चौंका देगी ऑक्सफैम की रिपोर्ट, 3 साल में गरीब और बढ़े, अमीरों की दौलत हो गई दोगुना
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दुनियाभर के देशों में बढ़ती आर्थिक असमानता एक बड़ी समस्या बनी हुई। अमीरी और गरीबी के बीच की खाई बढ़ती ही जा रही है। दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की हुई बैठक में ऑक्सफैम की रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि एक तरफ गिने-चुने लोगों को बेतहाशा कमाई हो रही है, जबकि उसी के साथ-साथ दूसरी ओर अरबों लोग गरीब होते जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जहां विश्व के पांच सबसे धनवान लोगों की संपत्ति दो गुनी हो गई है तो वहीं 5 अरब लोगों के सामने वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
ऑक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक असमानता के लिहाज से पिछले कुछ साल काफी खराब साबित हुए हैं। पिछले चार सालों के दौरान कोरोना महामारी, युद्ध और महंगाई जैसे फैक्टर्स ने अरबों लोगों को गरीब बनाया है। साल 2020 के बाद अब तक दुनिया भर में करीब 5 अरब लोग गरीब हुए हैं। इसके साथ ही दूसरी ओर कुछ गिने-चुने लोगों की दौलत रॉकेट की रफ्तार से बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 5 सबसे अमीर शख्स, जिनमें एलन मस्क, बर्नार्ड अरनॉल्ट, जेफ बेजोस, लैरी एलिसन और मार्क जुकरबर्ग ने 2020 के बाद से इनकी संपत्ति दोगुनी होकर 869 बिलियन डॉलर हो गई है। इसी अवधि के भीतर दुनिया में 5 अरब लोग और गरीब हो गए हैं।
हर अरबपति की संपत्ति औसतन 3.3 अरब डॉलर बढ़ी
रिपोर्ट Inequality Inc. शीर्षक से सोमवार को यह रिपोर्ट फिर से जारी की गई। इसमें बताया गया है कि अमीरों की संपत्ति साल 2020 के बाद से औसतन 3.3 अरब डॉलर तक बढ़ी है। गौर करने वाली बात ये है कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात अच्छे नहीं हैं। साथ ही कोरोना महामारी से भी दुनिया प्रभावित रही। रिपोर्ट में दुनियाभर में बढ़ रही आर्थिक असमानता को लेकर चिंता जताई गई है।
आने वाला दशक अमीरों के नाम
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर अमीर और गरीबों के बीच यह आर्थिक असमानता और मौजूदा रुझान जारी रहा तो अगले 229 वर्षों तक विश्व से गरीबी खत्म नहीं होगी। ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि आगे भी अमीर और गरीब के बीच अंतर बढ़ने की संभावना है। इसके साथ ही अगले 10 वर्षों दुनिया को पहला खरबपति उद्योगपति मिल जाएगा।
सरकारों पर उठाया सवाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में निजी सेक्टर कम टैक्स दरों, व्यवस्था की खामियों और अपारदर्शिता को बढ़ावा दे रहे हैं। टैक्स को लेकर नीति निर्धारण में होने वाली लॉबिंग से टैक्स दरों को कम रखा जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, जबकि यही पैसा गरीबों के कल्याण पर खर्च हो सकता था। ऑक्सफैम ने बताया कि कॉरपोरेट टैक्स OECD देशों में साल 1948 में 48 प्रतिशत थे, जो 2022 में घटकर महज 23.1 प्रतिशत रह गए हैं। रिपोर्ट में अरबपतियों पर संपत्ति टैक्स लगाने का सुझाव दिया है, जिससे हर साल 1.8 खरब डॉलर सरकारों को मिल सकते हैं।
Jan 15 2024, 15:35