। जिसका उद्घाटन राज्यपाल रमेन डेका ने किया।

इस अवसर पर डेका ने विभाग की सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि उनकी अथक सेवाओं के कारण आज हम प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों का बेहतर तरीके से सामना कर पा रहे है।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़, फसलों और कृषि पद्धतियों की विविध श्रृंखला वाला एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य है, जो दक्षिण में बस्तर पठार से लेकर राज्य के मध्य भाग में महानदी बेसिन के उपजाऊ मैदानों और उत्तरी छत्तीसगढ़ में पहाड़ी क्षेत्र तक भिन्न है। हमारी खेती में मौसम विज्ञान का अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे किसानों को मौसम की सटीक जानकारी से बहुत सहायता मिलती है। छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में यह जानकारी अत्यंत उपयोगी है।

राज्यपाल ने कहा कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान की सटीकता में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है जो सुनामी, चक्रवात जैसी आपदाओं के दौरान जान-माल की हानि को कम करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि मौसम का पूर्वानुमान, एक आम नागरिक के पारिवारिक समारोह से लेकर अनेक सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में उपयोगी है।

राज्यपाल ने रायपुर में स्थापित मौसम विज्ञान केंद्र के कार्यो की भी सराहना की। उन्होेंने कहा कि यह राज्य स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक मौसम की जानकारी और पूर्वानुमान को प्रसारित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। केंद्र मौसम द्वारा दी जा रही सेवाओं का लाभ न केवल किसान, बल्कि आपदा प्रबंधन, विमानन, वन संसाधन, शहरी योजना, खनन, परिवहन, स्वास्थ्य, भारतीय वायुसेना, सुरक्षा बल और आम जनता भी उठा रही है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग आने वाले वर्षों में अपने मिशन को सफलता पूर्वक पूरा करता रहेगा और देश को मौसम और जलवायु सेवाओं में एक वैश्विक शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

कार्यक्रम में भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने विभाग की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंदेल ने मौसम विभाग के सहयोग से कृषि व किसानों के हित में किए जा रहे कार्यो की जानकारी दी। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन मौसम विज्ञान केन्द्र रायपुर की प्रमुख अधिकारी श्रीमती सामंति सरकार ने दिया।

इस अवसर पर मौसम विज्ञान विभाग के हितधारक, केन्द्र एवं राज्य शासन के विभिन्न विभागों के अधिकारी, मौसम वैज्ञानिक, विद्यार्थी उपस्थित थे।