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अभी तिहाड़ जेल में ही रहेंगे अरविंद केजरीवाल, दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, गिरफ्तारी को बताया सही*
#delhi_liquor_scam_case_high_court_decision_on_plea_against_arvind_kejriwal_arrest दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से राहत नहीं मिली है। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि याचिका जमानत के लिए नहीं है। याचिका में याचिकाकर्ता ने हिरासत को गलत बताया है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल के खिलाफ ईडी के आरोपों को अदालत ने दोहराया। कोर्ट ने कहा की ईडी ने जो तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं उससे लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता भी लग रही है।ईडी ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल व्यक्तिगत और ‘आप’ संयोजक दोनों तौर पर शराब घोटाले की साजिश में शामिल थे। अदालत ने कहा कि मैंने अपने फैसले में पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों और सीआरपीसी के तहत 164 के दर्ज अप्रूवर के बयानों में अंतर बताया है। स्वर्ण कांता शर्मा ने यह भी कहा कि केजरीवाल गवाह के बयानों को खारिज नहीं कर सकते है, लेकिन उसे क्रॉस एग्जामिन जरूर कर सकते हैं। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि ईडी ने पर्याप्त सुबूत के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया है। बहस के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक ने अपनी गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया था। केजरीवाल ने कोर्ट में दावा किया था कि बीजेपी उन्हें जेल में डालकर चुनाव को फिक्सड मैच की तरह खेलना चाहती है। जिसपर जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि कोर्ट नहीं मानता कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार रोकने के लिए गिरफ्तार किया गया है। कानून सीएम और आम आदमी के लिए बराबर हैं।अदालत ने कहा कि कानून पर किसी सरकार का और न ही किसी जांच एजेंसी का नियंत्रण होता है।
क्या संजय दत्त रखेंगे राजनीति में कदम! इस पार्टी से लड़ने वाले हैं लोकसभा चुनाव, जानिए, क्या है सच्चाई

लोकसभा चुनाव में कई नए चेहरे देखने को मिल रहे है. राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव में बॉलीवुड कलाकारों से लेकर स्पोर्ट्स मेन तक सभी को टिकट दिया है. बता दें कि, इस लिस्ट में कंगना रनौत और अरुण गोविल जैस बड़े एक्टर्स शामिल हैं. इसी लिस्ट में संजय दत्त का नाम भी जुड़ने की बात कही जा रही थी. ऐसी खबरें थीं कि वो कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं. पर ऐसा नहीं हो रहा है. संजय दत्त ने इन सभी बातों को अफवाह करार दिया है. उनके अनुसार वो राजनीति में नहीं आ रहे हैं. उनकी कोई इच्छा होगी, तो खुद इसका अनाउंसमेंट करेंगे. संजय दत्त ने X पर पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी. उन्होंने लिखा, मैं अपने राजनीति में शामिल होने की सभी अफवाहों पर ब्रेक लगाना चाहता हूं. मैं किसी पार्टी में शामिल नहीं हो रहा हूं, न ही चुनाव लड़ रहा हूं. अगर मुझे पॉलिटिकल फील्ड में उतरना होगा, तो इसकी घोषणा करने वाला मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा. इसलिए मेरे बारे में अभी तक जो भी खबरें चल रही हैं, उन पर कतई भरोसा न करें. गौरतलब है कि, संजय दत्त 2009 में भी समाजवादी पार्टी का हिस्सा थे. पर उन्हें लग रहा था कि वो कुछ खास कर नहीं पा रहे, इसलिए जनरल सेक्रेटरी के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
अरुणचल भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा..', चीन को पीएम मोदी ने दिया दो टूक जवाब

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर चीन के क्षेत्रीय दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। एक इंटरव्यू में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने के संबंध में, पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से जोर दिया, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा"। इन क्षेत्रों पर अपना दावा जताने के लिए "अरुणाचल प्रदेश में कई क्षेत्रों का नाम बदलने" के लिए चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। साक्षात्कार के दौरान, पीएम मोदी से चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने और भारत सरकार द्वारा राज्य की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया था। "क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है?" के संदेह को खारिज करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि अरुणाचल की क्षेत्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के बारे में किसी भारतीय को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है, प्रधान मंत्री ने कहा, “आज, विकास कार्य अरुणाचल और पूर्वोत्तर तक सूरज की पहली किरण की तरह, पहले से कहीं अधिक तेजी से पहुंच रहे हैं।”
अरुणचल भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा..', चीन को पीएम मोदी ने दिया दो टूक जवाब

