तहरीक ए बेदारी के अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बलियावी की मांग, देश मे बने 'इश निंदा कानून'
औरंगाबाद - राज्यसभा के पूर्व सदस्य और तहरीक ए बेदारी के अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने देश में 'मुस्लिम सेफ्टी एक्ट' और सभी मजहबों की निंदा रोकने के लिए 'इश निंदा कानून' बनाए जाने की वकालत की है।
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बलियावी ने गुरूवार को औरंगाबाद के मदरसा इस्लामिया मैदान में दारुल कजा एदारा ए शरिया और शेख मरकजी एदारा ए शरिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'तहरीके बेदारी सह इसलाहे मुआशरा कांफ्रेंस को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि उन्हे यह स्वीकार करने से गुरेज नही है कि मुस्लिम समाज में गरीबी है, कुरीतियां भी है लेकिन यह भी सच है कि केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार में मुसलमान सर्वाधिक असुरक्षित है।
कहा कि सुखद बात यह है कि बिहार में मॉब लिंचिंग की कोई बड़ी घटना नही घटी है। लेकिन पूरे देश में मुसलमानों के साथ जुल्म की इंतहा हो गई है। देश में विभिन्न स्थानों पर मुसलमानों के साथ मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही है। मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। इतना ही वर्दी पर भी मुसलमानों को एतबार नही रह गया है क्योकि चलती ट्रेन में वर्दीधारी द्वारा मुसलमान को गोली मारने जैसी घटना घट चुकी है।
मुसलमानों को चौक-चौराहे पर जाति-मजहब पूछकर बेईज्जत किया जाता है। इस कारण अल्पसंख्यक समुदाय अपनी बेटियों को पढ़ाई के लिए भी दूरदराज भेजने से डर रहा है। देश के अन्य हिस्सों के आंकड़ों को छोड़ भी दे तो अकेले बगल के राज्य झारखंड में 64 मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई है। इन सारी घटनाओं को लेकर तहरीक न केवल सत्ता से लड़ाई लड़ रही है बल्कि हम मुस्लिम समाज के अंदर व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की भी लड़ाई लड़ रहे है। तहरीक सही मायने में अल्पसंख्यक जमात के हक की लड़ाई लड़ रही है। फिलहाल यह बेदारी बिहार और आसपास के चार राज्यों में चल रही है लेकिन शीघ्र ही इसे राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाएगा। कहा कि बेदारी को ताकतवर बनाना जरूरी है।
कहा कि मुस्लिम समाज में हो रहे महंगे निकाह और शादियों को नियंत्रित करने की जरूरत है। महंगी शादियां और निकाह मुसलमान बेटियों के बाप के कंधों पर बहुत बड़ी बोझ बन गई है। इसी वजह से तहरीक जाति-मजहब से बाहर निकलकर तिलक-दहेज को खत्म करने के मिशन पर भी काम कर रही है। यदि तिलक-दहेज के खर्च को बचाकर शिक्षा पर खर्च किया जाएगा तो हमारे बच्चें आगे बढ़ेंगे और देश आगे बढ़ेगा। इन्ही वजहों से तहरीक सामाजिक और राजनीतिक दोनों मोर्चो पर लड़ाई लड़ रहा है।
उन्होने कहा कि मुसलमान अपने मजहब, मजहबी किताबों और पैगम्बर मुहम्मद की भी निंदा झेल रहे है। यह सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। निंदा चाहे किसी भी मजहब की हो, वह बेहद गलत है। इसे रोकने के लिए कानून बने। हर धर्म या मजहब की निंदा रोकना कानूनन अपराध हो। इसके लिए सख्त कानून बने। तभी इश निंदा और धर्म निंदा की घटनाएं रूक सकती है। इतना ही किसी भी धर्म या मजहब के खिलाफ अभद्र टिपण्णी करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो। साथ ही धर्म और मजहब आधारित मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अनुसूचित जाति-जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम(एससी-एसटी एक्ट) के तर्ज पर 'मुस्लिम सेफ्टी एक्ट' बने, तभी धर्म के आधार पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं रूक सकती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दारुल कजा एदारा ए शरिया के अध्यक्ष मो. मोईनुद्दीन अफरीदी ने की। कांफ्रेंस को सैफुल्ला आलिमी, मोजाहिद हुसैन, दिलकश रांचवीं, दिलबर शाही, तौकीर इलाहाबादी, हाजी इम्तेयाज, डॉ. अमानुल्लाह, डॉ. याकूब अख्तर, मो. आसिफ रूमी एवं इमरान आजाद आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के हजारों लोग मौजूद रहे।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र









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Dec 21 2023, 19:19
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