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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बदला रामनगर जिले का नाम, बीजेपी बोली- श्री राम से इतनी नफरत क्यों

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कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार के इस फैसले का भाजपा और जेडीएस ने विरोध किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी ने आलोचना की है, उन्होंने पार्टी पर राम विरोधी होने का भी आरोप लगाया है। वहीं, कहना है कि रामनगर में रियल एस्टेट को बढ़ाने की मंशा से नाम बदला गया है। इस तरह के कदम से विकास नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है।

कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार यानी 26 जुलाई को एक बड़ा फैसला लिया, जिसमें रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ रखा जा रहा है। यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस बात की घोषणा कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने की। एच के पाटिल ने कहा, हमने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, 'नाम बदलने का फैसला वहां के लोगों की मांग पर किया गया है। राजस्व विभाग इस प्रक्रिया को शुरू करेगा। उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों कहा, सिर्फ जिले का नाम बदलेगा, बाकी सब वही रहेगा।

उन्हें राम के नाम से भी समस्या- प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद प्रल्हाद जोशी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर निशाना साधा है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, रामनगर जिले का नाम बदलने का ये फैसला राम और राम मंदिर के प्रति उनकी एलर्जी को दर्शाता है। यहां तक कि अब उन्हें राम के नाम से भी समस्या होने लगी। 

कांग्रेस ने पहले भी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है-पूनावाला

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े कई घोटालों में कांग्रेस सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार अन्य मुद्दों और जनता की परेशानियों से जनता का ध्यान भटका रही है, सरकार इन सभी को दूर करने की बजाय रामनगर जिले का नाम बदलने का विकल्प चुना। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को भगवान श्री राम से इतनी नफरत क्यों है? कर्नाटक में, जहां ‘मुडा घोटाला’ और ‘वाल्मीकि घोटाला’ जैसे घोटाले चल रहे हैं, वहां जनता के मुद्दों को सुलझाने के बजाय रामनगर का नाम बदल दिया गया। पूनावाला ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि क्या कर्नाटक सरकार ने यह फैसला अपने रियल एस्टेट के फील्ड में शामिल दोस्तों के फायदे के लिए और भगवान राम के लिए दुश्मनी की वजह से लिया है। उन्होंने आगे कांग्रेस के खिलाफ बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने पहले भी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है, इतना ही नहीं उन्होंने राम मंदिर बनाने के समय भी विरोध किया था, कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद का भी कई बार जिक्र किया है। कांग्रेस के सहयोगियों ने रामचरितमानस के बारे में भी अपमानजनक टिप्पणी की है।

कुमारस्वामी ने अनशन पर बैठने की दी धमकी

वहीं, केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है। केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने कहा, रामनगर से मेरा कोई कारोबारी रिश्ता नहीं, बल्कि भावनात्मक रिश्ता है। अगर रामनगर जिले का नाम बदला जाता है तो मैं अपनी जान जोखिम में डालने और खराब स्वास्थ्य के बावजूद आमरण अनशन पर बैठने के लिए तैयार हूँ। आखिरी क्षण तक मैं उस जिले के गौरव की रक्षा के लिए लडूँगा।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की मीटिंग शुरू, इन सात राज्यों के सीएम ने बैठक से बनाई दूरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक शुरू हो गई है। देश भर के मुख्यमंत्री इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। बैठक राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में हो रही है। इंडिया गठबंधन शासित राज्यों में सिर्फ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में हिस्सा ले रही हैं। मीटिंग से पहले ममता बनर्जी ने नीति आयोग को लेकर ही सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि इसे बंद कर फिर से योजना आयोग लाया जाए। वहीं, गैर बीजेपी शासित सात राज्यों के सीएम ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

बैठक में इन राज्यों के मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत

नीति आयोग की बैठक में शामिल होने वाले सीएम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, अरुणाचल के उपमुख्यमंत्री चौना मीन, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का नाम शामिल है। 