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर चीन के क्षेत्रीय दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। एक इंटरव्यू में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने के संबंध में, पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से जोर दिया, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा"। इन क्षेत्रों पर अपना दावा जताने के लिए "अरुणाचल प्रदेश में कई क्षेत्रों का नाम बदलने" के लिए चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। साक्षात्कार के दौरान, पीएम मोदी से चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करने और भारत सरकार द्वारा राज्य की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया था। "क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है?" के संदेह को खारिज करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि अरुणाचल की क्षेत्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के बारे में किसी भारतीय को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है, प्रधान मंत्री ने कहा, “आज, विकास कार्य अरुणाचल और पूर्वोत्तर तक सूरज की पहली किरण की तरह, पहले से कहीं अधिक तेजी से पहुंच रहे हैं।”
मुख्य चुनाव आयुक्त को दी गई 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा, आईबी की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने लिया फैससा*
#chief_election_commissioner_rajeev_kumar_got_z_category_security लोकसभा चुनाव से पहले गृह मंत्रालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की सुरक्षा को बढ़ाने का फैसला लिया है। गृह मंत्रालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त को 'जेड'श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। म‍िन‍िस्‍ट्री ने यह सुरक्षा आईबी की रिपोर्ट के आधार पर दी है।दरअसल, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियां का चुनाव आयोग के दफ्तर में हंगामा हुआ था। ज‍िसके बाद आईबी की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट आई थी। इस आधार पर होम म‍िन‍िस्‍ट्री ने चीफ इलेक्‍शन कम‍िश्‍नर पर सुरक्षा दी है। यह कदम लोकसभा चुनाव के शुरू होने से पहले उठाया गया है। दरअसल, देशभर में सात चरणों में 19 अप्रैल से मतदान शुरू होगा। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की ओर तैयार की गई रिपोर्ट में सीईसी को खतरा बताया गया और रिपोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए कड़ी सुरक्षा की सिफारिश की गई थी। अब सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद देशभर में यात्रा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा घेरे में रहेंगे। *क्या होती है 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा* मुख्य चुनाव आयुक्त को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा दी है। 'जेड'+ के बाद सबसे सुरक्षित सिक्योरिटी में 'जेड' सुरक्षा का नाम आता है। ये 'जेड'+ से थोड़ी अलग है। इसमें संबंधित व्यक्ति के आसपास 6 से 6 एनएसजी कमांडो और पुलिस कर्मियों समेत 22 जवान तैनात रहते हैं। ये सुरक्षा दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दी जाती है। भारत में बाबा रामदेव समेत कई अभिनेताओं और नेताओं के पास है।
*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।
*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।
*महाराष्ट्र में एमवीए में हुआ सीटों का बंटवारा, कांग्रेस को मिली 17 सीटें, जानें शरद पवार और उद्धव ठाकरे को क्या मिला*
#seat_sharing_in_mva_maharashtra
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया है। तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। हालांकि अब तस्वीर साफ हो गई है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। इनमें से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) 21, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) 10 और कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। सीट शेयरिंग फॉर्मूले की घोषणा के लिए एमवीए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एससीपी) के प्रमुख शरद पवार समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। राकांपा (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने हफ्तों की बातचीत के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले का एलान किया। *कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी* कांग्रेस नंदरबार, धुले, अकोला, अमरावती, नागपुर, बांद्र, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, नांदेड़, जलना, मुंबई नॉर्थ सेंट्रल, पुणे, लातूर, सोलापुर,कोल्हापुर और नॉर्थ मुंबई से लड़ेगी। *शरद पवार की एनसीपी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी* शरद पवार की पार्टी बारामती, शिरपुर, सतारा, भिवंडी, वर्धा, अहमदनगर दक्षिण, भीड़, मधा, डिंडौरी, रावेर सीट पर लड़ेगी। *उद्धव ठाकरे की शिवसेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी* उद्धव ठाकरे का दल जलगांव, परभणी, नासिक, पालघर, कल्याण, ठाणे, रायगढ़, मवाल, धाराशिव, रत्नागिरी, बुलढाणा, शिरडी, संभाजीनगर, सांगली, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ ईस्ट, मुंबई साउथ सेंट्रल, यवतमाल, हिंगोली और हातकणंगले सीटों पर लड़ेगा। बता दें कि तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। कांग्रेस ने सांगली और भिवंडी सीटों पर अपना दावा छोड़ दिया है। अब सांगली से शिवसेना (यूबीटी) और भिवंडी से एनसीपी (शरद गुट) चुनाव लड़ेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 26 और एनसीपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उस समय शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था। उद्धव ठाकरे 2019 में जीती गई सीटों पर दावा कर चुके थे। पांच साल में शिवसेना और एनसीपी में बगावत के बाद बंटवारा हो गया। इसके बाद कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के बीच नए सिरे से सीटों पर तालमेल पर चर्चा हुई। शिवसेना पहले 27 सीटों पर अड़ी थी, बाद में वह 23 लोकसभा सीटों पर दावा करने लगी। अंत में उसने एकतरफा 21 सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिए थे। प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ऊहापोह के बीच एमवीए से बाहर चली गई और 9 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए। अब कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के कई नेता इससे नाराज होकर पार्टी से अलग हो चुके हैं।
महाराष्ट्र में एमवीए में हुआ सीटों का बंटवारा, कांग्रेस को मिली 17 सीटें, जानें शरद पवार और उद्धव ठाकरे को क्या मिला

#seatsharinginmvamaharashtra

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया है। तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। हालांकि अब तस्वीर साफ हो गई है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। इनमें से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) 21, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) 10 और कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

