गंभीर स्थितियों में डेंगू जानलेवा समस्याओं का भी बन सकती है कारण
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डेस्क:– महाराष्ट्र-दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में मच्छर जनित रोग डेंगू के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में ये बीमारी पिछले वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार साल के पहले सात महीनों में राज्य में डेंगू के केस में 83 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है। इसी तरह से कर्नाटक-केरल सहित कई अन्य राज्यों को भी प्रभावित देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को डेंगू के खतरे को लेकर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। गंभीर स्थितियों में डेंगू जानलेवा समस्याओं का भी कारण बन सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी डेंगू का खतरा बढ़ रहा है। बारिश और जलजमाव के कारण मच्छर जनित रोगों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है।क्या कहते हैं डॉक्टर्स?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोग मच्छरों से बचाव के उपायों पर गंभीरता से ध्यान दें। दिल्ली स्थित एक अस्पताल में कंसल्टेंट डॉ दिवाकर सिंह बताते हैं, फिलहाल राजधानी दिल्ली-एनसीआर में डेंगू के मामले नियंत्रित हैं, हालांकि आशंका है कि ये बढ़ सकते हैं।
दिल्ली के कई अस्पतालों में ओपीडी में आ रहे रोगियों में डेंगू का निदान किया जा रहा है। फिलहाल भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या कम है।
डेंगू की जटिलताएं
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया डेंगू की समस्या दो-सात दिनों की होती है, हालांकि गंभीर स्थितियों में इसका जोखिम अधिक हो सकता है। इसके कारण सिरदर्द, रेट्रो-ऑर्बिटल पेन, त्वचा पर दाने होने, रक्तस्राव की समस्या का खतरा हो सकता है। बच्चों में डेंगू आमतौर पर हल्का होता है। वहीं कुछ वयस्कों में ये हड्डियों में गंभीर दर्द के साथ अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती है।
आइए जानते हैं कि किसी को डेंगू हो जाए तो क्या करें-क्या नहीं?
डेंगू हो जाए तो क्या करें?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया डेंगू हो जाने पर कुछ बातों पर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी है।
डेंगू के मामलों में हर घंटे बुखार पर नजर रखी जानी चाहिए। बुखार की जांच करते रहना चाहिए।
बुखार अगर ठीक नहीं हो रहा है तो प्लेटलेट्स की जांच जरूर कराएं। प्लेटलेट्स का शुरुआती निदान के लिए आवश्यक है।
खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें।
दर्द के लिए एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) का उपयोग करें।
इबुप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं से बचें।
गंभीर लक्षणों पर नजर रखें और यदि आपको लक्षणों में आराम नहीं मिलता है तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
डेंगू की स्थिति में क्या न करें?
डेंगू बुखार के इलाज के लिए एस्पिरिन या ब्रूफेन न लें।
- डेंगू के कारण आपकी भूख कम हो सकती है
- हालांकि आहार का सेवन बंद न करें।
- नमकीन और मसालेदार भोजन से बचें, इससे निर्जलीकरण और पाचन संबंधी परेशानी बढ़ सकती है।
- अगर बुखार 2-3 दिनों में ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें। इलाज में देरी नहीं की जानी चाहिए।
नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

क्या कहते हैं डॉक्टर्स?
डेंगू की जटिलताएं

खाने के लिए स्वस्थ तेल का चयन जरूरी है, क्योंकि ये आपको कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकता है।
कई अध्ययनों में पाया गया है कि खाने के लिए ऑलिव ऑयल को प्रयोग में लाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
अध्ययनों से पता चला है कि एवोकाडो ऑयल भी सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद यौगिक मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों को रोकने और लिवर डैमेज के खतरे को कम करने में फायदेमंद है।
ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) का संक्रमण एड्स रोग का कारण बनता है। चिकित्सा में आधुनिकता के चलते अब ये बीमारी लाइलाज तो नहीं रही है फिर भी वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में बनी हुई है। कई देशों में एचआईवी संक्रमण के मामले विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता बढ़ा रहे हैं। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिजी में पिछले कुछ ही महीनों में बड़ी संख्या में लोगों को एचआईवी का शिकार पाया गया है।
बेंगलुरु में स्थित सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन कृष्ण मंदिर का जिक्र होता है, तो कई लोग सबसे पहले श्री गोवर्धन रॉक मंदिर का ही नाम लेते हैं। यहां मंदिर पूर्ण रूप भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिसमें गोवर्धन का दृश्य दिखाया गया है।
बेंगलुरु के सबसे पप्रसिद्ध और भव्य कृष्ण मंदिर का जिक्र होता है, तो कई लोग इस्कॉन टेम्पल का नाम जरूर लेते हैं। यह पवित्र मंदिर बेंगलुरु के राजाजीनगर में मौजूद है, जहां हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं।
बेंगलुरु की धरती पर मौजूद राम और राधा कृष्ण मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण भगवान राम के साथ विराजमान है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण और भगवान राम के विराजमान होने के चलते इस मंदिर को देश का एक अनोखा मंदिर भी माना जाता है।
बेंगलुरु के इंदिरानगर इलाके में मौजूद श्री कृष्ण मंदिर शहर का एक प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिर माना जाता है। शहर के बीच में मौजूद होने के चलते यहां हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं।(रहस्यमयी कृष्ण मंदिर)
आपको बता दें कि उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से करीब 444 किमी दूर है। इसके अलावा, कर्नाटक से मंगलूरु इस इस मंदिर की दूरी सिर्फ 56 किमी है।
उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर का महत्व
पाकिस्तान के अलावा स्वीडन में भी गुरुवार को संक्रमण का पहला केस दर्ज किया गया है। कई देशों में बढ़ते एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए चीन सरकार भी अलर्ट हो गई है। चीनी कस्टम प्रशासन की ओर से बयान जारी करके बताया गया है कि अगले छह महीनों तक देश में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में एमपॉक्स की निगरानी की जाएगी। गौरतलब है कि पिछले साल चीन में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले बढ़े थे, जिसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने चिंता जाहिर की थी।
कैसे फैलता है ये संक्रामक रोग?
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अंगदान को लेकर चुनौतियां
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एसओपी
डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में सावधान करते हुए कहा, 12 से 35 वर्ष की आयु के एक बिलियन (100 करोड़) से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता कम होना या बहरेपन का जोखिम हो सकता है। इसके लिए मुख्यरूप से लंबे समय तक ईयरबड्स से तेज आवाज में संगीत सुनने और शोरगुल वाली जगहों पर रहना एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक ईयरबड्स या हेडफोन के साथ पर्सनल म्यूजिक प्लेयर का इस्तेमाल करने वाले लगभग 65 प्रतिशत लोग लगातार 85 (डेसिबल) से ज्यादा आवाज में इसे प्रयोग में लाते हैं। इतनी तीव्रता वाली आवाज को कानों के आंतरिक हिस्से के लिए काफी हानिकारक पाया गया है।
कोलोराडो विश्वविद्यालय में ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डैनियल फिंक कहते हैं, मुझे लगता है कि व्यापक स्तर पर, चिकित्सा और ऑडियोलॉजी समुदाय को इस गंभीर खतरे को लेकर ध्यान देने की आवश्यकता है। युवा आबादी में ईयरबड्स जैसे उपकरणों का बढ़ता इस्तेमाल 40 की उम्र तक सुनने की क्षमता को कम कमजोर करने वाली स्थिति हो सकती है।
डिमेंशिया का भी बढ़ जाता है जोखिम
Aug 20 2024, 11:32
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