*गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं द्वारा ही हिन्दी साहित्य का सम्वर्द्धन सम्भव*
अमेठी । नगर स्थित ओम् नगर में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से कवि एवं विचार गोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पूजा अर्चना से हुआ। गद्य के विना कविता के भाव को समझा नही जा सकता। हिन्दी साहित्य का सम्वर्द्धन गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं द्वारा ही सम्भव है। उक्त वक्तव्य अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने अपने स्वागत भाषण में दिया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए रामेश्वर सिंह निराश ने पढ़ा कि घासो की रोटी खाकर जिसने वतन बचाया , राणा प्रताप की तो था शमशीर तिरंगा। डॉ अर्जुन पाण्डेय ने पढ़ा गुरू की बगिया मा तो प्रकाश ही प्रकाश बा। ओज कवि अनिरुद्ध मिश्र ने पढ़ा कि-जो समर्पित किए देशहित जिंदगी ,उनकी यादों का दीपक बुझाना नहीं । विवेक मणि ने पढ़ा कि- दिन -गिन दिन -गिन गुजारे अखियन पुतरी , राजाराम जी पधारे अवध नगरी।
सुरेश शुक्ल नवीन ने पढ़ा कि- ये गीत नहीं मेरे दिल के अफ़साने हैं , अपने ही शहर में हम कितने बेगाने हैं।दिवस प्रताप सिंह ने पढ़ा सब सदन में गरजते हैं, कहां चंबल में रहते हैं । जगदम्बा तिवारी मधुर ने पढ़ा कल तक फूल गुलाब थे अब हम पतझड़ बहार हो गए , बीते दिन का प्यार हो गए।रामबदन शुक्ल पथिक ने पढ़ा आ गए हैं मेरे राम जी जब से घर में ,खुशी की लहर हर नगर हर शहर में।
आशुतोष गुप्ता ने पढ़ा कि - भारत मां को आजाद करने थे निकल पड़े दीवाने । राम कुमारी संसृति जी ने पढ़ा कि - तुम्हारी मोहिनी सूरत को हम भुला नहीं सकते तुम्हारी धड़कनों को हम सहज हीं सुना करते।शव्वीर अहमद सूरी शेष नारायण तिवारी एवं शान्ति मिश्रा गुंजन ने अपनी कविताओं से सबको आकर्षित किया ।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में डॉ अरुण कुमार मिश्रा,कैलाश नाथ शर्मा ,सत्येंद्र नाथ शुक्ला,लोकेश कुमार त्रिपाठी , अम्बरीश मिश्र, अनुभव मिश्र आदि साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रहीं ।
Jan 28 2024, 19:22