रंगभरी एकादशी पर बड़े शिव धाम पर होंगे विविध आयोजन
नितेश श्रीवास्तव,भदोही। सनातन परंपरा में होली से कुछ दिनों पहले पड़ने वाली आमलकी या फिर रंगभरी एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है. भले ही एकादशी को भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए जाना जाता हो लेकिन फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष को पड़ने वाली एकादशी तिथि हरि और हर दोनों की पूजा के लिए जानती जाती है।
यह साल की एकमात्र एकादशी है जिसमें विशेष रूप से शिव साधना की जाती है. यही कारण है कि रंगभरी एकादशी के दिन बड़ी संख्या में भोले के भक्त बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी पहुंचते हैं और माता गौरी और महादेव के संग होली खेलते हैं। लोक आस्था के अनुसार, भगवान शिव का जब विवाह माता पार्वती से हो गया तो वे फाल्गुन शुक्ल एकादशी को देवी गौरी का गौना कराकर पहली बार अपनी नगरी काशी आए थे।
उस दौरान उनके भक्तों ने शिव और शक्ति का रंग-गुलाल से स्वागत किया. तब से ही हर साल फाल्गुन शुक्ल एकादशी को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है।
काशी में भगवान शिव मां गौरी के साथ पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव और गौरी की विशेष पूजा होती है. रंगभरी एकादशी के दिन आमलकी एकादशी भी मनाते हैं. उसमें भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं।फाल्गुन माह एकादशी पर 20 मार्च बुधवार को बाबा बड़े शिव धाम ,तिलेश्वरनाथ धाम सहित नगर और ग्रामीण क्षेत्र मे स्थित प्रमुख शिव मंदिर और शिवालय में भव्य श्रृंगार किया जाएगाlरंग बिरंगे सुगंधित पुष्पों विद्युत झालरों से आकर्षक सजावट की जाएगीlइसकी तैयारी शुरु कर दी गई हैl बाबा बड़े शिव धाम मे सायंकाल 06 बजे से रंगभरी एकादशी महोत्सव का आयोजन किया गया है ,महापर्व पर बाबा बड़े शिव का परम पावन दिव्य स्वरुप का श्रृंगार होने जा रहा हैlइस दिन पूरे मंदिर परिसर को विद्युत झालरों से सजाया जाएगा और आकर्षक रंग बिरंगे सुगंधित पुष्पों से श्रृंगार होगा।
अबीर गुलाल के द्वारा भक्ति मय माहौल पूर्ण रुप से होलीमय हो जाएगाl मान्यता है कि इस दिन बाबा को अबीर गुलाल लगाने के बाद से ही होली की शुरुआत हो जाती है,बाबा बड़े शिव की महा आरती रात्रि 8:00 बजे उतारी जाएंगी l
Mar 18 2024, 18:04