देश में सीएए लागू होते ही विरोध शुरू, असम में 30 से ज्यादा संगठनों का प्रदर्शन
#reparation_for_a_big_movement_against_caa_in_assam
देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) सोमवार से लागू हो गया है। एक दिन पहले यानी 11 मार्च को ही केंद्र की मोदी सरकार ने इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। 2019 में जब इसका कानून संसद में पारित हुआ था, तब देश में कई जगह विरोध हुआ था। गुवाहाटी में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के बैनर तले लोग सड़कों पर उतरे थे और हिंसा भड़की थी। इसके बाद सीएए का मामला थम गया था। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले 4 साल बाद कानून लागू कर दिया गया है। सीएए लागू होने के बाद देशभर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। बीजेपी और उससे जुड़े संगठन इसे ऐतिहासिक फैसला बता रहे हैं तो वहीं विपक्षी पार्टियों ने इस कानून के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है।
इधर, असम में सीएए के खिलाफ जमकर विरोध हो रहा है। प्रदेश में केंद्र सरकार की खूब आलोचना हो रही है। अखिल असम छात्र संघ (आसू) और 30 स्वदेशी संगठनों ने सोमवार को गुवाहाटी, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़ और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में सीएए कानून की प्रतियां जलाई। इसके अलावा असम में 16 दलों के संयुक्त विपक्ष (यूओएफए) ने चरणबद्ध आंदोलन के तहत मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की है।
बीते दिनों जब गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करने का बयान दिया, उसके बाद आसू ने विरोध की तैयारी शुरू कर दी थी। इस बार 30 जनजातीय संगठन और 16 दलों का विपक्षी मंच विरोध में उतरा है। एक दिन पहले आसू ने राज्य में 12 घंटे की भूख हड़ताल भी की थी। अब मंगलवार से राज्य में इनके प्रदर्शन शुरू हो जाएंगे।
असम पुलिस सूत्रों के मुताबिक विरोध रोकने के लिए गुवाहाटी में जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है। कई थाना क्षेत्रों के खाली परिसरों में अस्थाई जेलें बनाई जा रही हैं।
वहीं, सीएए लागू होने के बाद दिल्ली के कई हिस्सों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। अर्धसैनिक बलों के जवानों ने उत्तरपूर्वी हिस्सों, शाहीन बाग, जामिया नगर और अन्य संवेदनशील इलाकों में रात्रि गश्त और फ्लैग मार्च किया है। बता दें कि जब 11 दिसंबर 2019 को संसद में सीएए बिल पारित किया गया था, तब दिल्ली सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसमें 2019-2020 में महीनों तक सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शन हुए, जामिया मिलिया इस्लामिया और शाहीन बाग इस आंदोलन का केंद्र था। 2020 की शुरुआत में इस मुद्दे पर शहर के पूर्वोत्तर हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें 53 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए थे।
Mar 12 2024, 11:58