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इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, सोते वक्त सांस लेने में होती है दिक्कत

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अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन 80 साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं। ऐसे में बाइडेन उम्र से जुड़ी तकलीफों से जूझ रहे हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को कुछ हफ्तों से सोते समय सांस लेने में दिक्कत हो रही है। 80 साल की उम्र पार कर चुके जो बाइडेन को सोते वक्त सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।बता दें कि जो बाइडन अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्‍ट्रपति हैं।

2008 से ही नींद्र की समस्‍या से जूझ रहे हैं बाइडन

व्‍हाइट हाउस के प्रवक्‍ता एंड्रयू बेट ने कहा, राष्‍ट्रपति की मेडिकल हिस्‍ट्री बताती है कि वो साल 2008 से ही नींद्र की समस्‍या से जूझ रहे हैं। बीती रात उन्‍होंने सीएपीए मशीन का इस्‍तेमाल किया। यह इस तरह की मेडिकल हिस्‍ट्री वाले लोगों के लिए बेहद आम बात है।बताया गया कि इस बीमारी का नाम स्लीप ऐपनिया है, जिसके चलते राष्‍ट्रपति ठीक से नींद भी नहीं ले पाते हैं।

बाइडेन के चेहरे पर मास्क के निशान देखे गए

राष्‍ट्रपति बाइडेन सोते वक्‍त सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि उन्‍हें सोते वक्‍त लगातार सीएपीए दिया जाता है। सीएपीए या सीएपीएम (कंटीन्यूअस एयरवे प्रेशर मशीन) के माध्‍यम से वो रात को चैन की नींद सो पाते हैं।सबसे पहले ब्लूमबर्ग न्यूज एजेंसी ने कुछ दिनों पहले राष्‍ट्रपति बाइडेन के सीएपीए मशीन का इस्‍तेमाल करने की रिपोर्ट छापी थी। इसमें बताया गया था कि उन्‍हें नींद की समस्‍या में सुधार के लिए कुछ सप्‍ताह के लिए सीएपीए का उपयोग करना पड़ा। हाल ही में पत्रकारों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बाइडेन के चेहरे चौड़ा पट्टे के निशान देखे थे। जिसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि वो सांस लेने के लिए सीएपीए मशीन का इस्तेमाल करते हैं।

बढ़ती उम्र के बाद भी दूसरी बार राष्‍ट्रपति बनने की इच्‍छा

राष्‍ट्रपति जो बाइडेन का कार्यकाल 2024 में खत्‍म हो रहा है। बढ़ती उम्र के बावजूद वो दूसरी बार राष्‍ट्रपति बनने की इच्‍छा भी जता चुके हैं, जो उनकी डेमोक्रैट पार्टी के सदस्‍यों के लिए चिंता का विषय है। बता दें कि एनबीसी न्‍यूज नेशनल की तरफ से जो बाइडेन की लोकप्रियता को लेकर एक पोल किया गया था, जिसमें उनकी रेटिंग 43 प्रतिशत आई। यह रेटिंग काफी नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि वो दूसरी बार लड़ने पर जीत अपने नाम करेंगे।

मणिपुर में रोके जाने पर राहुल गांधी ने केंद्र पर बोला हमला, ट्वीट कर साधा निशाना

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर दौरे पर हैं लेकिन उनकी इस यात्रा को लेकर अब सियासत गर्मा गई है। दरअसल, गुरुवार सुबह जब राहुल चुराचांदपुर की ओर जा रहे थे तो उनके काफिले को बिश्नुपुर में ही रोक दिया था।राहुल को बायरोड आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई।पुलिस की तरफ से उनसे हेलीकॉप्टर से जाने की अपील की गई थी।इन सबके बाद राहुल गांधी हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर के शिविर कैंप पहुंचे और वहां मौजूद लोगों से मुलाकात की।

चुराचांदपुर में लोगों से मिलने और बातचीत करने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर उनके काफीले को रोके जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। राहुल गांधी ने वीडियो ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, मैं मणिपुर के अपने सभी भाइयों-बहनों को सुनने आया हूं। सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है। शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए।

