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कांवड़ रूट पर नेम प्लेट विवाद पहुंचा अमेरिका, जानें “पाकिस्तानी” पत्रकार के सवाल के जवाब में यूएस की प्रतिक्रिया

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सावन के महीने में देश की सियासत गर्म है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में कांवड़ यात्रा रूट में दुकानों के ऊपर नेम प्लेट लगाने के आदेश जारी किया गया था। जिसको लेकर पूरे देश में बहस जारी रही। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। जिसको बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही यूपी-उत्तराखंड और मध्यप्रदेश को सरकार को नोटिस जारी किया गया है। इस बीच भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान अब इस मामले को लेकर अमेरिका तक पहुंच गया है। दरअसल, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से भारत के कुछ राज्यों में नेम प्लेट लगाने के आदेश से जुड़ा सवाल पूछा। हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मैथ्यू मिलर के दो टूक जवाब ने पाकिस्तानी पत्रकार को चुप करा दिया।

पाकिस्तानी पत्रकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नाम लिखने के दिए गए आदेश को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मौथ्यू मिलर से सवाल किया था। मैथ्यू मिलर ने जवाब दिया, ''हमने इस बारे में रिपोर्ट्स देखी हैं. हमने उन रिपोर्ट्स को भी देखा है जिसमें 22 जुलाई को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दी है। इसलिए वह आदेश अभी प्रभावी नहीं है।''

इसके अलावा, विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका ने सभी धर्मों के सदस्यों के प्रति समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है। उन्होंने कहा, 'सामान्य तौर पर कहें तो हम दुनिया में कहीं भी सभी के लिए धर्म और आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं और हमने सभी धर्मों के सदस्यों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस महीने की शुरुआत में आदेश दिया था कि कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाले सभी ढाबों और ठेलों के मालिक और काम करने वालों को नाम प्लेट लगानी होगी। यूपी सरकार के इस कदम के बाद मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी ये आदेश लागू किया गया था। हालांकि, 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।

अमेरिका की संसद में गरजे इजरायली पीएम नेतन्याहू, बोले-जब तक हमास को पूरी तरह मिटा नहीं देते जारी रहेगा युद्ध

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बीते नौ महीनों से इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। इस बीच इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने अमेरिकी संसद को संबोधित किया। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार रात 11:30 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया। नेतन्याहू ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने सबसे अधिक ईरान पर ही बात की। उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। साथ ही उन्होंने हमास और अन्य ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों के खिलाफ युद्ध के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने की भी मांग की।उन्होंने ये भी कहा कि जब तक हमास को पूरी तरह से मिटा नहीं देते युद्ध खत्म नहीं होगा। 

हमास पर राहत सामग्री को चुराने का आरोप

बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी संसद में 9 महीने से जारी गाजा और इजराइल युद्ध का जिक्र करते हुए हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए भेजी जाने वाली राहत सामग्री को चुराने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने 40,000 से ज्यादा सहायता ट्रकों को गाजा में प्रवेश करने दिया है। लेकिन गाजा में फिलिस्तीनियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है, तो इसका कारण यह नहीं है कि इजराइल इसे रोक रहा है। बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हमास इसे चुरा रहा है।

हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों का इस्तेमाल करने का आरोप

इजराइली पीएम ने कहा कहाल कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि आईडीएफ यानी इजराइली रक्षा बलों ने फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए लाखों फ़्लायर्स भेजे हैं लाखों टेक्स्ट संदेश भेजे हैं और सैकड़ों हजारों फोन कॉल किए हैं। उन्होंने कहा कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। वह स्कूलों, अस्पतालों और मस्जिदों से रॉकेट दागता है। जब वे युद्ध क्षेत्र छोड़ने की कोशिश करते हैं तो वे उन्हें गोली भी मार देते हैं।

ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया

इस दौरान इजराइली पीएम ने हिजबुल्ला को भी कुचलने की धमकी। उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए हर जरूरू कदम उठाएंगे। आगे उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया। नेतन्याहू ने कहा कि ऐसे में अमेरिका और इस्राइल को एक साथ खड़ा होना चाहिए। जब हम एक साथ खड़े होते हैं तो वास्तव में सब अच्छा होता है। हम जीतते हैं, वे हारते हैं। 

