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लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की दूसरी सूची जारी, गडकरी को नागपुर, तो करनाल से मनोहर लाल लड़ेंगे चुनाव

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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है।सूची में 10 राज्यों के 72 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल से टिकट मिला है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर से चुनाव लड़ेंगे। दो दिन पहले भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन नामों पर मंथन किया गया था। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि भाजपा कभी भी दूसरी सूची जारी कर सकती है। इससे पहले पार्टी 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर चुकी है।

दूसरी सूची में बीजेपी ने दिल्ली की बची हुई दो सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पश्चिम दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया को टिकट दिया गया है। वहीं, दादर नगर हवेली से कलाबेन देलकर को टिकट मिला है।भाजपा की दूरी सूची में त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार से टिकट दिया गया है। तेजस्वी सूर्या को बेंग्लौर साउथ से मैदान में उतारा गया है। बीड़ से पंकजा मुंडे, गढ़वाल से अनिल बलूनी, त्रिपुरा से प्रीती सिंह देव वर्मा, अंबाला से बंतो कटारिया, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है।

इससे पहले बीजेपी ने 2 मार्च को 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी।पहली सूची में प्रधानमंत्री मोदी (वाराणसी), शाह (गांधीनगर) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (लखनऊ) के नाम भी शामिल थे। इस सूची में 34 केंद्रीय मंत्रियों के नाम शामिल थे जबकि तीन मंत्रियों के टिकट काट दिए गए थे। पार्टी की पहली सूची में 28 महिलाएं और 47 युवा शामिल थे, जबकि 27 उम्मीदवार अनुसूचित जाति से, 18 अनुसूचित जनजाति से और 57 अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। सूची में उत्तर प्रदेश की 51 सीट, पश्चिम बंगाल की 20, मध्य प्रदेश की 24, गुजरात और राजस्थान की 15-15 सीट, केरल और तेलंगाना की 12-12 सीट, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम की 11-11 सीट और दिल्ली की पांच सीट सहित कुछ अन्य प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों में उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी।

योगी की राह पर शिदें! महाराष्ट्र में बदला अहमदनगर जिले का नाम, अब अहिल्या नगर से होगी पहचान

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लगत है अब महाराष्ट्र सरकार ने भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की राह पर चलने का फैसला कर लिया है। जिस तरह यूपी की योगी सरकार ने मुगलकालीन नामों को बदलने का काम शुरू किया है ठीक उसी तरह महाराष्ट्र की एकनाथ शिदें सरकार भी करती दिख रही है। महाराष्ट्र में एक और जिले का नाम बदलने का फैसला किया गया है। इसे महाराष्ट्र कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। अहमदनगर जिला का नाम अब बदलकर अहिल्या नगर करने का फैसला किया गया है। इससे पहले औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखा गया था।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने बुधवार को अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्या नगर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। पिछले साल सीएम एकनाथ शिंदे ने 18वीं सदी की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर के सम्मान में अहमदनगर शहर का नाम बदलकर 'अहिल्यानगर' करने की घोषणा की थी। यह घोषणा अहिल्याबाई होल्कर की 298वीं जयंती पर की गई थी।

इसके साथ ही महाराष्ट्र कैबिनेट ने आठ मुंबई रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला किया है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने फैसला किया है कि ब्रिटिश काल के नाम वाले स्टेशनों के नाम बदल दिए जाएंगे। 

लंबे समय हो रही थी नाम बदलने की मांग

अहमदनगर का नाम बदलने की मांग लंबे समय से चल रही थी। साल 2022 में भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर जिले का नाम बदलकर “अहिल्यानगर” करने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि अहमदनगर रानी अहिल्यादेवी होलकर का जन्म स्थान है। इसलिए अहमदनगर शहर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करना रानी अहिल्या देवी होलकर का सम्मान करने जैसा है। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में पडलकर ने लिखा था कि यह सिर्फ उनकी मांग नहीं हैं, बल्कि लोगों की भावना है कि अहमदनगर का नाम अहिल्यानगर हो। उन्होंने कहा कि जब मुगल सैनिक हिंदू मंदिर गिरा रहे थे, तब अहिल्यादेवी होलकर ने उनका पुनर्निर्माण कराकर हिंदू संस्कृति को बचाया था। इसलिए वह हर हिंदू के लिए आदर्श हैं। 

पहले भी बदले जा चुने हैं 2 जिलों के नाम

इससे पहले राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखा था। लोकसभा चुनाव से पहले अहमदनगर का नाम बदलने से यह राजनैतिक मुद्दा बन सकता है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी परमाणु हमले की चेतावनी, बोले- देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता को जरा खतरा हुआ तो.