इससे पहले इंफाल से करीब 20 किलोमीटर पहले विष्णुपुर जिले में राहुल के काफिले को रोका गया था। पुलिस इलाके में हिंसा और आगजनी की घटनाओं को देखते हुए उन्हें आगे जाने की इजाजत नहीं दे रही थी। काफी देर तक इजाजत नहीं मिलने के बाद राहुल इंफाल लौट आए थे। इस बीच नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मौके पर जमकर हंगामा किया। बताया जा रहा है कि कार्यकर्ताओं ने पुलिस बैरिकैडिंग तोड़ने की कोशिश की। हालात काबू में करने के लिए पुलिस को सख्ती बरतनी पड़ी। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे।

राहुल गांधी का मोइरांग दौरा रद्द

मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने कहा कि राहुल गांधी का मोइरांग दौरा रद्द हो गया है। प्रशासन ने उन्हें न तो सड़क से और न ही हवाई रास्ते से मोइरांग आने की इजाजत नहीं दी। वह सिर्फ चुराचांदपुर में ही हिंसा प्रभावित लोगों से मिल सके। वह इम्फाल लौट रहे हैं और रात में वहीं आराम करेंगे। यह स्पष्ट नहीं है कि वह कल के लिए निर्धारित अपनी यात्राओं को जारी रख पाएंगे या नहीं।

शिमला नहीं बेंगलुरु में होगी विपक्षी दलों की बैठक, 13-14 जुलाई को लगेगा जमावड़ा, शरद पवार का ऐलान

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केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन की कवायद जारी है। इसको लेकर 23 जून को पटना में पहली बैठक हो चुकी है। अब अगली बैठक 13 और 14 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने इसका ऐलान किया। इससे पहले कहा जा रहा था कि ये बैठक शिमला में होने वाली है।बताया जा रहा है कि बारिश और खराब मौसम की वजह से जगह बदली है।

एलायंस का नाम और कमेटी बनाए जाने पर विचार

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान 23 जून की बैठक का जिक्र करते हुए पवार ने कहा कि पटना में जेडीयू की अगुआई में बैठक की गई थी जबकि बेंगलुरू में कांग्रेस की अगुआई में मीटिंग होगी। अगली मीटिंग में एलायंस का नाम और कमेटी बनाए जाने पर विचार हो सकता है। शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों पर भी पलटवार किया है। पवार ने कहा कि पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद पीएम मोदी बेचैन हो गए हैं। विपक्ष एक साथ आया इसलिए व्यक्तिगत तौर पर बीजेपी की तरफ से टिप्पणी की जा रही है। जहां पर बीजेपी की सरकार वहीं पर जातीय दंगे हो रहे हैं। महाराष्ट्र में जात धर्म के नाम पर दंगे हो रहे हैं।

सत्ताधारी पार्टी को पिछले चुनावों में सफलता नहीं मिली-पवार

शरद पवार ने कहा कि मौजूदा सत्ताधारी पार्टी को पिछले चुनावों में सफलता नहीं मिली है। केरल ,आंध्र, तमिलनाडु ,तेलंगाना, झारखंड, पश्चिम बंगाल में बीजेपी का राज नहीं है। राजस्थान, दिल्ली, पंजाब में भी बीजेपी का राज नहीं है। देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा सत्ता में नहीं हैं। कुछ राज्यों में हैं, उदाहरण के तौर पर गोवा में कांग्रेस ने बहुमत विधायकों को तोड़कर सत्ता हासिल की। गुजरात ,उत्तर प्रदेश ,असम और मणिपुर जहां बीजेपी का सीएम है, वहां 45 दिनों से आग लगी हुई है।

इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बीते 23 जून को हुई 15 विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। इस बैठक में सभी पार्टियों के नेताओं ने एकजुटता दिखाई. इस दौरान 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हारने को लेकर प्लानिंग की गई। इस बैठक के बाद ये कहा गया था कि विपक्षी एकता की अगली बैठक अगले महीने यानी जुलाई को शिमला में होगी। मगर अब इसका ठिकाना बदल गया है। अब यह बैठक शिमला की जगह बेंगलुरु में होगी। बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सभी नेताओं से अच्छी मुलाकात हुई। सभी विपक्षी दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस मीटिंग में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और एनसीपी प्रमुख शरद पवार सहित विपक्षी पार्टियों के कई नेता शामिल हुए थे।

