दलाई लामा से चीन को क्यों है इतनी चिढ़? ड्रैगन की करतूत जान आप भी रह जाएंगे दंग
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चीन अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। एक बार फिर चीन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को निशाना बनाने की कोशिश की है। पड़ोसी देशों की सीमाओं पर नजर गड़ाए रखना वाला चीन तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को अपना दुश्मन समझता है। दलाई लामा के खिलाफ हमेशा से जहर उगलते आ रहे ड्रैगन ने अब उनकी मौत की कामना की है। दरअसल, चीन तिब्बती मठों में दलाई लामा के खिलाफ आपत्तिजनक बुकलेट बांट रहा है। जिसमें ये कहा गया है कि दलाई लामा की मौत के बाद किसी तरह का धार्मिक अनुष्ठान न हो।
रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) की 9 अप्रैल की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के उत्तर पश्चिम प्रांत के गांसु के मठों में दलाई लामा की मृत्यु से संबंधित पारंपरिक प्रथाओं पर 10 प्रतिबंधों वाला एक मैनुअल वितरित किया गया है। कथित तौर पर मैनुअल में 10 नियमों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनका बौद्ध भिक्षुओं को पालन करना होगा। बुकलेट के जरिए कहा गया है कि दलाई लामा की मौत के बाद बौद्ध भिक्षुओं को तिब्बती आध्यात्मिक नेता और अन्य धार्मिक गतिविधियों और अनुष्ठानों की तस्वीरें जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। तिब्बती बौद्धों ने चीनी अधिकारियों की उस निर्देश के लिए निंदा की है जो दलाई लामा की मृत्यु के बाद आयोजित कुछ धार्मिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है।
चीन ने दलाई लामा की मृत्यु के बाद होने वाले अनुष्ठानों को लेकर फरमान जारी किया है। ये बात काफी ये समझने के लिए चीन दलाई लामा से किस कदर चिढ़ता है? या यूं कहें की चीन एक वृद्ध धार्मिक नेता से खौफ खाता है। अब सवाल ये है कि आखिर कौन हैं दलाई लामा और क्यों चीन उनसे इतना चिढ़ता है?
बता दें कि 14वें दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक नेता है। तिब्बती मान्यता के मुताबिक दलाई लामा एक अवलौकितेश्वर या तिब्बत में जिसे शेनेरेजिंग कहते हैं, वही स्वरूप हैं। दलाई लामा को बोधिसत्व यानी बौद्ध धर्म का संरक्षक माना जाता है। बौद्ध धर्म में बोद्धिसत्व ऐसे लोग होते हैं तो जो मानवता की सेवा के लिए फिर से जन्म लेने का निश्चय लेते हैं। वर्तमान में जो दलाई लामा हैं, उनका असली नाम ल्हामो दोंडुब है। उनका जन्म नार्थ तिब्बत के आमदो स्थित एक गांव जिसे तकछेर कहते हैं, वहां पर छह जुलाई 1935 को हुआ था। ल्हामो दोंडुब की उम्र जब सिर्फ 2 साल थी तो उसी समय उन्हें 13वें दलाई लामा, थुबतेन ग्यात्सो का अवतार मान लिया गया था। इसके साथ ही उन्हें 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया गया।
चीन तिब्बत पर अपना दावा पेश करता है। चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। वह सोचता है कि दलाई लामा उसके लिए समस्या हैं। 1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया। साल 1954 में दलाई लामा ने चीन के राष्ट्रपति माओ त्से तुंग और दूसरे चीनी नेताओं के साथ शांति वार्ता के लिए बीजिंग गए। इस ग्रुप में चीन के प्रभावी नेता डेंग जियोपिंग और चाउ एन लाइ भी शामिल थे। साल 1959 में चीन की सेना ने ल्हासा में तिब्बत के लिए जारी संघर्ष को कुचल दिया। तब से ही दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित जिंदगी बिता रहे हैं।
चीन को भारत में दलाई लामा को शरण मिलना अच्छा नहीं लगा। तब चीन में माओत्से तुंग का शासन था। दलाई लामा और चीन के कम्युनिस्ट शासन के बीच तनाव बढ़ता गया। दलाई लामा को दुनिया भर से सहानुभूति मिली लेकिन अब तक वह निर्वासन की ही ज़िंदगी जी रहे हैं।
Apr 12 2024, 12:55