सात राज्यों के सीएम का बैठक में शामिल होने से इनकार

तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार किया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने केंद्र सरकार पर राज्य के अधिकारों की अनदेखी करने और बकाया फंड जारी न करने का आरोप लगाते हुए 27 जुलाई को दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। नीति आयोग की आज होने वाली बैठक से हेमंत सोरेन ने भी दूरी बना ली है। हालांकि, पहले खबर थी कि वह बैठक में भाग लेंगे लेकिन अब वह इंडिया गठबंधन के फैसले के साथ रहेंगे। इसकी बड़ी वजह केंद्रीय बजट में राज्य की अनदेखी रही। केंद्र सरकार पर राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपया बकाया है। खबर है कि झारखंड बकाया की मांग आगे भी जारी रखेगा।

नीति आयोग की बैठक में 15 केंद्रीय मंत्री भी होंगे शामिल

नीति आयोग की बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चार पदेन सदस्य होंगे। इनके अलावा सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा, भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी और एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। इनके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्यों में पंचायती राज मंत्री लल्लन सिंह, सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार, नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू, आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राव इंद्रजीत सिंह शामिल हैं।

बैठक की थीम ‘विकसित भारत है

नीति आयोग की इस बैठक में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्यों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बैठक की थीम ‘विकसित भारत है। इसका मुख्य फोकस भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। नीति आयोग की बैठक के बाद ‘सीएम कॉन्क्लेव’ होगा, जिसमें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे। बैठक के दौरान राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट के साथ केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से संचालित योजना पर चर्चा होगी। बैठक में 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी, विकसित राष्ट्र में राज्यों की भूमिका, पेयजल-बिजली, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, देश-राज्यों के विकास का रोडमैप, केंद्र-राज्य सरकारों में सहयोग और डिजिटलीकरण जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

अमेरिका दौरे पर आए इजराइली पीएम नेतन्याहू को कमला हैरिस की दो टूक, बोलीं- अब युद्ध खत्म करने का वक्त

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ प्रेजिडेंट पद की रेस में शामिल कमला हैरिस ने इजरायल-हमास युद्ध के बीच गाजा में मचे हुए त्राहिमाम को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नसीहत दी है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बेंजामिन नेतन्याहू से साफ कहा कि अब वक्त आ गया है कि युद्ध विराम समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाए।

नेतन्याहू ने अमेरिका दौरे पर बुधवार को चौथी बार अमेरिकी संसद के ज्वाइंट सेशन को संबोधित किया था।अपने पूर संबोधन के दौरान व ये साबित करने में लगे रहे कि गाजा में चल रहा युद्ध कितना जरूरी है। बेंजामिन नेतन्याहू ने अपना ये दौरा इजराइल को दी जाने वाली मदद को बढ़ाने की मांग को लेकर किया था।संबोधन के बाद 25 जुलाई को नेतन्याहू ने कमला हैरिस से मुलाकात की, मुलाकात के दौरान कमला ने गाजा की मानवीय स्थिति पर चिंता जताई है और युद्ध विराम का आग्रह किया।

कमला हैरिस ने इस मुलाकात के तत्काल बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने यह कई बार कहा है, लेकिन इसे दोहराना जरूरी है। इजराइल को अपना बचाव करने का अधिकार है और वह ऐसा किस तरीके से करता है, यह मायने रखता है। हमास एक क्रूर आतंकवादी संगठन है। हमास ने सात अक्टूबर को 44 अमेरिकियों सहित 1,200 निर्दोष लोगों की हत्या कर इस युद्ध की शुरुआत की। हमास ने यौन हिंसा के भयानक कृत्य किए हैं और 250 लोगों को बंधक बनाया है। ऐसे अमेरिकी नागरिक हैं जो गाजा में बंदी बने हुए हैं।’’

हैरिस ने कहा ‘‘मैंने वहां की भयावह मानवीय स्थिति के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। वहां 20 लाख से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा और पांच लाख लोग गंभीर स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। पिछले नौ महीने में गाजा में जो कुछ हुआ है, वह विनाशकारी है।’’ हैरिस ने कहा, ‘‘कई मामलों में दूसरी, तीसरी या चौथी बार विस्थापित होने के बाद सुरक्षा के लिए भाग रहे हताश, भूखे लोगों और मृत बच्चों की तस्वीरें हैं। हम इन त्रासदियों के सामने आंखें नहीं मूंद सकते। मैं चुप नहीं रहूंगी।’’ 

कमला हैरिस ने नेतन्याहू के सामने बाइडेन के महीनों पुराने युद्ध समझौते को दोहराते हुए, उसे अमल में लाने की सलाह दी है। कमला ने कहा, “गाजा में क्रूर युद्ध का अंत करना अब जरूरी है, जहां 39 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।” 