भगवान भोलेनाथ के दर्शन पूजन के लिए अमरनाथ यात्रा को शिवभक्त तैयार, कल रवाना होगा श्रद्धालुओं का पहला जत्था, तीन लाख से अधिक लोगों ने कराया पंजीक


शिवभक्तों के स्वागत के लिए जम्मू-कश्मीर तैयार है। एक जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक करीब 3 लाख तीर्थ यात्री अग्रिम पंजीकरण करवा चुके हैं। भगवती नगर से कल श्रद्धालुओं का पहला जत्था पवित्र अमरनाथ गुफा के लिए रवाना होगा। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और स्थानीय प्रशासन ने बताया कि भक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसके अलावा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। लखनपुर से लेकर कश्मीर तक बुनियादी ढांचे के साथ अन्य जरूरी सुविधाओं को सुनिश्चित किया गया है। इस साल यात्रा में रिकार्ड तोड़ तीर्थ यात्रियों के शामिल होने की उम्मीद है। पिछले साल 44 दिन की यात्रा में करीब 20 दिन खराब मौसम की भेंट चढ़े थे और यात्रा काफी प्रभावित हुई थी। इस बार सुरक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। गुफा मंदिर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की जगह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कर्मियों की तैनाती हुई है, जो माउंटेन वारफेयर में ट्रेंड होते हैं।

अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में पहली बार ITBP की तैनाती

जबकि आईटीबीपी और सीमा सुरक्षा बल लगभग आधा दर्जन शिविरों की निगरानी करेंगे, जो पहले देश की प्राथमिक आंतरिक सुरक्षा बल सीआरपीएफ द्वारा सुरक्षित होते थे। 

सीआरपीएफ अब भी गुफा मंदिर की सीढ़ियों के नीचे सीधे तैनात रहेगी। सूत्रों ने पहले पीटीआई को बताया कि यह नई व्यवस्था ‘उभरते सुरक्षा खतरों और चुनौतियों’ को ध्यान में रखते हुए और ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस की आवश्यकताओं’ के अनुसार बनाई गई है। एक अधिकारी के मुताबिक सीआरपीएफ के साथ-साथ विभिन्न अन्य बलों को भी कार्य दिए गए हैं। क्योंकि सीआरपीएफ की कई कंपनियां मणिपुर में कानून और व्यवस्था की स्थिति और पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के लिए भी काम कर रही हैं।

अरविंद केजरीवाल मंत्रिपरिषद में बड़ा बदलाव, आतिशी को अब वित्त और राजस्व विभाग की भी जिम्मेदारी

#atishi_now_got_the_responsibility_of_finance_and_revenue_department_in_delhi_govt 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रिपरिषद में बड़ा फेरबदल किया गया है।अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को वित्त और रेवेन्यू विभाग का कार्यभार दिया है। दिल्ली सरकार के इस निर्णय को उपराज्यपाल द्वारा मंजूरी दे दी गई है।पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद कैलाश गहलोत को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन अब वित्त और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी भी आतिशी को दे दी गई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैबिनेट में फेरबदल से जुड़ी फाइल एलजी विनय सक्सेना को भेजी गई थी, जिसे उन्होंने मंजूर कर लिया है। आतिशी के पास अब कुल मिलाकर 11 विभाग हो गए हैं। उनके पास महिला एवं बाल विकास विभाग, लोक निर्माण विभाग, ऊर्जा, शिक्षा, कला संस्कृति एंव भाषा, पर्यटन, उच्च शिक्षा, प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा, एवं जन संपर्क जैसे विभाग पहले से थे।

आतिशी सबसे मज़बूत मंत्री बनकर उभरी

आम आदमी पार्टी के 2 बड़े नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भ्रष्टाचार के मामलों में अभी जेल में बंद हैं। बाद में दोनों ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इस बीच खाली विभागों को अलग-अलग मंत्रियों के जिम्मे सौंपा जा रहा है।जिसके बाद आतिशी और सौरभ भारद्वाज को केजरीवाल कैबिनेट में जगह मिली थी। इनमें आतिशी सबसे मज़बूत मंत्री बनकर उभरी हैं, उनके पास इस वक्त दिल्ली सरकार के करीब दर्जनभर विभागों का जिम्मा है।