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 रूस और यूक्रेन की जंग जारी है। पश्चिमी देश लगातार यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। पश्चिमी देशों की मदद से यूक्रेन लगातार रूस पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ी चेतावनी दे डाली है। व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अगर रूस की संप्रभुता या स्वतंत्रता को कोई खतरा होता है, तो उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।

बुधवार तड़के जारी रूसी राज्य टेलीविजन के साथ एक इंटरव्यू में बोलते हुए पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका किसी भी ऐसे तनाव से बचेगा जो परमाणु युद्ध को जन्म दे सकता है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि रूस की परमाणु ताकतें इसके लिए तैयार हैं। पुतिन ने कहा कि अमेरिका समझता है कि अगर उसने रूसी क्षेत्र या यूक्रेन पर अमेरिकी सैनिकों को तैनाती की तो रूस इसे हस्तक्षेप के रूप में लेगा। पुतिन ने आगे कहा, रूस-अमेरिका संबंधों और रणनीतिक संयम के क्षेत्र में वहां कई एक्सपर्ट हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि परमाणु युद्ध का कोई माहौल बन रहा है, लेकिन हम निश्चित रूप से तैयार हैं। 

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कभी यूक्रेन में युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग करने पर विचार किया है, पुतिन ने जवाब दिया कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि मॉस्को यूक्रेन में अपने लक्ष्यों को हासिल करेगा और बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे, इस बात पर जोर दिया कि किसी भी सौदे के लिए पश्चिम से ठोस गारंटी की आवश्यकता होगी।

पुतिन की परमाणु युद्ध की चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब पश्चिम ने यूक्रेन पर बातचीत के लिए एक और प्रस्ताव दिया है। अमेरिका का कहना है कि पुतिन यूक्रेन पर गंभीर बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं। 

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो साल से भीषण युद्ध जारी है। पुतिन ने फरवरी 2022 में यूक्रेन के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया था। दो साल से जारी अभियान में रूस ने यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर नियंत्रण स्थापित किया है और तेजी से बढ़त बनाए हुए है। रूस को भी इस युद्ध से गंभीर नुकसान पहुंचा है। इस पूरी लड़ाई में रूस के हजारों सैनिक मारे गए हैं। अगर पश्चिमी देशों के आंकड़ों को देखे तो इस युद्ध में रूस के 3 लाख से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। इस कारण रूस की सेना में सैनिको कि कमी पड़ रही है। उधर, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों से यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद मिल रही है। इससे यूक्रेन और हमलावर हो गया है। वहीं, पश्चिम इस बात से जूझ रहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन को समर्थन कैसे जारी रखा जाए।

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने महिला वोटरों पर लगाया दांव, ‘नारी न्याय’ गारंटी की घोषणा की

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देश में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हैं। पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 में वोटरों को लुभाने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहते। कांग्रेस भी इसमे पीछे नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आधी आबादी को लेकर बड़ा दांव चला है।कांग्रेस की तरफ से सरकार में आने पर नारी न्याय गारंटी योजना की घोषणा की गई है।'नारी न्याय गारंटी' की घोषणा करते हुए पार्टी सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पार्टी देश की आधी आबादी के लिए नया एजेंडा सेट करेगी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'पार्टी आज 'नारी न्याय गारंटी' की घोषणा कर रही है। 'नारी न्याय गारंटी' के तहत कांग्रेस 5 घोषणाएं कर रही है। उन्होंने गारंटियों के नाम भी गिनाए। पहला वादा- महालक्ष्मी गारंटी के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा आधी आबादी पूरा हक, शक्ति का सम्मान, अधिकार मैत्री और सावित्रीबाई फुले छात्रावास गारंटी का एलान किया गया।

अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘नारी न्याय’ गारंटी के बारे में जानकारी दी। साथ ही मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महिलाएं देश की आधी आबादी हैं लेकिन पिछले दस सालों में उन्हें कुछ नहीं मिला। मोदी सरकार ने सिर्फ और सिर्फ उनकी मुश्किलें बढ़ाई हैं। खरगे ने कहा कि महिलाओं के नाम पर सिर्फ राजनीति हुई है और उनका इस्तेमाल वोट के लिए किया गया है। फिर चाहे वो महिला आरक्षण का मुद्दा हो, महंगाई हो अपराध या फिर बेरोजगारी हो। इस सभी चीजों का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर होता है। इन सभी मुद्दों पर मोदी सरकार पूरी तरह से फेल रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ‘नारी न्याय’ गारंटी की घोषणा करती है। इसके तहत पार्टी महिलाओं के लिए एक नया एजेंडा सेट करने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस गारंटी में पार्टी महिलाओं के लिए पांच घोषणाएं कर रही है।

ये हैं पांच घोषणाएं

1.महालक्ष्मी:कांग्रेस ने गरीब परिवार की महिलाओं के लिए बड़ी घोषणा की है। कांग्रेस ने गरीब परिवार की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने की योजना बनाई है। इसके तहत गरीब परिवार में एक महिला को सालाना 1 लाख रुपए देने की बात कही गई है।

2.आधी आबादी, पूरा हक:इसके तहत सत्ता में आने पर कांग्रेस की तरफ से केंद्र सरकार में सभी नई भर्तियों में आधा हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा।

3.शक्ति का सम्मान:कांग्रेस ने अपनी योजना में आशा वर्कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताों के साथ ही मिड डे मील बनाने वाली महिलाओं को लेकर विशेष घोषणा की है। शक्ति का सम्मान के तहत आशा, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील बनाने वाली महिलाओं के मासिक वेतन में केंद्र सरकार का योगदान दोगुना किया जाएगा।

4.अधिकार मैत्री:अधिकार मैती के तहत सभी पंचायत में एक अधिकार मैत्री नियुक्त करेंगे। ये मैत्री गांव की महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देंगे और इन अधिकारों को लागू करने में मदद करेंगे। इससे गांवों में महिलाओं में अपने कानून अधिकार के प्रति जागरुकता फैलेगी।

5.सावित्री बाई फुले हॉस्टल :कांग्रेस ने कामकाजी महिलाओं को लेकर भी महत्वपूर्ण घोषणा की है। कांग्रेस ने योजना की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार देश में कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की संख्या दोगुनी करेगी, प्रत्येक जिले में कम से कम एक हॉस्टल होगा।

इससे पहले आदिवासियों के लिए छह संकल्प

इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस प्रमुख खरगे ने आदिवासियों से जुड़े छह संकल्पों की घोषणा की थी। खरगे ने कहा था कि उनकी पार्टी जल-जंगल और जमीन को बचाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने आदिवासी लोगों के लिए कांग्रेस पार्टी के छह संकल्पों का भी जिक्र किया। सुशासन, सुधार, सुरक्षा, स्वशासन, स्वाभिमान और सब प्लान के रूप में पार्टी के संकल्पों का ब्यौरा भी पेश किया।

बंगलूरू कैफे ब्लास्ट मामले के अहम गिरफ्तारी, पूछताछ जारी, अब खुलेंगे धमाके के राज

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कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में रामेश्वरम कैफे में हुए धमाके के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को बड़ी सफलता हाथ लगी है। एनआईए ने इस मामले में एक शख्स को पकड़ा है। फिलहाल उससे पूछताछ की जा रही है और इस बात की जांच की जा रही है कि क्या शब्बीर वही व्यक्ति है जो सीसीटीवी में नजर आया था।

एनआईए ने बल्लारी जिले से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए हए शख्स का नाम शब्बीर बताया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि वह व्यक्ति मुख्य संदिग्ध से कुछ मिलता-जुलता है। उन्होंने कहा एनआईए के अधिकारी एक मार्च को जब विस्फोट हुआ था तब वह कहां था यह जानने के लिए उससे पूछताछ कर रहे हैं।

हाल ही में एनआईए ने बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में एक मार्च को हुए विस्फोट के मामले में संदिग्ध बम हमलावर की जानकारी देने पर 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की थी। एनआईए ने ‘एक्स’ पर संदिग्ध बम हमलावर की तस्वीर पोस्ट की जिसमें वह टोपी, मास्क और चश्मा लगाकर कैफे के अंदर दाखिल होते हुए दिख रहा है। एजेंसी ने फोन नंबर और ईमेल आईडी साझा करते हुए कहा था कि इनके माध्यम से लोग इस अज्ञात व्यक्ति के बारे में सूचना भेज सकते हैं। एनआईए ने आश्वासन दिया था कि सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