रिकॉर्ड चौथी बार अमेरिकी संसद को संबोधित किया 

नेतन्याहू पहले ऐसे विदेशी नेता बन गए हैं, जिन्होंने अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ कॉमन्स) की संयुक्त बैठक को रिकॉर्ड चौथी बार संबोधित किया है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने तीन बार संबोधन किया था।

बाइडेन ने बताया क्यों छोड़ी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी, पहली बार खुलकर बताई वजह

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अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं। जिसके चलते दोनों खेमों में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी में राजनीति तेज हो रही है। इसी बीच वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में रविवार को बड़ा ऐलान किया था। बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है और चुनाव की रेस से बाहर हो गए हैं। इसके बाद सवाल उठने लगे थे कि बाइडन ने ये फैसला क्यों लिया है। बाइडेन की सेहत चुनाव में डिबेट का बड़ा मुद्दा बनी हुई थी जिसको लेकर विपक्षी पार्टी लगातार बाइडेन पर निशाना साध रही थी और कहा जा रहा था कि बाइडेन की उम्र और बीमारी उन के चुनाव से पीछे हटने की वजह बनी है। हालांकि, अब बाइडन ने इस मामले में चुप्पी तोड़ी है। बाइडन ने बताया कि न उम्र, न बीमारी बल्कि लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए वो चुनाव से पीछे हट गए हैं।

जो बाइडन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की रेस से पीछे हटने के बाद पहली बार देश को संबोधित किया। ओवल ऑफिस से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लगभग 11 मिनट तक स्पीच दी।उन्होंने कहा चुनाव से उन्होंने कदम लोकतंत्र को बचाने के लिए वापस ले लिए। उन्होंने कहा, मैं इस कार्यालय का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मैं अपने देश से भी बहुत ज्यादा प्यार करता हूं।” आपके राष्ट्रपति के रूप में सेवा करना मेरे लिए जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। बाइडेन ने आगे कहा, लेकिन इस समय लोकतंत्र दांव पर लगा है और उस की रक्षा करना किसी भी और पद से ज्यादा जरूरी है। साथ ही बाइडेन ने कहा, मुझे अपने अमेरिकी लोगों के लिए काम करने में खुशी और ताकत मिलती है।

नई पीढ़ी को मशाल सौंपना चाहता हूं

बाइडन ने कहा, "मैं नई पीढ़ी को मशाल सौंपना चाहता हूं। चुनावी सर्वे में मेरी हार का आकलन किया गया था, इससे परेशान होकर रेस छोड़ने का फैसला लिया है। मैं अपने साथ डेमोक्रेटिक पार्टी के साथियों को हार की तरफ नहीं खींच सकता।" उन्होंने कहा- नई पीढ़ी को मशाल सौंपना हमारे राष्ट्र को एकजुट करने का सबसे अच्छा तरीका है।

आपने हकलाने वाले बच्चे को मौका दिया

अपनी 11 मिनट की स्पीच के दौरान बाइडेन ने राजनीति में अपने कदम रखने के बारे में भी बात की। 80 वर्षीय नेता ने कहा, 'दुनिया में कहीं और ऐसा नहीं हो सकता कि स्क्रैंटन, पेनसिल्वेनिया और क्लेमोंट, डेलावेयर में सामान्य रूप से जन्म लेने वाला हकलाने वाला बच्चा एक दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में ओवल ऑफिस में बैठे। लेकिन मैं यहां हूं।' उन्होंने अमेरिकी लोगों के प्यार और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपना दिल और आत्मा देश को दी है और बदले में उन्हें कई बार आशीर्वाद मिला है।

कमला हैरिस के बारे में क्या कहा?

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी से चुनाव लड़ने पर बाइडेन ने कहा, "वे मजबूत और सक्षम उम्मीदवार हैं। पिछले 4 सालों में बतौर उप-राष्ट्रपति उन्होंने अक बेहतरीन पार्टनर की भूमिका निभाई है। वह देश के लिए एक काबिल लीडर के तौर पर उभरी हैं। अब फैसले आपके हाथ में है।"