कौन हैं आतिशी

आम आदमी पार्टी में आतिशी ने तेजी से अपनी पहचान बनाई है। आम आदमी पार्टी अपने आठ साल के कार्यकाल में जिन उपलब्धियों को सबसे ज्यादा बार गिनाती रही है उनमें शिक्षा का क्षेत्र सबसे ऊपर है और इसका बहुत बड़ा श्रेय आतिशी को जाता है। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी का मेनिफेस्टो तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रवक्ता बनाया गया था। फिर साल 2019 में उन्होंने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। 2020 में उन्होंने कालकाजी विधानसभा से चुनाव जीता। आतिशी शुरू से ही दिल्ली की शिक्षा क्रांति का महत्वपूर्ण चेहरा रही हैं। यह सभी जानते हैं कि शिक्षा मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने जो काम किए उसमें आतिशी ने उन्हें काफी सहयोग किया। आतिशी ही मनीष सिसोदिया की सलाहकार रही हैं और हर रणनीति उन्होंने ही बनाई है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के साथ उन्होंने स्कूलों की कायापलट में जबरदस्त मेहनत की है। आतिशी ने ही सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत की

खतरा, उत्तराखंड बदरीनाथ और उत्तरकाशी में भूस्खलन की जद में आए कई भवन, धीरे-धीरे खिसक रही जमीन, बारिश से अलकनंदा का जलस्तर भी बढ़ने से मकानों को

 बदरीनाथ और उत्तरकाशी में कई भवन भूस्खलन की जद में आ गए हैं। धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है और भूस्खलन का खतरा बढ़ रहा है। बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान महायोजना के तहत चल रहे रीवर फ्रंट के कार्यों से बदरीनाथ पुराने मार्ग पर कई भवनों को भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है।

भवनों के नीचे से धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है। रुक-रुककर हो रही बारिश से अलकनंदा का जलस्तर भी बढ़ गया है, जिससे मकानों को और भी खतरा बना हुआ है। नदी के समीप स्थित हरि निवास पूरी तरह से भूस्खलन की जद में आने के कारण पीआईयू (प्रोजेक्ट इंप्लीमेंशन यूनिट) की ओर से इसके डिस्मेंटल की कार्रवाई की जा रही है।

बदरीनाथ मास्टर प्लान में द्वितीय चरण के तहत बदरीनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द 75 मीटर तक निर्माण कार्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। अलकनंदा किनारे बदरीनाथ पुराने मार्ग पर दुकानों और तीर्थ पुरोहितों के मकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है। यहां रीवर फ्रंट का काम भी जोरशोर से चल रहा है।

नदी किनारे स्थित मकानों और धर्मशालाएं अब भूस्खलन की चपेट में आने लगी हैं। मास्टर प्लान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जमुना प्रसाद रैवानी ने बताया कि तप्तकुंड से लेकर नारायणपुरी मंदिर तक 40 मकान ऐसे हैं जो पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। हरि निवास के समीप एक गेस्ट हाउस पर पंजाब नेशनल बैंक की शाखा संचालित होती है।

यह भवन भी भूस्खलन से कभी भी ढह सकता है। इसका पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। उनका कहना है कि नदी किनारे बड़ी-बड़ी मशीनों से खुदाई का काम किया जा रहा है। जिससे मकानों की नींव हिल गई है। कई बार शासन-प्रशासन से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

बदरीनाथ धाम में रीवर फ्रंट का काम जारी है। यहां भूस्खलन की जद में आए हरि निवास भवन को डिस्मेंटल किया जाएगा। यदि अन्य भवन भी भूस्खलन से प्रभावित हैं तो उन्हें दिखवाया जाएगा। नदी किनारे तेजी से दीवार निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। मकानों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।

उत्तरकाशी बाड़ागड्डी क्षेत्र के मस्ताड़ी गांव में करीब 15 मकानों में पड़ी दरारें अब बारिश से और चौड़ी हो गईं। ऐसे में ग्रामीणों को मानसून सीजन में अपने घरों में रात में भी रहने में डर लग रहा है। ग्राम प्रधान और ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं लेकिन शासन और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि गत वर्ष मानसून सीजन में ग्रामीणों के घरों के अंदर जमीन से पानी निकला था।

