कांग्रेस ने क्यों शुरू की क्राउड फंडिंग? जानें सियासी मायने
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कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे मुश्किल राजनीतिक दौर से गुजर रही है। दो लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद पार्टी की प्रदेशों में भी हार हो रही है। हाल ही में हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में पार्टी की बुरी हार हुई है और राजस्थान और छत्तीसगढ़ से सत्ता से विदाई हुई है। इस बीच पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चंदा अभियान शुरू किया है। लगातार चुनावी हार और आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस क्राउड फंडिंग के कई मायने हैं।कांग्रेस के इस अभियान के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कांग्रेस को क्राउड़ फंडिंग की जरूरत क्यों पड़ गई? इस अभियान के जरिए पार्टी की रणनीति क्या है?
दरअसल, क्राउड़ फंडिंग के बहाने एक तीर से दो निशाने दरअसल इसके जरिए पार्टी एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है। पहला तो है पैसा, जो साफ साफ नजर आ रहा है लेकिन पार्टी के लिए सबसे अहम है दूसरा सबसे अहम मुद्दा और वो है जनता से जुड़ाव। दरअसल, कांग्रेस पार्टी का ये अभियान 18 दिसंबर से शुरू होकर 28 दिसंबर तक चलने वाला है। इसके जरिए पार्टी जनता से ऑनलाइन कनेक्ट करने की कोशिश करेगी लेकिन पार्टी का अभियान सिर्फ 10 दिन के बाद ही खत्म नहीं होगा। ऑनलाइन अभियान के बाद पार्टी जमीन पर उतरेगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अभियान मुख्य रूप से 28 दिसंबर, स्थापना दिवस तक ऑनलाइन रहेगा, जिसके बाद हम जमीनी अभियान शुरू करेंगे, जिसमें कार्यकर्ता घर-घर जाकर दान मागेंगे। हर बूथ में कम से कम दस घरों को टारगेट किया जाएगा और हर घर से कम से कम 138 रुपये का दान देना शामिल है।
चुनावी बॉन्ड में पिछड़ी कांग्रेस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अमीर पार्टी है, जबकि कांग्रेस उसके मुकाबले कहीं नहीं ठहरती। रिपोर्ट्स की मानें तो हालिया विधानसभा चुनावों में भगवा पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा पैसा मिला। चुनाव आयोग की जनवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021-मार्च 2022) के दौरान बीजेपी की आय 1,917.12 करोड़ रुपये थी, यह अन्य सभी सात राष्ट्रीय दलों की तुलना में सबसे अधिक है। भाजपा के बाद अन्य अमीर पार्टियों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है। उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। इनमें से बीजेपी को 1033 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले, जबकि इसी अवधि (2021-22) के दौरान टीएमसी को 545.74 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 541.27 करोड़ रुपये मिले थे। ऐसे में कांग्रेस नए अभियान के जरिए पार्टी के लिए अधिक से अधिक फंड एकत्रित करना चाहती है।
जनता से जुड़ने की कोशिश
कांग्रेस का काउड फंडिंग के जरिए जनता से जुड़ना भी लक्ष्य है।वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि चुनावों में जिस तरह से कांग्रेस की पराजय हो रही है। हाल में विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों में कांग्रेस की जिस तरह से पराजय हुई है। इससे कांग्रेस के कार्यकर्ता हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं में एक्टिव करने के लिए और कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए यह अभियान शुरू कर रही है। यह अभियान पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता को एक-दूसरे के करीब आने में मदद करेगा।
पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा कि वे ऐसे सभी लोगों से डोनेशन की मांग रहे हैं, जो बेहतर भारत के लिए पार्टी के साथ हैं। उन्होंने कहा कि यह अभियान पार्टी के स्थापना दिवस 28 दिसंबर तक ऑनलाइन रहेगा। इसके बाद जमीनी अभियान शुरू किया जाएगा। इसके तहत पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और प्रत्येक बूथ में कम-से-कम 10 घरों से 138 रुपये का अंशदान सुनिश्चित करेंगे। पार्टी ने कहा कि डोनेशन देने वालों को एक सर्टिफिकेट मिलेगा। वह सर्टिफिकेट हमेशा के लिए उनके लिए एक तरीके से एक निशानी होगी।
Dec 18 2023, 15:56