महाराष्ट्र-बिहार में एनडीए गठबंधन में “गांठ”, सीट बंटवारे पर फंसा पेंच
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आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। देश में इस बार एनडीए बनाम इंडिया होगा। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है। दोनों गठबंधनों में हलचल तेज होती जा रही है। सीट शेयरिंग को लेकर एक तरफ तो इंडिया गठबंधन पूरी तरह से कमजोर पड़ती दिख रही है। वहीं, एनडीए में महाराष्ट्र और बिहार में पेंच फंसता दिख रहा है।खास बात ये है कि दोनों ही राज्यों में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है ऐसे में पार्टी ज्यादा सीटें हासिल कर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है। लेकिन सहयोगी दलों की नाराजगी उसके लिए परेशानी की सबब बनती जा रही है।
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महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें है, जिसमें 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 25 और शिवसेना 23 सीट पर चुनाव लड़ी थी। बीजेपी ने 23 सीटें तो शिवसेना ने 18 सीटें जीती थी। विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर विपक्षी खेमे के साथ हाथ मिला था। शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बट गई है। उद्धव ठाकरे का तख्तापलट कर शिवसेना पर अपना कब्जा जमाने वाले एकनाथ शिंदे और शरद पवार से एनसीपी को छीनने वाले अजीत पवार ने बीजेपी से हाथ मिला लिया है। इस तरह महाराष्ट्र में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए का कुनबा बड़ा हो गगया है, जिसमें शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार शामिल है। बीजेपी ने राज्य की 48 में से 30 लोकसभा सीटों पर खुद चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रखी है जबकि 18 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही है। बीजेपी इन 18 सीटों में से 12 सीटें एकनाथ शिंदे की शिवसेना और 6 सीटें अजीत पवार की एनसीपी को देना चाहती है, जिस पर दोनों सहयोगी दल सहमत नहीं हैं। शिंदे गुट ने उन सभी 22 सीटों पर दावा किया है,जिन पर 2019 में शिवसेना ने चुनाव लड़ी थी और 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। अजीत पवार की एनसीपी 10 सीटों की डिमांड कर रही है।
महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा नजर आ रहा है। ऐसे में अमित शाह के दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।माना जा रहा है कि शाह जल्द ही सीट शेयरिंग का कोई फॉर्मूला तय करने वाले हैं।
वहीं दूसरी बिहार में हर बीतते दिन के साथ सियासी पारा बढ़ता जा रहा है।कहा जा रहा है कि एनडीए के घटक दलों में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर लगभग सहमति बन गई है। जबकि अन्य दलों में अभी इसपर पेंच फंसा हुआ है।पेंच फंसने की वजह बाकी चार छोटे सहयोगी दलों को बताया जा रहा है।चिराग पासवान की लोजपा रामविलास, पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर) के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है।चिराग पासवान की और पशुपति पारस के बीच सीटों को लेकर सबसे ज्यादा पेंच दिख रहा है। दोनों खुद को रामविलास पासवान का सियासी वारिस बताकर पुराने फॉर्मूले पर सीटों का दावा कर रहे हैं।
2019 में लोग जनशक्ति पार्टी जब एक थी, तब पार्टी ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी।लेकिन उसके बाद पार्टी में टूट हो गई और चाचा पशुपति पारस के साथ 5 सांसद चले गए और चिराग पासवान अकेले रह गए।अब जब एनडीए में सीट शेयरिंग पर बातचीत चल रही है, तो चिराग पासवान चाहते हैं कि उन्हें 2019 के ही फार्मूले पर 6 सीटें दी जाएं।जबकि उतनी ही सीट पर पशुपति पारस की पार्टी की तरफ से भी दावेदारी की जा रही है।बताया जा रहा है कि चिराग पासवान हाजीपुर सीट को भी लेकर अड़े हुए हैं,चिराग चाहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव वह हाजीपुर लोकसभा सीट से लड़ें, जो कि उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही है,जबकि वहां से मौजूदा सांसद और उनके चाचा पशुपति पारस एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।
बता दें कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद के लिए 370 और एनडीए के 400 पार सीटों का टारगेट रखा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए ने महाराष्ट्र और बिहार की 88 लोकसभा सीटों में से 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों से ज्यादा सीटें जीती थी और उसे 2024 में उसे बढ़ाने की कोशिश में है। बीजेपी ने 2024 में जो अपना टारगेट जो सेट कर रखा है, उस लिहाज से दोनों राज्य सियासी तौर पर काफी अहम माने जा रहे हैं। सहयोगी दल जिस तरह से सीटों की डिमांड कर रहे हैं, वो बीजेपी के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।








Mar 06 2024, 16:04
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