*पौधरोपण कर भूले जिम्मेदार, सूख गए हजारों पौधे*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। पर्यावरण संरक्षण की मुहिम कालीन नगरी में कागजों में सिमटती नजर आ रही है। साल दर साल जुलाई-अगस्त में आठ से 12 लाख पौधे रोपे जा रहे हैं, लेकिन हरियाली गायब है। ट्रीगार्ड से लेकर निगरानी न होने से 50 फीसदी से अधिक पौधे या तो सूख गए या गायब हो गए।
धरा को हरा भरा बनाने के लिए सरकार हर साल लाखों पौधों का रोपण कराती है। जिले में भी जुलाई-अगस्त और सितंबर में चरणबद्ध तरीके से पौधे रोपे जाते हैं। जिसमें लिप्टस, चिलबिल, पीपल, बरगद आदि पौधों को अधिक मात्रा में रोपा जाता जाता है। गुजरे तीन साल में 30 लाख पौधे गए, लेकिन निगरानी न होने से ज्यादातर विकसित होने से पहले ही सूख गए। इसमें अकेले वन विभाग की भूमिका नहीं है बल्कि, ग्राम पंचायत, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग संग अन्य विभाग भी सिर्फ लक्ष्य को पूरा कराने के बाद इतिश्री कर लेते हैं।
रविववार को अमर उजाला की टीम ने पड़ताल किया तो अभियान का सच सामने आया। हास्टल चौराहा, काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जीआईसी मैदान, ज्ञानपुर के वार्ड एक में लगे अधिकतर पौधे सूखे मिले। कमोबश यही हालत अधिकतर स्थानों पर ही है। वन विभाग के औराई, भदोही रेंज में रोपे गए पौधों की हालत सबसे अधिक खराब है। क्योंकि इन दोनों रेंज के पौधों की संरक्षण करने मौके पर जाते ही नहीं है।
विभागीय मानक है कि पौध रोपण करने के बाद तीन सालों तक पौधों की निगरानी विभाग स्वयं करे। वहां सूखने पर दूसरे पौधे लगाए जाने का प्रावधान है। लेकिन कालीन नगरी में उल्टी गंगा बह रही है, यहां पौधरोपण के बाद अधिकारी कर्मचारी दोबारा पौधों को देखने तक नहीं जाते ही नहीं है।
केस-एक- ज्ञानपुर नगर पंचायत की ओर से कल्याणीवीर पर तीन दर्जन पौधा अगस्त में लगाया गया। वर्तमान में सभी पौधे सूख गए हैं। नगर के अन्य वार्ड में भी यही हालत है। निगरानी न होने से पौधे बेकार हो गए।
केस-दो- जिला मुख्यालय स्थित सीएमओ कार्यालय में भी पौधे गायब हो गए हैं। जहां अमरुद के छह पौधे लगाए गये थे, सभी सूख कर गायब हो गए। ग्राम पंचायत विभाग की तरफ से केएनपीजी मैदान, जीआईसी मैदान पर पौधों लगाया गया था। यहां भी कोईपौधा नहीं बचा है।
तीन साल में कितने रोंपे गये पौधे:
वर्ष- पौधे की संख्या
2023 - 11 लाख 79 हजार
2022 - 10 लाख 50 हजार
2021 - 9 लाख 40 हजार
बीते साल वन विभाग करीब साढ़े तीन लाख पौधारोपण किया था जबकि सभी विभागों कोमिलाकर 11 लाख 79 हजार पौधे रोपे गए। विभागीय पौधे शत प्रतिशत सुरक्षित है, जिनकी देखरेख निरंतर की जाती है। यदि कहीं पौधा सुखता है, तो उसके स्थान पर दूसरा पौधा लगा दिया जाता है। - नीरज आर्य, डीएफओ भदोही
पौधों का ध्यान रखना जरूरी
पर्यावरण प्रेमी अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि वह गुजरे छह साल से प्रतिदिन पौधरोपण कर रहे हैं। जो पौधे लगाते हैं उसे हर तीसरे दिन देखने जाते हैं। उसकी बराबर निगरानी की जाती है। सिर्फ पौधरोपण से ही इतिश्री नहीं करना चाहिए। बिना देखरेख उनका बचना मुश्किल होता है।
Feb 06 2024, 15:21