ग्राम प्रधान मस्ताड़ी सत्यानायण सेमवाल ने बताया कि बारिश के कारण गांव के करीब 15 मकानों की दीवारों पर करीब 6 से 7 इंच की दरारें बढ़ गई हैं। अब मानसून सीजन शुरू हो गया है। इन दरारों को देखकर ग्रामीणों में भय बना है। सेमवाल ने प्रशासन से उनके पुनर्वास की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्ष 1990 के भूकंप के बाद गांव में भू-धंसाव की स्थिति बन गई थी।

कुछ वर्षों तक स्थिति सामान्य रही लेकिन गत वर्ष ग्रामीणों के घरों के अंदर जमीन से अचानक पानी आने लगा और कई मकानों में दरारें पड़ गई थीं। सालभर से कोई ट्रीटमेंट और सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण इस वर्ष यह दरारें और भी बढ़ गई हैं। वहीं जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल का कहना है कि मस्ताड़ी गांव का जियोलॉजिकल सर्वे करवाया गया था। अब जांच के हाई ऑथोरिटी को पत्र भेजा गया है।

टीएस सिंहदेव बनाए गए छत्तीसगढ़ उपमुख्यमंत्री, जानें चुनावी साल में कांग्रेस ने क्यों लिया फैसला

#why_ts_singh_deo_has_been_made_dy_cm_four_months_before_elections

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया है। बुधवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से करीब 5 महीने पहले कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है।

डैमेज कंट्रोल की कोशिश

छत्तीसगढ़ में दिसबंर 2018 में जब कांग्रेस पार्टी बहुमत में आई, उस समय मुख्यमंत्री पद पर भले भूपेश बघेल की ताजपोशी हो गई लेकिन यह बात लगातार चर्चा में बनी रही कि ढाई साल बाद राज्य में टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। ढाई साल की मियाद पूरी होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर से लेकर दिल्ली तक, कई-कई दौर में शक्ति प्रदर्शन किए और अंततः टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला टलता चला गया।अब जब राज्य में पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, तब टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।

गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश

बीते दिनों सरगुजा संभाग में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस दौरान टीएस सिंहदेव के समर्थकों की नाराजगी खुलकर सामने आई थी। मंच पर भी ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का भी जिक्र किया गया था। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा था कि कई राजनीतिक दलों ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने कहा था कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी उनसे संपर्क में था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आपसी गुटबाजी को खत्म करने के लिए टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।

कांग्रेस ने बीजेपी के प्लान पर पानी फेरा

कांग्रेस ने अपने इस फैसले से बीजेपी के इरादों पर बी पानी फेर दिया है। टीएस सिंहदेव भूपेश बघेल को सीएम बनाए जाने के बाद से बगावती तेवर दिखाते रहे हैं। दरअसल, 13 जून को सिंहदेव ने अंबिकापुर में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में यह बयान दिया था कि दिल्ली में उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी। उन्हें बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन वह बीजेपी में नहीं शामिल होंगे। उनके इस बयान के बाद यह अटकलें लगने लगी थीं कि वह कांग्रेस छोड़ सकते हैं। अगर वह चुनाव से पहले पार्टी बदल लेते तो कांग्रेस को इसका भारी नुकसान उठाना पकड़ सकता था। इसके अलावा माना ये भी जा रहा था कि चुनाव के दौरान बीजेपी टीएस सिंहदेव का मुद्दा जनता के बीच लेकर जा सकती थी। कांग्रेस को भी इस बात की पूरी आशंका थी। यह मुद्दा उसके लिए घातक होता, उससे पहले ही पार्टी ने बीजेपी के प्लान पर पानी फेर दिया।

कांग्रेस आलाकमान ने सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का निर्णय रातोरात नहीं लिया। यह सोची समझी रणनीति है। इस पर कर्नाटक चुनाव से पहले लंबी चर्चा हुई थी।भले ही डिप्टी सीएम का पद असंवैधानिक है, इसके बावजूद सीएम बघेल द्वारा हाशिए पर धकेले गए सिंहदेव को कांग्रेस ने यह जिम्मेदारी देकर साधने की कोशिश की है।सिंहदेव लंबे वक्त से विरोधी रुख अपनाए हुए हैं, वे कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सचिन पायलट की नाराजगी के बीच सिंहदेव ने कहा था कि जब आलाकमान की ओर से किए हुए वादे पूरे नहीं किए जाते, तो दुख होता है। इतना ही नहीं टीएस सिंहदेव ने कहा था कि उन्हें लगता है कि उन्हें काम नहीं करने नहीं दिया जा रहा है।

