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*जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से बाहर, जानें इस फैसले के पीछे की वजह*
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जो बाइडन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 से अपना नाम वापस ले लिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को घोषणा की है कि वह राष्ट्रपति पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने एक चिट्ठी लिखकर इसका ऐलान किया। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका और पार्टी के हित में उन्होंने यह फैसला लिया है। वो जल्द ही देश को संबोधित करेंगे और अपने इस फैसले के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इसके साथ ही बाइडेन ने राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट की तरफ से कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन भी किया है। बाइडेन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह जनवरी 2025 में अपना कार्यकाल समाप्त होने तक राष्ट्रपति और कमांडर-इन-चीफ के रूप में अपनी भूमिका में बने रहेंगे और इस सप्ताह राष्ट्र को संबोधित करेंगे। बाइडेन ने लिखा, “आपके राष्ट्रपति के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और जबकि मेरा इरादा फिर से चुनाव लड़ने का रहा है, मेरा मानना है कि यह मेरी पार्टी और देश के सर्वोत्तम हित में है कि मैं पद छोड़ दूं और केवल अपने बाकी कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने पर अपना ध्यान केंद्रित करूं। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फिर से चुनावी ताल ठोंकने का ऐलान किया था, लेकिन बढ़ती उम्र, बीमारी और फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बहस में पिछड़ने के बाद उन पर चुनाव से हटने का खासा दबाव था। 990 मिनट तक चली इस बहस के दौरान, राष्ट्रपति बाइडन और ट्रंप ने अर्थव्यवस्था, आव्रजन, विदेश नीति, गर्भपात और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बहस की। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को झूठा और अमेरिका के इतिहास का सबसे खराब राष्ट्रपति कहा। जिसके बाद चुनाव में ट्रंप तेजी से बढ़त बनाते दिख रहे थे। पोल में कहा गया है कि बहस को टीवी पर देखने वाले पंजीकृत 33 प्रतिशत लोगों में से 67 प्रतिशत ने माना कि पहली बहस में ट्रंप, बाइडन पर भारी पड़े। बहस देखने वालों में से 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें बाइडन की देश का नेतृत्व करने की क्षमता पर भरोसा नहीं है, वहीं 44 प्रतिशत ने ट्रंप की क्षमताओं पर शक जाहिर किया था। वहीं, डेमोक्रेट नेताओं की ओर से डाले जा रहे दबाव के बीच राष्ट्रपति जो बाइडन ने आज रविवार को लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया। साथ ही उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन भी किया।
हिंसा के बीच बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाई कोर्ट के 30% आरक्षण के आदेश पर लगाई रोक

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बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण के विरोध में हुई हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के कोटे में कटौती करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को वापस लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच सरकारी नौकरियों में रविवार को आरक्षण घटा दिया। देशभर में अशांति के बीच फैसले से प्रदर्शनकारियों की जीत हुई है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं और शेष सात प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों तथा अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी जाएं। पहले युद्ध लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है। इसे छात्रों के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बड़ा आरक्षण दिया गया था। बांग्लादेश सरकार ने 2018 में सेनानियों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण दिया था। इसका बांग्लादेश के छात्रों ने कड़ा विरोध किया और फैसला वापस ले लिया गया। अब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और हाईकोर्ट ने आरक्षण लागू कर दिया। 

इसके बाद बांग्लादेश के छात्रों में आक्रोश फैल गया। छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए और कहा कि यह आरक्षण प्रणाली गलत है। साथ ही प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों का समर्थन करेगी। इसके बाद देश में अशांति फैल गई और जगह-जगह हिंसा हुई। इसमें 115 लोगों की मौत हो गई। 

मामले को लेकर सु्प्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इसके बाद सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए नौकरी में आरक्षण का कोटा 30 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। जबकि दो फीसदी आरक्षण अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों को मिलेगा। जबकि 93 फीसदी पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे। 

इससे पहले बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा भड़कने के कुछ दिन बाद शनिवार को पुलिस ने पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया और सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की. बांग्लादेश में हिंसा भड़कने से सैकड़ों लोगों की मौत हुई है जबकि हजारों लोग घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारी छात्रों ने देश में पूर्ण बंद लागू करने के प्रयास के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी

भ्रष्टाचार के सरगना हैं शरद पवार' अमित शाह ने राहुल गांधी पर भी बोला हमला, बताया अहंकारी