सीट शेयरिंग फॉर्मूले की घोषणा के लिए एमवीए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एससीपी) के प्रमुख शरद पवार समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। राकांपा (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने हफ्तों की बातचीत के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले का एलान किया।

कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

कांग्रेस नंदरबार, धुले, अकोला, अमरावती, नागपुर, बांद्र, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, नांदेड़, जलना, मुंबई नॉर्थ सेंट्रल, पुणे, लातूर, सोलापुर,कोल्हापुर और नॉर्थ मुंबई से लड़ेगी।

शरद पवार की एनसीपी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

शरद पवार की पार्टी बारामती, शिरपुर, सतारा, भिवंडी, वर्धा, अहमदनगर दक्षिण, भीड़, मधा, डिंडौरी, रावेर सीट पर लड़ेगी।

उद्धव ठाकरे की शिवसेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

उद्धव ठाकरे का दल जलगांव, परभणी, नासिक, पालघर, कल्याण, ठाणे, रायगढ़, मवाल, धाराशिव, रत्नागिरी, बुलढाणा, शिरडी, संभाजीनगर, सांगली, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ ईस्ट, मुंबई साउथ सेंट्रल, यवतमाल, हिंगोली और हातकणंगले सीटों पर लड़ेगा।

बता दें कि तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। कांग्रेस ने सांगली और भिवंडी सीटों पर अपना दावा छोड़ दिया है। अब सांगली से शिवसेना (यूबीटी) और भिवंडी से एनसीपी (शरद गुट) चुनाव लड़ेगी।

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 26 और एनसीपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उस समय शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था। उद्धव ठाकरे 2019 में जीती गई सीटों पर दावा कर चुके थे। पांच साल में शिवसेना और एनसीपी में बगावत के बाद बंटवारा हो गया। इसके बाद कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के बीच नए सिरे से सीटों पर तालमेल पर चर्चा हुई। शिवसेना पहले 27 सीटों पर अड़ी थी, बाद में वह 23 लोकसभा सीटों पर दावा करने लगी। अंत में उसने एकतरफा 21 सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिए थे। प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ऊहापोह के बीच एमवीए से बाहर चली गई और 9 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए। अब कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के कई नेता इससे नाराज होकर पार्टी से अलग हो चुके हैं।

पाकिस्तान में 'टारगेट किलिंग' में भारत की भूमिका पर अमेरिका को दो टूक, कहा-हम बीच में नहीं आने वाले

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ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तान में ‘टारगेट किलिंग’ के पीछे भारत का हाथ है। 'द गार्जियन' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने भी आरोपों को दोहराया है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारतीय एजेंट्स ने उसके देश में दो नागरिकों की हत्या की है। इसे लेकर अब अमेरिका की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अमेरिका ने इन आरोपों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।इसके अलावा अमेरिका ने कहा कि दोनों पक्षों को तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए।

भारत पर पाकिस्तान में टारगेट किलिंग के आरोपों पर जब मीडिया ने अमेरिका से उसका पक्ष जानना चाहा तो विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, हम इस मुद्दे को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स का अनुसरण कर रहे हैं। इन आरोपों पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन निश्चित रूप से, हम इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं कि वो तनाव से बचें और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजें।

वहीं, जब मिलर से राजनाथ सिंह की ओर से घर में घुसकर मारने वाले बयान पर सवाल पूछा गया था, जिस पर उन्होंने बातचीत के जरिए समाधान निकालने को कहा। बता दें कि'द गार्जियन' की रिपोर्ट पर भारतीय रक्षामंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर आतंकी भारत से भागकर पाकिस्तान में भी जाता है तो हम घर में घुसकर मारेंगे।

दरअसल, ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने हाल ही एक खबर छापी थी। इसमें बताया गया कि साल 2021 से लेकर साल 2024 के बीच 20 आतंकवादियों को पाकिस्तान में घुसकर भारत ने मारा है। इस रिपोर्ट में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ पर इन हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। ब्रिटिश अखबार ने दावा किया कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का इसके पीछे हाथ है। साथ ही कहा कि यह पूरा काम प्रधानमंत्री ऑफिस से हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके ऑर्डर दे रहे हैं क्योंकि रॉ का कंट्रोल उन्ही के पास होता है। सरकार उन दुश्मनों का विदेशों में खात्मा कर रही है जो भारत के लिए खतरा है। 2019 के बाद से यह सिलसिला जारी है।

द गार्जियन की रिपोर्ट के पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी भारत पर आरोप लगाया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सियालकोट में शाहिद लतीफ और रियालकोट में मोहम्मद रियाज की हत्याएं भारतीय एजेंट्स योगेश कुमार और अशोक कुमार के द्वारा की गई। अभी तक पाकिस्तान में हुई हत्याओं में साफतौर पर आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है, इन हत्याओं में अज्ञात हमलावरों पर ही आरोप लग रहे हैं। लेकिन इन अज्ञात हमलावरों का पाकिस्तान के आतंकियों में इस कदर खौफ है कि कोई भी आंतकी सामने नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के सभी आंतकी इस समय अंडरग्राउंड हो गए हैं।