भारत ने चाबहार के लिए खोला खजाना, बजट में 100 करोड़ रुपए आवंटित

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ईरान और भारत ने मई में ही चाबहार पोर्ट को लेकर बड़ी डील की थी। इस डील के मुताबिक भारत को चाबहार पोर्ट का 10 साल चलाने तक संचालन करना है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के कार्यकाल में जब यह डील हुई तो कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने धमकी दी थी।डील के तुरंत बाद ही अमेरिका ने प्रतिबंधों की धमकी का ऐलान किया था। अमेरिका ने कहा था कि ईरान के साथ कुछ सौदों पर विचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधों के जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। हालांकि भारत सरकार ने इस दरकिनार कर दिया था। अब मंगलवार को आए आम बजट में भी इसको लेकर कुछ ऐलान किए गए। सरकार ने बजट में चाबहार पोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने लैंडलॉक्ड अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह समझौता किया। इसके जरिए चीन को दरकिनार किया जाएगा। साथ ही पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को भी इग्नोर कर अफगानिस्तान पर भी प्रभाव डाला जाएगा। ऐसे में चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी अहम है। यही वजह है कि चाबहार बंदरगाह के लिए लगातार चौथे वर्ष भारत ने 100 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह दिखाता है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत इस प्रोजेक्ट में ईरान के साथ है। 

एक बड़ी बाधा ईरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंध हैं। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ओर से ईरान को ब्लैकलिस्ट करना और इलेक्ट्रॉनिक अंतरराष्ट्रीय भुगतान की स्विफ्ट प्रणाली तक ईरान की पहुंच की कमी होना शामिल है। ईरान डॉलर में लेन-देन नहीं कर सकता है। लेकिन सिर्फ यहीं समस्याएं नहीं हैं। बल्कि लॉजिस्टिक से जुड़ी बाधाएं भी हैं। ईरान ने दो रेलवे लाइनों को पूरा करने में देरी की है।

13 मई को भारत और ईरान के बीच एक डील हुई थी। इसके तहत भारत ने ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया था। अब पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था।

चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। यह बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है। अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा। इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है।

मोंगला पोर्ट पर भारत ने चीन को दी जोरदार “पटखनी”, कितनी अहम है ये कामयाबी?

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ईरान के चाबहार और म्यांमार में सित्तवे के लिए सफल समझौतों के बाद, भारत बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह पर एक टर्मिनल संचालित करने के लिए तैयार है। भारत ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के एक टर्मिनल पर संचालन का अधिकार हासिल कर लिया है। यह भारत द्वारा तीसरा विदेशी बंदरगाह संचालन होगा क्योंकि नई दिल्ली बंदरगाहों और शिपिंग क्षेत्र में अपने वाणिज्यिक हितों का विस्तार करने के लिए विदेश में जाने में संकोच को तेजी से दूर कर रहा है। हालांकि, मोंगला पोर्ट के सौदे का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टर्मिनल का संचालन इंडिया बंदरगाह ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के द्वारा किया जाएगा।

हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश

हिंद महासागर और बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच विश्लेषक इसे भारत की रणनीतिक जीत बता रहे हैं। चीन भी इस बंदरगाह पर अपनी नजर बनाए हुए था। भारत की इस डील को हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मोंगला पोर्ट के संचालन से भारत अपने पड़ोसी चीन की बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में और सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में बंदरगाहों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन जिबूती में 652 करोड़ और पाकिस्तान के ग्वादर में 1.3 लाख करोड़ की मदद से बंदरगाह बना रहा है।

भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से भी अहम

मोंगला बंदरगाह डील भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम है। इस बंदरगाह के जरिए भारत को उत्तर-पूर्व के राज्यों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे चिकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरीडोर पर दबाव कम होगा। मोंगला बंदरगाह पर भारत की पहुंच इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चटगांव के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है।

बता दें कि भारत ने हाल के दिनों में वैश्विक समुद्री दौड़ में चीन का मुकाबला करने के लिए विदेशी बंदरगाहों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। कंटेनर ट्रैफिक के मामले में टॉप 10 बंदरगाह में भारत का एक भी बंदरगाह शामिल नहीं हैं। जबकि टॉप 10 में चीन के 6 बंदरगाह शामिल हैं। वहीं, चीन अब तक 63 से ज्यादा देशों के 100 से ज्यादा बंदरगाहों में निवेश कर चुका है। मोंगला बंदरगाह का संचालन, हिंद महासागर में भारत की बंदरगाह संचालन की क्षमताओं को दिखाने का अच्छा मौका है।

मोंगला बंदरगाह सौदा पिछले महीने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद हुआ है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों देशों ने समुद्री क्षेत्र सहित कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत के बाद हसीना चीन की यात्रा पर गई थीं, लेकिन दौरे के बीच में ही लौट आई थीं। इसके ठीक बाद उन्होंने तीस्ता प्रोजेक्ट भारत को देने की घोषणा की थी।