कर्नाटक पुलिस के सूत्रों ने बताया कि रामेश्वरम कैफे विस्फोट का मुख्य संदिग्ध जिस रास्ते से भागा, उस रास्ते की सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से सुरागों को जोड़ा गया और विश्लेषण किया गया। संदिग्ध ने बेल्लारी जाने के लिए दो अंतर-राज्यीय सरकारी बसों से यात्रा की थी। संदिग्ध ने एक अन्य अज्ञात गंतव्य तक भी यात्रा की थी। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शब्बीर से पूछताछ जारी है। इस बात की पुष्टि होनी बाकी है कि यह वही शख्स है जिसे सीसीटीवी फुटेज में देखा गया है।

बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट मामले के अहम गिरफ्तारी, पूछताछ जारी, अब खुलेंगे धमाके के राज

#bengaluru_cafe_blast_case_suspect_detained_by_nia

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में रामेश्वरम कैफे में हुए धमाके के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को बड़ी सफलता हाथ लगी है। एनआईए ने इस मामले में एक शख्स को पकड़ा है। फिलहाल उससे पूछताछ की जा रही है और इस बात की जांच की जा रही है कि क्या शब्बीर वही व्यक्ति है जो सीसीटीवी में नजर आया था।

एनआईए ने बल्लारी जिले से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए हए शख्स का नाम शब्बीर बताया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि वह व्यक्ति मुख्य संदिग्ध से कुछ मिलता-जुलता है। उन्होंने कहा एनआईए के अधिकारी एक मार्च को जब विस्फोट हुआ था तब वह कहां था यह जानने के लिए उससे पूछताछ कर रहे हैं।

हाल ही में एनआईए ने बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में एक मार्च को हुए विस्फोट के मामले में संदिग्ध बम हमलावर की जानकारी देने पर 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की थी। एनआईए ने ‘एक्स’ पर संदिग्ध बम हमलावर की तस्वीर पोस्ट की जिसमें वह टोपी, मास्क और चश्मा लगाकर कैफे के अंदर दाखिल होते हुए दिख रहा है। एजेंसी ने फोन नंबर और ईमेल आईडी साझा करते हुए कहा था कि इनके माध्यम से लोग इस अज्ञात व्यक्ति के बारे में सूचना भेज सकते हैं। एनआईए ने आश्वासन दिया था कि सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

कर्नाटक पुलिस के सूत्रों ने बताया कि रामेश्वरम कैफे विस्फोट का मुख्य संदिग्ध जिस रास्ते से भागा, उस रास्ते की सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से सुरागों को जोड़ा गया और विश्लेषण किया गया। संदिग्ध ने बेल्लारी जाने के लिए दो अंतर-राज्यीय सरकारी बसों से यात्रा की थी। संदिग्ध ने एक अन्य अज्ञात गंतव्य तक भी यात्रा की थी। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शब्बीर से पूछताछ जारी है। इस बात की पुष्टि होनी बाकी है कि यह वही शख्स है जिसे सीसीटीवी फुटेज में देखा गया है।

क्या सीएए लागू होने के बाद भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर पड़ेगा कोई प्रभाव, मुस्लिम प्रवासियों का क्या होगा ?

#will_citizenship_amendment_act_affect_citizenship_of_indian_muslims

देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है।जब भारत में आम चुनाव कुछ ही हफ़्तों बाद होने जा रहे हैं, उसके ठीक पहले गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन नियम को लागू कर दिया।नागरिकता संशोधन नियम लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता बिना वैध पासपोर्ट और भारत के वीज़ा के बिना मिल सकती है। हालांकि जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया गया है, तब से ही इसे लेकर काफी विवाद हो रहा है।

सीएए लागू होने के साथ ही देश में कई तरह की अफवाहों और भ्रांतियों का बाजार गर्म होने लगा है। खासतौर से भारतीय मुसलमानों को लेकर। इन तमाम तरह की भ्रांतियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरी अफवाह करार देते हुए स्पष्ट किया है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों को किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इस कानून में उनकी भारतीय नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। देश के वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों की नागरिकता और अधिकारों के अधिकार एकदम हिंदू भारतीय नागरिकों के समान ही हैं। नागरिकता कानून का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल, विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके। बता दें कि सीएए में तीन देशों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। ये देश हैं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। जिन गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जानी है उनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के वो लोग शामिल हैं, जो अपने मुल्क में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोगों ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बताया, लेकिन सच ये है कि मुस्लिमों को नागरिकता देने का काम पुराने कानूनों द्वारा संचालित होता रहेगा।