#sharadpawarmastermindofcorruptionamitshah_attack

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शरद पवार पर जोरदार हमला बोला है। अमित शाह ने पवार को राजनीति के भ्रष्टाचार का सरगना करार दिया है।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह पुणे में भाजपा महाराष्ट्र के प्रदेश अधिवेशन को संबोधित किया। अपने इस संबोधन में पीएम मोदी ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। इसी दौरान आसाह ने एक तरफ शरद पवार को भ्रष्टाचार का सरगना बताया तो दूसरी ओर राहुल गांधी को अहंकारी कहा।

पुणे में भाजपा महाराष्ट्र के प्रदेश अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, “2014 में मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में आपको मराठा आरक्षण मिला और यदि आप मराठा आरक्षण जारी रखना चाहते हैं, तो आपको भाजपा को जिताना होगा!” उन्होंने आगे कहा कि मैं काफी सोच समझकर बोल रहा हूं कि महाराष्ट्र में जब जब भाजपा सरकार आती है, मराठा को रिजर्वेशन प्राप्त होता है और जब-जब शरद पवार की सरकार आती है मराठा रिजर्वेशन गायब हो जाता है।

उद्धव ठाकरे पर भी हमला

शाह ने कहा, “देश में बहुत-सी भ्रांतियां चलाई गईं, लेकिन हमें उनकी (विपक्ष) भ्रांतियों में नहीं आना है। उन्होंने (विपक्ष) कहा कि भाजपा आरक्षण समाप्त कर देगी, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि 10 साल का एक्सटेंशन पीएम मोदी के ही समय मिला और पूर्ण बहुमत होने के बावजूद आरक्षण को बल देने का काम हमारे नेता पीएम मोदी ने किया।” शरद पवार के साथ ही अमित शाह ने उद्धव ठाकरे पर भी हमला बोला और कहा कि वे आज 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन के लिए क्षमादान मांगने वालों के साथ बैठे हैं। उन्होंने कहा कि ‘औरंगजेब फैन क्लब’ भारत की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता।

राहुल गांधी अहंकारी हो गए हैं-शाह

अमित शाह ने कहा, ‘मैंने राजनीतिक जीवन में कई जय-पराजय देखे। परंतु, मैंने यह भी देखा कि कई लोग जीतने के बाद अहंकारी हो जाते हैं। जीतने के बाद अंहकार आने के सैकड़ों उदाहरण आपको दुनियाभर की राजनीति में मिल जाएंगे। लेकिन एक अनूठा उदाहरण राहुल गांधी दुनिया को दे रहे हैं। वो हारने के बाद अहंकारी हो गए हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीटें में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 300 सीटें मिलीं और विपक्षी गठबंधन इंडिया को एकजुट होकर भी 240 सीटें नहीं मिलीं हैं। इस चुनाव में देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के 10 वर्ष के शासन पर मुहर लगाई है।

केरल में 14 साल के लड़के की निपाह से मौत, 4 लोग मेडिकल कॉलेज में एडमिट, राज्य में अलर्ट

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केरल में मलप्पुरम जिले के 14 साल के एक लड़के की निपाह वायरस से रविवार को मौत हो गई। उसका यहां इलाज किया जा रहा था। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने यह जानकारी दी। वीना जॉर्ज ने बताया कि पीड़ित लड़के को सुबह 10.50 बजे दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया, लेकिन सुबह 11.30 बजे उसकी मौत हो गई।मंत्री ने कहा कि उसका अंतिम संस्कार अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुरूप किया जाएगा।निपाह वायरस के संक्रमण का पता लगने के एक दिन बाद रविवार को उसकी मौत हो गई।

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि संक्रमित लड़के को ऑस्ट्रेलिया से मिली मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई थी। प्रोटोकॉल के मुताबिक संक्रमित होने के 5 दिन के अंदर इसे दिया जाता है। इस मामले में संक्रमित लड़के को एंटीबॉडी देने में देर हो गई थी।

वीना जॉर्ज के मुताबिक जिस लड़के की मौत हुई है, उसके पिता और चाचा समेत तीन करीबी रिश्तेदार कोझिकोड के मेडिकल कॉलेज अस्पताल की निगरानी में हैं। जबकि बाकी चार परिचितों को मलप्पुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में रखा गया है। इनमें से एक ICU में है। हाई रिस्क वाले मरीजों में किसी में भी निपाह के लक्षण नहीं हैं।

