बिहार के इस जिले में मानसून की बेरुखी से किसान त्रस्त, नहर व राजकीय नलकूप से भी नहीं मिल रही सिंचाई की सुविधा
डेस्क : बिहार में एकबार फिर मानसून सुस्त पर गया है। बीते सप्ताह भर से प्रदेश के किसी भी जिले में बारिश नहीं हुई है। वहीं उमश भरी गर्मी ने जीना बेहाल कर रखा है। सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है।
बिहार के गोपालगंज जिले के किसान मानसून की बेरुखी से त्रस्त हैं। पिछले नौ दिनों से बारिश नहीं होने से बिचड़े तैयार रहने के बाद किसान धान की रोपनी नहीं कर रहे हैं। जिले में 1 लाख 10 हजार 400 हेक्टेयर में खरीफ की खेती का लक्ष्य है। इसमें 90 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी होनी है। लेकिन,अब भी 40 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी नहीं हो सकी है। पहले रोपी गई करीब 50 हजार हेक्टेयर धान की फसल झुलस कर बर्बाद हो रही है। ऐसे में आधे से अधिक गांवों में नहर व राजकीय नलकूपों से भी सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
विभाग मुख्य नहर में पानी छोड़ दिया है। लेकिन नहरों की बदतर स्थिति के कारण अब तक अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचा है। सभी वितरणियों व उपवितरणियों में पानी नहीं आने से किसानों को सिंचाई के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नहरों से पानी नदारद
मिली जानकारी के अनुसार अब तक जिले में सौ से अधिक गांवों से गुजरने वाली नहरों में पानी नहीं है। वितरणी व शाखा नहर में सिंचाई के लायक पर्याप्त नहीं है। विशुनपुर , सिधवलिया , कटेया, गोपालगंज, थावे , देवापुर, बतरदेह, सलोना आदि वितरणियों में कम पानी रहने से खेतों की सिंचाई करना मुश्किल बना हुआ है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि नहर में आधा फीट से भी कम पानी बह रहा है। पानी से किसी भी हाल में सिंचाई नहीं होगी।
125 नलकूप हैं बंद
सरकारी स्तर पर भोरे और गोपालगंज सारण नहर प्रमंडल तथा नलकूप से सिंचाई की व्यवस्था की गई है। दोनों व्यवस्था से 42 प्रतिशत सिंचाई का लक्ष्य है। हकीकत यह है कि जिले के 96 सरकारी नलकूप और उद्वह सिंचाई के 29 नलकूप सहित कुल 125 नलकूप बंद हैं। नहरों के पानी का लाभ नहर क्षेत्र के 27 प्रतिशत किसानों को मिल पाता है।
Jul 20 2024, 17:31