आदि शक्ति के दर्शन मात्र से भर जाती है गोद
नितेश श्रीवास्तव,भदोही। नगर के पूर्वी छोर पर स्थित प्राचीन एवं भव्य घोपइला देवी मंदिर का अपना धार्मिक, पौराणिक एवं एतिहासिक महत्व रखता है। इस मंदिर का आस-पास के क्षेत्र में धार्मिक महात्म्य है। लोगों की आस्था और श्रद्धा के प्रतीक इस मंदिर में शारदीय और वासंतिक नवरात्र तथा सावन के अलावा पूरे वर्ष भी लोगों के दर्शन- पूजन का सिलसिला चलता रहता है।खुद में ऐतिहासिकता, पौराणिकता और धार्मिकता समेटे इस मंदिर का महात्म्य कुछ अलग ही है।
राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत सेवानिवृत्त शिक्षक डा. राजकुमार पाठक बताते हैं कि पुरानी बाजार निवासी मुंशी दीप नारायण श्रीवास्तव को कोई संतान नहीं थे। काफी दिनों तक संतान को लेकर परेशान रहे। इसी बीच किसी महात्मा ने उन्हें तालाब और मां दुर्गा का मंदिर बनवाने के लिए सलाह दे दिया। बताया कि मुंशी दीप नारायण द्वारा सर्वप्रथम 1913 में तालाब की खुदाई शुरू कराया। इसी के साथ ही भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया। 1924 में आदि शक्ति का मंदिर बनकर तैयार हो गया। इसके पश्चात मां दुर्गा के आशीर्वाद से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जिनका नाम भी उन्होंने दुर्गा प्रसाद रखा था। इसके बाद से ही घोपइला देवी मंदिर का महात्म्य दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है।मान्यता है कि मां घोपइला देवी के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
मंदिर के अंदर विराजमान मातारानी का जो भी सच्चे मन से दर्शन कर लेता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। अब तक जो भी महिलाएं मातारानी की आराधना की हैं उनकी खाली गोद भर गई तो आंगन में किलकारियां गूंजने लगी।
Apr 06 2024, 14:58