पुणे स्थित ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ ने उस किशोर में संक्रमण की पुष्टि की थी। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि बच्चे ने 12 मई को एक निजी क्लीनिक में इलाज की मांग की थी। उसे 15 मई को उसी निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उसे पेरिंथलमन्ना के एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया। वहां से उसे कोझिकोड के निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था।

2018 के बाद से 5वीं बार केरल में निपाह का संक्रमण फैला है। इसके बाद 2019, 2021 और 2023 में भी इसके केस मिले थे। इसके लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है। निपाह संक्रमित चमगादड़ों, सूअरों या लोगों के शरीर से निकले लिक्विड के संपर्क में आने से फैलता है। निपाह से संक्रमित लोगों में से 75% मामलों में संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है। निपाह संक्रमण को साल 1998-99 में पहली बार पहचाना गया था। मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में इसके मामलों की पुष्‍टि हुई थी। यहां इस संक्रमण की चपेट में 250 से ज्‍यादा लोग आए थे और इस संक्रमण ने पहली बार में ही कोहराम मचा दिया था। निपाह संक्रमण मलेशिया में कम्‍पंग सुंगाई निपाह नाम की जगह पर पहली बार देखा गया था और इसी वजह से इसका नाम निपाह पड़ा।

पीएम मोदी के 100 मिलियन फॉलोवर्स होने पर एलन मस्क ने दी बधाई, X पर लिखी ये पोस्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सबसे ज़्यादा फ़ॉलो किए जाने वाले विश्व नेता बनकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस उपलब्धि पर टेस्ला के CEO और X के मालिक एलन मस्क ने पीएम मोदी को बधाई दी है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि, "सबसे ज़्यादा फ़ॉलो किए जाने वाले विश्व नेता बनने पर पीएम को बधाई!"

14 जुलाई तक, एक्स पर पीएम मोदी के फ़ॉलोअर्स की संख्या 100 मिलियन तक पहुँच गई, यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जो अब 100.2 मिलियन है। यह उपलब्धि उन्हें अन्य उल्लेखनीय विश्व नेताओं से आगे रखती है, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शामिल हैं, जिनके 38.1 मिलियन फ़ॉलोअर हैं, इतालवी प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी जिनके 2.4 मिलियन फ़ॉलोअर हैं, कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो जिनके 6.5 मिलियन फ़ॉलोअर हैं। ये सभी विश्व नेता लोकप्रियता के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से काफी पीछे हैं।  

भारतीय नेताओं की तुलना में भी पीएम मोदी के फॉलोअर्स की संख्या काफी ज़्यादा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 27.5 मिलियन फॉलोअर्स हैं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 26.4 मिलियन फॉलोअर्स हैं और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के 19.9 मिलियन फॉलोअर्स हैं। अन्य उल्लेखनीय भारतीय नेताओं में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 7.4 मिलियन फॉलोअर्स, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के 6.3 मिलियन फॉलोअर्स और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के 2.9 मिलियन फॉलोअर्स शामिल हैं।

इस उपलब्धि पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "इस जीवंत माध्यम पर आकर खुश हूं और चर्चा, बहस, अंतर्दृष्टि, लोगों के आशीर्वाद, रचनात्मक आलोचना और बहुत कुछ का आनंद लेता हूं। भविष्य में भी इसी तरह के आकर्षक समय की प्रतीक्षा कर रहा हूं।"

भारत को हथियार नहीं देगा तुर्की, लगाया प्रतिबंध ! इस फैसले पर विदेश मंत्रालय ने यह दिया दो टूक जवाब

विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया था कि तुर्की ने भारत को सैन्य निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि "यह गलत सूचना है"। दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तुर्की ने पाकिस्तान से करीबी बढ़ाते हुए भारत को रक्षा निर्यात के मामले में 'पूर्ण प्रतिबंध' लगा दिया है, जिससे भारत के साथ उसके राजनयिक संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं। 

अब भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इन ख़बरों पर जवाब दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, "जहां तक ​​मेरी जानकारी और सूचना का सवाल है, वह खबर ठीक नहीं है। इसलिए मैं आपको यह सुझाव दूंगा कि कृपया इस प्रश्न को तुर्की दूतावास के पास ले जाएं, जो आपको इसका सही उत्तर दे सकता है, क्योंकि यह तुर्की से आया एक पोस्ट है। मेरी समझ से, जहां तक ​​मेरी जानकारी है, यह सबसे अधिक गलत सूचना है।"