देश भर के 73 समाज के अध्यक्षों के साथ बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने की बैठक, बोले- 'मेरे बहुत विरोधी हैं', अगड़े पिछड़े की लड़ाई बंद कर ए


 मध्य प्रदेश राजगढ़ जिले के खिलचीपुर उदय पैलेस में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 73 समाज के अध्यक्षों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि तुम लोगों की फूट में सरकार का लाभ कैसे होगा? फूट डालो नीति करो से नेताओं का लाभ है। अंग्रेज चले गए, उनका बीज बचा हुआ है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सबको डर है यह बात इसलिए बोल रहे हैं। हमारे पीछे विरोधी तो लगे हुए हैं। हमें यह भी पता है कि बोल्ड आउट होना है, मगर एक धीरेंद्र कृष्ण को कोई मिटाएगा, तब तक हम घर-घर धीरेंद्र कृष्ण की यात्रा शुरू कर देंगे।

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि जहां 73 समाजों के लोग आगे आकर हिंदू सनातन एकता के लिए एक हो रहे हैं। इसका श्रेय सबसे पहले भारतवर्ष में राजगढ़ को प्राप्त होगा। इसके लिए सभी समाज एकजुट हों, तभी एक राष्ट्र बनेगा। 

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि अपनी लड़ाई के दूसरे धर्म के लोग मजे लेते हैं। अंग्रेज जब भारत में आए तो फूट डालो राज करो की नीति अपनाई। वर्तमान में हल्लीलाह वाले यही कर रहे हैं। आपकी लड़ाई का वह भड़काने का काम करते हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम जातिवाद पर विश्वास नहीं करते। हम केवल सद्भावना व इंसानियत पर विश्वास करते हैं। हमारा कर्म है हिंदू एक हो, हिंदू राष्ट्र हो। हमें कोई राजनीति में नहीं जाना। अब चुनाव आ गए हैं। तुम्हें लड़ाने वाले आ गए हैं। जातिवाद के नाम पर कुर्ता पायजाम, पुरानी गाड़ी लेकर 14 लाख में नेताजी बनकर जातिवाद पर बांट देंगे। 

धीरेंद्र शास्त्री ने 73 समाज के लोगों को इस समारोह में अगड़े पिछड़े की लड़ाई बंद कर एक होने का संकल्प दिलाया। 

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि षड्यंत्रकारी प्रायोजित तरीके से अगड़े–पिछड़े का जहर फैला रहे हैं। लव जिहाद, रामचरित मानस को जलाना, ये सब साजिश है। हमारे ही भाई षड्यंत्र के शिकार होकर भगवान को बाहर निकाल रहे हैं। बाहरी लोग हमारी बहन–बेटियों को फंसा रहे हैं। पिछड़े समाज को मंचों पर खड़ा करेंगे। जातीय कट्टरता समाज के लिए घातक है। सबको मंदिर में दर्शन करने का हर प्राप्त होना है। कुप्रथा को समाप्त करना है। कोई समाज का व्यक्ति गलती करता है तो उसको पूरे समाज से न जोड़ा जाए। हमारी लड़ाई के मजे दूसरे लेते हैं। इस समय में सद्भाव मंच के साथ बैठक करें, दोनों पक्ष बैठें। आज से हम भी नई यात्रा आरम्भ करेंगे। हर जिले में समाजों की बैठक करेंगे।

मणिपुर में रोका गया राहुल गांधी का काफिला, पुलिस ने सुरक्षा का दिया हवाला

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर पहुंच गए हैं। वे एयरपोर्ट से सीधे हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करने के लिए निकले। लेकिन, पुलिस ने रास्ते में ही उनके काफिले को रोक दिया।राहुल गांधी को इंफाल एयरपोर्ट के आगे विष्णुपुर चेकपोस्ट पर रोका गया है। इंफाल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वे चुराचांदपुर जा रहे थे।सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के काफिले को सुरक्षा कारणों से रोका गया।