गृह मंत्रालय ने कहा, नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमान भारतीय नागरिकता मांग सकते हैं। ये प्राकृतिककरण यानी नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता से जुड़ा हुआ है। मंत्रालय ने कहा, इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने की वजह से इस्लामिक देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में सताए जाने वाले मुस्लिमों को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है। मंत्रालय ने आगे कहा, सीएए नेचुरलाइजेशन को रद्द नहीं करता है। इसलिए, किसी भी विदेशी देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कानून में देश में रह रहे अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है। इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों के एक वर्ग की यह चिंता की सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। पूरी तरह से निराधार है।

क्या सीएए लागू होने के बाद भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर पड़ेगा कोई प्रभाव, मुस्लिम प्रवासियों का क्या होगा ?

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देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है।जब भारत में आम चुनाव कुछ ही हफ़्तों बाद होने जा रहे हैं, उसके ठीक पहले गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन नियम को लागू कर दिया।नागरिकता संशोधन नियम लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता बिना वैध पासपोर्ट और भारत के वीज़ा के बिना मिल सकती है। हालांकि जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया गया है, तब से ही इसे लेकर काफी विवाद हो रहा है।

सीएए लागू होने के साथ ही देश में कई तरह की अफवाहों और भ्रांतियों का बाजार गर्म होने लगा है। खासतौर से भारतीय मुसलमानों को लेकर। इन तमाम तरह की भ्रांतियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरी अफवाह करार देते हुए स्पष्ट किया है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों को किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इस कानून में उनकी भारतीय नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। देश के वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों की नागरिकता और अधिकारों के अधिकार एकदम हिंदू भारतीय नागरिकों के समान ही हैं। नागरिकता कानून का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल, विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके। बता दें कि सीएए में तीन देशों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। ये देश हैं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। जिन गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जानी है उनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के वो लोग शामिल हैं, जो अपने मुल्क में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोगों ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बताया, लेकिन सच ये है कि मुस्लिमों को नागरिकता देने का काम पुराने कानूनों द्वारा संचालित होता रहेगा।

गृह मंत्रालय ने कहा, नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमान भारतीय नागरिकता मांग सकते हैं। ये प्राकृतिककरण यानी नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता से जुड़ा हुआ है। मंत्रालय ने कहा, इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने की वजह से इस्लामिक देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में सताए जाने वाले मुस्लिमों को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है। मंत्रालय ने आगे कहा, सीएए नेचुरलाइजेशन को रद्द नहीं करता है। इसलिए, किसी भी विदेशी देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कानून में देश में रह रहे अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है। इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों के एक वर्ग की यह चिंता की सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। पूरी तरह से निराधार है।

एसबीआई ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सौंपा, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दी जानकारी

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इलेक्टोरल बॉन्ड के सारे आंकड़े चुनाव आयोग को सौंप दिए हैं। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर ये जानकारी दी है। हलफनामा में बताया गया है कि शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करते हुए, प्रत्येक चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का मूल्य चुनाव आयोग को प्रदान किया गया है। इस एफिडेविट में कई ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जो बताती हैं कि देश में कुल कितने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। कितनों को राजनीतिक पार्टियों ने भुनाया। अब चुनाव आयोग के ऊपर इन आंकड़ों को 15 मार्च 2024 की शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी है।

हलफनामे के जरिए एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीददारों के नाम और रकम के डिटेल्स ईसी को सौंप दिए हैं। चुनावी बॉन्ड भुनाने की तारीख, चंदा हासिल करने वाले राजनीतिक दलों के नाम की जानकारी भी ईसी को दे दी गई है। एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि एक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। इनमें से 22,030 इलेक्टोरल बॉन्ड्स को पार्टियों ने कैश कराया। जबकि एक अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 के बीच कुल 3,346 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और उनमें से 1,609 भुनाए गए।

राजनीतिक दलों द्वारा जो इलेक्टोरल बॉन्ड इन कैश नहीं किए गए उन्हें प्रधानंमत्री रिलिफ फंड में जमा कर दिया गया है। इसमें 187 बॉन्ड ऐसे थे जिन्हें राजनीतिक दलों द्वारा इनकैश नहीं किया गया था।

बीजेपी ने हरियाणा में बदला सीएम फेस, लोकसभा चुनाव में मिलेगा इसका फायदा?

