स्वदेशी स्पेस शटल “पुष्पक” विमान की सफलतापूर्वक लैंडिंग, कर्नाटक के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से भरी उड़ान
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आपने रावण के पुष्पक विमान के बारे में तो सुना ही होगा। इन दिनों देश में पुष्पक विमान की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। त्रेता युग के बाद अब 21वीं सदी में फिर से पुष्पक विमान आसमान में उड़ान भरने के लिए तैयार है। दरअसल, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने स्वदेशी स्पेस शटल की सफलतापूर्व लैंडिंग कराई। इस स्वदेशी स्पेस शटल का नाम पुष्पक विमान रखा गया है। इसे कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में सुबह करीब 7.10 बजे हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया।
लॉन्चिंग के बाद विमान ने सफल लैंडिंग भी की। इसरो ने आज सुबह 7 बजे कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में आयोजित इस परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया। आरएलवी लेक्स-02 लैंडिंग प्रयोग के माध्यम से लॉन्च कर, री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल यानी आरएलवी के क्षेत्र में इसरो की ये एक बड़ी कामयाबी हासिल की है।
इस परीक्षण के जरिए इसरो ने री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल की ऑटोनोमस लैंडिक की क्षमता का प्रदर्शन किया। पंखों वाले इस व्हीकल को अधिक कठिन युद्धाभ्यास करने, क्रॉस रें और डाउनरेंज दोनों को सही करने और पूरी तरह से ऑटोनोमस मोड में रनवे पर उतरने के लिए तैयार किया गया है।
स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने की भारत की कोशिश- इसरो चीफ
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चीफ एस सोमनाथ ने कहा, पुष्पक लॉन्च व्हीकल स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने का भारत की एक साहसिक कोशिश है. ये भारत का फ्यूचरिस्टिक री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल है। इसका सबसे ऊपरी हिस्सा सबसे महंगा है, इसी में महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं। इस वजह से ये स्पेस शटल उड़ान भरने के बाद सुरक्षित रूप से धरती पर वापस आ सकता है। बाद में ये इन-ऑर्बिट सैटेलाइट और रिट्राइबिंग सैटेलाइट में री-फ्यूलिंग का काम भी कर सकता है।" ISRO चीफ ने कहा कि भारत स्पेस में मलबे को कम करना चाहता है। पुष्पक विमान उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।"
पुष्पक विमान की खास बातें
-पुष्पक RLV एक स्वदेशी स्पेस शटल है, कुछ साल में हमारे एस्ट्रोनॉट्स इसके बड़े वर्जन में कार्गो डालकर अंतरिक्ष तक पहुंचा सकते हैं।
-इसके जरिए सैटेलाइट भी लॉन्च किए जा सकते हैं। यह सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़कर वापस आएगा, ताकि फिर से उड़ान भर सके।
-इसके जरिए किसी भी देश के ऊपर जासूसी करवा सकते हैं। यहां तक की हमले भी किए जा सकते हैं।
-ये अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता हैं।
-यह एक ऑटोमेटेड रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल है।ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) चला सकते हैं।
-पुष्पक विमान की लंबाई 6.5 मीटर है और इसका वजन 1.75 टन हैइसे इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से उड़ाया जाएगा।
-इसके छोटे थ्रस्टर्स व्हीकल को ठीक उसी लोकेशन पर जाने में मदद करेंगे, जहां उसे लैंड करना है।
-सरकार ने इस प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपये से अधिक का इंवेस्टमेंट किया है, जो एक मील का पत्थर है।क्योंकि देश 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
Mar 22 2024, 19:53