तीनों आपराधिक कानून संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित, देश के खिलाफ बोलने पर जेल, मॉब लिंचिंग पर फांसी, नए कानून में और क्या
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लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा में तीन क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा हुई और इस चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार कहा कि मोदी सरकार अंग्रेजों के कानूनों में बदलाव करने जा रही है। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार पहली बार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है। इसके साथ ही राजद्रोह को देशद्रोह में बदला जा रहा है। अमित शाह ने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रंता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा है कि इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उन तीनों कानूनों में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं।
CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था। उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी। CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी, और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा। उन्होंने कहा कि मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है। अमित शाह ने कहा कि CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी। 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
आतंकी गतिविधि करने वालों को जेल से बाहर आने का रास्ता बंद
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है। जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए।उन्होंने कहा कि आतंकवादी कृत्यों में एक लाख से ज्यादा लोगों की जान जाने जाने के बाद पहली बार मोदी सरकार ने इसे आपराधिक न्याय कानूनों में जगह देने का काम किया। कुछ सांसद कह रहे हैं कि यूएपीए में सजा होती है, लेकिन (विपक्ष) की प्रभाव वाली जगह में यूएपीए (UAPA) नहीं लगाते थे। इस कारण आतंकवादी बच जाते थे। ऐसे में हमने मूल कानून में ही बदलाव करके आतंकी गतिविधि करने वालों लोगों को जेल से बाहर आने का रास्ता ही बंद कर दिया। शाह ने कहा कि कोई कहता है कि सशस्त्र विद्रोह, अलगाववादी गतिविधियां, बम धमाके और गोलीबारी के बाद भी कोई जेल में नहीं जाना चाहिए है तो मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। देश के खिलाफ जो भी कोई कुछ कहेगा उसे जरूर सजा होगी।
मॉब लिंचिंग के लिए फांसी की सजा
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं। लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए।
तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 3 से 7 साल की सजा के मामले में 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच की आरोप सही है या नहीं है। 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी। ज्यादा से ज्यादा 14 दिन तक आप प्रारंभिक जांच कर सकते हो अगर छोटी सजा है तो तीन दिन के अंदर की एफआईआर दर्ज करनी होगी। सबसे पहले न्याय में समय की कटोती यहा होगा। जिला मजिस्ट्रेट को जो जांच रिपोर्ट देनी होती तो पहले उसमें कोई समय सीमा का प्रावधान नहीं था।
मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों को प्राथमिकता
गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में यह भी कहा कि नये कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है। शाह ने कहा कि लंबे समय बाद देश की जनता ने एक ऐसी सरकार चुनी है जिसने अपने घोषणापत्र में किए वादों को अक्षरश: लागू किया है
Dec 21 2023, 10:07