अमेरिका की उपराष्ट्रपति ने कहा कि युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के समझौते को लेकर वार्ता जारी है। उन्होंने कहा कि समझौते के पहले चरण में पूर्ण युद्ध विराम होगा, जिसके तहत गाजा के आबादी वाले केंद्रों से इजराइजी सेना की वापसी होगी और दूसरे चरण में, इजराइली सेना गाजा से पूरी तरह से पीछे हट जाएगी और इससे शत्रुता का स्थायी अंत होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस युद्ध को समाप्त करने का समय आ गया है और यह इस तरह से समाप्त होना चाहिए कि इजराइल सुरक्षित हो, सभी बंधकों को रिहा किया जाए, गाजा में फलस्तीनियों की पीड़ा समाप्त हो और फलस्तीनी स्वतंत्रता, गरिमा एवं आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें। इस समझौते को लेकर वार्ता में आशाजनक प्रगति हुई है।

कमला का ये बयान तब आया जब एक दिन पहले ही नेतन्याहू ने अपने संबोधन में हमास के खिलाफ “पूर्ण विजय” की कसम खाई थी और हमास के खात्मे तक जंग जारी रखने की बात कही थी।नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ जंग को जल्द खत्म करने के लिए अमेरिका से और हथियार मांगे हैं। नेतन्याहू के संबोधन से पहले बुधवार को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए थे।

कांवड़ मार्गों पर नेम प्लेट के बाद एक और विवाद, मस्जिद और मजारों को तिरपाल से ढका गया

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उत्तर प्रदेश और उत्तराकंड में कांवड़ यात्रा रूट के ढाबों, ठेलों और दुकानों पर नाम लिखकर पहचान बताने वाला विवाद अभी पूरी तरह से थमा नहीं है कि एक इस बीच प्रशासन के ओक और फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, अब उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ रूट पर पड़ने वाले मस्जिद और मजारों को त्रिपाल से ढक दिया गया। विवाद बढ़ने के बाद प्रशासन ने मस्जिदों और मजारों से पर्दा हटा लिया है।

दरअसल, यहां ज्वालापुर के रामनगर कॉलोनी स्थित मस्जिद और दुर्गा चौक के पास स्थित मजार के गेट पर बड़ा तिरपाल लगाया गया है।मजार और मस्जिद के केयरटेकर और मौलाना प्रशासन के इस फैसले से अनजान है। उनका कहना है कि इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं की गई है। हालांकि इससे पहले कावड़ यात्रा के दौरान मस्जिद और मजार को कभी नहीं ढका गया। यह पहली बार था जब इस तरह से मस्जिद और मजार को ढका गया।

सरकार के आला मंत्री कह रहे हैं कि फैसला ठीक है। मकसद है कि कांवड़ यात्रा व्‍यवस्थित तरीके से चले।कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि कावड़ यात्रा व्यवस्थित रूप से चले, इसके लिए मस्जिद और मजारों को ढका गया था। सतपाल महाराज ने कहा कि कावड़ यात्रा के दौरान कोई उत्तेजना न हो और भड़के नहीं, इसका ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि जब कोई निर्माण कार्य होता है, तब भी ढक दिया जाता है।

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नाम लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है।

समर्थन मूल्य पर कानून बनाएगी सरकार? कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में किया बड़ा ऐलान

 मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को संसद में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। सपा सांसद ने एमएसपी को लेकर सवाल किया। इस सवाल का सरकार की ओर से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया। शिवराज ने एमएसपी को लेकर बड़ी बात कही।

राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर प्रश्नकाल के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने 12 जुलाई 2000 को किसानों की समस्याओं पर बनी कमेटी की बैठकों के ब्यौरे को लेकर सवाल किया। इसके जवाब में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान हमारे लिए भगवान की तरह है और किसान की सेवा हमारे लिए पूजा जैसी है। 

उन्होंने कहा कि इस समिति का गठन तीन उद्देश्यों- एमएसपी उपलब्ध कराने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के साथ कृषि मूल्य को अधिक स्वायत्तता और कृषि वितरण प्रणाली के लिए सुझाव देने के लिए। कृषि मंत्री ने कहा कि समिति की 22 बैठकें हो चुकी हैं। समिति जो सिफारिश देगी, उस पर विचार किया जाएगा।