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हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का साथ छूट गया। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया है। बीजेपी नेता और लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को हरियाणा के राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सवाल यह उठता है कि ऐन चुनाव के मौके पर सीएम या अपना साथी बदलकर क्या बीजेपी हरियाणा में क्‍या हासिल कर लेगी? हालांकि नायब सैनी के नाम की घोषणा होते ही स्पष्ट हो गया कि बीजेपी की आगामी चुनावों में क्या रणनीति होने वाली है।

ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश

राजनीतिक विश्लेषकों के बीच हरियाणा में मनोहर लाल को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को बीजेपी के राजनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है। ये माना जा रहा है कि बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है।क्योंकि नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय से ही आते हैं। नायब सिंह सैनी हरियाणा में ओबीसी समुदाय से हैं। इसलिए, उन्हें सीएम बनाने के कदम को भाजपा के लिए जाति समीकरण को सही करने और ओबीसी के बीच वोट शेयर में सेंध लगाने के एक तरीके के रूप में देखा जा सकता है

सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करें

नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति को सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के एक तरीके के रूप में देखा जा सकता है। जिसका सामना किसानों के चल रहे विरोध के बीच खट्टर सरकार को करना पड़ रहा था। वैसे यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी ने किसी राज्य सरकार में आश्चर्यजनक बदलाव किया है। अतीत में भी, पार्टी का मानना था कि विधानसभा चुनावों के करीब गार्ड में बदलाव से उसे सत्ता विरोधी लहर को मात देने में मदद मिली। उदाहरण के लिए, 2021 में उत्तराखंड में सीएम पद के लिए पुष्कर सिंह धामी भाजपा की आश्चर्यजनक पसंद थे। धामी ने 2021 में पहली बार सीएम के रूप में पदभार संभाला क्योंकि तीरथ सिंह रावत ने चार महीने से कम समय तक पद संभालने के बाद पद छोड़ दिया।

बीजेपी नये चेहरों को आगे ला रही है

सैनी की नियुक्ति युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने की भाजपा की कवायद से मेल खाती है। वह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की तरह, 50 वर्ष के हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई पिछले महीने 60 वर्ष के हो गए। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी लगातार सरप्राइज दे रही है। पिछले साल के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने सीएम के तौर पर नए चेहरों को चुना था। उदाहरण के लिए, आदिवासी नेता विष्णु देव साई छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने, जबकि उनके दो डिप्टी में से एक अरुण साव ओबीसी से आते हैं।

सैनी के सामने होंगी ये चुनौतियां

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से चीक पहले नायब सिंह सैनी को लाकर बड़ा दांव चला हैं। हालांकि, नायब सिंह सैनी को सरकार की कमान मिलने के साथ-साथ की चुनौतियों का भी सामना करना होगा।हरियाणा में सत्ता की हैट्रिक लगाने का टास्क नायब सिंह के कंधों पर होगा। यही नहीं सरकार और संगठन के बीच विश्वास बहाल करने की बड़ी चुनौती होगी तो उत्तर हरियाणा से लेकर दक्षिण हरियाणा तक संतुलन बनाने के साथ पार्टी नेताओं को एकजुट रखने का चैलेंज है।मुख्यमंत्री नायब सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी नेताओं को एकजुट रखने की है। विधायक दल की बैठक के बाद से अनिल विज नाराज है और शपथ ग्रहण समारोह तक में शामिल नहीं हुए हैं। हरियाणा में बीजेपी के दिग्गज नेताओं में उन्हें गिना जाता है और पंजाबी समुदाय से आते हैं। बीजेपी का कोर वोट बैंक पंजाबी माने जाते हैं। अनिल विज की नारजगी के पीछे नायब सिंह सैनी का सीएम बनना है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी विज की नारजगी को दूर करने के लिए दो बार उन्हें कॉल करनी पड़ी है। विज को साधने का जिम्मा नायब सिंह पर होगा और साथ ही जिस तरह से उनके तेवर हैं, उसके चलते सियासी बैलेंस बनाकर चलने की चुनौती होगी।