संसद में किसानों से मिले राहुल गांधी, बोले- एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए सरकार पर डालेंगे दबाव

#rahul_gandhi_meets_farmer_leaders_in_parliament

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आज संसद में किसान नेताओं से मुलाकात की। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले 12 किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल संसद में राहुल से मिलने पहुंचा और अपनी मांगों का एक पत्र सौंपा।बैठक के बाद राहुल ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे।

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान नेताओं को संसद में अपने कार्यालय में मिलने के लिए बुलाया था। मगर बवाल तब हो गया, जब किसानों को संसद के अंदर नहीं आने दिया। हालांकि, हंगामे और विरोध के बाद किसान नेताओं के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा प्रतिपक्ष नेता से मुलाकात की।

किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के तत्वावधान में देशभर से आए 12 किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से मुलाकात की। किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी के सामने प्राइवेट मेंबर्स बिल (निजी सदस्य विधेयक) लाने की बात रखी है। 

किसान नेताओं से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, 'हमने अपने घोषणापत्र में कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी का जिक्र किया है। हमने आकलन किया है और इसे लागू किया जा सकता है। हमने अभी एक बैठक की, जिसमें तय किया गया कि हम विपक्षी गठबंधन के दूसरे नेताओं से बात करेंगे और सरकार पर दबाव डालेंगे कि देश के किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए।'

क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?

यह एक विधेयक है, जिसे संसद में मंत्री के बदले लोकसभा के सांसद पेश करते हैं। मंत्री जो विधेयक पेश करते हैं, उसे सरकारी विधेयक कहा जाता है। वहीं सांसद द्वारा पेश करने की वजह से इसे निजी विधेयक कहा जाता है। निजी विधेयक राज्यसभा या लोकसभा किसी में भी पेश किया जा सकता है। सदन में स्पीकर और सभापति के विचार करने के बाद इस पर बहस कराई जाती है. बहस के बाद जरूरत पड़ने पर वोटिंग भी कराई जाती है। देश के इतिहास में अब तक 14 निजी विधेयक कानून बन गए हैं। इनमें लोकसभा की कार्यवाही और सांसदों के वेतन भत्ते से जुड़े निजी विधेयक महत्वपूर्ण हैं. आखिरी बार 2021 में राज्यसभा में संविधान के प्रस्तावना में संशोधन को लेकर एक प्राइवेट मेंबर बिल सुर्खियों में आया था।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण पर 1225 करोड़ खर्च करेगी सरकार, बजट में किया ऐलान

 दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को वित्त वर्ष 2024-2025 में कुल 1,225.27 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं। ये गत वर्ष के संशोधित अनुमान 1,225.01 करोड़ से 0.02 प्रतिशत की मामूली वृद्धि है। बजट में विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रमुख कार्यक्रमों को जारी रखने और विस्तार देने पर जोर दिया गया है।

बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को समर्पित है, जिसमें इस वित्तीय वर्ष के लिए 615.33 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के संशोधित बजट में 502 करोड़ से अधिक है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 1,225.27 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 1,225.01 करोड़ से 0.02 प्रतिशत की मामूली वृद्धि है। इस कार्यक्रम में दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक उपकरण खरीदने/फिट करने के लिए सहायता हेतु 315 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो पहले 305 करोड़ रुपये था। दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 130 करोड़ रुपये से बढ़कर 165.00 करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अतिरिक्त, दिव्यांगजन अधिनियम के कार्यान्वयन की योजना के लिए 135 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं , जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 67 करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक है। शैक्षिक सहायता सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है, जिसको देखते हुए दिव्यांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के लिए 142.68 करोड़ निर्धारित किए गए हैं।

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स को लेकर आई अच्छी खबर, नासा ने वापसी पर दी यह बड़ी जानकारी

नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर करीब डेढ़ महीने से अतंरिक्ष में फंसे हैं। बोइंग स्टारलाइनर में खराबी आने की वजह से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की अभी तक वापस नहीं हो पाई है। अब इस बीच अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अच्छी खबर आई है। नासा और बोइंग के इंजीनियर ने स्टारलाइनर स्पेसशिप के थ्रस्टर के परीक्षण का काम पूरा कर चुके हैं। अंतरिक्ष यान की वापसी की योजना तैयार करने के लिए नासा और बोइंग इन परीक्षणों का इंतजार कर रहे थे। बीते सप्ताह के आखिरी में जारी एक अपडेट में बताया गया है कि 'न्यू मैक्सिको में व्हाइट सैंड्स टेस्ट फैसिलिटी में स्टारलाइनर रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम थ्रस्टर का ग्राउंड परीक्षण पूरा हो चुका है। अब टीम का ध्यान डेटा समीक्षा पर है।

 अंतरिक्ष यान सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पांच जून को लेकर गया था। अंतरिक्ष यात्रियों का यह मिशन सिर्फ आठ दिन का ही था। बोइंग स्टारलाइनर की यह पहली उड़ान थी। पांच जून को सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में बैठकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर गए थे। दोनों को एक सप्ताह तक वहां रहकर काम पूरा करने के बाद लौटना था , लेकिन अंतरिक्ष यान में हीलियम लीक और थ्रस्टर में खराबी के कारण उनकी वापसी को टाल दिया गया। दोनों अंतरिक्ष यात्री बीते डेढ़ महीने से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रुके हुए हैं। इंजीनियर अंतरिक्ष यान में आई खराबी को ठीक करके उसे वापसी के लिए तैयार करने में लगे थे। ताजा जानकारी में बताया गया है कि थ्रस्टर में आई खराबी का निरीक्षण करना था , जिससे टीम यह समझ सके कि उड़ान के दौरान कुछ थ्रस्टरों ने क्यों काम करना बंद कर दिया था। इसके साथ ही यह भी पता लगाना था कि उन थ्रस्टरों को फिर से इस्तेमाल करने पर क्रू फ्लाइट टेस्ट के बाकी हिस्से पर क्या असर हो सकता है? 

थ्रस्टर्स को नियंत्रित करने वाले हीलियम के टैंक अंतरिक्ष यान की लॉन्चिंग से पहले लीक कर रहा था। इसके कारण लॉन्चिंग में देरी हुई थी। बीते महीने अधिकारियों ने बताया था कि अंतरिक्ष यान में 70 घंटे की हीलियम है तो वहीं इसकी वापसी के लिए सिर्फ 07 घंटे की हीलियम की जरूरत है।

इस महीने की शुरुआत में अधिकारियों ने बताया था कि अगर आवश्यकता पड़ती है तो अंतरिक्ष यान अभी लौट सकता है। लेकिन यह भी कहा कि वे ऐसा करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। नासा और बोइंग ने बताया है कि इस महीने के आखिरी में वापसी की उड़ान हो सकती है।

दो की थाली में पकौड़ा और बाकी की थाली खाली है', बजट पर विपक्ष का जोरदार हंगामा

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया था. इस बजट का विरोध करते हुए सड़क से संसद तक विपक्ष आक्रामक है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने संसद की कार्यवाही आरम्भ होने से पहले विरोध-प्रदर्शन किया. संसद की कार्यवाही आरम्भ होने पर विपक्षी सदस्यों ने दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उच्च सदन में बजट की निंदा करते हुए कहा कि 2 की थाली में पकौड़ा तथा बाकी की थाली खाली है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आज जिस प्रकार से हमारी लोकसभा एवं राज्यसभा चल रही है, आप भी जानते हैं. मैं उस बहस में नहीं जाना चाहता. उन्होंने कहा कि कल जो बजट पेश हुआ, दो प्रदेशों को छोड़कर किसी को कुछ नहीं मिला. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने ओडिशा से लेकर दिल्ली तक के नाम गिनाए तथा कहा कि हमको तो उम्मीद थी कि सबसे अधिक हमें ही मिलेगा. हमको तो कुछ नहीं मिला. हम इंडिया ब्लॉक के सांसद इसकी निंदा करते हैं. यह किसी को खुश करने के लिए है.

मल्लिकार्जुन खड़गे जब बोल रहे थे, सदन में उपस्थित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ कहा. इस पर खड़गे ने कहा कि रुक जाइए, माताजी बोलने में एक्सपर्ट हैं. मुझे मालूम है. खड़गे के इतना कहने के बाद आसन पर उपस्थित सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ये तो आपकी बेटी के बराबर हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके पश्चात् बोलना जारी रखा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में विपक्ष के पक्षपातपूर्ण बजट के आरोप पर कहा कि प्रत्येक बजट में आपको इस देश के हर राज्य का नाम लेने का अवसर नहीं प्राप्त होता. कैबिनेट ने महाराष्ट्र के वडावन में बंदरगाह बनाने का फैसला किया था मगर कल बजट में महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया गया. उन्होंने सवाल किया कि क्या इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र उपेक्षित महसूस करे?

निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर भाषण में किसी विशेष राज्य का नाम लिया गया है तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत सरकार के कार्यक्रम बाकी प्रदेशों में नहीं जाते हैं? उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष की तरफ से यह लोगों में इस प्रकार का इम्प्रेशन बनाने की कोशिश है कि हमारे प्रदेश को कुछ नहीं मिला है. यह अपमानजनक आरोप है.

मोदी सरकार में विदेशी निवेशकों को रिझाने की कोशिश, जानें चीन को कैसे झटका लगेगा ?

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केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट घोषणा कर दी है। बजट में सरकार ने विदेशी कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स को कम करने का प्रस्ताव रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान कहा कि देश की जरुरत के हिसाब से विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए विदेशी कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स को 40 फीसदी से घटाकर 35 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा जाता है। सरकार के इस फैसले को स्ट्रैटिजिक तौर पर बड़ा कदम माना जा रहा है। ये फैसला विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करेगा। वहीं भारत को चीन का विकल्प बनने में मदद करेगा।

उम्मीद की जा रही है कि ये बजट सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के टारगेट को हासिल करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए टैक्स कटौती से इस प्रयास में काफी मदद मिल सकती है। यह बजट भारत को ग्लोबल इकोनॉमिक प्लेयर बनने में मदद करेगा, जिसमें एफडीआई को आकर्षित करने पर जोर दिया गया है। खुद को ग्लोबल फैक्ट्री या यूं कहें कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित करके, भारत न केवल अपने लोकल मार्केट्स के लिए उत्पादन करना चाहता है बल्कि दुनिया के लिए भी प्रोडक्शन करना चाहता है।

जब पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशिया पर टिकी हुई है। साथ ही दुनिया की बड़ी कंपनियां चीन का विकल्प तलाश करने में जुटी हुई हैं। ऐसे में भारत अपने आपको दुनिया के सामने चीन का ऑप्शन बताने का प्रयास कर रहा है। सरकार का लक्ष्य अगले सात सालों में सालाना 110 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित करना है, जबकि पिछले पांच वर्षों में यह औसतन 70 अरब डॉलर से अधिक है। बजट में अधिक विदेशी धन आकर्षित करने, प्राथमिकता तय करने और विदेशी निवेश के लिए करेंसी के रूप में भारतीय रुपए का उपयोग करने के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई के लिए रूल्स और रेगुलेशन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।

भारत ने हाल ही में एपल और फॉक्सकॉन से लेकर विनफास्ट और स्टेलेंटिस जैसी कई कंपनियों को भारत में अपनी निवेश घोषणाओं को करने के लिए मजबूर किया है। वहीं दूसरी ओर टेस्ला और दुनिया की बाकी बड़ी कंपनियों को भी रिझाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर इन कंपनियों को भी पता है कि मौजूदा समय में भारत ही चीन का दूसरा सबसे बड़ा विकल्प है। जहां पर आबादी के साथ—साथ खर्च करने की क्षमता भी है। फॉक्सकॉन भारत में निवेश और व्यापार साझेदारी को दोगुना कर रहा है। कंपनी अब चीन से बाहर अपनी सप्लाई चेन को बढ़ाने के बारे में सोच रही है। जिसके लिए कंपनी ने इस साल की शुरुआत में चेन्नई इंडस्ट्रियल पार्क में लगभग 550,000 वर्ग फुट वेयरहाउसिंग की जगह 10 साल के लिए लीज पर ली है। इसे एपल प्रोडक्ट्स के लिए निर्माण के लिए भारत में सबसे बड़ी यूनिट में से एक कहा जा सकता है।

बजट से पहले सोमवार (22 जुलाई) को पेश इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का फायदा उठाने के लिए चीन से एफडीआई को बढ़ाने की बात कही गई थी। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि अमेरिका और यूरोप के देश चीन से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को हटा रहे हैं, लिहाजा चीनी कंपनियों का भारत में निवेश करना और फिर प्रोडक्ट्स का इन बाजारों में निर्यात करना ज्यादा कारगर हो सकता है।