इस पर रामजी लाल सुमन ने कहा कि ये अनिश्चचितता का वातावरण है। ये कब दूर होगा, ये जो किसान को भगवान बता रहे हैं, इनको किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। सीधा जवाब दीजिए कि आप एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहते हैं या नहीं देना चाहते, बचिए मत। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राम, शिव से सवाल पूछ रहे हैंय़ जवाब में शिवराज ने कहा कि एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई है। ये गलत आरोप लगा रहे हैं। सरकार की छह सूत्रीय रणनीति है।

शिवराज ने उत्पादन बढ़ाने से लेकर लागत घटाने तक के उपाय गिनाए और कहा कि हमें किसान विरोधी कहा जा रहा है। नरेंद्र मोदीजी से बड़ा किसान हितैषी कोई है नहीं। उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी तब हम कार्रवाई करेंगे। लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं। उन्होंने फसलों के एमएसपी के दाम बढ़ाए जाने के आंकड़े गिनाए और कहा कि इन 23 फसलों के दाम देख लीजिए। इस दौरान विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

कृषि मंत्री ने किसानों के लिए सम्मान निधि के साथ ही गेहूं-धान की खरीद बढ़ने का भी जिक्र किया। शिवराज ने कहा कि सरकार फर्टिलाइजर पर 1 लाख 68 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। कदम जरूरी हैं, जिन्हें लेकर सरकार गंभीर है। इसके बाद रणदीप सुरजेवाला और विपक्ष के अन्य सांसदों ने एमएसपी की लीगल गारंटी को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।

मुझे मारना चाहता था लॉरेंस बिश्नोई, खतरे में है मेरा खानदान...पुलिस से बोले सलमान खान

 सलमान खान के मुंबई स्थित घर गैलेक्सी अपार्टमेंट्स में 14 अप्रैल की सुबह गन फायरिंग हुई थी. इस मामले को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की थी. सलमान खान को सालों पहले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने जान से मारने की धमकी दी थी. फायरिंग करने वाले अपराधी बाइक पर सवार होकर आए थे, उन्होंने सलमान के घर के बाहर कुछ राउंड फायरिंग की और फिर वहां से भाग गए. बाद में मुंबई पुलिस ने इन अपराधियों को पकड़ा था. मामले को लेकर सुपरस्टार सलमान खान की स्टेटमेंट भी पुलिस ने रिकॉर्ड की थी, जो अब सामने आई है.

सलमान खान के घर पर हुई फायरिंग के मामले की चार्जशीट मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दायर की है. इसमें सलमान खान के दिए गए बयान को भी शामिल किया गया है. अपने बयान में सलमान ने बताया था कि घर पर फायरिंग के वक्त वो कहां थे और क्या कर रहे थे. 4 जून को मुंबई क्राइम ब्रांच के एंटी एक्सटॉर्शन सेल के साथ सलमान ने अपने बयान को रिकॉर्ड करवाया था. आइए बताते हैं कि सुपरस्टार ने क्या खुलासे इसमें किए थे.

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच को दिए गए बयान में सलमान खान ने कहा था, 'मैं प्रोफेशन से एक फिल्म स्टार हूं और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पिछले 35 सालों से काम कर रहा हूं. बांद्रा के बैंडस्टैंड के पास मेरे घर गैलेक्सी अपार्टमेंट के पास कई मौकों पर मेरे शुभचिंतकों और फैंस की भीड़ जमा होती है. अपना प्यार उन्हें दिखाने के लिए मैं अपने फ्लैट की फर्स्ट फ्लोर की बालकनी से अपना हाथ वेव करता हूं. साथ ही जब मेरे घर पर पार्टी होती है, दोस्त और परिवार के लोग, मेरे पिता आते हैं तो मैं बालकनी में उनके साथ समय बिताता हूं. काम के बाद या फिर सुबह जल्दी मैं बालकनी में ताजी हवा खाने के लिए जाता हूं. मैंने अपने लिए प्राइवेट सिक्योरिटी भी रखी हुई है.' 