बता दें कि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तुर्की सरकार के एक अधिकारी ने अपनी संसद में बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान प्रतिबंध के बारे में खुलासा किया था। कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि तुर्की ने भारत को हथियारों के निर्यात के लिए काली सूची में डाल दिया है। हालाँकि, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में तुर्की और भारत के बीच कूटनीतिक संबंध काफी खराब हो गए हैं। तनावपूर्ण संबंधों के पीछे मुख्य कारण नीतिगत निर्णय, विशेष रूप से भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान को अंकारा का अटूट समर्थन माना जाता है।

तुर्की कई बार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देता रहा है और 'भारत में मुस्लिमों पर जुल्म' वाला एजेंडा भी उसका पसंदीदा रहा है। दुनियाभर में खुद को मुस्लिमों का खलीफा कहने वाला तुर्की अक्सर बहरत पर आरोप लगाता है कि भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, जैसा पाकिस्तान भी करता है और भारत के विपक्षी दल भी अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए यही आरोप लगाते हैं। हालाँकि, गत वर्ष जब तुर्की में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमे 50 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे, तो भारत उसकी मदद करने वाला सबसे पहला देश था। भारत ने राहत बचाव कार्यों के साथ डॉक्टरों की टीम और दवाइयों की खेप भी तुर्की भेजी थी, इस मदद से वहां के लोग काफी भावुक हो गए थे। उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि, हमारे लिए अल्लाह के बाद आप ही हो। हालाँकि, इसके बाद जब संयुक्त राष्ट्र (UN) में कश्मीर का मुद्दा उठा, तो तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। इसलिए ये माना जा सकता है कि तुर्की पाकिस्तान की बातों में आकर भारत पर रक्षा प्रतिबंध लगा भी सकता है।   

हालाँकि, यदि यह प्रतिबंध लगाया भी जाता तो भी भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि उसने पहले ही अंकारा को हथियारों की आपूर्ति बंद कर दी है। इसके अलावा भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है, उसे बाहर से गोला-बारूद या हथियार मंगाने की अब इतनी आवश्यकता ही नहीं है। रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण को साकार करने के भारत के रणनीतिक प्रयासों को देखते हुए, हाल के वर्षों में घरेलू हथियारों और गोला-बारूद का उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में रक्षा उत्पादन 1,08,684 करोड़ रुपये का था। पिछले पांच वर्षों में, या 2019 से 2022 तक, रक्षा विनिर्माण का मूल्य 60% से अधिक बढ़ गया है।

बीते कुछ सालों में भारत का रक्षा निर्यात भी तेज़ी से बढ़ा है, भारत दुनिया के लगभग 90 देशों को हथियार बेचने लगा है, जबकि पहले वो केवल खरीदने वाले देशों में शामिल था। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 15,920 करोड़ रुपये से 32.5% अधिक है। कांग्रेस के 10 वर्षों (2004 से 2014) में जहाँ भारत का रक्षा निर्यात 4300 करोड़ था, वो मोदी सरकार के 10 वर्षों में 88,319 करोड़ रुपये हो गया है। जो दोगुनी-चौगुनी नहीं बल्कि लगभग 21 गुना की जबरदस्त वृद्धि है।

बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला का बाथरूम वीडियो वायरल, मैनेजर के साथ ऑडियो भी वायरल, इंटरनेट पर मच गया हड़कंप

 बॉलीवुड की चकाचौंध से दुनिया में एक बार फिर सनसनी फैल गई है। हाल ही में, अभिनेत्री उर्वशी रौतेला का एक निजी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। इस वीडियो में उर्वशी को बाथरूम में कपड़े बदलते हुए दिखाया गया है।

वीडियो वायरल होने के बाद अब यह सवाल हर किसी के मन में है कि आखिर यह वीडियो असली है या फिर यह किसी फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा है? कुछ लोगों का मानना है कि यह एक सुनियोजित पब्लिसिटी स्टंट है, जबकि कुछ इसे एक गंभीर गोपनीयता उल्लंघन मानते हैं।