केसी वेणुगोपाल ने जताई निराशा

मणिपुर में राहुल गांधी के काफिले को रोके जाने को लेकर निराशा जताते हुए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर के पास पुलिस ने रोक दिया है। स्थानीय पुलिस का कहना है कि वे हमें आगे जाने की अनुमति देने की स्थिति में नहीं है।राहुल गांधी से मिलने के लिए लोग सड़क के दोनों ओर खड़े हैं। लेकिन यह हम समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्होंने हमें क्यों रोक दिया है? उन्होंने आगे कहा, मुझे नहीं पता कि पुलिस हमें जाने की अनुमति क्यों नहीं दे रही है। राहुल का यह दौरा प्रभावित लोगों से मुलाकात के लिए ही है। हमने अब तक 20-25 किलोमीटर तक का सफर तय किया है, लेकिन कहीं पर भी जाम की स्थिति नहीं बनी। राहुल कार के अंदर बैठे हैं। मुझे नहीं पता कि स्थानीय पुलिस को किसने निर्देश दिया है।

राहुल दो दिन रहेंगे मणिपुर में

राहुल गांधी दो दिनों तक यानी 29-30 जून को मणिपुर में रहेंगे।इस दौरान राहुल गांधी राहत शिविरों का दौरा करेंगे और पीड़ितों का हाल जानेंगे।इंफाल पहुंचने के बाद कांग्रेस नेता चूड़ाचांदपुर जिले जाएंगे, जहां वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे। इसके बाद वह विष्णुपुर जिले में मोइरांग जाएंगे और विस्थापित लोगों से बातचीत करेंगे। उन्होंने बताया, राहुल गांधी शुक्रवार को इंफाल में राहत शिविरों का दौरा करेंगे और बाद में कुछ नागरिक संगठनों से भी बातचीत करेंगे।

गृहमंत्री अमित शाह ने बुलाई थी सर्वदलीय बैठक

इससे पहले 24 जून को मणिपुर में हिंसा पर गृहमंत्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। गृह मंत्री ने दिल्ली में मणिपुर की स्थिति को लेकर 18 पार्टियों के साथ सर्वदलीय बैठक की थी। इस बैठक में सपा और आरजेडी ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी, साथ ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की थी। इस बैठक में गृह मंत्री शाह ने राज्य में शांति बहाल करने का आश्वासन दिया था। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मणिपुर का दौरा किया था और राहत कैंपों में जाकर पीड़ितों की बात सुनी थी।

राहत शिविरों में करीब 50,000 लोग रह रहे

बता दें कि मणिपुर में दो स्थानीय जातियों मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष जारी है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हो गईं थी।इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।वहीं, संघर्ष शुरू होने के बाद से 300 से अधिक राहत शिविरों में करीब 50,000 लोग रह रहे हैं।

यूसीसी को लेकर कपिल सिब्बल का पीएम मोदी पर तंज, कहा-9 साल बाद क्यों सताने लगी मुसलमानों की चिंता, 2024 चुनाव की वजह से

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समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का “जिन्न” एक बार फिर “बोतल“ से बाहर आ गया है।यूसीसी पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद पूरे देश में एक बहस छिड़ गई है। विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रहा है। पीएम मोदी के बयान के बाद विपक्ष के साथ-साथ मौलाना मौलवी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सभी का पारा चढ़ा हुआ है। इसी क्रम में पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधा है। सिब्बल ने समान नागरिक संहिता पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न किया कि आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 के चुनाव की वजह से? 

कपिल सिब्बल का सवाल

राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया, प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया...विपक्ष पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया..पहला सवाल, आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)? दूसरा सवाल, आपका प्रस्ताव कितना ‘समान’ है, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं? तीसरा सवाल, हर दिन आपकी पार्टी मुसलमानों को निशाना बनाती है। क्यों? अब आपको चिंता हो रही है।

पीएम ने विपक्ष पर लगाया मुसलमानों को भड़काने का आरोप

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में यूसीसी की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष दलों पर मुसलमानों को गुमराह करने और भड़काने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था।

बता दें कि विधि आयोग ने 14 जून को UCC पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है।