'2022 में मेरे पिता ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज करवाई थी. मेरे पिता को एक खत मिला था जिसमें मुझे और मेरे परिवार को धमकी दी गई थी. ये खत मेरी अपार्टमेंट बिल्डिंग के दूसरी तरफ के बेंच पर रखा हुआ था. मार्च 2023 में मुझे अपनी ऑफिशियल ई-मेल आईडी पर मेरी टीम के एक एम्पलाई का एक मेल आया था, जिसमें लॉरेंस बिश्नोई की तरह से मुझे और मेरे परिवार को धमकी दी गई थी. इस बारे में भी मेरी टीम ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी.'

'इस साल जनवरी में दो लोग नकली नाम और पहचान पत्र के साथ मेरे पनवेल स्थित फार्महाउस में घुसने की कोशिश कर रहे थे. पनवेल तालुका पुलिस ने उन दोनों लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. मुझे पुलिस से पता चला था कि वो दोनों अपराधी, जिन्होंने मेरे फार्महाउस में घुसने की कोशिश की वो राजस्थान के फाजिल्का गांव के हैं, जो लॉरेंस बिश्नोई का भी गांव है. मैंने मेरे साथ के सभी लोगों, मेरे रिश्तेदरों, परिवारवालों को हमेशा अलर्ट रहने को बोला है. मुझे मुंबई पुलिस ने Y प्लस सिक्योरिटी दी गई है. मेरे साथ ट्रेंड पुलिसकर्मी, बॉडीगार्ड, प्राइवेट सिक्योरिटी बॉडीगार्ड मेरे सिक्योरिटी कवर के लिए रहते हैं.'

'14 अप्रैल 2024 को मैं सो रहा था जब मैंने पटाखों की आवाज सुनी. सुबह के 4.55 बजे थे जब पुलिस बॉडीगार्ड ने बताया कि बाइक पर आए दो लोगों ने गैलेक्सी अपार्टमेंट की फर्स्ट फ्लोर की बालकनी पर बंदूक से फायरिंग की है. इससे पहले भी मुझे और मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा चुकी है. मुझे पता चल है कि लॉरेंस बिश्नोई ने इस हमले की जिम्मेदारी सोशल मीडिया के जरिए ली है. मुझे विश्वास है कि लॉरेंस बिश्नोई के गैंग ने मेरी बालकनी पर फायरिंग करवाई थी.'

'मेरे बॉडीगार्ड ने बांद्रा के पुलिस स्टेशन में 14 अप्रैल को मेरी जान लेने के लिए हुए इस हमले को लेकर FIR दर्ज करवाई थी. मुझे ये भी पता चला है कि लॉरेंस बिश्नोई और उसके भाई अनमोल बिश्नोई ने फेसबुक की एक पोस्ट के जरिए इस हमले की जिम्मेदारी ली है. इससे पहले लॉरेंस बिश्नोई और उसके गैंग ने मुझे और मेरे परिवार को मारने को लेकर एक इंटरव्यू में बात की थी. तो मुझे विश्वास है कि लॉरेंस बिश्नोई ने अपने गैंग के साथियों की मदद से इस फायरिंग को अंजाम दिया जब मेरे परिवार के सदस्य सो रहे थे. उसका प्लान मुझे और मेरे परिवारवालों को मारने का था, जिसके लिए उसने ये हमला करवाया.' इस स्टेटमेंट पर सलमान खान ने अपने दस्तखत किए हैं.

अमेरिकी संसद में भारत को नाटो सहयोगियों जैसा दर्जा देने की मांग, जानें क्या होगा फायदा?
#us_india_defence_partnership_bill अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को नाटो सहयोगियों के स्तर का दर्जा देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, "कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।" सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बातें रखीं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।” हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है। *भारत को क्या होगा फायद?* अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्‍ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्‍ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। ये प्रस्‍ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्‍ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्‍ट्रीयल कांप्‍लैक्‍स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्‍ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्‍कत नहीं आएगी। *भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की उठी थी मांग* इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी। कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।
फिगर मेंटन करना छोड़ें हिंदू महिलाएं, पैदा करें 4 बच्चे…', बोले महामंडलेश्वर प्रेमानंद

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धार्मिक नगरी उज्जैन के बड़नगर रोड पर हो रही श्रीमद् भागवत कथा में महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने हिंदू महिलाओं को 4-4 बच्चे पैदा करने की सलाह दी है तथा एक विशेष समुदाय की आबादी को लेकर टिप्पणी की है। स्वामी प्रेमानंद ने कहा कि महिलाएं अपने फिगर को मेंटेन करने में लगी हुई हैं, जबकि दूसरा समुदाय 8 बच्चे पैदा कर रहा है।