वायरल वीडियो में छुपा है बड़ा राज

इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब एक नया वीडियो सामने आया। इस वीडियो में एक व्यक्ति सिनेमा हॉल में उर्वशी का वायरल वीडियो देख रहा है। दिलचस्प बात यह है कि वीडियो के अंत में "घुसपैठिया" फिल्म का नाम दिखाई देता है। यह स्पष्ट रूप से संकेत करता है कि यह वीडियो "घुसपैठिया" फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।

सोशल मीडिया पर बवाल

इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। लोग इस पर तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। कुछ लोग उर्वशी को ट्रोल कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग फिल्म निर्माताओं की इस मार्केटिंग रणनीति की आलोचना कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो में उर्वशी Urvashi Rautela अपने मैनेजर से कहती हैं, ‘क्या आपने वीडियो देखा?’ मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है। ये बातें कैसे सामने आ रही हैं? मुझे तुरंत उनसे बात करनी होगी।’ मैनेजर उसे आश्वस्त करने की कोशिश करता है। वह यह भी कहती हैं कि जब आप भारत आएंगे तो हम इस बारे में बात करेंगे। इस बातचीत को सुनने के बाद नेटिजेंस ने कमेंट किया है कि ये एक पब्लिसिटी स्टंट है। उनका यह कहकर भी मजाक उड़ाया गया है कि ‘यहां भी एक्टिंग अच्छी नहीं है।’ इस पर अभी तक उर्वशी की टीम की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

मानसून सत्र: राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक में विपक्ष से की अपील

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी सांसदों से सदन में किसी साथी सदस्य के बोलने पर हस्तक्षेप करने और बाधा डालने से बचने का आग्रह किया है, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को यह जानकारी दी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपील की कि हम लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और जब कोई सदस्य संसद में बोलता है, तो हमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और बाधा नहीं डालनी चाहिए," रिजिजू ने सर्वदलीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा। "विशेष सत्र में, जब प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण दे रहे थे, तो लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही भाषण बाधित हुआ। राजनाथ सिंह जी ने आज अपील की है कि यह संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। जब प्रधानमंत्री बोल रहे हों, तो सदन और देश को उनकी बात सुननी चाहिए," उन्होंने कहा।

रिजिजू ने मानसून सत्र से पहले अच्छे सुझाव देने के लिए सभी दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया। मंत्री ने कहा, "हमने सभी नेताओं से सुझाव लिए हैं। संसद को सुचारू रूप से चलाना, सरकार और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है।" बैठक में कांग्रेस के जयराम रमेश और के सुरेश, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, राजद के अभय कुशवाहा, जदयू के संजय झा, आप के संजय सिंह, सपा नेता रामगोपाल यादव और राकांपा के प्रफुल्ल पटेल मौजूद थे।

जयराम रमेश ने कहा कि जदयू और वाईएसआरसीपी ने क्रमशः बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा मांगा, लेकिन "अजीब बात है" कि टीडीपी इस मामले पर चुप रही। बीजद नेता सस्मित पात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी ने ओडिशा के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा मांगा है। 

मानसून सत्र हंगामेदार रहने वाला है, क्योंकि एकजुट विपक्ष एनईईटी पेपर लीक मामले और रेलवे सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एनडीए सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। सत्र सोमवार से शुरू होगा और 12 अगस्त तक 19 बैठकें होंगी, जब सरकार छह विधेयक पेश करेगी, जिसमें 90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलने वाला विधेयक भी शामिल है, और जम्मू-कश्मीर के बजट के लिए संसद की मंजूरी भी मिलेगी, जो केंद्रीय शासन के अधीन है।

मोदी सरकार कुछ दिनों की मेहमान', टीएमसी की रैली में अखिलेश का दावा

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पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की शहीद दिवस के मौके पर आयोजित रैली में समाजवादी पार्टी की प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने धर्मतला की रैली में भाग लेते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर दमकर हमला बोला। अखिलेश ने दावा किया कि केन्द्र की एनडीए सरकार जल्द गिरने वाली है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भारत को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश रचने वाली ताकतों को अस्थायी सफलता मिल सकती है, लेकिन अंततः उनकी पराजय होगी। केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लंबे समय तक नहीं टिकेगी, यह जल्द ही गिर जाएगी। अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने अपना विश्वास जनता पर से खो दिया है। अब उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। 

