भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत, कतर में फांसी की सजा पाए आठ पूर्व नौसैनिक भारतीय रिहा
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कतर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है, ये वही पूर्व सैनिक हैं जिन्हें कतर की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भारत सरकार की ये बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है।बता दें कि इन सभी आठों पूर्व नौसैनिकों को कथित तौर पर जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले नई दिल्ली के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद दोहा ने भारतीय नागरिकों की मौत की सजा को कम करके जेल कैद में बदल दिया गया था।
भारत सरकार ने सभी आठ भारतीयों की रिहाई पर खुशी जताई है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि आठ में से सात भारतीय वापस भारत लौट आए हैं। हम अपने नागरिकों की रिहाई और घर वापसी के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।
कतर में हिरासत में लिए गए आठ भारतीय नौसेना अधिकारी हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश।
आठों पूर्व नौसैनिक दोहा स्थित अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजिज में काम करते थे। इन्हें अगस्त, 2022 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, आरोप कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। सूत्रों का कहना है कि सभी पर पनडुब्बी परियोजना की जासूसी करने का आरोप था। अल दाहरा ग्लोबल कंपनी कतर के सैन्य बलों व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण व अन्य सेवाएं मुहैया कराती है। एक साल से अधिक जेल में रहने के बाद पूर्व नौसैनिकों को कतर की निचली अदालत ने अक्तूबर में मौत की सजा सुनाई थी। केंद्र सरकार इससे हैरान रह गई थी क्योंकि कतर ने पहले इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी थी।
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी के बीच दुबई में कॉप-28 सम्मेलन से इतर हुई मुलाकात के चार सप्ताह के अंदर सुनाया गया था। एक दिसंबर को हुई भेंट के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में रह रहे भारतीय समुदाय के बारे में अमीर से बात की थी। माना जाता है कि इसी दौरान नौसैनिकों का मुद्दा भी उठाया गया होगा।
Feb 12 2024, 10:51