Apr 15 2024, 08:31
नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरुप "माँ कालरात्रि" की पूजा की जाती है,यह सवरूप अंधकार को समाप्त करने वाली है
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनि।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
काली काली महाकाली,कालिके परमेश्वरी।
सर्वानंद करें देवि नारायणी नमोस्तुते।।
माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप को "माँ कालरात्रि" नाम से पूजा जाता है। माँ कालरात्रि का वर्ण रात्रि के समान काला है,परन्तु वे अंधकार का नाश करने वाली हैं।माँ के केश बिखरे हुए हैं तथा माँ के कंठ में विद्युत् प्रभा सदृश मुंडमाला है। दुष्टों व राक्षसों का अंत करने वाला माँ दुर्गा का यह रूप देखने में अत्यंत भयंकर है । किंतु शुभ फल प्रदाता है, इसीलिए माँ को ""शुभंकरी"" भी कहा जाता है।
कालरात्रि के ब्रह्माण्ड के समान5 गोल नेत्र हैं। अपनी हर श्वास के साथ माँ की नासिका से अग्नि की ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। अपने चार हाथों में खड्ग, लोहे का अस्त्र, अभयमुद्रा और वरमुद्रा किये हुए माँ अपने वाहन गर्दभ पर सवार हैं।
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है....
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ,ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से साधक शोकमुक्त होता है।माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों की साधना करने वाले जातकों के मध्य अति प्रसिद्ध हैं।
माँ की भक्ति से दुखों-दुष्टों व दुर्बुध्दि का नाश होता है। माँ कालरात्रि की कृपा से शत्रु बाधा तथा ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं। कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयावह है ,किंतु ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं। कालरात्रि की साधना-आराधना से जीवन के पूर्ण कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती माँ काली की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। माँ काली गृहजनित बाधायें सहजता से दूर करती हैं। सांसारिक भय भगवती की कृपा से भक्त के समीप भी नहीं आते हैं। व्यापार संबंधी समस्या तथा ऋण मुक्ति के लिए माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है।
इस दिन साधक को भगवती की अनुकंपा से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। कालरात्रि की पूजा-अर्चना व साधना द्वारा अकाल मृत्यु,भूत-प्रेत बाधा, अग्निभय, शत्रुभय आदि से मुक्ति की प्राप्ति होती है।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता आप सभी को मनोकामनाएं पुरी करे । आपके घर में सुख , शान्ति और समृद्धि प्रदान करे ।
Apr 16 2024, 10:33