स्वामी प्रेमानंद महाराज, जो पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर हैं, इन दिनों बड़नगर रोड स्थित मोहनपुरा में श्री बाबाधाम मंदिर (अर्जी वाले हनुमान 81 फीट) में श्रीमद भागवत कथा कर रहे हैं। कथा के चलते उन्होंने मौजूद लोगों से हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाए रखने की अपील की तथा महिला भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें सनातन संस्कृति को बचाने के लिए क्षत्राणी बनना होगा। महामंडलेश्वर ने एक विशेष धर्म पर निशाना साधते हुए कहा कि आज भले ही वे अल्पसंख्यक कहलाते हैं, किन्तु वह दिन दूर नहीं जब कश्मीर की प्रकार हम भी अल्पसंख्यक हो जाएंगे। उन्होंने हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करने की सलाह दी तथा कहा कि यदि आपका लक्ष्य दो बच्चे का है और आप तीन करते हैं, तो भी चिंता की बात नहीं है क्योंकि आपके तीसरे बच्चे की देखभाल हम करेंगे।

महामंडलेश्वर ने कहा कि अब तक उत्तर प्रदेश के तकरीबन 17 जिले हिंदू धर्म के नहीं रहे हैं तथा पश्चिम बंगाल की स्थिति भी चिंताजनक है। असम में 5 लाख लोगों के पास कोई पासपोर्ट-वीजा नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अब भी नहीं जागे तो हिंदुस्तान भी इंडोनेशिया बन जाएगा। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष पहले विशेष समुदाय की आबादी 2 करोड़ थी, फिर 9 करोड़ हुई तथा अब वे 38 करोड़ हो चुके हैं। समय रहते संभलने की आवश्यकता है वरना हिंदुस्तान भी इंडोनेशिया हो जाएगा।

मुझे वेश्यालय चलाने दें…', मद्रास उच्च न्यायालय के जज से बोले वकील, मिला कुछ ऐसा जवाब

मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी के एक अधिवक्ता को कड़ी फटकार लगाई है। उसने कोर्ट में वैश्यालय चलाने की याचिका दायर की थी। इस याचिका में अधिवक्ता ने वैश्यालय चलाने के लिए सुरक्षा की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि वह वर्तमान में वकालत भी कर रहा है, जिससे कोर्ट चकित रह गई। अदालत ने अधिवक्ता से पूछा कि उसने वकालत की डिग्री कहां से प्राप्त की है।

असल में, एक अधिवक्ता के खिलाफ वैश्यालय चलाने के लिए FIR दर्ज की गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में इस एफआईआर को खारिज करने की अपील की थी। मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता की याचिका को खारिज कर दिया तथा उसे 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने कहा कि यौन अधिकारों के आधार पर अपने कार्य और उनका बचाव करना उचित नहीं है। 

राजा मुरूगन नामक व्यक्ति एक ट्रस्ट चलाता है, जो 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के युवाओं को उनकी सहमति से यौन संबंध बनाने की सुविधा प्रदान करता है। मुरूगन ने कोर्ट को बताया कि वह यौन संबंध से जुड़े परामर्श और चिकित्सकीय सेवाएं भी प्रदान करता है। मुरूगन ने अदालत से उसके खिलाफ दर्ज FIR से सुरक्षा की मांग की थी। कोर्ट ने सभी याचिकाओं की सुनवाई के चलते कहा कि याचिकाकर्ता ने बुद्धदेव मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या की है, और उसे सही व्याख्या को समझने की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया कि मुरूगन की वकालत की डिग्री की जांच की जानी चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि उसकी कानूनी शिक्षा किसी प्रतिष्ठित संस्थान से प्राप्त है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि समाज में इस प्रकार के अधिक्वक्ताओं की बढ़ती संख्या चिंताजनक है, और इस पर निगरानी रखी जानी चाहिए।

इसके साथ ही, अदालत ने बार काउंसिल को भी चेतावनी दी कि उसे समाज में प्रतिष्ठित वकीलों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। बार काउंसिल को यह सुनिश्चित करना होगा कि सिर्फ उन वकीलों के नामांकन को स्वीकार किया जाए, जिन्होंने मान्यता प्राप्त संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की है। अदालत ने गैर-प्रतिष्ठित संस्थानों से वकालत की डिग्री प्राप्त करने वाले लोगों पर रोक लगाने की बात भी कही।

AAP को ऑफिस खोलने के लिए केंद्र ने लुटियंस जोन में दिया बंगला, पहले कोर्ट की जमीन पर खोल दिया था दफ्तर !

 दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) को केंद्र सरकार ने एक नया अस्थायी कार्यालय आवंटित किया है। नया कार्यालय बंगला नंबर 1, रविशंकर शुक्ला लेन, नई दिल्ली में स्थित है। यह निर्णय तब लिया गया जब आप को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के कारण राउज एवेन्यू में अपना वर्तमान कार्यालय खाली करने का आदेश दिया गया। नया कार्यालय तीन साल के लिए एक अस्थायी व्यवस्था है, जबकि सरकार AAP के मुख्यालय के लिए एक स्थायी स्थान की तलाश कर रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अस्थायी भूमि आवंटन के लिए AAP के अनुरोध पर निर्णय लेने के लिए केंद्र को 10 दिन का समय दिया था। शुरू में, केंद्र ने चार सप्ताह का अनुरोध किया था, लेकिन अदालत ने कम समय सीमा पर जोर दिया।

AAP के अधिवक्ता ऋषिकेश कुमार ने उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय ने 5 जून को उनके पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें पार्टी दफ्तर के लिए स्थान आवंटित करने का आदेश दिया गया था। पार्टी के पास अपना वर्तमान परिसर खाली करने के लिए 10 अगस्त तक का समय है। हालांकि AAP ने दीन दयाल मार्ग पर एक स्थान को प्राथमिकता दी थी, जहां भाजपा और कांग्रेस के भी कार्यालय हैं, लेकिन वहां कोई स्थान उपलब्ध नहीं था। नतीजतन, सरकार ने इसके बजाय लुटियंस बंगला आवंटित किया। 

राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते, AAP अपने मुख्यालय के लिए 1,000 वर्ग मीटर भूमि की हकदार है। उच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को सामान्य पूल आवासीय आवास (GPRA) के आवंटन के लिए दिशा-निर्देशों का हवाला दिया, जो राष्ट्रीय दलों को स्थायी स्थान सुरक्षित करने तक तीन साल तक कार्यालय के उद्देश्यों के लिए आवासीय इकाई का उपयोग करने की अनुमति देता है। उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि आवास पूल पर दबाव के बावजूद, राष्ट्रीय दलों को कार्यालय स्थान का अधिकार है। हालांकि, मध्य दिल्ली में एक भूखंड हासिल करने का AAP का मुद्दा एक अलग मामला है। बता दें कि, AAP को दीन दयाल मार्ग पर अपना कार्यालय खाली करने के लिए कहा गया था, जो राउज एवेन्यू कोर्ट को आवंटित भूमि पर है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के लिए निर्धारित भूमि पर अतिक्रमण करने के लिए AAP को फटकार लगाई थी और पार्टी को 15 जून तक खाली करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने AAP को लोकसभा चुनाव तक कार्यालय का उपयोग करने की अनुमति दी, बशर्ते कि वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था की जाए।

AAP ने अतिक्रमण के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह कार्यालय 2015 में दिल्ली सरकार द्वारा आवंटित किया गया था, जब दिल्ली में केजरीवाल की ही सरकार थी, यानी AAP सरकार ने खुद ही अपनी पार्टी दफ्तर के लिए खुद को आवंटित कर लिया था। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत भूमि और विकास कार्यालय ने न्यायालय के विस्तार के लिए भूमि को नामित किया था, जिसके कारण AAP को यह कदम उठाना पड़ा। इससे पहले, AAP किराए के परिसर से ऑफिस चलाती थी। दिल्ली के मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने स्थिति पर निराशा व्यक्त की, उन्होंने केंद्र पर वैकल्पिक स्थान प्रदान किए बिना AAP को बेदखल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया, जिससे पार्टी को उचित कार्यालय के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी। उन्होंने अदालत के हस्तक्षेप का स्वागत किया, जिसके कारण केंद्र ने आखिरकार नया कार्यालय स्थान आवंटित किया।