अखिलेश ने कहा कि केंद्र की सत्ता में विभाजनकारी ताकतें बैठी हैं जो देश को बांटकर राज करना चाहती हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे। निकट भविष्य में उन्हें पराजित किया जाएगा। सपा प्रमुख ने आगे कहा कि बंगाल व यूपी के लोगों ने देश को बांटने वाली ताकतों के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी, जो महज कुछ दिनों के लिए सत्ता में मेहमान हैं। अखिलेश यादव इस रैली में लोकसभा चुनाव परिणाम की भी चर्चा करते दिखे। उन्होंने उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदर्शन की चर्चा की। सपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बंगाल की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को बैक फुट पर धकेल दिया है।

सपा प्रमुख ने कहा कि बंगाल ने उन्हें हराया, यूपी भी इस लड़ाई में शामिल हुआ। केंद्र में सत्ता में बैठी यह सरकार, जिसे लोगों की परवाह नहीं है, जल्द ही गिर जाएगी। वे सत्ता के लिए बेताब हैं। हम उन्हें गिरते हुए देखेंगे और जल्द ही हम खुशी के दिन देखेंगे। हम सकारात्मक राजनीति में विश्वास करते हैं। लोगों के जीवन में बदलाव का समय आ गया है। संविधान और देश को बचाने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा।

बता दें कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से शहीद दिवस रैली का आयोजन धर्मतला में किया गया। इसमें तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को भी आमंत्रित किया। ममता बनर्जी इस रैली के जरिए पश्चिम बंगाल में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रही हैं। पश्चिम बंगाल के राजनीतिक मैदान में ममता बनर्जी ने अपनी ताकत का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में किया। अब उनकी तैयारी विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू हो गई है।

बांग्लादेश में हिंसा से बिगड़े हालात, भारत के लिए हो सकती है खतरनाक, बॉर्डर पर जवान अलर्ट पर*
#bangladesh_violence_poses_a_threat_india पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देशभर में उग्र रूप ले चुका है। इस प्रदर्शन में अब तक 150 लोगों की मौत हो गई है जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने देश में देशव्यापी कर्फ्यू को आज दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले यह सुबह 10 बजे तक के लिए तय था। हिंसा के चलते देश के कई शहरों में मोबाइल और इंटरनेट की सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है। इधर, बांग्लादेश में आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टियों जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसी ताकतों के हाथों में चला गया है। जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसी शक्तियां इसके पीछे हैं। ये ताकतें पूरी तरह से पाकिस्तान और चीन समर्थक मानी जाती हैं। ऐसे में इन शक्तियों की बढ़ती ताकत निश्चित रूप से भारत के लिए मुश्किल पैदा करेगी। सेंटर फॉर रिचर्स इन इंडो बांग्लादेश रिलेशंस कोलकाता द्वारा प्रकाशित पुस्तक हिंदू डिक्रेसेंट बांग्लादेश एंड वेस्ट बंगाल के लेखक और बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ बिमल प्रमाणिक कहते हैं कि आंदोलन से पूरी तरह से साफ है कि आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। आरक्षण विरोधी आंदोलन ने हसीना सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया है।उन्होंने कहा कि ऐसे में बांग्लादेश की स्थिति निश्चित रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है. बांग्लादेश से सटे इलाके त्रिपुरा, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और यहां तक झारखंड जैसे राज्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ने के आसार हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के मजबूत होने से भारत की सीमावर्ती इलाकों में कट्टरपंथी ताकतों को बल मिलेगा और अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में भारत सरकार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। पड़ोसी देशों में अशांति के कारण देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती की जा रही है, लेकिन भारत की सीमा पर बीएसएफ पूरी तरह से सतर्क है। हिंसा प्रभावित देश से लोग पलायन कर रहे हैं।यहां से भारी संख्या में लोग अलग-अलग देशों में जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती से सीमा पर बीजीबी जवानों की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में घुसपैठ की आशंका के चलते बीएसएफ भारतीय सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर रही है। बता दें कि साल 2021 में भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 2,951 लोगों को गिरप्तार किया गया था। इनमें 2036 बांग्लादेशी नागरिक थे और 58 रोहिंग्या थे। 2022 में सीमा पर 2,966 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इनमें 1951 बांग्लादेशी और 79 रोहिंग्या थे। 2023 में 2,565 लोगों को अरेस्ट किया गया था, इनमें 1548 बांग्लादेशी और 86 रोहिंग्या थे। इस साल 15 जुलाई तक 1032 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें 693 बांग्लादेशी और 21 रोहिंग्या हैं।