दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एलजी को सरकार की सलाह मानना जरूरी नहीं
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दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।जिससे दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) सरकार से सलाह लिए बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार के मंत्रीपरिषद की सलाह की जरूरत नहीं है।
बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम में 'एल्डरमैन' नॉमिनेट करने के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है। ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए।इस पर सुनवाई करते हुए बीते वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने पिछले साल 17 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया है।इस तरह दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तकरीबन 15 महीने बाद अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने माना कि नगर निगम अधिनियम के तहत उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति दी गई है। जबकि सरकार कार्यकारी शक्ति पर काम करती है। इसलिए उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति के अनुसार काम करना चाहिए, न कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम अधिनियम में प्रावधान है कि उपराज्यपाल नगर निगम प्रशासन में विशेष ज्ञान रखने वाले दस व्यक्तियों को नामित कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज के फैसले के बाद एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो पाएगा। दरअसल, एल्डरमैन को लेकर चल रहे मौजूदा विवाद के सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने चलते एमसीडी में अब तक स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में एल्डरमैन कहलाने वाले मनोनीत पार्षद भी वोट देते हैं। यहां ये भी गौर करने लायक है कि 5 करोड़ से ज़्यादा के प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी जरूरी है। इसी के चलते मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं। एक ऐसे वक्त में जब जलभराव और नालों की सफाई और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में असफल रहने पर एमसीडी सवालों के घेरे में है।
Aug 05 2024, 13:36